व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण

मैरिल-पामर मापनी (Merrill Palmer Scale) एक बुद्धि परीक्षण है जिसमें 38 उपपरीक्षण हैं। इसका उपयोग डेढ़ वर्ष से पांच छः वर्ष की आयु के बच्चों पर किया जाता है।
मिनोसोटा पूर्व-विद्यालय मापनी (Mennsota Pre-School Scale) भी एक महत्वपूर्ण बुद्धि परीक्षण है। इसका उपयोग भी डेढ़ वर्ष से पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों पर किया जाता है।
मनोवैज्ञानिक गुडएनफ (Good Enough) ने ‘ड्राइंग अ मैन’ (Drawing a man) परीक्षण का प्रतिपादन किया।
रेवन (Reven) ने 1938 में ‘प्रोग्रेसिव मैट्रिक्स’ (Progressive Matrics) परीक्षण का निर्माण किया।
वेश्वर ने 1949 में बालकों एवं वयस्कों हेतु बुद्धि मापनी का निर्माण किया।
ये सभी व्यक्तिगत या वैयक्तिक परीक्षण हैं तथा इनका उपयोग एक बार विषय (व्यक्ति) पर ही किया जाता है।

सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group Intelligence Tests)
बुद्धि परीक्षणों का विकास काल और देशीय आवश्यकता के अनुसार होता रहा है। सन् 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध के समय अमेरिका में सेना में भर्ती हेतु व्यक्तियों का सही ढ़ंग से चुनाव करने के लिए बुद्धि परीक्षणों का निर्माण हुआ। चूंकि हजारों व्यक्तियों पर व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षणों का प्रशासन एक समय पर एक साथ असंभव था इसलिए सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का निर्माण हुआ। सेना में अंग्रेजी पढ़े-लिखे एवं अधिकारी वर्ग के सैनिकों के चयन हेतु आर्मी अल्फा (Army Alpha) सामूहिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण हुआ। जबकि अनपढ़ एवं अंग्रेजी भाषा से अनभिज्ञ व्यक्तियों के लिए आर्मी बीटा सामूहिक परीक्षणों का निर्माण हुआ। इन बुद्धि परीक्षणों के आधार पर सेना में सैनिकों की भर्ती की गई। इसी तरह द्वितीय विश्वयुद्ध में भी इसी प्रकार के बुद्धि परीक्षणों द्वारा सेना में भतध् हुई। इसी समय ‘आर्मी जनरल क्लासीफिकेशन टैस्ट’ का भी निर्माण हुआ। इस प्रकार समय-समय पर समय की आवश्यकता के अनुसार बुद्धि परीक्षणों का निर्माण होता रहा।

भारत में बुद्धि परीक्षणों का विकास
सन् 1922 में भारत में सर्वप्रथम बुद्धि परीक्षण का निर्माण एफ. जी. कॉलेज, लाहौर के प्राचार्य डॉ॰ सी. एच. राईस (Dr. C. H. Rice) ने किया। इन्होंने बिने की मापनी का भारतीय अनुकूलन किया। इस परीक्षण का नाम था ‘हिन्दुस्तानी बिने परफोरमेंस पाइन्ट स्केल’ (Hindustan Binet Peromance Point Scale)।

