PHYSICALLY HANDICAPPED CHILD notes by India’s top learners

📖 📖 विकलांग बालक 📖 📖 🌻🌿🌻विकलांग बालक ( PHYSICALLY HANDICAPPED CHILD)🌻🌿🌻 🌺 🌺 कुछ बालकों में जन्म से ही शरीर में दोष होता है। या किसी बीमारी, आघात, दुर्घटना या चोट लग जाने के कारण शरीर के किसी अंग में दोष होता है, उसे विकलांगता कहते हैं। 🌿🌺🌿 वह बालक जो कि शारीरिक रूप से सामान्य बालक से भिन्न होते हैं, एवं सामान्य बालक को की तुलना में उनके शरीर में किसी ना किसी प्रकार की अक्षमता पाई जाती है। एवं उनका शरीर हर काम को करने के लिए तत्पर नहीं हो पाता है। उनके शरीर में दोष होता है। उन बालको को विकलांग बालक किस श्रेणी में रखा जाता है।🌿🌺🌿 🌷🌷🌷क्रो व क्रो के अनुसार विकलांग बालक की परिभाषा~ एक व्यक्ति उसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है। जो किसी भी रुप में सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है, या सीमित रखता है। उस विकलांग बालक कहते हैं। 🌻🌷🌻 विकलांग बालक के प्रकार~ विकलांग वाला सामान्तः पांच प्रकार के होते हैं:- 🍂🍃 अपंग~ ऐसे बालक जो शारीरिक रूप से अपंग होते हैं। उन्हें श्रेणी में रखा जाता है। जिसके अंतर्गत लंगड़े, लूले, गूंगे, बहरे एवं अंधे बालक आते हैं। 🍃🍂 दृष्टि दोष~ ऐसे शारीरिक विकार जिससे कि बालक देख नहीं सकता है, उसे देखने में समस्या होती है वह दृष्टि बाधित होता है। इसके अंतर्गत अंधे एवं अर्ध अंधे बालक आते हैं। इन बालकों में दृष्टि एवं देखने संबंधी विकार होते हैं। 🍂🍃 श्रवण संबंधी दोष~ ऐसा विकार जिसमें बालक सुन नहीं सकता है, उसे सुनने संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए बहरे बालक या अर्धबहरे बालक आते हैं। 🍃🍂 वाक् संबंधी दोष~ ऐसा विकार जिसमें बालक बोल नहीं सकता है, उसे बोलने संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है। इस दोष के कारण बालक में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसके अंतर्गत हकलाना, तुतलाना, नहीं बोल पाना जिससे कि गूंगापन होता है। 🍂🍃 अत्यधिक कोमल और दुर्बल शरीर~ यह एक ऐसा विकार है, जिसमें बालक बालक में रक्त की कमी एवं शक्ति हीनता और पाचन क्रिया में गड़बड़ी हो जाती है, जिससे कि बालक अधिक ही कमजोर हो जाता है, उसमें दुर्बलता आने लगती है। 🌷🌿🌷 विकलांग बच्चे की शिक्षा🌷🌿🌷 विकलांग बच्चे की शिक्षा सामान्य बालक की शिक्षा शुद्ध होती है। उनकी शिक्षा व्यवस्था के लिए अलग से कुछ प्रयास किए जाते हैं, एवं उनकी शिक्षा व्यवस्था भी अलग होती है। शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत सभी प्रकार के विकलांग बालक की शिक्षा के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएं एवं उन्हें किस प्रकार शिक्षा दी जाए। इसका वर्णन किया गया है~ 🍁🌲🍁 अपंग बालकों की शिक्षा व्यवस्था~ ऐसे बालक जिनमें शारीरिक दोष हो, लेकिन यह आवश्यक नहीं है, कि वह मंदबुद्धि भी हो। अर्थात हम कह सकते हैं, कि जो बालक शारीरिक दोष से पीड़ित होते हैं। वह बालक सीख नहीं सकते या शिक्षित नहीं हो सकते हैं। वह भी शिक्षित हो सकते हैं। और सामान्य बालकों से अधिक शिक्षित होने की क्षमता भी उनमें पाई जाती है। लेकिन इसके लिए उन्हें उचित शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता होती है। यह उचित शिक्षा उन्हें उनके माता-पिता एवं शिक्षक के द्वारा प्रदान की जाती है। उनके शिक्षा में शिक्षक का महत्व पूर्ण योगदान रहता है। अतः प्रयास करने के लिए माता-पिता एवं शिक्षक को महत्वपूर्ण कार्य एवं प्रयास करने होंगे। परंतु इन बालकों में इनकी शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत होने लगती है। अपंग बालको की शिक्षा के लिए किस प्रकार की व्यवस्था की जानी चाहिए इसका वर्णन निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट किया गया है~ 👉🏻 विशिष्ट प्रकार के विद्यालयों को संगठित करें~ इसके अंतर्गत बालकों के लिए विशेष प्रकार के स्कूलों एवं विद्यालयों की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसमें बालक अपनी क्षमता एवं अपनी आवश्यकता के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सकता है। यहां बालक को शिक्षित होने के लिए किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। यहां सभी बालक समान होते हैं। इससे बालक में हीन भावना भी जागृत नहीं होती है। 👉🏻 उनकी विशेषताओं के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो~ अगर विशिष्ट विद्यालयों के उपयुक्त नहीं हो सकता है। तो उनके लिए सामान्य विद्यालय में ही उपयुक्त कक्षा या एक उपयुक्त कमरे की व्यवस्था की जानी चाहिए। जिसमें विकलांग अपनी क्षमता के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सके, और उसे कठिनाई का सामना ना करना पड़े। 👉🏻 इन बालकों के लिए उचित प्रकार से बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि वह परेशानियों का सामना ना करना पड़े, और वह बिना किसी परेशानी के अपनी शिक्षा को प्राप्त कर सके। क्योंकि अगर इन बालक के लिए उचित बैठने की व्यवस्था नहीं होगी। तो वह उनकी शिक्षा में बाधा उत्पन्न करेगा। और वह ठीक प्रकार से शिक्षित नहीं हो पाएगा। 👉🏻 बालक के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हमें यह ध्यान रखना होगा। कि बालक को डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेने की आवश्यकता तो नहीं है। और अगर संभव हो सके, तो हमें चिकित्सा हेतु साधनों या संसाधनों के इंतजाम भी किए जाने चाहिए। जिससे कि बालक की शारीरिक जांच की जा सके। 👉🏻 विकलांग बच्चों के साथ हमारा व्यवहार उचित होना चाहिए। अगर विकलांग बालक को उचित व्यवहार नहीं मिलेगा, या उसके प्रति किसी भी प्रकार का अलगाव हमारे द्वारा नहीं किया जाना चाहिए।अगर ऐसा बालक को प्रतीत हुआ, तो उस बालक में हीनता की भावना उत्पन्न हो जाएगी। अतः हमें विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। 👉🏻 विकलांग बालक का पाठ्यक्रम~ विकलांग बालक का पाठ्यक्रम सामान्य बालक के पाठ्यक्रम सिद्ध होना चाहिए। सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे, लेकिन इन बालक के पाठ्यक्रम में व्यवसायिक पाठ्यक्रम को अवश्य ही जोड़ा जाया जाना चाहिए। जिससे कि बालक अपना स्वयं का कुछ व्यवसाय स्थापित कर सके। उन्हें किसी भी प्रकार की बेरोजगारी का सामना ना करना पड़े। 👉🏻 मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे~ हमें विकलांग बालको शिक्षा प्रदान करवानी है, तो हमें उस बालक को मानसिक विकास का पूर्ण अवसर दिया जाना चाहिए। जिससे कि बालक को ऐसा प्रतीत ना हो कि वह आगे नहीं बढ़ सकता है। वह भी आगे बढ़ सकता है। इसके लिए शिक्षक को उसे उचित मानसिक विकास के लिए अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। 👉🏻 विकलांग बालक के लिए शिक्षण विधियां~ विकलांग बालक की शिक्षा के लिए शिक्षण विधियां का उचित प्रयोग किया जाना चाहिए। इन बालक की शिक्षण विधियों में सरलता, रोचकता एवं क्रियात्मक ढंग से होना चाहिए। लेकिन इनके लिए शिक्षण विधि की गति धीमी ही होनी चाहिए। अधिक तेज गति से इन्हें नहीं सिखाया जाना चाहिए। अतः इनके लिए शिक्षण विधियो का उचित प्रयोग किया जाना चाहिए। 🍃🍁🍃 उपयुक्त सभी तथ्यों के माध्यम से हम अपंग बालक को उचित शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। उसके लिए सरलता एवं सुगमता के साधन उपलब्ध किए जा सकते हैं। इन के माध्यम से वह अपनी शिक्षा की प्राप्ति बिना किसी रूकावट के कर सकता है। 📚 📚 📘 समाप्त 📘 📚 📚 ✍🏻 PRIYANKA AHIRWAR ✍🏻 🙏🌺🌿🌻🌷🙏🌺🌿🌻🌷🙏🌺🌿🌻🌷🙏🌺🌿🌻 ❄

विकलांग बालक ( handicapped child ) ❄ 🌀 विकलांग बालक ➖ कुछ बालकों में जन्म से शरीर में दोष होता है । या किसी बीमारी आघात, दुर्घटना ,या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंगों में दोष होता है उसे विकलांगता कहते हैं । 🌀 *क्रो* & *क्रो* ➖ एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है हम उसे ही विकलांग व्यक्ति कहते हैं । 🌀 शारीरिक विकलांग बालक( physically challenged child ) के प्रकार ➖ 1 🌀 *अपंग* ➖ इसमें ऐसे बालक आते हैं जो शारीरिक रूप से किसी ना किसी अंग से विकलांग या अक्षम होते हैं किसी किसी कार्य को करने के लिए जैसे कि लगड़े ,लूले, गूंगे बहरे अंधे आदि । 🌀 2 *दृष्टि दोष* ➖ अंधे ,आधा अंधे ( देखने दृश्य संबंधी विकार ) इसमें बालक की दृश्य से संबंधित अक्षमता होती है वह देख नहीं पाता है। 🌀 3 *श्रवण संबंधी दोष* ➖ इसमें बालक को सुनने संबंधी विकार होता है। जैसे- बहरे आधे बहरे। आदि 🌀 4 *वाक् संबंधी विकार*➖ ( दोष युक्त वाणी ) जैसे तुतलाना, हकलाना, गूंगापन या नहीं बोल पाना यह सब वाक् संबंधी विकार हैं । 🌀 5 *अत्यधिक कोमल और दुर्बल* ➖ ऐसा विकार है जिसमें बच्चे की रक्त में कमी हो जाती है। वह शक्तिहीन हो जाता है ।पाचन क्रिया में गड़बड़ी हो जाती हैं। 🔅 विकलांग बच्चे की शिक्षा 🔅 विकलांग बच्चों की शिक्षा निम्नलिखित चरणों में होती है 🌀 *अपंग बालकों की शिक्षा* ➖ शारीरिक दोष हो यह आवश्यक नहीं है , मंदबुद्धि हो सकता है, शारीरिक कमी के कारण भी हीन भावना जागृत हो सकती है । बालकों की बुद्धि लब्धि कम या अधिक हो सकती है इस प्रकार के दोष छात्रों की हड्डियों ग्रंथियों या जोड़ों में होती हैं जो दुर्घटना या बीमारी के कारण उत्पन्न हो जाते हैं । ▪️ विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें । ▪️ उनकी विशिष्टता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो ताकि उनकी शिक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न ना हो । ▪️ उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से बैठ सके। ▪️ डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहें हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करें। ▪️ विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करें ▪️ सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे । ▪️मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे। ▪️ शिक्षण विधि सरल, रोचक क्रियात्मक ढंग धीमी गति से हो। धन्यवाद 📒✍️ notes by Pragya shukla …….. 🌷🦚🌷

*विकलांग बालक🌷🦚* 🌷 🌸🌳🌸 *शारीरिक रूप से विकलांग बालक* 🌸🌳🌸 🌸🌳🌸 *Physically handicapped child 🌸* 🌳🌸 🌳 किसी भी प्रकार की विकलांगता मनुष्य की जन्मजात या जाने के बाद भी हो सकती है।जैसे :- कुछ लोगों में विकलांगता जन्म से ही होती है तथा कुछ लोगों में जन्म के बाद उत्पन्न होती है। 🍁 जैसे कि :- किसी भी दुर्घटना में चोट लग जाना या कारण से तथा किसी भी बीमारी से दुर्घटनाग्रस्त या किसी भी प्रकार आघात हो जाता है। इसे ही विकलांगता कहते हैं। 🌳 विकलांगता वह होता है जब बच्चे शारीरिक व मानसिक रूप से सामान्य बच्चों से भिन्न होते हैं। उन्हें शारीरिक या मानसिक किसी भी प्रकार की अक्षमता पाई जाती है। 🌳 ऐसे बच्चे दिन में शारीरिक रूप से किसी कार्य को करने की अक्षमता पाई जाती है उन्हें शारीरिक रूप से विकलांग बालक कहा जाता है। *🌟 क्रो एवं क्रो के अनुसार :-* 🌷🌷 एक व्यक्ति, उसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है उसे विकलांग बालक कहते हैं।🌷🌷 *🌳 शारीरिक विकलांग बालक के प्रकार🌳* 🌟सामान्यत: पांच प्रकार की शारीरिक विकलांग बालक पाए जाते हैं :- 1️⃣ अपंग 2️⃣दृष्टि दोष 3️⃣ श्रवण संबंधी दोष 4️⃣वाक् संबंधी दोष 5️⃣ अत्यधिक कोमल और दुर्बल शरीर 1️⃣ *अपंग :-* 🌸 ऐसे बालक जो शारीरिक रूप से अपंग होते हैं उन्हें इस श्रेणी में रखा जाता है। 🍁जैसे कि :- लंगड़े – लूले,अंधे और बहरे बालक इस श्रेणी में आते हैं। *2️⃣दृष्टि दोष :-* 🌸 ऐसी शारीरिक प्रक्रिया जिसके अंतर्गत बालक को किसी भी चीजों को देखने में समस्या उत्पन्न होती है। जो कि शारीरिक क्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ।उसे भी एक शारीरिक अक्षमता के रूप में देखा जाता है। *3️⃣ श्रवण संबंधी दोष :-* 🌸 ऐसी अक्षमता जिसके अंतर्गत बालक सुन नहीं पाता है।जिससे कि वह अपनी अभिव्यक्ति भी नहीं कर पाता है।क्योंकि जब वह किसी और की प्रतिक्रिया सुनेगा तभी तो अभिव्यक्ति करेगा। इसलिए उसे अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।इसे श्रवण संबंधी दोष कहते हैं। *4️⃣वाक् संबंधी दोष :-* 🌸 वाक्य संबंधी दोष के अंतर्गत बालकों में बोलने की संबंधी अक्षमता होती है।बालक बोल नहीं पाते हैं जिससे उन्हें अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अंतर्गत अनेक प्रकार की अवधारणाएं पाई जाती हैं। 🍁जैसे कि :- हकलाना,तुतलाना,नहीं बोल पाना अर्थात गूंगापन इत्यादि। 