Need of Inclusive Education Notes by India’s Top Learners

🌺🌺 समावेशी शिक्षा की आवश्यकता🌺🌺

वैसे बच्चे जो किसी न किसी कारणवश शिक्षा से पिछड़े हैं, जैसे मानसिक क्षमता, शारीरिक अक्षमता, विकलांगता , अत्याधिक ग्रामीण क्षेत्र से हैं ,इन बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है।

☘️ इन बच्चों के लिए कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिन्हें शामिल करने से बच्चे सामान बच्चों के साथ पढ़ाई कर सकते हैं।

🍁 अधिक से अधिक विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से होते हैं ,जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष विद्यालय ना होने के कारण समान विद्यालय में पढ़ते हैं।

🍁 विशेष विद्यालय के शहरी क्षेत्र में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को वहां पढ़ने के लिए नहीं भेज पाते हैं।

🍁 ग्रामीण क्षेत्र में विशेष और सामान आवश्यकता वाले बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं ,इसलिए विद्यालय में इनका समावेशन बहुत ही जरूरी है, ताकि सामान्य बच्चों के साथ विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की जरूरत की पूर्ति की जा सके।

🍁 समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करने के लिए उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करती है, इससे सभी बच्चे को लाभ दिया जा सकता है।

🍁 प्रत्येक बालक के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है, इससे बच्चों का मनोबल और बढ़ता है ,और उच्च कार्य करने के लिए बच्चे प्रेरित होते हैं।

🍁 प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सीखने के लिए अभी प्रेरित होता है उनमें ऐसी क्षमता होती है, कि वह किसी काम को सीखने के लिए तत्पर रहते हैं, जिसमें ज्यादा रुचि होता है, बच्चे उसे कार्य को करना ज्यादा पसंद करते हैं।

🍁 समावेशी शिक्षा अन्य बालक और खुद के बीच की व्यक्तिगत आवश्यकता या क्षमता में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती है।

🍁 विद्यालय की संस्कृति के साथ साथ है व्यक्तिगत विभिन्नता को भी स्वीकार करने के लिए अवसर प्रदान करती है। ताकि बच्चे अपने संस्कृति से जो कुछ भी सीख के आते हैं ,विद्यालय में शिक्षक द्वारा उन्हें सम्मान करना चाहिए।

🍁 समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों को अन्य बालोंको के समान कक्षा गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्य पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।

🍁 समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों की शैक्षिक उपलब्धि में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित करने की वकालत करती है ,ताकि उनके बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता को भी सम्मान करना चाहिए और बच्चे को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह अपने बच्चे को लक्ष्य तक पहुंचने में हर संभव मदद कर सके।

🙏🙏Notes by — Abha kumari🙏🙏

🌈🌼 समावेशी शिक्षा की आवश्यकताएं 🌼🌈

समावेशी शिक्षा हमारे सामान्य विद्यालय में दी जाए जिससे सभी बालकों को शिक्षा के समान अवसर मिले इन बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है

🦚 90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से हैं जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष विद्यालय न होने के कारण सामान्य विद्यालय में पढ़ते हैं

🦚विशेष विद्यालय के शहरी क्षेत्रों में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में लोग अपने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को वह पढ़ने नहीं भेज पाते हैं।

🦚ग्रामीण क्षेत्र में विशेष और सामान आवश्यकता वाले बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं इसलिए विद्यालय में इनका समावेशन बहुत जरूरी है जब वे सामान बालकों के साथ शिक्षा बातें हैं तब एक ही कारण के कारण वह सामाजिक गुणों को अन्य बालकों के साथ ग्रहण करते हैं जिसमें सामाजिक ,नैतिक ,प्रेम, सहानुभूति आपसी सहयोग आदि गुणों का विकास होता है

🦚 सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें प्रमुख धारा से जोड़ना है।

🦚प्रत्येक बालक के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है।

🦚 प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सीखने के लिए अभी प्रेरित होता है।