इसके पश्चात् 1927 में जे. मनरी ने हिन्दी, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा में शाब्दिक समूह बुद्धि परीक्षण (Verbal Group Intelligence Test) का निर्माण किया। डॉ॰ लज्जाशंकर झा (1933) ने सामूहिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया जो 10 से 18 वर्षों के बालकों के लिए उपयोगी है। सन् 1943 में सोहनलाल ने 11 वर्ष तथा इससे अधिक आयु वाले बालकों के लिए सामूहिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया। पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ॰ जलोटा (1951) ने एक सामूहिक परीक्षण का निर्माण किया। यह परीक्षण हिन्दी, उर्दू एवं आंग्ल भाषा में तथा विद्यालीय छात्रों के लिए था। सन् 1953 में प्रोफेसर सी. एम. भाटिया ने एक निष्पादन बुद्धि परीक्षण (Performance Intelligence Test) का निर्माण किया। इसमें पांच प्रमुख बौद्धिक उपपरीक्षण हैं तथा यह ‘भाटिया बैट्री ऑफ परफोरमेंस टेस्ट ऑफ इन्टेलीजेन्स’ कहलाता है। इस तरह उपरोक्त परीक्षण भारतीय अनुकूलन के प्रमुख बुद्धि परीक्षण हैं और इनका विकास समयानुसार हुआ। इन परीक्षणों के अतिरिक्त कई भारतीय मनोवैज्ञानिकों ने शाब्दिक एवं अशाब्दिक तथा वैयक्तिक एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का निर्माण किया। उपरोक्त परीक्षणों के निर्माण में जिन मनोवैज्ञानिकों ने अपना योगदान दिया उनके अतिरिक्त कई और भी मनोवैज्ञानिक हैं जिन्होंने बुद्धि परीक्षण निर्माण में इसी प्रकार का अपना योगदान दिया है। जिनमें से कुछ प्रमुख मनोवैज्ञानिकों के नाम इस प्रकार हैं – शाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के निर्माण में बड़ौदा के डॉ॰ बी. एल. शाह, बम्बई के डॉ॰ सेठना, एन. एन. शुक्ला, ऐ.जे. जोशी तथा दवे, अहमदाबाद के डॉ॰ देसाई, बूच एवं भट्ट के नाम प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त देश के कई मनोवैज्ञानिक जैसे डॉ॰ शाह, झा, माहसिन, मनरी, सोहनलाल, जलोटा, प्रो॰ एम. सी. जोशी, प्रयाग मेहता, टण्डन, कपूर, शैरी, रायचौधरी, मलहोत्रा, ओझा एवं लाभसिंह ने भी बुद्धि परीक्षणों के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अशाब्दिक परीक्षणों के निर्माण में जिन मनोवैज्ञानिकों ने योगदान दिया उसमें प्रमुख हैं- अहमदाबाद के प्रो॰ पटेल, प्रो॰ शाह, बड़ौदा के प्रोमिला पाठक, बंगाल के विकरी एण्ड ड्रेपर, कलकत्ता विश्वविद्यालय के रामनाथ कुन्दू, बलिया के ए.एन. मिश्र तथा कलकत्ता के एस. चटर्जी तथा मंजुला मुकर्जी।

निष्पादन बुद्धि परीक्षण (Performance Intelligence Tests) के निर्माण में अहमदाबाद के डॉ॰ पटेल बड़ौदा के एम. के पानवाल, उदयपुर के पी. एन. श्रीमाली, कलकत्ता के मजूमदार नागपुर के चन्द्रमोहन भाटिया का योगदान महत्वपूर्ण है। इनके अतिरिक्त प्रभारामलिंगास्वामी (1975) मुरादाबाद के टंडन, इम्फाल के चक्रवर्ती, मैसूर के भारतरात, चंडीगढ़ के वर्मा तथा द्वारकाप्रसाद ने इन परीक्षणों के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया।

Gardner’s theory of multiple intelligence (गार्डनर के बहु – बुद्धि सिद्धांत) for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

Gardner’s theory of multiple intelligence (गार्डनर के बहु – बुद्धि सिद्धांत) for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

Q. According to Gardner’s theory of multiple intelligences, spatial intelligence-

  1. Consists of the ability to detect patterns, reasoning deductively and think logically
  2. Gives one the ability to manipulate and create mental images in order to solve problems
  3. is the ability to use one’s mental abilities to coordinate one’s own bodily movements.
  4. Is the ability to understand and discern the feelings and intentions of others.

Ans- Option B

Gardner defines intelligence, as the capacity to solve problems, using biological as well as cultural research.