5️⃣ *अत्यधिक कोमल और दुर्बल शरीर* :- 🌸 यह एक प्रकार की ऐसी भी कार है जिसमें पाचन शक्तियों का ठीक नहीं रहने के कारण बालक मैं रक्त की कमी तथा शक्तिहीनता आ जाती है। जिससे कि बालक अत्यधिक कमजोर हो जाता है और उनमें दुर्बलता भी आने लगती है। 🌸🌳🌸 *शारीरिक रूप से विकलांग बालकों की शिक्षा🌸🌳* 🌸 🌳 शारीरिक रूप से विकलांग बालकों को एक अत्यंत महत्वपूर्ण शिक्षण पद्धति द्वारा शिक्षण कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाना चाहिए तथा उन्हें सामान्य बालकों को सामान्य बालकों से अलग रखकर उनके लिए एकीकृत शिक्षण का व्यवस्था करना चाहिए जिससे उन्हें शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में रुचि उत्पन्न होता था उनमें हीनता की भावना ना आ पाये। 🌸🌳🌸 *अपंग बालकों की शिक्षा व्यवस्था 🌸* 🌳🌸 🌿 *विशिष्ट प्रकार के विद्यालयों को संगठित करें :-* 🌸 इसके अनुसार विकलांग बालकों को विशिष्ट प्रकार के कार्यों द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जैसे कि उनके लिए विशेष शिक्षण पद्धति तथा कमरे और लाइटिंग की उचित व्यवस्था भी होनी चाहिए। 🍁 ऐसे बालकों के लिए :- 🌿 विशिष्ट कक्षा 🌿विशिष्ट पाठ्यक्रम 🌿विशिष्ट शिक्षक 🌿 विशिष्ट शिक्षण अधिगम प्रक्रिया तथा अन्य विशिष्ट प्रकार की प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है। 🌿 बालकों की विशेषताओं के अनुसार कमरों की भी उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए :- 🌸 बालकों की विशेषताओं के अनुसार उनके लिए उपयुक्त व साफ-सुथरी कमरों की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि विकलांग बच्चे भी सामान्यता पूर्वक अपने शिक्षण अधिगम प्रक्रिया सफल कर सके तथा उन्हें किसी भी प्रकार की कठिनाईयों का अनुभव ना हो। 🌿 बालकों के बैठने के लिए भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानियों का सामना ना करना पड़े :- 🌸 विकलांग बालकों के बैठने के लिए भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि उन्हें किसी प्रकार की परेशानियों का सामना ना करना पड़े तथा उन्हें अपने सम वयस्क साथियों के साथ बैठाना चाहिए तभी उनके साथ सहयोगात्मक अधिगम विकसित कर सकें। 🌿 बालकों का शारीरिक रूप से भी चिकित्सा या उपचार समय-समय पर करवाते रहना चाहिए :- 🌸 इस प्रकार के विकलांग बालकों की समय-समय पर शारीरिक रूप से या चिकित्सक उपचार कराते रहना चाहिए जिससे उनमें किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न ना हो और वे सावधानी पूर्वक अपने कार्यों का निष्पादन कर सकें। 🌿 ऐसी बालकों के साथ उचित रूप से व्यवहार भी किया जाना चाहिए तथा उन्हें उचित माध्यम में उपलब्ध कराना चाहिए :- 🌸 ऐसे बालकों के साथ ही भी सहानुभूति पूर्ण तथा उचित रूप से व्यवहार किया जाना चाहिए जिससे इन्हें किसी भी प्रकार की परेशानियों का अनुभव ना हो और अपने शिक्षण अधिगम प्रक्रिया या हर एक कार्य में रुचि ले सके तथा अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करें। 🦚🌟🦚 विकलांग बालकों का पाठ्यक्रम🦚🌟🦚 🌷🌷 विकलांग बालकों का पाठ्यक्रम भी सामान्य वालों को के पाठ्यक्रम के सामान हीं होना चाहिए। हमें इनके पाठ्यक्रम को सामान्य और साधारण तथा कम रखना चाहिए।इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव या ऊंच-नीच नहीं होनी चाहिए। जिससे कि यह भी अपने व्यवसाय की स्थापना कर सके तथा इन्हें बेरोजगारी की परेशानी का सामना ना करना पड़े। 🌿मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे :- 🌸 हमें विकलांग बच्चों को शिक्षा प्रदान करना है तो उन्हें मानसिक रूप से विकास करने का भी पूर्ण अवश्य देना चाहिए उन्हें कक्षा की हर एक प्रकार की गतिविधियों,प्रतियोगिता,वाद-विवाद या अन्य प्रक्रियाओंं में भाग लेने का समान रूप से अधिकार दिया जाना चाहिए। जिससे कि बालक को अपनी अभिव्यक्ति का अवसर मिले और उन्हें ऐसा प्रतीत ना हो कि हमारे शिक्षण में कुछ कमी रह गई है और वे आगे की तरफ अग्रसर हो सकें। 🌿 विकलांग बालकों के लिए विशिष्ट शिक्षण विधियां :- 🌸 जैसा कि हम जानते हैं कि बालकों को शिक्षण प्रक्रिया के लिए उनके लिए रोचक,क्रियात्मक तथा सरल शिक्षण विधियों का प्रयोग करना चाहिए जिससे भी पढ़ाई में रुचि और प्रेरणा ले सकें। हमें बच्चों को ऐसी शिक्षण देनी चाहिए जो कि बच्चों पर बोझ ना लगे। इन्हें एक धीमी शिक्षण गतिविधि द्वारा पढ़ाई जानी चाहिए तथा तीव्र गति से शिक्षण नहीं कराना चाहिए। अत: इनके लिए उचित शिक्षण विधियों का विशिष्ट रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए। 🍁🦚🍁 उपर्युक्त सभी तथ्यों और अवधारणाओं के माध्यम से हमें यह ज्ञात हुआ कि रोचकता सरलता क्रियात्मक प्रायोगिक तथा सुगम शिक्षण प्रक्रियाओं द्वारा शिक्षण प्रदान की जानी चाहिए जिससे उन्हें अपने शिक्षण में कठिनाइयों का अनुभव ना हो और वे सरलता पूर्वक शिक्षण ग्रहण कर सकें🍁🦚🍁 🌟🌟समाप्त 🌟🌟 🌷🌷Notes by :- Neha Kumari 😊 🙏🙏धन्यवाद् 🙏🙏 🦚🌿🌷🌿🌷🌿🌷🌿🦚 📚🪔📚

*विकलांग बालक*📚🪔📚 *(Physically handicapped child )* 🌀कुछ बालकों में जन्म से ही शरीर में दोष होता है या किसी बीमारी, आघात, दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंग में दोष होता है उसे विकलांगता कहते हैं🌀 💠 *विकलांग बालकों से तात्पर्य*➖ 🌺 विकलांग बालकों से तात्पर्य उन बालकों से है जो मानसिक, शारीरिक या संवेगात्मक दृष्टि से दोष युक्त होते हैं इस प्रकार के बालकों में सामान्य बालको की तुलना में शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक या सामाजिक विकास में कमी या दोष होता है जिसके कारण उन्हें अधिगम में कठिनाई होती है एवं इसका प्रतिकूल प्रभाव उनकी उपलब्धियों पर पड़ता है विकलांग बालक कहलाते हैं।🌺🌺🌺 *विकलांग बालक की परिभाषा* 💠🪔💠 *क्रो एंड क्रो के अनुसार* 💠🪔💠➖”एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है हम उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं।” 🍃🍂 *शारीरिक रूप से विकलांग बालक के प्रकार*🍃🍂 ‌ बालकों के अधिगम एवं शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ेपन के कारण शारीरिक विकलांगता भी हो सकती है शारीरिक रूप से विकलांग बालको को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है➖ 🌀 *अपंग* 🌀 *दृष्टि दोष* 🌀 *श्रवण संबंधी दोष* 🌀 *वाक् संबंधी विकार* 🌀 *अत्यधिक कोमल और दुर्बल* 👉🏻 *अपंग* ➖ इसके अंतर्गत ऐसे बालक आते हैं जो शारीरिक रूप से किसी ना किसी अंग से विकलांगता या अक्षमता दर्शाते हैं। *(जैसे लंगड़े ,लूले, गूंगे ,बहरे ,अंधे इत्यादि)* 👉🏻 *दृष्टि दोष*➖ इसके अंतर्गत वे बालक आते हैं जो देख नहीं पाते हैं या जिनकी दृष्टि कमजोर होती है। *(जैसे अंधे , आधे अंधे)* इन बालकों में देखने या दृश्य संबंधी विकार होता है। 👉🏻 *श्रवण संबंधी दोष*➖ इसके अंतर्गत वे बालक आते हैं जो सुन नहीं सकते या कम सुनते हैं या सुनने में विकार या कठिनाई होती है । *( जैसे बहरे, आधे बहरे )* 👉🏻 *वाक संबंधी विकार*➖ इसके अंतर्गत वे बालक आते हैं जो बोल नहीं पाते हैं या जिनकी दोष युक्त वाणी होती है ऐसे बालको में बोलने से संबंधित समस्या होती है। *(जैसे हकलाना, तुतलाना, गूंगा , नहीं बोल पाना)* 👉🏻 *अत्यधिक कोमल और दुर्बल*➖ यह एक ऐसा विकार होता है जिसमें बालक में रक्त की कमी, शक्तिहीनता, पाचन क्रिया में गड़बड़ी होती है जिससे कि बालक अत्यधिक कमजोर हो जाता है और उसके शरीर में भी दुर्बलता आ जाती है। 💠🌀💠 *विकलांग बालकों की शिक्षा*💠🌀💠 शिक्षा की दृष्टि से शारीरिक विकलांग बालक वे बालक हैं जिनके शरीर को कोई अंग अथवा ज्ञानेंद्रियां इतनी असमान्य होती है कि उसके कारण उन्हें शिक्षा प्राप्त करने एवं समायोजन करने में विशेष कठिनाई होती है उदाहरणस्वरूप दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित, मूक कहलाने वाले बालक। इसीलिए बालक की शारीरिक विकलांगता के अनुरूप ही शिक्षा की व्यवस्था की जाती है➖ 1️⃣ *अपंग बालकों की शिक्षा* ➖ यदि किसी बालक को शारीरिक दोष है तो यह आवश्यक नहीं है कि वह बालक की मंद बुद्धि हो। शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है इसीलिए इन बालको को इनके स्वरूप ही शिक्षा देकर इन के हीन भावना को समाप्त किया जाना चाहिए➖ 📚 विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें। 📚 उसकी विशिष्टता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो। 📚 उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम पूर्वक बैठ सकें 📚 कक्षा में फर्नीचर भी उनके उपयुक्त होनी चाहिए। 📚 डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहे, हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करें। 📚 विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करें। 📚 सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे जिससे वे अपना जीवन यापन कर सके। 📚 मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे 📚 शिक्षण विधि सरल ,रोचक क्रियात्मक होनी चाहिए और धीमी गति से हो। 📚 शारीरिक दोष के अनुसार उनके बैठने के लिए कुर्सी मेज की व्यवस्था होनी चाहिए। उपरोक्त तथ्यों से यह निष्कर्ष निकलता है कि हाल ही में शारीरिक रूप से विकलांग एवं विभिन्न प्रकार से अक्षम बच्चों के प्रति व्याप्त धारणाओं में कुछ परिवर्तन आया है इसलिए विकलांगों की बीमारी का सही समय पर पहचान कर लिया जाए और उनके बचाव के लिए मदद दी जाए एवं उपकरण की सुविधा और शिक्षा व्यवसायिक प्रशिक्षण ,रोजगार के अवसर की सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए जिससे वे सामान्य जीवन जी सकते हैं। 🍂🍃 समाप्त🍃🍂 ✍🏻✍🏻Notes by Manisha gupta✍🏻✍🏻 📚📚📚📚📚📚📚📚📚📚📚📚📚📚 ⛲

*विकलांग बालक ( Physically Handicapped)*⛲ 🌀 *विकलांग बालक:-* कुछ बालक में जन्म से उनके शरीर में दोष होता है या किसी बीमारी, आघात,दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंगों में दोष होता है,तो उसे विकलांगता कहते हैं। ऐसे बालक जिनका शारीरिक रूप से उनकी मांसपेशियों में, अस्थियों में व जोड़ों में किसी प्रकार का विकार, दोष या किसी अंग से ग्रसित है ,तो उन्हें विकलांग बालक कहा जाता है । 🌀 *क्रो एवं क्रो के अनुसार:-* “एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है, जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित करता है तो उससे हम विकलांग कहते हैं”। 🌀 *शारीरिक विकलांग बालक के प्रकार:-* शारीरिक रूप से विकलांग बालक को पांच श्रेणी में बांटा गया है, जो इस प्रकार है– *१. अपंग* *२. दृष्टि दोष* *३. श्रवण शक्ति विकार* *४. वाक् संबंधी विकार* *५. अत्यधिक कोमल और दुर्बल* 💠 *अपंग :-* इसके अंतर्गत ऐसे बालक आते हैं जो शारीरिक रूप से अंधे ,बहरे ,गूंगे ,लंगड़े, लूले, तथा पैर से अपंग या अपाहिज होते हैं। 💠 *दृष्टि दोष:-* ऐसे बालक जो आंख से अंधे, अर्ध–अंधे तथा जिनको देखने या दृश्य संबंधित विकार है ,तो वह दृष्टि दोष के अंतर्गत आएंगे । 💠 *श्रवण शक्ति विकार:-* ऐसे बालक जिनको कान से सुनाई नहीं पड़ता या पूर्ण रूप से बहरे होते हैं तो उनमें संबंधित विकार होता है। 💠 *वाक् संबंधी विकार:-*वाक् संबंधी विकार के अंतर्गत बालक में हकलाना, तुतलाना , गूंगापन या दोष युक्त वाणी का विकार पाया जाता है। 💠 *अत्यधिक कोमल और दुर्बल शरीर:-* इसमें बालक के शरीर में रक्त की कमी, शक्तिहीन, कम वजन , पाचन तंत्र की क्रिया में गड़बड़ी हो जाती है, जिसके कारण बालक का शरीर अत्यधिक कोमल और दुर्बल हो जाता है। 🌀 *विकलांग बालक की शिक्षा:-* विकलांग बालक की शिक्षा तथा उनकी व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे बालक को निम्न प्रकार से शिक्षा दी जाती है– 💠 *१. अपंग बालकों की शिक्षा:-* अपंग बालकों में शारीरिक रूप से उनमें कुछ दोष होते हैं, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि वह मंदबुद्धि हो तथा इनमें शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है इसीलिए ऐसे बालकों की शिक्षा का स्वरूप विशिष्ट प्रकार से तैयार किया जाना चाहिए, जो निम्नलिखित है– ⛲ विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें। ⛲ उनकी विशिष्टता के हिसाब से कमरे भी उपर्युक्त हो। ⛲ उचित प्रकार से बैठने की व्यवस्था हो जिससे उन्हें कोई दिक्कत महसूस न हो। ⛲ समय-समय पर डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहे हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करें । ⛲ कक्षा में फर्नीचरो की उपयुक्त व्यवस्था हो। ⛲ बच्चे से सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करेंगे, जिससे बच्चे में हीन भावना उत्पन्न न हो सके। ⛲ सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवस्था एक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे जिससे से अपने जीवन में आत्म निर्भर होकर तथा आगे बढ़ सके। ⛲ मानसिक विकास का और सर देंगे जिससे बच्चा अपने मानसिकता को बढ़ाकर जीवन में आगे बढ़ सकेगा। ⛲ शिक्षण विधि सरल ,रोचक, क्रियात्मक ढंग से हो तथा धीमी गति से हो। ⛲ प्रत्येक बच्चे को सामान शिक्षा देनी चाहिए तथा उनकी विकलांगता के कारण उन्हें पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। ✍🏻 *Notes by –Pooja* 🔅🔅