🦚समावेशी शिक्षा अन्य बालक और खुद के बीच की व्यक्तिगत आवश्यकता क्षमता में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती है।

🦚 विद्यालय की संस्कृति के साथ साथ व्यक्तिगत विभिन्नता ओं को स्वीकार करने के लिए अवसर प्रदान करती है।

🦚समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों को अन्य बालकों के समान कक्षा गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।

🦚 समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों के शैक्षणिक गतिविधियों में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित करने की वकालत करती है।

🦚 विशेष शिक्षा अधिक महंगी तथा खर्चीली होती है जबकि समावेशी शिक्षा कम खर्चीली तथा लाभदायक है उचित शिक्षा संस्थाओं को बनाने तथा शिक्षण कार्य आरंभ करने के लिए अन्य विभिन्न स्रोतों से भी सहायता लेनी पड़ती है जैसे प्रशिक्षित ,अध्यापक ,विशेषज्ञ, चिकित्सक आदि।

🖊️🖊️📚📚 Notes by…
Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

🍀 समावेशी शिक्षा की आवश्यकता 🍀 समावेशी शिक्षा की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि जो बच्चे सामान्य बच्चे से किसी ना किसी दृष्टिकोण में पीछे हैं चाहे वह शारीरिक अक्षमता हो या मानसिक अक्षमता उनके मन में किसी भी प्रकार की हीन भावना ना आए और वह अपने आगे आने वाले समय में आत्मनिर्भर बन सकें । इसके लिए हमें निम्नलिखित पहल करने की आवश्यकता है जो कि निम्नानुसार है :- 🌀 ➖ 90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्र में हैं जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष विद्यालय ना होने के कारण सामान्य विद्यालय में पढ़ते हैं। 🌀 ➖ विशेष विद्यालय के शहरी क्षेत्र में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में लोग विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को वहां पढ़ने नहीं भेज पाते हैं। 🌀 ➖ ग्रामीण क्षेत्र में विशेष और सामान्य आवश्यकता वाले बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं। इसलिए विद्यालय में इनका समावेशन बहुत जरूरी हैं। ( अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि गांव में यदि विशेष बालकों के पढ़ने के लिए विशेष विद्यालय नहीं हैं तो सामान्य बच्चों के साथ पढ़ते हैं उनका आपस में समावेशन होना चाहिए अर्थात एक दूसरे के प्रति परस्पर सहयोग की भावना होनी चाहिए ) 🌀 ➖ समावेशी शिक्षा बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करती हैं। ( अर्थात कहने का तात्पर्य है कि सामान्य बच्चे और विशिष्ट बच्चे दोनों को हमें शिक्षित करना है और उन्हें निश्चित लक्ष्य तक पहुंचाना है ) 🌀 ➖ प्रत्येक बालक के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है 🌀 ➖ प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सीखने के लिए अभिप्रेरित होता है। 🌀 ➖ समावेशी शिक्षा अन्य बालक और खुद के बीच की आवश्यकता / क्षमता में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती हैं। 🌀 ➖ विद्यालय की संस्कृति के साथ साथ व्यक्तिगत विभिन्नता को स्वीकार करने के लिए अवसर प्रदान करती हैं। 🌀 ➖ समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालक को अन्य बालक के समान कक्षा गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं। 🌀 ➖ समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों की शैक्षिक गतिविधि में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित करने की वकालत करती है। ♻️ सारांश ♻️ इन सभी बिंदुओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है अगर कोई बालक किसी भी रूप में अक्षम है तो उसे सामान्य बालक की तरह शिक्षा देने के लिए समावेशी शिक्षा की आवश्यकता होती है इन सभी गतिविधियों को अपनाकर हम बालक को इस काबिल बना दे और जो भी कार्य उसके लिए उचित हो या अपनी इच्छा से वह जो भी करना चाहता है उसे उसके लक्ष्य तक पहुंचाने का मार्गदर्शन हमें करना चाहिए। ताकि कोई भी शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम बालक सामान्य बालक से अपने आप को कम ना समझे और भलीभांति अपने जीवन को सदृढ़ बना सके। धन्यवाद ✍️ notes by प्रज्ञा शुक्ला

