Operant Conditioning Theory for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

B.F Skinner gave the Operant conditioning theory. It is also known as Theory of Reinforcement.

अधिगम का क्रिया-प्रसूत सिद्धांत (Operant Conditioning Theory) सिद्धांत फेडरिक स्किनर (Burrhus Frederic Skinner) द्वारा दिया गया। इसे पुनर्बलन का सिद्धांत भी कहा जाता है।

Operant conditioning theory is given by-

  1. Skinner
  2. Thorndike
  3. Pavlov
  4. Kohle

Ans- Option A

अधिगम का क्रिया-प्रसूत सिद्धांत किसके द्वारा दिया गया-

A. स्किनर

B. थार्नडाइक

C. पावलोव

D. कोहलर

Ans- विकल्प A

conditioning is a method of learning that occurs through rewards and punishments for behaviour. Through operant conditioning, an individual makes an association between a particular behaviour and a consequence (Skinner, 1938).

By the 1920s, John B. Watson had left academic psychology, and other behaviorists were becoming influential, proposing new forms of learning other than classical conditioning. Perhaps the most important of these was Burrhus Frederic Skinner. Although, for obvious reasons, he is more commonly known as B.F. Skinner.

क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत के प्रवर्तक हावर्ड विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रोफ़ेसर बीएफ स्किनर थे।यह हावर्ड विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे।इन्होंने अधिगम की प्रक्रिया को समझने के लिए अनेक पशु पक्षियों पर अपना प्रयोग किया।परंतु चूहे और कबूतर पर किया गया प्रयोग सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
स्किनर ने अधिगम से संबंधित प्रयोग के लिए एक समस्यात्मक बॉक्स बनाया। उन्होंने इसका नाम स्किनर बॉक्स रखा। स्किनर ने इस बॉक्स में जालीदार फर्श ,प्रकाश, ध्वनि व्यवस्था, लीवर तथा भोजन तश्तरी आदि रखी। स्किनर बॉक्स लीवर दबने पर प्रकाश या ध्वनि के साथ भोजन तश्तरी सामने आ जाती थी। प्रयोग के लिए स्किनर ने भूखे चूहों के इस बॉक्स में बंद कर दिया।

भूख के कारण कुछ देर तक चूहा इधर-उधर उछल रहा था।और जैसे ही वह उछलता है तो उसे लीवर दब जाता है।और घंटी की आवाज़ के साथ भोजन तश्तरी सामने आ जाती है।और चूहा भोजन खा लेता है।इस प्रकार कुछ प्रयासों के बाद चूहा लीवर दबाकर के,भोजन प्राप्त आसानी से प्राप्त कर लेता है।
उपर्युक्त उपयोगों के द्वारा स्किनर ने यह निष्कर्ष निकाला कि व्यवहार की पुनरावृत्ति व परिमार्जन उसके परिणामों के द्वारा निर्देशित होता है।व्यक्ति व्यवहार को संचालित करता है। जबकि अपने व्यवहार को बनाए रखना उसके परिणाम पर निर्भर करता है।स्किनर ने इस प्रकार के व्यवहार को क्रिया प्रसूत व्यवहार तथा इस प्रकार के व्यवहार को सीखने की प्रक्रिया क्रिया प्रसूत अनुबंधन कहा है।

इस प्रकार इस प्रयोग से समझा जा सकता है।कि चूहे को लीवर दबाने पर भोजन की प्राप्ति नहीं होती।तो वह लीवर दबाने की क्रिया को नहीं सीख पाता।भोजन के रूप में जो पुनर्बलन था उसे प्रेरित कर रहा था।और जिसकी वजह से वह भोजन की प्राप्ति कर सका।

यद्यपि अधिकांश मनोवैज्ञानिक ने इस सिद्धांत की प्रशंसा की है । परंतु कुछ शिक्षण शास्त्रियों ने स्किनर के सिद्धांत की आलोचना भी की है। उन्होंने यह माना है कि यह सिद्धांत एक नियंत्रित परिस्थितियों में किया गया है।और नियंत्रित परिस्थितियों में किए गए इस सिद्धांत के प्रयोग को हम प्राकृतिक परिस्थितियों में कैसे लागू कर सकते हैं।

और उनका यह भी कहना है।कि इस प्रकार के प्रयोग में पशु या अन्य जीव थे। उन पर आधारित नियम सीखने की सामाजिक परिस्थितियों में कैसे उपयोगी हो सकते हैं।इसी प्रकार कार्यात्मक पुनर्बलन प्रणाली मानव की स्वेच्छा, उत्सुकता और क्रियात्मकता पर ध्यान देने में असफल रही है। प्रयोजनमूलक शिक्षण में एक कमी यह है कि विद्यालय की पूर्ण पाठ्यक्रम के प्रोग्राम उपलब्ध नहीं है।

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