विकलांग बालक🔅🔅 🌟 कुछ बालकों में जन्म से ही शरीर में दोष होता है। या किसी बीमारी, आघात, दुर्घटना या चोट लग जाने के कारण शरीर के किसी अंग में दोष होता है, उसे विकलांगता कहते हैं। 🌟 वह बालक जो कि शारीरिक रूप से सामान्य बालक से भिन्न होते हैं, एवं सामान्य बालक की तुलना में उनके शरीर में किसी ना किसी प्रकार की अक्षमता पाई जाती है। एवं उनका शरीर हर काम को करने के लिए तत्पर नहीं रहता है। ऐसे बालक किसी कार्य को करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर रहते हैं। ✨ *क्रो व क्रो के अनुसार* एक व्यक्ति उसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है। जो किसी भी रुप में सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है, या सीमित रखता है। उसे विकलांग बालक कहते हैं। 🌟 विकलांग बालक के प्रकार:- विकलांग वाला सामान्यतः पांच प्रकार के होते हैं:- 💫अपंग:- ऐसे बालक जो शारीरिक रूप से अपंग होते हैं। उन्हें इस श्रेणी में रखा जाता है। जिसके अंतर्गत लंगड़े, लूले, गूंगे, बहरे एवं अंधे बालक आते हैं। 💫 दृष्टि दोष:- ऐसे शारीरिक विकार जिससे कि बालक देख नहीं सकता है, उसे देखने में समस्या होती है वह दृष्टि बाधित होता है। इसके अंतर्गत अंधे एवं अर्ध अंधे बालक आते हैं। इन बालकों में दृष्टि एवं देखने संबंधी विकार होते हैं। 💫 श्रवण संबंधी दोष:- ऐसा विकार जिसमें बालक सुन नहीं सकता है, उसे सुनने संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए बहरे बालक या अर्धबहरे बालक आते हैं। 💫 वाक् संबंधी दोष:- ऐसा विकार जिसमें बालक बोल नहीं सकता है, उसे बोलने संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है। इस दोष के कारण बालक में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसके अंतर्गत हकलाना, तुतलाना, नहीं बोल पाना जिससे कि गूंगापन होता है। 💫अत्यधिक कोमल और दुर्बल शरीर:- यह एक ऐसा विकार है, जिसमें बालक बालक में रक्त की कमी एवं शक्ति हीनता और पाचन क्रिया में गड़बड़ी हो जाती है, जिससे कि बालक अधिक ही कमजोर हो जाता है, उसमें दुर्बलता आने लगती है। 🌟विकलांग बच्चे की शिक्षा 💫विकलांग बच्चे की शिक्षा सामान्य बालक की शिक्षा शुद्ध होती है। उनकीशिक्षा व्यवस्था के लिए अलग से कुछ प्रयास किए जाते हैं, एवं उनकी शिक्षा व्यवस्था भी अलग होती है। शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत सभी प्रकार के विकलांग बालक की शिक्षा के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएं एवं उन्हें किस प्रकार शिक्षा दी जाए। इसका वर्णन किया गया है~ 💫 अपंग बालकों की शिक्षा व्यवस्था:- ऐसे बालक जिनमें शारीरिक दोष हो, लेकिन यह आवश्यक नहीं है, कि वह मंदबुद्धि भी हो। हम ऐसा नहीं कह सकते हैं कि जो बालक शारीरिक दोष से पीड़ित होते हैं। वह बालक सीख नहीं सकते या शिक्षित नहीं हो सकते हैं। वह भी शिक्षित हो सकते हैं। और सामान्य बालकों से अधिक शिक्षित होने की क्षमता भी उनमें पाई जाती है। लेकिन इसके लिए उन्हें उचित शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता होती है। यह उचित शिक्षा उन्हें उनके माता-पिता एवं शिक्षक के द्वारा प्रदान की जाती है। उनके शिक्षा में शिक्षक का महत्व पूर्ण योगदान रहता है। अतः प्रयास करने के लिए माता-पिता एवं शिक्षक को महत्वपूर्ण कार्य एवं प्रयास करने होंगे। परंतु इन बालकों में इनकी शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत होने लगती है अपंग बालको की शिक्षा के लिए किस प्रकार की व्यवस्था की जानी चाहिए यह निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट कि जा सकती है:- 💫विशिष्ट प्रकार के विद्यालयों को संगठित करें:- इसके अंतर्गत बालकों के लिए विशेष प्रकार के स्कूलों की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसमें बालक अपनी क्षमता एवं अपनी आवश्यकता के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सकता है। यहां बालक को शिक्षित होने के लिए किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। यहां सभी बालक समान होते हैं। इससे बालक में हीन भावना जागृत नहीं होती है। 💫 विशिष्ट कमरे की व्यवस्था हो:- अगर विशिष्ट विद्यालयों नहीं हो सकता है। तो उनके लिए सामान्य विद्यालय में ही विशिष्ट कक्षा या एक विशिष्ट कमरे की व्यवस्था की जानी चाहिए। जिसमें विकलांग बालक अपनी क्षमता के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सके और उसे समस्याओं का सामना ना करना पड़े। 💫 बैठने की उत्तम व्यवस्था:-इन बालकों के लिए उचित प्रकार से बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि वह परेशानियों का सामना ना करना पड़े, और वह बिना किसी परेशानी के अपनी शिक्षा को प्राप्त कर सके। क्योंकि अगर इन बालक के लिए उचित बैठने की व्यवस्था नहीं होगी। तो वह उनकी शिक्षा में बाधा उत्पन्न करेगा। और वह ठीक प्रकार से शिक्षित नहीं हो पाएगा। 💫 समय-समय पर चिकित्सक से परामर्श:-बालक के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हमें यह ध्यान रखना होगा। कि बालक को डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेने की आवश्यकता है तो उसे डॉक्टर या चिकित्सक से परामर्श लें। 💫 बालों के साथ उचित व्यवहार:- विकलांग बच्चों के साथ हमारा व्यवहार उचित होना चाहिए। अगर विकलांग बालक को उचित व्यवहार नहीं मिलेगा, या उसके प्रति किसी भी प्रकार का अलग वव्याहर हमारे द्वारा नहीं किया जाना चाहिए अगर ऐसा बालक को लगने लगता है तो उस बालक में हीनता की भावना उत्पन्न हो जाएगी। अतः हमें विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। 💫 विकलांग बालक का पाठ्यक्रम:- विकलांग बालक का पाठ्यक्रम सामान्य बालक के पाठ्यक्रम से सरल सहज होना चाहिए। सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे, लेकिन इन बालक के पाठ्यक्रम में व्यवसायिक पाठ्यक्रम को अवश्य ही जोड़ा जाया जाना चाहिए। जिससे कि बालक अपना स्वयं का कुछ व्यवसाय स्थापित कर सके। उन्हें किसी भी प्रकार की बेरोजगारी का सामना ना करना पड़े। 💫 मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे:- हमें विकलांग बालको को शिक्षा देना है तो हमें उस बालक को मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देना चाहिए। जिससे कि बालक को ऐसा ना लगे कि वह आगे नहीं बढ़ सकता है। वह भी आगे बढ़ सकता है। इसके लिए शिक्षक के द्वारा उसे उचित मानसिक विकास के लिए अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। 💫 विकलांग बालक के लिए शिक्षण विधियां:- विकलांग बालक की शिक्षा के लिए शिक्षण विधियां का उचित प्रयोग किया जाना चाहिए। इन बालक की शिक्षण विधियों में सरलता, रोचकता एवं क्रियात्मक ढंग से होना चाहिए। लेकिन इनके लिए शिक्षण विधि की गति धीमी होनी चाहिए। तेज गति से इन्हें नहीं सिखाया जाना चाहिए। अतः इनके लिए शिक्षण विधियो का उचित प्रयोग किया जाना चाहिए। 💫 इन सभीके माध्यम से हम अपंग बालक को उचित शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। उसके लिए सरलता एवं सुगमता से साधन उपलब्ध किए जा सकते हैं। इन के माध्यम से वह अपनी शिक्षा की प्राप्ति बिना किसी रूकावट के कर सकता है। 🥳🥳Notes by-Raziya khan🥳🥳 💠

विकलांग बालक💠 विकलांग बालक ➡️सरल रूप से विकलांग बालक होते हैं जिनमें कोई शारीरिक त्रुटि होती है और वह त्रुटि उनके कामकाज में किसी न किसी प्रकार की बाधा डालती है यह त्रुटि अधिक भी हो सकती है और कम भी 🌺🌺 क्रो व क्रो➡️। ऐसे बालक जिनमें ऐसे सारे दोष होते हैं जो किसी भी रूप में उसे साधारण क्रियाओं में भाग लेने से रोकते हैं यस उसे सीमित रखते हैं ऐसे बालकों को हम विकलांग बालक कहते हैं। 🌺 विकलांग बालक के 5 प्रकार है🌺। 1-अपंग। 2-दृष्टि दोष। 3-श्रवण शक्ति संबंधी विकार। 4-अत्यधिक कोमल और दुर्बल। 5-वाक् संबंधी विकार 🌺 अपंग➡️ इसमें ऐसे बालक आते हैं जो शारीरिक रूप से अंग से विकलांग होते हैं जैसे लंगड़े, लूले ,गूंगे ,बहरे ,अंधे 🌺 दृष्टि दोष ➡️इसमें ऐसे बाला कहते हैं जो सामान्य पुस्तक को नहीं पढ़ सकते उन्हें पढ़ने के लिए किसी सहायक सामग्री की आवश्यकता पड़ती है अनिल दृष्टिहीन छात्रों के लिए पढ़ने के लिए उभरी हुई अक्षरों की छपाई बहुत सहायक होती है। 🌺 श्रवण शक्ति संबंधी विकार➡️ इसमें ऐसे बच्चे आते हैं सुनने संबंधी समस्या पाई जाती है 🌺 अत्यधिक कोमल और दुर्बल➡️ ऐसा भी विकार है जिस में रक्त की कमी हो जाती है वह शक्ति हीन हो जाता है और पाचन क्रिया गड़बड़ रहती है। 🌺वाक् संबंधी विकार➡️ इसमें बच्चा हकलाने तुतलाने गूंगा पन जैसी समस्या सामने आती है वह स्पष्ट रूप से किसी भी शब्द को बोल नहीं पाता है। 🌺🌺 विकलांग बच्चों की शिक्षा🌺🌺। विकलांग बालक की शिक्षा तथा उनकी व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए ऐसे बालक कोडिंग प्रकार से शिक्षा दी जाती है-। 1-अपंग बालकों की शिक्षा ➡️अपन छात्रों में सर्प दोष होने के कारण वह अपने शरीर के विभिन्न अंगों का सामान प्रयोग नहीं कर सकते हैं और यही दोस्त उनके कार्य में बाधा डालते हैं ऐसे छात्रों की शिक्षा के लिए निम्नलिखित विशेष प्रबंध किए जाते हैं। 🌺 विशेष प्रकार के विद्यालय का संगठन किया जाता है। 🌺 उनकी विशेषताओं के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो 🌺 उच्च प्रकार से बैठने की व्यवस्था की जाती है 🌺 डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह लेते रहे हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करें। 🌺उन्हें विशेष व्यवस्थाओं का प्रशिक्षण भी मिलना चाहिए ताकि वह दूसरों पर बोझ ना बन सके। 🌺 विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए ताकि उनमें हीन भावना ना आ सके। 🌺 मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे 🌺शिक्षण विधि सरल, रोचक, क्रियात्मक ढंग से धीमी गति से करेंगे notes by – Sakshi Sharma ⭐🍁⭐🍁 विकलांग बालक🍁⭐🍁⭐🍁 बच्चों में जन्म से ही शारीरिक दोष होता है या किसी बच्चे को जन्म के बाद बीमारी आघात या दुर्घटना से चोट लगने पर शारीरिक रूप से अंग में दोष होता है उसे हम विकलांगता कहते हैं वह बालक जो सामान्य बालक से भिन्न होते हैं एवं सामान्य बालक की तुलना में शरीर में किसी न किसी प्रकार की अक्षमता पाई जाती है एवं उनका शरीर किसी भी काम को करने में तत्पर नहीं होता है वह बालक विकलांग बालक की श्रेणी में आते हैं 🌈 क्रो एंड क्रो के अनुसार:- एक व्यक्ति में उसमें कोई एक प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में सामान्य क्रिया मैं भाग लेने में रुकता है या सीमित रखता है उसे विकलांग बालक कहते हैं 🌺⭐🌺 विकलांग बालक के प्रकार 🎯 अपंग:- ऐसी बालक जो शारीरिक रूप से अपंग होते हैं जिसके अंतर्गत लंगड़े लूले गूंगे बहरे एवं अंधे बालक आते हैहै 🎯 दृष्टि दोष :- ऐसी शारीरिक दोष जिसमें की बालक सही तरीका से देख नहीं सकता है उसे देखने में समस्या होती है वह दृष्टि बाधित बालक होते हैं इसके अंतर्गत अंधे एवं अर्ध अंधे बालक आते हैं जिन्हें कम दिखाई देता है अर्ध अंधी बालक होते हैं और जिन्हें बिल्कुल नहीं दिखाई देता है अंधे बालक होते हैं 🎯 श्रवण संबंधी दोष:- ऐसी बालक जिन्हें सुनने संबंधी समस्या होती है उन्हें श्रवण संबंधी दोष होता है इसके अंतर्गत बहरे बालक या अर्ध बहरी बालक आते हैं 🎯 वाक् संबंधी दोष:– ऐसा विकार जिसमें बालक बोल नहीं सकता है उसे बोलने में समस्या आती है इस दोष के कारण बालक में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसके अंतर्गत हकलाना तुतलाना गूंगा पन आदि आते हैं 🎯 अत्यधिक कोमल और दुर्बल शरीर:– इस विकार के अंतर्गत बालक में रक्त की कमी एवं शक्तिहीन और पाचन क्रिया में गड़बड़ी हो जाती है जिससे कि बालक अधिक कमजोर हो जाता है और उसका शरीर दुर्बलता आने लगती है 🍀🌾🍀 विकलांग बालक की शिक्षा🍀🌾🍀 