*♻️{समावेशी शिक्षा}♻️*
*🎯समावेशी शिक्षा का अर्थ🎯~* शिक्षा के क्षेत्र में समावेशी शिक्षा का अर्थ विद्यालय के पुनर्निर्माण की वह प्रक्रिया है, जिसका लक्ष्य सभी बच्चों को शैक्षणिक और सामाजिक अवसरों की उपलब्धता से है।
अपने परिवेश में रहते हुए दिव्यांग बच्चों को प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना *समावेशी शिक्षा* कहलाता हैं।

*⚜️ समावेशी शिक्षा की आवश्यकता⚜️*
समावेशी शिक्षा की आवश्यकता इसलिए हैं, कि मनुष्य शिक्षा के साथ-साथ अन्य कुशलता को भी साथ में सीख लेता है। उसे व्यावहारिक ज्ञान की प्राप्ति भी होती हैं और उसका स्किल डेवलपमेंट भी हो जाता हैं।

🌈 90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से है,जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष विद्यालय ना होने के कारण सामान्य विद्यालय में पढ़ते हैं।

🌈 विशेष विद्यालय के शहरी क्षेत्रों में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को वहां पढ़ने नहीं भेज पाते हैं।

🌈 ग्रामीण क्षेत्र में विशेष और सामान्य आश्यकता वाले बच्चे साथ-साथ पढ़ते थे, इसलिए विद्यालय में उनका समावेशन बहुत ज़रूरी है।

🌈समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने का कार्य करती हैं।

🌈 प्रत्येक बालक के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती हैं।

🌈 प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सिखने के लिए अभिप्रेरित होता हैं।

🌈 समावेशी शिक्षा, अन्य बालकों और ख़ुद के बीच की व्यक्तिगत आश्यकता/क्षमता में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती हैं।

🌈 विद्यालय की संस्कृति के साथ-साथ व्यक्तिगत विभिन्नता को स्वीकार करने के लिए अवसर प्रदान करती हैं।

🌈 समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों को अन्य बालकों के समान कक्षा गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं।

🌈 समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों की शैक्षिक गतिविधियों में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित की वकालत करती हैं।

🌈समावेशी शिक्षा द्वारा बालकों में सामाजिक तथा नैतिक गुण, प्रेम, सहानुभूति,आपसी सहयोग, आदि गुणों का समावेश होता हैं।

🌈समावेशी शिक्षा_ केवल विकलांग बच्चों तक नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है किसी भी बच्चे का बहिष्कार ना हों।

*⚜️{समावेशित शिक्षा सही मायनों में शिक्षा का अधिकार जैसे शब्दों का रूपान्तरित रूप है जिसके कई उद्द्श्यों में से एक उद्देश्य है,”विशिष्ट शैक्षिक आवश्यकताओं वाले बालकों को एक समतामूलक शिक्षा” व्यवस्था के अन्तर्गत शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करना। समावेशित शिक्षा समाज के सभी बालकों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का समर्थन करती है।}⚜️*

🙏🏻🙏🏻 *धन्यवाद्*🙏🏻🙏🏻

📚✍🏻
*Notes by~*
*Mनिषा Sky Yadav*

समावेशी शिक्षा की आवश्यकता

1.90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से हैं जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष विद्यालय ना होने के कारण सामान्य विद्यालय में पढ़ते हैं

2. विशेष विद्यालय के शहरी क्षेत्र में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को वहां पढ़ने नहीं भेज पाते हैं

3.ग्रामीण क्षेत्र में विशेष और सामान्य आवश्यकता वाले बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं इसलिए विद्यालय में इनका समावेशन बहुत जरूरी है

4.समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य करती है

5.प्रत्येक बालक के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ उसकी व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती हैं

6. प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सीखने के लिए अभिप्रेरित होता है

7. समावेशी शिक्षा अन्य बालक और खुद के बीच की व्यक्तिगत आवश्यकता या क्षमता में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती है