 It formulated a list of 8 intelligences-

  1. Musical-rhythmic and harmonic Intelligence- 

This area has to do with sensitivity to sounds, rhythms, tones, and music.

     2.  Logical mathematical intelligence-

 consists of the ability to detect patterns, reason deductively and think logically

     3.  Linguistic intelligence-

 involves having a mastery of language

     4.   Spatial intelligence-

Gives one the ability to manipulate and create mental images in order to solve problems

     5.  Body kinesthetic intelligence is the ability to use one’s mental abilities to coordinate one’s own bodily movement.

      6.  Personal intelligence-

 the ability to understand and discern the feelings and intentions of others.

      7.  Intrapersonal intelligence is the ability to understand one’s own feelings and motivations

      8.  Naturalistic intelligence- 

Not part of Gardner’s original seven, naturalistic intelligence was proposed by him in 1995. Naturalistic intelligence may be explained as, The individual who is readily able to recognize flora and fauna, to make other consequential distinctions in the natural world, and to use this ability productively (in hunting, in farming, in biological science) is exercising an important intelligence and one that is not adequately encompassed in the current list.

Q. गार्डनर के बहु – बुद्धि सिद्धांत के अनुसार, स्थानिक बुद्धिमत्ता –

  1. तार्किक योग्यता एवं गणितीय कार्यों से संबंधित है
  2. समस्याओं को हल करने के लिए मानसिक कल्पनाओं को चित्र का स्वरूप देने से संबंधित है
  3. आत्मबोध, पहचान तथा स्वयं की भावनाओं एवं कौशल क्षमता को जानने से संबंधित है
  4. दूसरों की भावनाओं और इरादों को समझने की क्षमता है।

Ans- विकल्प B

बहु-बुद्धि का सिद्धांत  हावर्ड गार्डनर (Howard Gardner) द्वारा प्रस्तुत किया गया। उनके  अनुसार, बुद्धि कोई एक तत्व नहीं है बल्कि कई भिन्न-भिन्न प्रकार की बुद्धियों का अस्तित्व होता है। प्रत्येक बुद्धि  एक दूसरे से स्वतंत्रा रहकर कार्य करती

 जैविक और साथ ही सांस्कृतिक अनुसंधान का उपयोग करते हुए 8 प्रकार की बुद्धि की एक सूची तैयार की-

  1. सांगीतिक बुद्धि-

इस क्षेत्र में ध्वनियों, लय, स्वर और संगीत की संवेदनशीलता में बुद्धि का प्रयोग होता है।

      2. तार्किक गणितीय बुद्धिमत्ता-

बुद्धि का यह अंग तार्किक योग्यता एवं गणितीय कार्यों से संबंधित है।

      3. भाषाई बुद्धि-

 इस बुद्धि में भाषा की निपुणता शामिल है।

     4. स्थानिक बुद्धि-

इस तरह की बुद्धि का उपयोग अंतरिक्ष यात्रा के दौरान तथा मानसिक कल्पनाओं को चित्र का स्वरूप देने में किया जाता है।

     5. शारीरिक गतिक बुद्धि

किसी की शारीरिक क्षमताओं का समन्वय करने की मानसिक क्षमताओं का उपयोग करने की क्षमता है।

      6. अतः पारस्परिक बुद्धि-

 दूसरों की भावनाओं और इरादों को समझने की क्षमता।

      7. अतः वैयक्तिक बुद्धि 

अपनी भावनाओं और प्रेरणाओं को समझने की क्षमता है।

      8. प्राकृतिक बुद्धि-

यह गार्डनर के मूल सात बुद्धि का हिस्सा नहीं है, प्राकृतिक बुद्धि का प्रस्ताव उनके द्वारा 1995 में किया गया था। इस प्रकार के ज्ञान का संबंध वनस्पति जगत, पेड़ पौधे, जीव जंतु या प्राणी समूह को परखने आदि में होता है।

(Child Development and Pedagogy: Multiple Intelligence)