विकलांग बच्चे की शिक्षा सामान बालक की शिक्षा विशेष होती है उनकी शिक्षा व्यवस्था के लिए अलग से ही कुछ प्रयास किए जाते हैं एवं उनकी शिक्षा व्यवस्था भी अलग होती है शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत सभी प्रकार के विकलांग बालक की शिक्षा के लिए कुछ व्यवस्था एवं उन किस प्रकार की शिक्षा दी जाए इसका वर्णन किया गया है ⭐🌺⭐ अपंग बालकों की शिक्षा व्यवस्था– ऐसी बातें जिन को शारीरिक दोस्त है लेकिन वह आवश्यक नहीं है कि वह मंदबुद्धि भी है हर साथ हम कह सकते हैं कि जो वाला शारीरिक दोष से पीड़ित होते हैं वह बालक सीख सकते हैं और शिक्षित हो सकते हैं सामान बालकों से अधिक शिक्षित होने की क्षमता भी उनमें पाई जाती है लेकिन इनके लिए कुछ उचित व्यवस्था की आवश्यकता होती है इन बालकों की शिक्षा उनके माता-पिता एवं शिक्षक द्वारा प्रदान की जाती है उनकी शिक्षा के लिए शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अतः प्रयास करने के लिए माता-पिता एवं शिक्षक को महत्वपूर्ण कार्य एवं प्रयास करने होंगे 🍀🌺🍀अपंग बालक किस शिक्षा के लिए किस प्रकार की व्यवस्था की जानी चाहिए इसका वर्णन निम्नलिखित है 🍁 विशिष्ट प्रकार के विद्यालयों को संगठित करें:- विकलांग बच्चों के लिए विशेष प्रकार के विद्यालयों की व्यवस्था की जानी चाहिए जिसमें वह बालक अपनी क्षमता एवं अपनी आवश्यकता के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सके और यह बालक शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े इससे बालक में हीन भावना भी जागृत नहीं होती है 🍁 उनकी विशेषताओं के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो:- इन बालकों के लिए विद्यालयों में कमली इस प्रकार होनी चाहिए कि विकलांग बच्चे को आने जाने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो कमरे की व्यवस्था बच्चे की अनुसार होनी चाहिए जिससे व शिक्षा ग्रहण कर सके और उन्हें किसी भी प्रकार की घटनाएं ना हो 🍁 इन बालकों के लिए उचित प्रकार से बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए:- इन बालकों के लिए इस प्रकार की बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए कि बच्चे आसानी से कक्षा में बैठे और अपनी शिक्षा को आसान पूर्वक ग्रहण कर सकें उन्हें किसी भी प्रकार की बैठने में असुविधा ना हो और बच्ची को उचित प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए 🍁 बालक के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हमें या ध्यान रखना होगा की बालक को डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेने की आवश्यकता तो नहीं है और अगर यह संभव हो सके तो हमें चिकित्सा हेतु साधनों और संसाधनों की भी व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे गीत बाला की शारीरिक जांच की जा सके 🍁 विकलांग बच्चों के साथ हमारा व्यवहार उचित होना चाहिए इन बालकों के साथ इस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए जिससे कि उनमें हीन भावना ना आए और और उन्हें अकेला महसूस ना हो हमें विकलांग बालक के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार रखना चाहिए 🍁 विकलांग बालक का पाठ्यक्रम:- इन बालकों का पाठ्यक्रम इस प्रकार हो कि वाला सरलता और रोचक क्रियात्मक होना चाहिए 🍁 शारीरिक दोष के अनुसार उनके बैठने के लिए कुर्सी और मेज की व्यवस्था होनी चाहिए 🍁 मानसिक विकास एवं पूर्ण अवसर दें हमें विकलांग बालको की शिक्षा के लिए उन बालकों को मानसिक विकास को पूरा वसा दिया जाना चाहिए जिससे कि बाला को ऐसा प्रतीत ना हो कि वह आगे बढ़े नहीं सकते हैं वह आगे बढ़ सकता है और उन्हें शिक्षा को उचित मानसिक विकास के लिए अवसर प्रदान करने चाहिए 🍀🌾🍀 उपयुक्त सभी कथाओं के अनुसार हम कह सकते हैं जी विकलांग बालक को उचित शिक्षा प्रदान कर सकते हैं इसके लिए उन्हें सरल एवं सुगम साधन उपलब्ध किए जा सकते हैं इनकी माध्यम से व्हाई अपनी शिक्षा की प्राप्ति बिना किसी रूकावट के प्राप्त कर सकता है ✍🏻✍🏻✍🏻Menka patel ✍🏻✍🏻✍🏻 🍀🌾🍀🌾🍀🌾🍀🌾🍀🌾🍀🌾🍀🌾🍀🌾🍀⭐🌺⭐🌺⭐🌺⭐⭐🌺⭐🌺⭐🌺

विकलांग बालक कुछ बालकों में जन्म से शरीर में दोष होता है या किसी बीमारी, आघात, दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंगो में दोष होता है उसे विकलांगता कहते हैं। क्रो & क्रो -एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है ।हम उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं। विकलांग बालक के प्रकार- विकलांग बालक को पांच प्रकार से बांटा गया है 1.अपंग- अपंगता में ऐसे बालक आते हैं जो लंगड़े, लूले ,गूंगे, बहरे, अंधे होते हैं 2.दृष्टि दोष- इस विकलांगता में बच्चे को दिखने में या दृश्य संबंधी समस्या होती है या तो इन्हें पूर्ण रूप से नहीं दिख पाता है या थोड़ा बहुत देखने में प्रॉब्लम होती है इनमें निकट दृष्टि दोष ,दूर दृष्टि दोष, जरा दृष्टि दोष हो सकता है यह पूर्ण रूप से अंधे भी हो सकते और अर्द्ध अंधे भी हो सकतें हैं। 3.श्रवण संबंधी दोष -इस विकलांगता में बच्चे में सुनने से संबंधित विकार होता है ऐसे बच्चे या तो पूर्ण रूप से नहीं सुन पाते हैं या थोड़ा बहुत ही सुन पाते हैं इसमें पूर्ण रूप से बहरे , अर्द्ध बहरे आदि आते हैं 4.वाक् संबंधी विकार- इस विकलांगता में बच्चे दोषयुक्त वाणी का प्रयोग करते हैं वह बोलने में हकलाते हैं तुतलाते हैं या बोल ही नहीं पाते हैं यह गूंगे हो सकते हैं। 5.अत्यधिक कोमल और दुर्बल इसमें -इसमे ऐसे बच्चे आते हैं जिनमें रक्त की कमी, शक्तिहीन ,पाचन क्रिया में गड़बड़ी होती हैं। विकलांग बच्चे की शिक्षा- विकलांग बच्चों को शिक्षा देना परम आवश्यक हैं इन बच्चों को इनकी जरूरत के हिसाब से शिक्षा देकर सामान्य बच्चों के बराबर लाया जाना चाहिए। 1.अपंग बालकों की शिक्षा- ऐसे बच्चे शारीरिक दोष से पीड़ित होते हैं लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि वह मंदबुद्धि होंगे । शारीरिक कमी के कारण उनमें हीन भावना जागृत हो सकती है। ऐसे बालकों को शिक्षा निम्न प्रकार से देनी चाहिए – 1.विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करना चाहिए 2. उनकी विशिष्टता के हिसाब से उपयुक्त कमरे हो 3. उनके बैठने की व्यवस्था उचित प्रकार से हो ताकि वह आराम से बैठ सके ,घूम सके 4. समय -समय पर डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहे हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करना चाहिए 5. विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए । 6. सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे 7. मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे 8. शिक्षण विधि सरल रोचक ,क्रियात्मक ढंग से हो परंतु धीमी गति से हो। Notes by Ravi kushwah 🌈

विकलांग बालक
🦚शारीरिक रूप से विकलांग बालक ( Physically handicapped child ) :- वे बालक जो सामान्य बालकों कि भातिं शारीरिक क्रियाओं को करने में अक्षम होते हैं किसी बीमारी , दुर्घटना व आघात में चोट लगने पर शरीर के अंगों का दोष होता है और कुछ बालकों तो जन्म से शरीर में दोष होता है वह बालक जो शारीरिक दोष के कारण आसाधारण क्रियाओं में भाग नहीं ले पाते हैं विकलांग बालक कहते हैं लेकिन ऐसे बालकों कि बौद्धिक क्षमता किसी भी प्रकार से कम नहीं होती है परन्तु निराशा के कारण इनका अन्य विकास रुक जाता है विकलांगता के कारण निराशा , कुंठा , सीखने की गति धीमी हो जाती है | 🎄क्रो & क्रो के अनुसार विकलांग बालक की परिभाषा :- ऐसा व्यक्ति जिसमें किसी प्रकार का दोष होता है जो किसी भी रुप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है हम उसे विकलांग बालक कहते हैं | 🌺शारीरिक विकलांग बालक के प्रकार :- विकलांग बालक पांच प्रकार के होते हैं – 🌷अपंग 🌷दृष्टि दोष 🌷श्रवण संबंधी दोष 🌷वॉक् संबंधी विकार 🌷अत्यधिक कोमल और दुर्बल 🌷अपंग :- वे बालक जिनकी मांशपेशियां तथा हड्डीयां दोषपूर्ण ढ़ग से विकसित होती है जो लूले , बहरे , लंगड़े , गूंगे , अंधे अपंग बालक होते हैं | 🌷दृष्टि दोष :- ऐसे बालक जो अपनी आँखों से ठीक प्रकार देख नहीं पाते हैं तथा उन्हें देखने में समस्या होती है ऐसे बालक अंधे व अर्ध अंधे बालक होते हैं | 🌷श्रवण संबंधी दोष :- ऐसे बालक जिनको सूनने में कठिनाई होती है या सून नहीं सकते हैं इनमें श्रवण संबंधी विकार होता है | 🌷वॉक् संबंधी विकार :- ऐसे बालक जिनको बोलने में कठिनाई होती है जो बोल नहीं सकते हैं जैसे – हकलाना , तुतलाना , गुंगापन | 🌷अत्यधिक कोमल और दुर्बल :- ऐसे विकार जिसमें बालक में रक्त की कमी , पाचन क्रिया में गड़बड़ी , शक्तिहीन व अन्दर से एकदम कमजोर हो जाना | 🌺विकलांग बालक कि शिक्षा :- 🌹अपंग बालक कि शिक्षा :- इनमें शारीरिक दोष होता है लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि ये मंद बुद्धि हो | शारीरिक कमी के कारण इनमें हीनभावना जाग्रत हो जाती है इसलिए ऐसे बालकों की शिक्षा विशिष्ट तरीके से होनी चाहिए | 💦ऐसे बालकों के लिए विशिष्ट प्रकार के विद्यालयों व शिक्षण संस्थानों का गठन करना चाहिए | 💦इनकी विशिष्टता के हिसाब से बड़े व उचित कमरे उपलब्ध कराने चाहिए | 💦इनके लिए उचित प्रकार से बैठने की व्यवस्था हो कमरा साफ – सुथरा हो उन्हें बैठने में कोई कठिनाई न हो | 💦ऐसे बालकों के लिए समय – समय पर डाॅक्टर और विशेषज्ञों का परामर्श लेते रहे व चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करे | 💦विकलांग बच्चों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करे उन्हें ऐसा न लगे कि वे किसी काम के नहीं है या कुछ कर नहीं सकते हैं इनकी सीखने में सहायता करनी चाहिए | 💦इनका पाठ्यक्रम कम व साधारण होना चाहिए लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देना चाहिए जिससे की ये अपने पैरों पर खड़ा हो सके कोई व्यवसाय शुरू कर सके किसी पर बोझ न बने और इनमें हीनभावना जाग्रत न हो | 💦ऐसे बालकों को मानसिक विकास का पुर्ण अवसर देना चाहिए ताकि ये भी विकास कर सके प्रतियोगिता में भाग ले सके अन्य बच्चों की भातिं जीवन जी सके | 💦इनकी शिक्षण विधि रोचक , सरल, क्रियात्मक ढंग से होना चाहिए और धीमी गति से होनी चाहिए ताकि ये सिख सके आराम से और इन्हें अपनी विकलांगता का एहसास न हो कि ये कुछ कर नहीं सकते हैं | 🌼🌹Thank you 🌹🌼 Notes by – 🌹Meenu Chaudhary 🌹 *

👨‍🦯👩🏻‍🦽विकलांग बालक*👨‍🦯👩🏻‍🦽* *(Physically Handicap)* 🌼कुछ बालकों में जन्म से ही शरीर में दोष होता है या किसी बीमारी आघात दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंगों में दोष होता हैं। 🌼ऐसे बालक जो शारीरिक रूप से सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं जो मानसिक शारीरिक संवेगात्मक दृष्टि से दोष युक्त होते हैं। इन्हें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । *क्रो एंड क्रो के अनुसार:-➖* ” एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जिससे वह किसी न किसी रूप में( आंख नाक कान पैर इत्यादि) उनको समान क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है जिसे हम विकलांग व्यक्ति कहते हैं”! *शारीरिक विकलांग बालक के प्रकार*:➖ *1} अपंग*:- ऐसे बालक जो किसी ना किसी अंग जैसे:- लंगड़े, लूले ,गूंगे ,बहरे ,अंधे इत्यादि बालक आते हैं। *2} दृष्टि दोष*:- ऐसे बालकों को सामान्य पाठ्यवस्तु पढ़ने में परेशानी होती हैं अर्थात् वह दृष्टिबाधित होते हैं इसके अंतर्गत अंधे ,अर्द्धअंधे बालक आते हैं। जिसे देखने या दृश्य संबंधी विकार होते हैं। *3} श्रवण संबंधी दोष* :- ऐसे बालकों को सुनने संबंधी समस्या होती है श्रवण बाधित व बाधित सुनने में आंशिक श्रवण जैसी दिक्कत पाई जाती हैं इसके अंतर्गत बहरे ,अर्द्ध बहरे बालक आते हैं। *4} वाक्य संबंधी दोष*:- ऐसी बालकों में बोली संबंधी समस्या होती है। इसमें दोष युक्त वाणी, हकलाना ,तुतलाना या गूंगापन जैसी समस्या होती है। *5} अत्यधिक कोमल और दुर्बल*:- अत्यधिक कोमल और दुर्बल होना भी एक प्रकार की विकलांगता है इसके अंदर शरीर में खून की कमी तथा पाचन शक्ति भी मजबूत नहीं होता जिससे बालक अत्यंत कमजोर हो जाते हैं अर्थात उनमें रक्त की कमी ,शक्ति हीन, पाचन क्रिया में गड़बड़ी इत्यादि बीमारियों से ग्रसित रहते हैं। ☘️☘️ *विकलांग बच्चे की शिक्षा*☘️☘️ 🍃विकलांग बच्चों की शिक्षा सामान्य बच्चों की शिक्षा से अलग होती है इनके लिए हमें इनकी सारी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उसी हिसाब से शिक्षा व्यवस्था करनी चाहिए ताकि इस बच्चे को किसी प्रकार की असुविधा ना हो उनकी विकलांगता के हिसाब से उनको शिक्षा देना आवश्यक है। 