8. विद्यालय की संस्कृति के साथ व्यक्तिगत विभिन्नता को स्वीकार करने के लिए अवसर प्रदान करती है

9. समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों को अन्य बालकों के समान कक्षा गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्य पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है
जैसे रितु एक दृष्टिबाधित बालिका है तो उसे किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में वाचक के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान करें।
इसी प्रकार बहुत से ऐसे बच्चे जो शारीरिक रूप से विकलांग हो ,जो खेलने में सक्षम नहीं हो उन्हें खेल के नियम बता कर जज करने का कार्य सौंपा जाए

10. समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों के शैक्षिक गतिविधि में उनके माता-पिता को भी शामिल करने की वकालत करती है।
इससे बालकों में और भी ज्यादा रुचि का विकास होगा

Notes by Ravi kushwah

✍️ *समावेशी शिक्षा की आवशयकता*
🏵 समावेशी शिक्षा की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि जो बच्चे सामान्य बच्चे से किसी न किसी कारण वश में पीछे रह जाते हैं चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक अक्षमता उनके मन में हीन भावना ना आए और वह अपने आने वाले समय में आत्मनिर्भर बन सकें इसके लिए हमें पहल करने की आवश्यकता है जो कि निम्नलिखित है।

💎 90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्र में हैं जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष विद्यालय ना होने के कारण सामान्य विद्यालय में पढ़ते हैं।

💎 विशेष विद्यालय के शहरी क्षेत्रों में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में लोग अपनी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को वहां पढ़ने नहीं भेज पाते हैं।

💎 ग्रामीण क्षेत्र में विशेष से और सामान्य आवश्यकता वाले बच्चे साथ साथ पढ़ते हैं इसलिए विद्यालय में इनका समावेशन होना बहुत जरूरी है जब यह सामान बालको के साथ शिक्षा देते हैं तब बालकों में सामाजिक गुणों के साथ-साथ बच्चे में सामाजिक ,नैतिक, प्रेम,सहानुभूति ,आपसी सहयोग आदि गुणों का विकास होता है।

💎 समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करती है समावेशी शिक्षा सभी को अलग अलग व्यक्तित्व होती है बच्चे के खुद कार्य करने की कैपेसिटी को मरने भी नहीं देना चाहिए उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि हम विशेष विद्यालय के बालक हैं।

💎 प्रत्येक बालक के लिए उच्च और उचित उम्मीदो के साथ व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है किसी न किसी में उच्च गुण होते हैं सभी कार्य उचित नहीं हो सकते इसलिए सबसे पहले उस चुने और उचित कार्य करें हर बच्चे की व्यक्तिगत शक्ति होती है उन्हें दयनीय नहीं समझना चाहिए जो बच्चे कमजोर है उन पर ध्यान देना चाहिए वह कहां कमजोर हैं कहां गलती करते हैं यह ध्यान देकर उन्हें शिक्षा देनी चाहिए।
कोई बच्चे कभी गलत रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए जाते हैं तो उन्हें ऐसा नही करना चाहिए यह सभी चीजों का समावेशी शिक्षा में बताना चाहिए।

💎 प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सीखने के लिए भी प्रेरित होता है कोई भी बच्चा जन्म लेता है तो भी प्रेरित होता है अगर नहीं होता है तो उसकी सही दिशा नहीं हो पाती है जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है बच्चा भी प्रेरित होते रहते हैं प्रत्येक बच्चे सीखने के लिए भी प्रेरित होते हैं मगर उन्हें बच्चे को कैसे प्रेरित करना एक शिक्षक को ध्यान देना चाहिए।

💎 समावेशी शिक्षा में बालक और खुद के बीच की व्यक्तिगत आवश्यकता है अक्षमता में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती है।

💎 विद्यालय की संस्कृति या तोर तरीका के साथ साथ व्यक्तिगत विभिन्नता को स्वीकार करने के लिए अवसर प्रदान करती हैं अलग-अलग क्लास में अलग-अलग विभिनता होती है उसी के अनुसार बच्चे समायोजन कर पाते हैं।