🍃अपंग बालकों की शिक्षा:➖ अपंग बालकों में शारीरिक दोष होते हैं लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि वह मंदबुद्धि हो उनको साधारण शिक्षा दिशा दी जा सकती हैं लेकिन ऐसे बालकों के अंदर शारीरिक कमी के कारण उनमें हीन भावना जागृत होती है इसलिए हमें उनकी सभी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हमें शिक्षित करना होगा। *अपंग बालकों की शिक्षा के लिए निम्न व्यवस्थाएं की जाती है*:➖ 💧 विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें:- इसके अंतर्गत बालकों के लिए एक विशेष प्रकार की विद्यालय की स्थापना की जाती है जिसके अंतर्गत उनकी योग्यता अनुसार शिक्षाएं दी जाती है। 💧उनकी उपयुक्त चीजें होनी चाहिए:- ऐसे बालकों के लिए उनके उपयुक्तता के हिसाब से चीजें होती हैं जैसे:-कमरे ,ताकि उस बच्चे को कमरे में आने जाने में कोई बाधा उत्पन्न ना हो। 💧उचित प्रकार की बैठने की व्यवस्था हो:- इसके अंतर्गत बालकों को बैठने की उचित व्यवस्था की जाती है ताकि बालकों को बैठने में किसी प्रकार की समस्या ना हो तथा आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सकें। 💧फर्नीचर भी बालकों के अनुरूप हो। 💧कक्षा में कोई नुकीली चीज ना हो। 💧 संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करें:- ऐसे बालकों को समय-समय पर डॉक्टर या विशेषज्ञ से दिखाते रहना चाहिए तथा उनकी राय लेते रहना चाहिए। 💧विकलांग बच्चों से सहानुभूति पुणे व्यवहार करेंगे 💧सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और सामान्य रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे। 💧मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे। 💧शिक्षण विधि सरल रोचक क्रियात्मक ढंग और धीमी गति से हो। अतः हम कह सकते हैं कि विकलांग बालकों को शिक्षित करने के लिए हमें उन्हीं के अनुरूप कक्षा कक्ष ,पाठ्यक्रम ,फर्नीचर ,आने जाने के लिए उपयुक्त साधन ,व्हीलचेयर तथा उसके मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए पूर्ण अवसर देंगे। हमें उन्हें ऐसी शिक्षा देनी होगी ताकि वह भविष्य में सामान्य बालकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले। खुद को समान बालकों की तुलना में कम ना समझें तथा उसके अंदर हीन भावना जैसी चीजें जागृत ना हो। हमें उन्हीं के अनुरूप पाठ्यक्रम को समान रुचिकर ,सरल ,सहज इत्यादि शिक्षा उन्हें प्रदान करनी चाहिए। 💧💧💧💧💧💧 *Notes by➖Mahima kumari* 🌻 *विकलांग* *बालक*🌻 *(physically* *Handicaped *child*) 🏵कुछ बच्चे में जन्म से शरीर में दोष होता है या किसी बीमारी आधात दुर्घटनाएं चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंग में दोष होता है उसे विकलांगता कहते हैं। जैसे :-गाड़ी से जा रहे थे रोड एक्सीडेंट हो गए वह विकलांग हो गए ।ऐसा नहीं है कि वह किसी काम के नहीं है अपनी सोच को सकारात्मक रखनी चाहिए। विकलांग बालकों से तात्पर्य है कि उन बालकों से है जिनका मानसिक ऐसे बच्चों को सामान्य बालकों की तुलना में शारीरिक सामाजिक विकास से में दोष होता है जिसके कारण उन्हें अधिगम में कठिनाई होती है। *क्रो* *एंड* *क्रो* *के* *अनुसार* *—* 💎एक व्यक्ति जिसमें किसी प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है हम उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं। ✍️ *शारीरिक* *रूप* *से* *विकलांग* *बालक* — 💎बालक के शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ेपन का कारण शारीरिक विकलांगता भी हो सकती है जो कि निम्नलिखित हैं 1. *अपंग* 2. *दृष्टिकोण* 3. *श्रवण* *संबंघी* *दोष* 4. *वाक्* *संबंधी* *विकार* 5. *अत्यघिक* *कोमल* *और* *दुबल्* ✍️ *अपंग*— इसमें बालक का शारीरिक रूप से किसी न किसी विकलांगता या क्षमता होती है जैसे लंगड़े, लूले, गूंगे, बहरे, अंधे ,अपाहिज इत्यादि। ✍️ *दृष्टि* *दोष*— इसके अंतर्गत में बालक के होते हैं जो देख नहीं सकते हैं अंधे होते हैं और धंधे होते हैं जिन्हें देखने संबंधी विकार होती है जो किसी को देखने में यह विकार उत्पन्न होती है और यह शारीरिक विकलांगता में आता है। ✍️ *श्रवण* *संबंधी* *दोष*— इसके अंतर्गत वह बालक आते हैं जो बहरे होते हैं जो सुन नही सकते या कम सुनते हैं जैसे —बहरे, आघे बहरे। ✍️ *वाक्* *संबंधी* *विकार*— इसके अंतर्गत वह बालक आते हैं जो बोल नहीं पाते हैं ऐसे बालकों में वाक् संबंधी विकार होती हैं जैसे हकलाना,तुतलाना ,गूंगा ,नहीं बोल पाना। ✍️ *अत्यघिक* *कोमल* *और* *दुर्बल*— इसके अंतर्गत बालक में रक्त की कमी, पाचन क्रिया में गरबरी, शक्तिहीन कमजोर हो जाते हैं और उनके शरीर में भी दुर्बलता आ जाती है। ✍️ *विकलांग* *बालक* *की* *शिक्षा*— विकलांग बालक की शिक्षा में किसी कारणवश उन्हें परेशानी होती है जैसे उनके किसी शरीर का अंग का काम नहीं करना और असामान्य होना जिसके कारण उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में उन्हें विशेष कठिनाइयां होती है जैसे दृष्टिबाधित बच्चों को श्रवण बाधित मूर्ख बनाने वाले बालक के बालक को शारीरिक विकलांगता के अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था दी जानी चाहिए। ✍️ *अपंग* *बालको* *की* *शिक्षा*— यदि किसी कारणवश बच्चों में शारीरिक दोष होता है तो यह नहीं आवश्यक है कि बच्चे मन बुद्धि हो शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है इसलिए बालकों को इन के स्वरूप ही शिक्षा देकर इनके हीन भावना को समाप्त किया जाना चाहिए। 💎 विशेष प्रकार के विद्यालय का संगठन करें— विकलांग बच्चों के लिए विशेष प्रकार के विद्यालय का संगठन करना चाहिए जिससे उनके शिक्षा में कोई दिक्कत ना हो और वह नि:संकोच होकर पढ़ सके। 💎 उनकी विशेषता के हिसाब से उनके कच्छा कमरे का भी व्यवस्था करें— विकलांगता बच्चे के लिए ऐसी उनकी विशेषता के हिसाब से उनका कक्षा का कमरा व्यवस्था करना चाहिए जिससे जैसे वह नुकीली चीज ना हो उनके लिए। 💎 उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो:- उनके बैठने की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जो वह उचित प्रकार से बैठ सकें। 💎 डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहेंगे उनके हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करेंगे। 💎 विकलांग बच्चे से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे— विकलांग बच्चे से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे ताकि उन्हें ऐसा न लगे कि वह सामान्य बच्चे से कमजोर हैं। 💎 सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और क्रम में रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे— बच्चे का पाठ्यक्रम ऐसा रखेंगे ताकि वह उनके आगे जाकर उनका काम आ सके वह अपने व्यवसायिक में उसका उपयोग कर सकें। 💎 मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे —बच्चे के मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे ताकि वह अपना विकास कर सके हमें कोशिश करना चाहिए कि हमें उनको भरपूर मौका देता कि वह स्वयं से सीख सके। 💎 विकलांगता बच्चों का शारीरिक रूप से उनका सही समय पर उनका उपचार किया जाना चाहिए जिससे वह अपना आगे सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें। Notes By —Neha Roy 💎 शिक्षण विधि सरल रोचक क्रियात्मक या धीमी गति से हो— विकलांग बच्चों के लिए हमें शिक्षण विधि ऐसी बनानी चाहिए जिससे उन्हें रोचक क्रियात्मक के लगे जैसे उनके कार्य में उनको रुचि बने। 👤 विकलांग बालक Physically Handicapped child 🧖 शारीरिक रूप से विकलांग बालक Physically challenged child 🔹विकलांग बालक या दिव्यांग बालक उन्हें कहते हैं जो कुछ बालकों में जन्म से शरीर में दोष होता है या किसी बीमारी ,आघात, दुर्घटना, या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंगो में दोष होता है उसे विकलांगता कहते हैं 👤 क्रो एंड क्रो के अनुसार ➖ एक व्यक्ति जिसमें कोई उस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है हम उसे विकलांग व्याक्ति कहते हैं 🧖 शारीरिक रूप से विकलांग बालक के प्रकार Types of physically challenged children 🔹 शारीरिक रूप से विकलांग बालकों को 5 श्रेणी में बांटा गया है 1 अपंग 2 दृष्टि दोष 3 श्रवण संबंधी दोष 4 वाक् संबंधी विकार 5 अत्यधिक कोमल और दुर्बल 1️⃣ अपंग बालक ➖अपंग बालक उन्हें कहते हैं जिसे किसी भी प्रकार का शारीरिक दोष होता है उन्हें किसी भी क्रिया या गतिविधि को करने में कठिनाई होती है जैसे ➖ लंगड़े ,लूले ,गूंगे, बहरे ,अंधे ,आदि अपंग बालक कहृलाते है 2️⃣ दृष्टि दोष बालक ➖ ऐसे बालक जिनको देखने कठिनाई होती हैं जैसे अंधे ,अर्धअंधे बालक यह दृष्टि संबंधी विकार है 3️⃣ श्रवण संबंधी दोष बालक ➖ इनको सुनने में कठिनाई होती है यह किसी की बात को ना सुन सकते ना समझ सकते हैं जैसे बहरे ,अंधे बहरे, 4️⃣ वाक् संबंधी विकार ➖इस विकार में बालकों को बोलने में कठिनाई होती है यह किसी से बात नहीं कर पाते हैं या ऐसे बोलते हैं जो कुछ समझ में नहीं आता है जैसे ➖हकलाना ,तुतलाना ,या नहीं बोल पाना, या गूंगापन आदि 5️⃣ अत्यधिक कोमल और दुर्बल बालक➖ ऐसे बालक जो शरीर से बहुत ही नाजुक या कोमल होते हैं या बहुत ही कमजोर यह दुर्लभ शारीरि के होते हैं इनमें रक्त की कमी होती है यह शक्ति हीन होते हैं इनकी पाचन क्रिया में गड़बड़ी होती है 🧖 विकलांग बालकों की शिक्षा Education of children with disabilities 👤 अपंग बालकों की शिक्षा 🔹 अपंग बालक शारीरिक दोष के कारण अपने विभिन्न अंगो का प्रयोग नहीं कर सकते हैं लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि वह मंदबुद्धि होंगे शारीरिक कमी के कारण उनमें हीन भावना जागृत हो सकती है ऐसे बालकों की शिक्षा के लिए विभिन्न की व्यवस्था कर सकते हैं 🔹 विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें 🔹 उनकी विशिष्टता को ध्यान में रखकर उनके हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो 🔹 उनके लिए उचित प्रकार की बैठने की व्यावस्था हो ताकि वे आराम से बैठ सके । 🔹ऐसे बच्चों के लिए डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहें हर संभव चिकित्सा हेतु संसाधनों का इंतजाम करें। 🔹 ऐसे बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करें 🔹 इनके लिए सामान सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और क्रम में रखेंगे, और व्यावसायिक पाठ्यक्रम पर ज्यादा जोर देने । 🔹 ऐसे बालकों के लिए उनके मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे। 🔹 इन बालकों की शिक्षण विधि ,सरल हो रोचक हो ,क्रियात्मक ढंग से हो, धीमी गति से हो । 📙 Nots by sanu sanwle 🌺 विकलांग बालक🌺 कुछ बालकों में जन्म से ही शारीरिक दोष होता है या किसी बीमारी या दुर्घटना चोट लग जाने से शरीर में किसी अंग में दोष होता है जिसे विकलांग बालक कहते हैं विकलांग बालक विकलांगता के कारण साधारण से क्रियाओं को करने में में भी सक्षम नहीं होते हैं शारीरिक विकलांगता के कारण इसका प्रभाव मानसिक रूप से पड़ता है मानसिक रूप से निराशा युक्त हो जाते हैं उनके मन में कुंठा विद्यमान हो जाती है कि हम बाकी सामान्य से लोगों के समान साधारण कार्य को भी नहीं कर पाते हैं इस कारण वह मानसिक द्वंद से ग्रसित हो जाते और कार्यों को सही तरीके से नहीं कर पाते। *क्रो एंड क्रो* -एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता या सीमित रखता है हम उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं! *विकलांग बालक के प्रकार*- शारीरिक रूप से विकलांग बालक के पांच प्रकार बताए गए हैं। 🍀 अपंग 🍀 दृष्टि दोष 🍀 श्रवण शक्ति संबंधी विकार 🍀 वाक् संबंधी विकार 🍀 अत्यधिक कोमल और दुर्बल *अपंग* – वे बालक जो शारीरिक क्रियाओं को सही तरीके से नहीं कर पाते हैं अर्थात जिनकी मांसपेशियां सही तरीके से पूर्ण विकसित नहीं हुई है वे अपंग बालक के अंतर्गत आएंगे जैसे लंगड़े लूले गूंगे बहरे अपाहिज आदि। *दृष्टि दोष*- ऐसे बालकों में दृश्य संबंधी विकार पाया जाता है यह लिखे हुए चीजों को सही सही तरीके से स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते हैं जिससे इन्हें पढ़ने समझने लिखने संबंधी समस्याएं होती हैं दृष्टि दोष में अंधे और और अर्द्ध अंधे बालक आते हैं। *श्रवण शक्ति संबंधी विकार*-जिन बालकों को श्रवण संबंधी विकार होता है यह सही तरीके से नहीं सुन पाते हैं श्रवण विकार के कारण इनकी अभिव्यक्ति क्षमता वाधिर होती है क्योंकि यह लोगों के द्वारा बोले गए शब्दों को स्पष्ट रूप से नहीं समझ पाते जिससे यह अपने विचारों को भी व्यक्त नहीं कर पाते। *वाक् संबंधी विकार*- ऐसे बालक जिनमें बोलने संबंधी विकार होता है यह सही तरीके से अपने विचारों को स्पष्ट नहीं कर पाते हैं अर्थात इन में बोलने संबंधी दोष पाया जाता है दोष युक्त वाणी हकलाना तुतलाना गूंगापनआदि समस्याएं इसके अंतर्गत आती हैं। *अत्यधिक कोमल और दुर्बल*- अत्यधिक कोमल और दुर्बल होना भी एक तरीके की विकलांगता है जिससे शरीर निरंतर कमजोर होता जाता है इस प्रकार की समस्या में रक्त की कमी शक्तिहीन होना पाचन क्रिया में गड़बड़ी संबंधी परेशानी होती है। *विकलांग बच्चे की शिक्षा* विकलांग बच्चों की शिक्षा के लिए उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निश्चित योजनाएं बनाकर सुचारू पूर्ण तरीके से इनकी शिक्षा इन्हें प्रदान की जानी चाहिए जिससे इन्हें सामान्य बालकों की भांति शिक्षा प्राप्त हो जिससे इनकी शिक्षा का स्तर बढ़ाया जा सके। *अपंग बालकों की शिक्षा* अपंग बालकों में शारीरिक दोष होता है पर यह आवश्यक नहीं है कि शारीरिक दोष से ग्रसित है तो मंदबुद्धि बालक होगा अपंग बालकों को ऐसा परिवेश दिया जाना चाहिए जिससे वह सामान्य बालकों की तरह साधारण पूर्ण तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सकें जिससे उनमें शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत ना हो सके। *अपंग बालकों की शिक्षा हेतु निम्न व्यवस्थाएं की जाती है* ✍️ विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें जिससे उन्हें उनके अनुसार सही तरीके से परिवेश प्राप्त हो सके। ✍️ उनकी विशिष्टता के आधार पर कमरे भी प्राप्त होने चाहिए जहां पर शुद्ध वातावरण और प्रकाश की उचित व्यवस्था हो जिससे उनके आवागमन में किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न ना हो। ✍️ उचित प्रकार की बैठने की व्यवस्था हो जिससे उन्हें समस्या ना हो। ✍️ समय-समय पर डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहें हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करें। ✍️ विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे जिससे उनमें निराशा और हीन भावना ना उत्पन्न हो सके। ✍️सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे जिससे वह आगे चलकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उचित रोजगार प्राप्त कर सकें। ✍️ मानसिक विकास का पूरा अवसर देंगे उपयुक्त वातावरण देकर उन्हें अधिक से अधिक अनुभव प्रदान करेंगे जिससे वह अधिक से अधिक सीखे और उनका उचित मानसिक विकास हो सके। ✍️ शिक्षण विधि- विकलांग बालकों की शिक्षण विधि सरल रोचक क्रियान्वित हो और धीमी गति से की जाए जिससे वह आसानी पूर्वक विषय वस्तु को समझ सके और उसमें निपुण हो सके। अतः विकलांग बालकों की शिक्षा हेतु उनके अनुरूप ही उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर शिक्षण व्यवस्था प्रदान करनी चाहिए जिससे वह सरलता पूर्वक सीख सकें और उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम को सरल रुचिकर सहज लचीलापन अनुभव युक्त होना चाहिए जिससे उनका शिक्षा का स्तर बढे और शारीरिक मानसिक रूप से स्वस्थ हो और हीन भावना ना जागृत हो। 🍀 धन्यवाद🍀 Notes by – Abhilasha pandey ⭐विकलांग बालक⭐ इसमें हम उन बालकों को शामिल कर सकते हैं जो कि किसी न किसी प्रकार से शारीरिक दोष से संबंधित होते हैं उनमें किसी कारणवश से उनकी किसी शरीर का अंग सही प्रकार से कार्य न करना जैसे किसी दुर्घटना में चोट के या किसी बीमारी के कारण अंगों का संचालन ना होने के कारण कार्य करने में असमर्थ है होते हैं जिसे हम विकलांग बालक कह सकते हैं। ◾ क्रो एवं क्रो के अनुसार➖ ▪️ एक व्यक्ति जिसे में कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं। ⚫ शारीरिक विकलांगता के प्रकार➖ 🔹 अपंग:- इसमें लंगड़े, लूले, गूंगे, बहरे ,जैसे बच्चों को शामिल किया जाता है ,जो किसी ना किसी प्रकार से अपंग होते हैं 🔹 दृष्टि दोष:- इस प्रकार के बालक में अंधे, अर्द्ध अंधे देखने दृश्य संबंधी विकार होता है जो पूरी तरह देख नहीं पाते हैं। 🔹 श्रवण संबंधी दोष:- इसमें बच्चे को सुनने संबंधी दोष होता है ,जैसे कि किसी भी चीज को स्पष्ट ना सुनना या बिल्कुल ना सुनाना जैसी समस्या हो सकती है। 🔹 वाक संबंधी दोष:- इसमें हकलाना ,तुतलाना, गूंगापन जैसे संबंधी विकार होती है इसे दोष युक्त वाणी भी कहते हैं स्पष्ट शब्दों का उच्चारण नहीं कर पाते हैं। 🔹 अत्याधिक कोमल और दुर्बल:- बच्चों में रक्त की कमी होना जैसी समस्या होती है इसके कारण शक्तिहीन की भावना भी आती है और शारीरिक गड़बड़ी होती है जैसे पाचन क्रिया में गड़बड़ी होती है इन सभी समस्याओं का सामना करना पड़ता है बच्चों को। ⭐विकलांग बच्चों की शिक्षा⭐ ▪️ अपंग बालकों की शिक्षा:- शारीरिक दोष में यह आवश्यक नहीं है कि बच्चे मंदबुद्धि हो शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है इससे मंदबुद्धि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ▪️ विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करना:- विद्यालय का गठन इस प्रकार होना चाहिए कि इन बच्चों के लिए सुविधाजनक हो और उनके लिए शिक्षा का साधन प्रदान की जा सके। ▪️ उनकी विशेषता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो :- विकलांगता के प्रकार को देखते हुए कमरे का चयन करना चाहिए जिससे कि बच्चों की कोई प्रॉब्लम ना हो और आसानी पूर्व को वह अपनी कक्षा तक पहुंच सके। ▪️उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से बैठ सके:- इस प्रकार के बच्चों के लिए बैठने के लिए अच्छी व्यवस्था करनी चाहिए ताकि वो आराम महसुस कर सके। ▪️ डॉक्टर विशेषज्ञ की राय लेते रहें संभव हो तो चिकित्सा हेतु संसाधनों का इंतजाम करें:- इन बच्चों को समझने के लिए एवं सही शिक्षा देने के लिए डॉक्टरों की राय जरूरी है जिससे उचित निदान किया जा सके। ▪️ विकलांग बच्चों में सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे:- बच्चों में किसी प्रकार के हीन भावना नहीं आने देंगे जिससे कि वह अपने आपको अलग समझे और किसी भी कार्य करने से पीछे हट जाए हमें उनका हमेशा सहयोग पूर्ण मदद करनी चाहिए जिससे कि वह आगे कार्य करने में समर्थ हो सके। ▪️ सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोड़ देंगे:- जिस प्रकार सभी बच्चों के लिए पाठ्यक्रम बनाई जाती है उसी प्रकार पाठ्यक्रम को रखेंगे हो सके तो कम करेंगे लेकिन व्यवसायिक शिक्षा पर जोर देंगे ताकि वह अपने भविष्य में इसका उपयोग करें एवं इनके लिए लाभकारी साबित हो। ▪️ मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे:- बच्चों को खुद से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जिससे उनकी मानसिकता का विकास हो और और अपने आप को सक्रिय रख पाएंगे बच्चे इस अवसर के द्वारा। ▪️ शिक्षण विधि सरल रोचक एवं क्रियात्मक ढंग से प्रस्तुत करेंगे:- शिक्षण विधियों को सरल गति से प्रस्तुत करना चाहिए ताकि बच्चे के मानसिक स्तर के अनुसार हो और उन्हें रुचिकर लगे ताकि वह अपने रूचि के अनुसार पढ़ाई को समझ पाए और अपने से जोड़ पाए। 🙏Notes by—-Abha kumari 🙏 शारीरिक विकलांग / दिव्यांग बालक 🌷 Physically 🌷 Handicapped Child विकलांग बालक :- कुछ बालकों में जन्म से शरीर में दोष होता है , या किसी बीमारी आघात , दुर्घटना , चोट या हादसा हो जाने पर शरीर के किसी अंगों में दोष हो जाता है तो ऐसे बालकों को ही विकलांग बालक कहते हैं। 🌺 क्रो एण्ड क्रो के अनुसार :- एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है , जो किसी भी रूप में सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है । हम उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं। जब कोई बच्चा (व्यक्ति) जन्म जात या जन्म के बाद किसी शारीरिक दुर्घटनाओं आदि से शारीरिक रूप से विकलांगता का शिकार होता है, तो हम ऐसे बच्चे को ही शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में रखते हैं। 🌷 शारीरिक विकलांग बालकों के प्रकार 🌷 विकलांग बालकों के निम्नलिखित पाँच प्रकार बताये गये हैं :- 1. 🌺 अपंग / अपाहिज :- कुछ बच्चे शारीरिक रूप से अपंग / अपाहिज होते हैं , जिन्हें लंगड़े , लूले , गूंगे , बहरे एवं अंधे आदि की श्रेणी में रखा जाता है। 2. 🌺 दृष्टि दोष :- कुछ बच्चे दृष्टि दोष से पीड़ित होते हैं , अर्थात ( देखने / दृश्य संबंधी अक्षमता ) जिन्हें ” अंधे और अर्ध अंधे ” की श्रेणी में रखा जाता है। अतः इसमें कुछ बच्चे पूरी तरह से अंधे होते हैं और कुछ बच्चे थोड़े कम अंधे होते हैं जिन्हें ( अर्ध अंधा ) कहते हैं। 3. 🌺 श्रवण संबंधी दोष :- कुछ बच्चों में श्रवण/सुनने संबंधी अक्षमता पायी जाती है, जिन्हें ” बहरे और अर्ध बहरे ” की श्रेणी में रखा जाता है। 4. 🌺 वाक् संबंधी विकार :- इस विकार से पीड़ित बच्चों में बोलने संबंधी अक्षमता पायी जाती है, अतः इनकी दोष युक्त वाणी होती है , जिन्हें हकलाने , तुतलाने , गूंगापन बोल न पाने की श्रेणी में रखा जाता है। 5. 🌺 अत्यधिक कोमल और दुर्बल :- इस विकार से पीड़ित बच्चों में रक्त की कमी ; शक्तिहीन ; और पाचन क्रिया में गड़बड़ी पायी जाती है। अतः इस विकार में बच्चे अत्यधिक दुर्बल हो जाते हैं। 🌷विकलांग बालकों की शिक्षा विकलांग बालकों को निम्नलिखित रूप से शिक्षा व्यवस्था दी जानी चाहिये :- 1. अपंग बालकों की शिक्षा :- ऐसे बालकों में शारीरिक दोष तो होता है पर जरूरी नहीं कि वह मंदबुद्धि भी हों। अर्थात हम जानते हैं कि शारीरिक अक्षमता होने पर भी कुछ बच्चों की बुद्धि तीव्र होती है। अतः यदि उनकी शारीरिक अक्षमता को उनकी कमजोरी बना दी जाये तो विकलांग बालकों में हीन भावना उत्तपन्न हो जाती है। अतः इसीलिये उन्हें अनुकूल शिक्षा व्यवस्था देकर उन्हें शिक्षित और जागृत किया जाता है ताकि विकलांग बालक भी आगे बढ़ सकें। अपंग बालकों की शिक्षा व्यवस्था निम्नलिखित प्रकार से की जानी चाहिए :- 👉 विशिष्ट प्रकार के विद्यालयों को संगठित करें :- अर्थात अपंग बालकों की शिक्षा व्यवस्था के लिये सामान्य की अपेक्षा विशिष्ट विद्यालयों की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि उन्हें उनके अनुकूल शिक्षा व्यवस्था मिल सके । 👉उनकी विशिष्टता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हों :- विकलांग बालकों के लिए उनके विद्यालयों में उनके हिसाब से कमरों की भी व्यवस्था की जानी चाहिये ताकि बो अपनी क्षमतानुसार शिक्षा ग्रहण कर सकें। 👉 उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से कक्षा- कक्ष में बैठ सकें , अर्थात कमरों में नुकीली वस्तुएं न हों एवं फर्नीचर आदि भी उनके अनुकूल हो। 👉 डॉक्टरों और विशेषज्ञों की राय लेते रहें एवं हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करें :- अर्थात विकलांग बालकों का शिक्षा के साथ – साथ शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने हेतु चिकित्सकीय व्यवस्था बनाये रखनी चाहिय 👉 विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करें :- शिक्षक और समाज को विकलांग बालकों के प्रति सहजता और सहानुभूति पूर्ण व्यवहार रखना चाहिए, अतः ये भी उनकी शिक्षा हेतु महत्वपूर्ण है। 👉 सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे :- विकलांग बालकों का शैक्षिक पाठ्यक्रम साधारण , सरल, और कम रखेंगे लेकिन उन्हें उनके अनुकूल व्यावसायिक शिक्षा विशेष रूप से देंगे ताकि बो भविष्य में अपना जीविकोपार्जन सही ढंग से कर सकें। 👉 मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे :- विकलांग बालकों को उनके शारीरिक अक्षमता के कारण शिक्षक उनमें मानसिक रूप से अक्षमता न लाकर बल्कि उन्हें सरलता , सहजता से समझाएंगे और हर संभव उनका मानसिक विकास भी करेंगे। 👉 शिक्षण विधि सरल , रोचक, क्रियात्मक ढंग और धीमी गति से हो :- विकलांग बालकों के लिए शिक्षण विधि सरल हो ताकि बो आसानी से सीख सकें , रोचक हो ताकि उनकी जिज्ञासा जागृत बनी रहे , और स्वयं से करके सीखने (क्रियात्मक ढंग) से हो और उन्हें सामान्य से धीमी गति से भी पढ़ाया जाये । अतः इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था से विकलांग बालकों को भी शिक्षित किया जा सकता है। ✍️🏼 Notes by – जूही श्रीवास्तव