💎 समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालक को अन्य बालक के समस्त कक्षा गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्य पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।

💎 समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों की शैक्षिक गतिविधि में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित करने की वकालत करती है।

इससे हम यही निष्कर्ष निकालते हैं कि समावेशी बच्चे को अगर कोई बालक किसी भी रुप में अच्छा है तो उन्हें सामान्य बालको के साथ शिक्षा देनी चाहिए जिससे उनमें हीन भावना ना आए सभी बच्चों को सामान रखकर ही शिक्षा देनी चाहिए।

*Notes By:-Neha Roy*

🔆 समावेशी शिक्षा की आवश्यकता ➖

🎯 (1) 90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्र में है जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष विद्यालय ना होने के कारण सामान्य विद्यालय में पढ़ते हैं |

क्योंकि उन्हें इसकी आवश्यकता है जो वहां पूरी नहीं हो सकती क्योंकि वहां विशेष विद्यालय नहीं है इसलिए उनको आवश्यकता है विशेष विद्यालय की |
जैसे किसी को कम दिखाई देता है तो उसको मोटे अक्षरों वाली किताब से पढ़ाया जाए जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित न हो और यदि कोई पैर से विकलांग है तो उनको व्हीलचेयर की व्यवस्था की जाए जो बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से है इसलिए वहां समावेशी शिक्षा की आवश्यकता है |

🎯 (2) विशेष विद्यालय शहरी क्षेत्र में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को वहां पढ़ने नहीं भेज पाते हैं |

🎯 (3) ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष और सामान्य आवश्यकता वाले बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं इसलिए विद्यालय में इनका समावेशन बहुत जरूरी है |
क्योंकि यदि समावेशन नहीं हो पायेगा तो उनकी शिक्षा नहीं हो पाएगी इसलिए समावेशन जरूरी है विद्यालय में जो व्यवस्था है उसी के अनुसार समावेशित किया जाए |

🎯 (4) समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करती है |

🎯 (5) समावेशी शिक्षा प्रत्येक बच्चे के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है |

क्योंकि उन्हें सही डायरेक्शन में ले जाकर उच्च स्तर तक पहुचाना है और तो उनकी आवश्यकता के अनुसार, रूचि के अनुसार शिक्षा दी जाए जो उनकी शक्ति को निखारने का कार्य करे ना कि उनको अपनी कमजोरी का एहसास दिलाए |

🎯 (6) प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सीखने के लिए अभिप्रेरित होता है |

आवश्यक है कि उनको उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा मिले जिससे वह अभिप्रेरित हो सकें लेकिन उन्हें सही डायरेक्शन नहीं मिल पाती है इसलिए उन्हें सही तरीके से सही विधि का प्रयोग करके समावेशी शिक्षा दी जाए |

🎯(7) समावेशी शिक्षा अन्य बालक और खुद के बीच की जो आवश्यकता / क्षमता है इसमें सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती है |

इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक बच्चे अपनी क्षमता को पहचान सकें, जो कि एक शिक्षक की जिम्मेदारी है उनकी क्षमता को पता लगाने में उनकी मदद करें और क्षमता के साथ सामान्य से स्थापित हो जो कि बहुत जरूरी है |

🎯(8) समावेशी शिक्षा विद्यालय की संस्कृति के साथ साथ जो व्यक्तिगत विभिन्नता है उन को स्वीकार करने के अवसर प्रदान करती है |

जैसे प्रत्येक विद्यालय की अपनी एक संस्कृति होती है उसकी अपनी व्यक्तिगत विभिन्नताएं होती है जिनके साथ एक शिक्षक और छात्र के बीच का सामंजस्य स्थापित होना चाहिए जो कि उनकी व्यक्तिगत विभिन्नता को स्वीकार करने में मदद करें जो समावेशी शिक्षा के माध्यम से किया जा सकता है |

🎯(9) समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालक को अन्य बालक के समान अन्य गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है |