🦚🌈🪔शारीरिक विकलांग बालक🪔🌈🦚 (Physically handicapped child)* 🌹विकलांग बच्चे उसे कहते हैं, जो बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से सामान्य बच्चों से भिन्न होते है। 👉 उन्हे शारीरिक और मानसिक किसी भी प्रकार की अक्षमता पाई जाती है। 👉कुछ बालकों में जन्म से शरीर में दोष होता है, या किसी बीमारी, दुर्घटना/ चोट, आघात इत्यादि लग जाने पर शरीर के किसी अंगों में दोष होता है, ऐसे बालक शारीरिक रूप से विकलांग होते है।🌹 🏟 *According to क्रो & क्रो* “एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है, जो किसी भी रूप मे उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है, उसे हम विकलांग व्यक्ति कहते हैं। 🎉🪔🎉 *शारीरिक विकलांग बालक के प्रकार*🎉🪔🎉 🎧 *अपंग बालक*:- ऐसे बच्चे जो शारीरिक रूप से अंग से विकलांग होते हैं, जिनमें :- 🌿 गुंगे 🌿 बहरे 🌿 अंधे 🌿 लंगड़े – लूले। इत्यादि… 🎧 *दृष्टि दोष*:- ऐसे बच्चे जो सामान्य पुस्तक को नहीं पढ़ पाते, उसे पढ़ने के लिए किसी सहायक सामग्री की जरूरत पड़ती है। (देखने/ दृश्य संबंधी विकार) ऐसे बच्चे आते जो 🌿 अंधे 🌿 अर्धअंधे। इत्यादि ….. 🎧 *श्रवण संबंधी विकार*:- ऐसे बच्चे जो सामान्य बच्चे की तरह सुन ना सकता हो (सुनने में विकार)। जैसे: 🌿 बहरे 🌿 अर्ध बहरे। इत्यादि ….. 🎧 *वाक् संबंधी विकार*:- इसमें बालक को बोलने में कठिनाई आती हैं, ऐसे बच्चे को कई प्रकार के समस्या का सामना करना पड़ता है (दोष युक्त वाणी)। जैसे: 🌿 हकलाना 🌿 तुतलाना 🌿 गुंगापन। इत्यादि …. 🎧 *अत्यधिक कोमल और दुर्बल*:- इसमें बालक शरीर से कमजोर और दुर्बल आने लगते हैं, क्योंकि बच्चे में – 🌿रक्त की कमी 🌿 शक्तिहीन 🌿 पाचन क्रिया में गड़बड़ी।इत्यादि …. 🎊🪔 *शारीरिक विकलांग बालक की शिक्षा*🪔🎊 🌾 *अपंग बालकों की शिक्षा* शारीरिक दोष, यह आवश्यक नहीं है कि बालक मंद बुद्धि का ही हो। शिक्षा के लिए किस प्रकार की व्यवस्था की जानी चाहिए, वो निम्नलिखित है: ⚘ विशिष्ट प्रकार के विधालय का संगठन करना:- ऐसे विधालय/ संस्थान की व्यवस्था की जानी चाहिए जिसमें बालक अपनी क्षमता या आवश्यकता के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सके। ⚘ उनकी विशिष्टता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो:- कमरे की व्यवस्था बालक के अनुसार होना चाहिए जिससे विकलांग बालक को आने जाने में किसी प्रकार की समस्या ना हो या किसी भी प्रकार की घटना ना हो। ⚘ उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से बैठ सके:- बैठने की सुविधा ऐसी जिसमें बच्चे को किसी भी प्रकार की बैठने में असुविधा ना हो। जिससे बच्चे आसानी से कक्षा में बैठ कर अपनी शिक्षा को आसान पूर्वक ग्रहण कर सकें। ⚘डॉ / विशेषज्ञ की राय लेते रहे हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करे:- हमे यह ध्यान देना होगा कि बच्चे को डॉ की राय लेने की जरूरत तो नहीं, अगर है तो हमे चिकित्सा हेतु संसाधनों की भी वयवस्था की जानी चाहिए। ⚘ विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना:- हमे ऐसे तो हर बच्चे के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार ही करना चाहिए, लेकिन हमें विकलांग बालक से भी करे ताकि उनमें हीन भावना या अकेलापन महसूस ना हो। ⚘ सामान्य पाठयक्रम को साधारण और कम रखेंगे, व्यवसायिक पाठयक्रम पर जोड़ देंगे:- शारीरिक विकलांग बालक की पाठयक्रम बहुत ही साधारण रखेंगे और कम रखेंगे, जिससे बालक को व्यवसायिक पाठयक्रम पर ध्यान दे सकेंगे। ⚘ मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे:- ऐसे बच्चे को हम ज्यादा से ज्यादा मैका देगे, जिससे बच्चे को ऐसा महसूस ना हो कि वह आगे बढ़ नहीं सकता। उन्हें भी शिक्षा के लिए उचित मानसिक विकास का अवसर मिले। ⚘ शिक्षण विधि सरल, रोचक, क्रियात्मक ढंग, धीमी गति से हो:- जो विकलांगता होगा उससे देखते हुए हम वैसा शिक्षण देगे और ऐसे बच्चों को सरल ढंग से या रोचक तरीकों से या धीमी गति से शिक्षण दे तो बच्चों में समझने में भी समस्या नहीं होगी। 🎪 🪔🪔END🪔🪔 🎪 📚Noted by 🦩 Soni Nikku✍ 🍒🌻🍒🌻🍒Thanku🍒🌻🍒🌻🍒 🔆 *विकलांग बालक* (𝙋𝙝𝙮𝙨𝙞𝙘𝙖𝙡 𝙃𝙚𝙣𝙙𝙞𝙘𝙖𝙥𝙩) ➖ 🔹ऐसे बालक जो सामान्य बालक से किसी ना किसी प्रकार में शारीरिक व मानसिक रूप से भिन्न है और जो किसी अंग के द्वारा उस कार्य को करने में सक्षम नहीं है उनको विकलांग बालक कहा जा सकता है | 🔹विकलांगता जन्मजात जन्म के बाद किसी बीमारी या दुर्घटना दोष के कारण भी हो सकती है विकलांगता कभी भी हो सकती है | 🔹 अर्थात ऐसे बालक जिनका जन्म से शरीर में दोष होता है या किसी बीमारी, आघात ,दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी ना किसी अंग में दोष उत्पन्न होता है उसे विकलांगता कहते हैं | 🔹 विकलांग वालों के संदर्भ में ” *क्रो एंड क्रो* ” ने कहा है कि ” एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो उसे किसी भी रूप में सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं “| 💫 *विकलांग बालकों के प्रकार* ➖ विकलांग बालकों को मुख्यतः पांच प्रकार से बांटा गया है जो कि निम्न है ➖ 1) अपंग बालक | 2) दृष्टि दोष | 3)श्रवण संबंधी दोष | 4) वाक् संबंधी दोष(दोष युक्त वाली) | 5) अत्यधिक कोमल और दुर्बल | 🍀 *अपंग बालक*➖ इस प्रकार की विकलांगता शरीर के किसी भी अंग से हो सकती है | जैसे लंगड़े, लूंगें, गूंगे ,बहरे ,अंधे आदि | 🍀 *दृष्टिदोष* ➖ प्रकार की विकलांगता में आंख में समस्या होती है जो दृश्य संबंधी दोष या विकार है जो देखने या दृश्य से संबंधित होता है जैसे अर्द्ध अंधे ,अंधे या देखने मैं समस्या उत्पन्न होना | 🍀 *श्रवण संबंधी दोष* ➖ इस प्रकार की विकलांगता जिनको सुनने में समस्या होती है अतः जिनको सुनने संबंधित विकार है जैसे बहरे या बहरे अर्द्ध बहरे लोग | 🍀 *वाक् संबंधी दोष या दोष युक्त वाणी* ➖ इस प्रकार की विकलांगता बोलने में समस्या उत्पन्न करती है जैसे हकलाना, तुतलाना आदि | 🍀 *अत्याधिक कोमल और दुर्बल* ➖ इस प्रकार की विकलांगता में 1 )खून की कमी होती है, 2)शक्तिहीन व्यक्ति 3)व्यक्ति में ना के बराबर पाचन क्रिया कि ठीक नहीं होती है कि इससे पाचन क्रिया में गड़बड़ी होती है | यह तीनों कमी किसी भी व्यक्ति में हैं तो वह कमजोर है क्योंक क्योंकि यह व्यक्ति को विकलांग बनाते हैं जो कि ठीक नहीं है विकलांग बनाते हैं | 💫 *विकलांग बालकों की शिक्षा* ➖ विकलांग बालकों को शिक्षा देना समाज ,शिक्षक सभी का परम कर्तव्य है विकलांग बालकों की शिक्षा में सभी को अपना निश्चित रूप से अनिवार्य योगदान करना चाहिए —– *(A)* *अपंग बालकों की शिक्षा*➖ शारीरिक दोष से संबंधित बालक को भी शिक्षा दी जा सकती है आवश्यक नहीं है कि यह मंदबुद्धि ही हों, अपंग बालक प्रतिभाशाली या रचनात्मक भी हो सकते हैं लेकिन शारीरिक कमी के कारण उनमें हीन भावना जागृत हो सकती है जो कि बहुत ही खतरनाक है किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है इसके लिए विशिष्ट प्रकार के उपाय करना चाहिए जो कि निम्न है —- *1)* *विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें* जिसे उनकी शिक्षा के में कोई बाधा उत्पन्न ना हो और वह सामान्य बालकों की तरह शिक्षा ग्रहण कर सकें | *2)* *उनकी विशिष्टता या विकलांगता के हिसाब से कमरे उपयुक्त हो* जिससे उनका ध्यान पढ़ाई की ओर आकर्षित हो और इस प्रकार के कमरों की व्यवस्था की जानी चाहिए जहां उन्हें उचित प्रकार का वातावरण मिल सके तथा उन्हें आने जाने में किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़े | *3)* *उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से बैठ सकें* बैठने के लिए उचित प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे बच्चे को कोई असुविधा ना हो कक्षा में उचित प्रकार के फर्नीचर से व्यवस्था की जानी चाहिए जिसमें बच्चे आसानी से बैठकर शिक्षा ग्रहण कर सकें | *4)* *डॉक्टर या विशेषज्ञों की राय लेते रहें हर संभव चिकित्सा हेतु संसाधनों का इंतजाम करें* जिससे उनकी विकलांगता की समय-समय पर जांच हो सके और अच्छे तरीके से देख रहे हो सके | *5)* *विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करें* ताकि उनमें हीन भावना ना सके और उनको सहानुभूति देना अति आवश्यक है वरना बच्चा एक अलग रास्ता पकड़ लेता है और उससे उसका भविष्य बिगड़ सकता है | *6)* *सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखना लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर अधिक जोर देना* उनकी विकलांगता को ध्यान में रखते हुए उन्हें शिक्षा देना जो उनके भविष्य के लिए आवश्यक हो जिससे उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और लाभदायक भी होगा | *7)* *मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देना* जिस -जिस क्षेत्र में मानसिक विकास हो सकता है उन्हें उस क्षेत्र में पूरा अवसर देना जिससे वह अपने मस्तिष्क का विकास कर सकें और इस प्रकार वे अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं | *8)* *शिक्षण विधि सरल, रोचक, और क्रियात्मक ढंग से हो एवं धीमी गति से होने चाहिए* जिससे उनके मन में हीन भावना का विकास ना हो और वे अपने मन में शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न कर सकें, और इस प्रकार उनके भविष्य को बेहतर बनाया जा सकता है | 𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝘽𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚 🌈🌺🌿 विकलांग बालक(Physically handicapped)🌿🌺🌈 💥जन्म से कुछ बालकों में दोष होता है या किसी बीमारी ,आघात ,दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंगों में दोष होता है उसे विकलांगता कहते हैं। 🌸💥क्रो एंड क्रो- एक व्यक्ति जिसमें कोई प्रकार का शारीरिक दोष होता है जिससे वह किसी भी रुप में सामान्य क्रिया में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है तो हम उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं। 💥🌿शारीरिक विकलांग बालक के प्रकार———- 1️⃣अपंग-इसमें वह बालक आता है जो लंगड़े, लुले, गूंगे ,बहरे अंधे इत्यादि आते हैं। 2️⃣दृष्टि दोष- इसमें बच्चे अंधे ,अर्ध- अंधे ,यानी देखने या दृश्य संबंधी विकार से पीड़ित होते हैं 3️⃣श्रवण संबंधी दोष- बहरे ,अर्ध बहरे यानी सुनने संबंधी विकार होते हैं। 4️⃣वाक संबंधी विकार (दोष युक्त वाणी)- हकलाना ,गूंगापन तुतलाना, नहीं बोल पाना इत्यादि इसके अंदर होता है। 5️⃣अत्यधिक कोमल और दुर्बल – इसमें रक्त की कमी ,हिमोग्लोबिन की कमी, शक्तिहीन,पाचन क्रिया में गड़बड़ी इत्यादि आते हैं। 🌈💥विकलांग बच्चे की शिक्षा💥🌈➡️ विकलांग बालक को शिक्षा देना हमारा परम कर्तव्य है, और उनको उनके हिसाब से शिक्षा देना जरूरी है। 🌺💥अपंग बालकों की शिक्षा- जो बच्चा अपंग है उनको शारीरिक दोष होगा, लेकिन आवश्यक नहीं है की मंदबुद्धि हो। शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है।🌸🌿 इनको दूर करने के लिए हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं🌸🌿 ➡️(A)विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें। ➡️(B)उनकी विशिष्ठता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो। ➡️(C)उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो। ➡️(D)नुकीले वास्तु कमरे में ना हो। ➡️(E)फर्नीचर इत्यादि इधर उधर ना हो ताकि बच्चे को परेशानी का सामना करना पड़े। ➡️(F)डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहें। ➡️(G)उनकी यथासंभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करते हैं। ➡️(H)विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे। समान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे। लेकिन, व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे। क्योंकि विकलांगता के हिसाब से जो बच्चा उस काम को कर सकता है या उस काम के लायक है उन पर ज्यादा जोर देंगे। ताकि, बच्चे भविष्य में अपना जीविकोपार्जन कर सके। ➡️(I)मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे ताकि मानसिक विकास विस्तृत कर सके। ➡️(J)शिक्षण विधि सरल रोचक क्रियात्मक ढंग से धीमी गति से हो। 🙏🌺💥🌸🌈Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏 🌻🍀🌺🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌺🍀🌻 🌼🌼👩🏻‍🦽👨🏻‍🦽👩‍🦯👨🏻‍🦯🌼🌼 👨🏻‍🦽👩‍🦯 विकलांग बालक👨🏻‍🦽👨🏻‍🦯 🍁 विकलांगता मैं शारीरिक रूप से अक्षम होना एक दोष होता है बालक इस दोष के कारण सही गति सीखने खेलने तथा पर्याप्त सामाजिकता की उपलब्धियों में कठिनाई अनुभव करते हैं। 👉 कुछ बालकों में जन्म से शरीर में दोष होता है या किसी बीमारी,आघात, दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंग में दोष होता है उसे विकलांगता कहते हैं। 👉 विकलांगता जन्मजात भी हो सकती है और किसी दुर्घटना के कारण जन्म के बाद में भी हो सकती है। 🍁क्रो एण्ड क्रो :- एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है उसे हम विकलांग व्यक्ति कहते हैं 🍂🍃 विकलांग बालक के प्रकार 🌷 अपंग :- ऐसी बालक जो शारीरिक रूप से अपंग होते हैं जिसके अंतर्गत लैंग्वेज में गूंगे बहरे अंधे आदि दोष होते है। 🌷दृष्टिदोष:- ऐसी बालक जो आंखों से अंधे होते हैं जिनको आंखों से देखने में समस्या होती है वही दृष्टि बाधित बालक होते हैं ऐसी बालकों में दृश्य संबंधी या देखने संबंधी विकार पाया जाता है। 🌷श्रवण संबंधी दोष:- – ऐसे बालक सुनने सुनने संबंधी समस्या होती है उन्हें श्रवण संबंधी दोष होता है इसके अंतर्गत बहरे ,अर्ध बहरे आते हैं 🌷 वाक् संबंधी विकार:- ऐसी बालक जो सही से बोल नहीं पाते हैं अर्थात दोष युक्त वाणी का प्रयोग करते हैं जैसे हकलाना ,तुतलाना, गूंगा आदि वाक् संबंधी विकार में आते हैं। 🌷 अत्यधिक कोमल और दुर्बल:- इस बार के अंदर रक्त की कमी, हिमोग्लोबिन की कमी शक्तिहीन और पाचन क्रिया में गड़बड़ी हो जाती है जिससे बालकों में अधिक कमजोरी हो जाती है इसी कारण उनके शरीर कोमल और दुर्बल हो जाता है। 🌼विकलांग बालकों की शिक्षा🌼 👉 विकलांग बालकों की शिक्षा के लिए उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निश्चित योजनाएं बनाने चाहिए जिससे उनकी शिक्षा सुचारू रूप से चल सके और उनकी शिक्षा का स्तर को बढ़ाया जा सके। 🌷 अपंग बालकों की शिक्षा:- शारीरिक दोष है तो यह आवश्यक नहीं है कि मंदबुद्धि हो बालक में शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है। 🌷 विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें:- इसके अंतर्गत विकलांग बालकों के लिए विशेष प्रकार की स्कूल वह विद्यालयों की व्यवस्था करानी चाहिए या फिर स्कूल में विशिष्ट कक्षा का प्रबंध कराना चाहिए। 🌷 उनकी विशेषता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त होनी चाहिए। 🌷 विकलांग बालकों के लिए उचित प्रकार की बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए कक्षा में ऐसी कोई भी नुकीली वस्तु ना हो जिससे बच्चों को नुकसान पहुंचे। 🌷 विकलांग बालकों के लिए के अनुरूप कक्षा कक्ष में फर्नीचर का प्रबंध होना चाहिए। 🌷 विकलांग बालकों के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय राय लेते रहना चाहिए तथा हर संभव चिकित्सा हेतु संसाधन का इंतजाम कराना चाहिए। 🌷 विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए अगर हम विकलांग बालकों से उचित जवाब नहीं करेंगे तो उनको अपने प्रति हीन भावना उत्पन्न हो जाएगी इसीलिए हमें इन बालकों के प्रति सहानुभूति व्यवहार करना चाहिए। 🌷 विकलांग बालक का पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखें लेकिन व्यवसाय पाठ्यक्रम और जोर देना चाहिए। हमें उन्हे ऐसा पाठ्यक्रम व शिक्षा देनी चाहिए जिससे वह भविष्य में व्यवसाय में मददगार हो। 🌷 विकलांग बालकों को मानसिक विकास का अवसर देना चाहिए जिससे वहां आगे बढ़ सके। 🌷 विकलांग बालकों के लिए शिक्षण विधि सरल रोजा की क्रियात्मक ढंग से धीमी गति द्वारा सिखाया जाना चाहिए अतः उनके लिए उचित उचित विधियों का प्रयोग करना चाहिए जिससे उनकी शिक्षण में रुचि बढ़ सके। 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 🌷📕NOTES BY📕🌷 ✍🏻SHASHI CHOUDHARY 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🌸 विकलांग बालक 🌸 🌸 Physically handicapped child 🌸 जन्म से ही कुछ बालकों में शारीरिक दोष होता है या किसी बीमारी, आघात, दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंग में दोष होता है तो उसे विकलांगता कहते हैं । 🍁 क्रो एंड क्रो एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता हैं या सीमित रखता है हम उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं। ⭐ शारीरिक विकलांग बालक की प्रकार ⭐ शारीरिक विकलांग बालक को पांच भागों में बांटते हैं ➖ 1️⃣ अपंग बालक ➖ अप + अंग अंग में विकार इस श्रेणी में लंगड़े, लूले, गूंगे, बहरे और अंधे प्रकार के बालक शामिल होंगे। 2️⃣दृष्टि दोष➖ इस श्रेणी में अंधे, अर्ध अंधे, देखने दृश्य संबंधी विकार। 3️⃣ श्रवण संबंधी दोष ➖ इस श्रेणी में सुनने में विकार बहरे एवं अर्ध बहरे । 4️⃣ वाक् संबंधी विकार ➖ इस श्रेणी में दोषयुक्त वाणी जिसमें हकलाना, तुतलाना, गूंगापन नहीं बोलपाना आते हैं। 5️⃣ अत्यधिक कोमल एवं दुर्बल➖ ऐसे बालक जिनमें रक्त की कमी होती है व शक्तिहीन होते हैं और जिनके पाचन क्रिया में गड़बड़ी होती है आते हैं। 🌸 विकलांग बच्चे की शिक्षा ➖ ⭐ अपंग बालकों की शिक्षा ➖यह आवश्यक नहीं है कि अपंग बालक या विकलांग बालक मंदबुद्धि हो, उनमें बस किसी विशेष अंग में कोई विकार उत्पन्न हो गया है या विकलांगता आ गई। शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि उनमें हीन भावना जागृत ना हो जिससे उनका विकास अवरूद्ध न हो सके। वह पूरी तरह से एक सामान्य बालक की तरह है सिर्फ एक उनके शरीर के किसी भाग में दोष आ गया है या विकार आ गया है। विकलांग बालकों की शिक्षा के लिए भी प्रयास करने चाहिए एवं उनके शिक्षा उनकी विकलांगता के को देखते हुए देनी चाहिए। 1 विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें – विकलांग बालकों के लिए शहरों में अलग से विद्यालयों का निर्माण किया जाता है जिससे वह भी समान रूप से शिक्षा ग्रहण कर सकें उस विद्यालय में उन्हीं की तरह बहुत सारे बच्चे पढ़ते हैं जिसके कारण उनमें हीन भावना का जन्म भी नहीं होता। 2 उनके विशिष्टता के हिसाब से कमरे की उपयुक्त बनावट हो — बच्चे की शारीरिक दोष के आधार पर विद्यालयों की कक्षाओं का निर्माण किया जाता है। 3 उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से बैठे हैं उनको चोट न लगे— बच्चे की कक्षाओं का उचित बनावट होती है जिससे उनको चोट न लगे कुर्सी टेबल के साइड किनारे नूकीले ना हो नहीं तो दृष्टि बाधित बालकों को चोट लग सकती है, टेबल चेयर की ऊंचाई बहुत ना हो जिससे वह आसानी से बैठ सके। 4 डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहें हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करें । 5 विकलांग बच्चे से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार रखें — हमें विकलांग बालकों से और हर प्रकार के बालको से सहानुभूति पूर्ण, प्रेम पूर्वक बातें करनी चाहिए एवं उनके साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए जिससे वह अपने परेशानियों को आसानी से हमें बता सके और हम उनका निदान कर सकें। 6 सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे — हमें विकलांग बालकों को ऐसे शिक्षा देनी चाहिए जिससे आप बड़े होकर अपना व्यवसाय कर सके एवं अपनी जीविकोपार्जन कर सके।किसी पर आश्रित ना हो इसलिए विद्यालयों की शिक्षा बेसिक के साथ साथ ऐसा ही व्यवसायिक भी होनी चाहिए। 7 मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे — बालक को मानसिक विकास के पूर्ण अवसर देने चाहिए उनसे भी कक्षा कक्ष में प्रश्न पूछने चाहिए ताकि वेअपनी बात रख सके उनकी राय जानी चाहिए,जिससे उन्हें लगे कि उनके विचारों का भी महत्व है अध्यापक उन पर भी ध्यान दे रहा है वह अपने विचार प्रकट कर सकते हैं। 8 शिक्षण विधि सरल और रोचक, क्रियात्मक ढंग ,धीमी गति से हो—– विकलांग बालकों के लिए शिक्षण विधि ऐसी होनी जिससे वह सुगमता से अध्ययन कर सकें जैसे अगर कोई विद्यार्थी बहरा है सुन नहीं सकता है तो उसके लिए हमें शिक्षण विधि में ऐसे प्रयास करने चाहिए या अपनी शैली में ज्यादातर चित्र वाले दृश्य वाले सामग्रियों का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे वह उसे देख सके उन्हें सुनने की आवश्यकता ही ना हो ।चित्र के द्वारा व समझ सके और जो बच्चे देख नहीं सकते उनके लिए ब्रेल लिपि का इस्तेमाल जो बोल नहीं सकते और लेकिन सुन सकते हैं देख सकते हैं उनके लिए दृश्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग। धन्यवाद द्वारा वंदना शुक्ला 🔆 *विकलांग बालक*🔆 *(Physically handicapt child)*➖ *विकलांगता* – जन्म से कुछ बालकों के शरीर में कुछ दोष होता है या किसी बीमारी, आघात, दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंग में दोष होता है तब उसे विकलांगता कहा जाता है। ⚜️ क्रो एंड क्रो के अनुसार- एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है (जो किसी भी रूप में हो) उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है उसे हम विकलांग कहते हैं। ◾ *विकलांग बालक के प्रकार* इसे पांच भागो में बांटा गया है। ▪️अपंग – किसी न किसी चीज में किसी भी अंग में यदि कोई विकार है जैसे – लंगड़े,लुले,गूंगे,बहरे,अंधे हैं। ▪️ दृष्टि दोष – अंधे या अर्द्ध अंधे (देखने या दृश्य सम्बन्धी विकार) ▪️श्रवण सम्बन्धी दोष – बहरे या अर्द्ध बहरे (सुनने में विकार) ▪️वाक् सम्बन्धी विकार – दोष युक्त वाणी ,हकलाना, तुतलाना, गूंगापन या बोल ना पाना। ▪️अत्यधिक कोमल या दुर्बल – रक्त की कमी,शक्तिहीन ,पाचन क्रिया में गड़बड़ी। ◾ *विकलांग बालकों की शिक्षा*➖ ▪️अपंग बालकों की शिक्षा – जो बच्चे अपंग है उनमें शारीरिक दोष होता है लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि वह मंदबुद्धि हो। उनको सामान्य बच्चो की तरह शिक्षा दी जा सकती हैं। उनमें शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जाग्रत हो सकती हैं। 🔅 विशिष्ट प्रकार के विद्यालय बनाए जाएं। 🔅 उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से बैठ सकें। 🔅 डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहे हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करें। 🔅 विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार किया जाए। 🔅 सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखें जाए लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर दिया जाए। 🔅 मानसिक विकास का पूर्ण अवसर दिया जाए। 🔅 शिक्षण विधि सरल ,रोचक, क्रियात्मक ढंग से हो व धीमी गति से की जाए। ▪️ नेत्रहीन ,अर्ध नेत्रहीन बालकों की शिक्षा – पूर्ण रूप से नेत्रहीन बालकों को ब्रेल लिपि के माध्यम से व बोलकर पढ़ाया जाए। जबकि अर्द्धनेत्रहीन बालकों के लिए 🔅मोटे अक्षर वाले किताब, 🔅 कक्षा में आगे बैठा कर 🔅बोर्ड पर बड़ा और साफ लिखा जाए 🔅उचित रोशनी की व्यवस्था की जाए 🔅बोलकर पढ़ाएं और 🔅चश्मे व लेंस की व्यवस्था की जाए। नेत्रहीन या अर्ध नेत्रहीन बालकों को विशेषकर *हस्तशिल्प या संगीत की शिक्षा* दी जानी चाहिए जिससे वह समाज में या अपने जीवन में बेहतर समायोजन करना सीख पाए। ▪️ बहरे या अर्ध बहरे बालकों की शिक्षा – कुछ बच्चे जो जन्मजात बहरे और गूंगे होते हैं सबसे पहले इन बालकों के लिए ऐसे विद्यालय की स्थापना की जाए जहां पर उचित शिक्षा को प्राप्त कर सकें। 🔅सांकेतिक भाषा में शिक्षा दी जाए। 🔅हाव भाव से समझने की शिक्षा दी जाए। 🔅होठों की गतिविधि से समझाना 🔅ज्यादातर लिखकर व दिखा कर पढ़ाया जाए अर्ध बहरे बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ भी पढ़ाया जा सकता है इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जाए। *कक्षा में उन्हें आगे बैठाया जाए *उनके लिए कौन यंत्रों का प्रयोग किया जाए *विशेष रुप से ध्यान दिया जाए। ▪️ दोष युक्त वाणी वाले बालकों की शिक्षा- शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कई कारणों से दो शब्द वाणी हो सकती है इनके लिए शिक्षा 🔅 चिकित्सा (शल्य मनोवैज्ञानिक) द्वारा भी इनका इलाज संभव है। 🔅 घर का वातावरण भी दोष युक्त हो। 🔅 पोष्टिक भोजन दिया जाए। 🔅 अभिभावक शिक्षक को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। 🔅 अशुद्ध उच्चारण को प्यार से या प्रेम पूर्वक ठीक कराया जाए। 🔅 उनकी बातों यह विचारों को चिढ़ाया ना जाए और ना ही उन पर हंसा जाए। ▪️ कोमल या निर्बल बालकों की शिक्षा – यह रोग से ग्रस्त नहीं होते है इनके लिए 🔅 परिवार द्वारा विशेष ध्यान रखा जाए 🔅 पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाया जाए। 🔅 समय-समय पर शारीरिक जांच करवाई जाए। 🔅 शक्ति क्षमता के अनुसार पाठ्यक्रम व खेल कूद का आयोजन करवाया जाए। 🔅 पढ़ाई में खेल विधि दृश्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग किया जाए। 🔅 बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार किया जाए। ✍🏻 *Notes By-Vaishali Mishra*

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