🎯 (10) समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों की शैक्षिक गतिविधियों में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित करने की वकालत करती है |

समावेशी शिक्षा की आवश्यकता के आधार पर हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कोई भी बच्चा कमजोर नहीं होता है यदि कोई बालक किसी भी प्रकार से विकलांग है चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक हो तो उसको सामान्य बालक के साथ शिक्षा देनी चाहिए जिससे उनमें हीन भावना का विकास ना हो और वह समस्यात्मक बालक ना बने इसलिए सभी बच्चों को समान रूप से एक साथ शिक्षा देनी चाहिए यही समावेशी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

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🌈💥🔥समावेशी शिक्षा की आवश्यकता🌈🌻🔥
🌿🌸समावेशी शिक्षा की आवश्यकता इसलिए पड़ती है क्योंकि कुछ बच्चे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक इत्यादि कारणों से अक्षम है इन्हें भी विशेष आवश्यकता की जरूरत है इनको ध्यान में रखते हुए समावेशी शिक्षा से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है इसको नीचे दिए गए निम्न उपाय से समावेशी शिक्षा में जोड़ेंगे।

1️⃣90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से हैं जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष विद्यालय ना होने के कारण सामान्य विद्यालय में पढ़ते है।

2️⃣विशेष विद्यालय के शहरी क्षेत्र में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में लोग अपने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को वहां पढ़ने नहीं भेज पाते हैं।

3️⃣ग्रामीण क्षेत्र में विशेष और सामान्य आवश्यकता वाले बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं इसलिए विद्यालय में समावेशन बहुत जरूरी है चाहे बच्चे जिस भी लेवल पर हों,हो सके तो उसे,उसी विद्यालय में comfortable बनाएं।

4️⃣समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करती हैं।

5️⃣प्रत्येक बालक के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती हैं।
मतलब कोई एक चीज में कमजोर है तो वह उस कार्य को नहीं कर सकता है ऐसा नहीं है।

6️⃣प्रत्येक बालक सीखने के लिए स्वभाविक रूप से अभिप्रेत होता हैं।

7️⃣समावेशी शिक्षा अन्य बालक और खुद के बीच व्यक्तिगत आवश्यकता या क्षमता में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती हैं।

8️⃣विद्यालय की संस्कृति के साथ-साथ व्यक्तिगत विभिन्नता को स्वीकार करने के लिए अवसर प्रदान करते हैं।

9️⃣समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालक को अन्य बालक के समान कक्षा गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए भी प्रेरित करती हैं।

🔟समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों की शैक्षिक गतिविधि में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित करने की वकालत करती हैं।
🌈🌸💥🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏

💠💠 *समावेशी शिक्षा की आवश्यकता* 💠💠

समावेशी शिक्षा परिवारिक ,सामाजिक एवं राष्ट्रीय विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है यह विविध प्रकार के बच्चों के विभाजन एवं समानताओं के कारण हुई रिक्तियों को भरने में सहायक होता है।

विकलांग बालक अपने आप को दूसरे बालकों की अपेक्षा कमजोर तथा हीन समझते हैं जिसके कारण उनके साथ पृथकता से व्यवहार किया जाता है समावेशी शिक्षा व्यवस्था में अपंग बालको या विशेष आवश्यकता वाले बालकों को सामान्य बालकों के साथ मानसिक रूप से प्रगति करने का अवसर प्राप्त होता है इसलिए समावेशी शिक्षा की आवश्यकता है।

समावेशी शिक्षा की आवश्यकता को निम्न बिंदुओं के द्वारा समझाया जा सकता है➖

1️⃣ 90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से हैं जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष विद्यालय ना होने के कारण सामान्य विद्यालय में पढ़ते हैं।

अर्थात ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष आवश्यकता वाले बालकों के लिए विशेष विद्यालय की सुविधा ना होने के कारण सामान्यतः अधिकांश बालक सामान्य विद्यालयों में पढ़ते हैं।

2️⃣विशेष विद्यालय के शहरी क्षेत्र में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शहरी क्षेत्रों में पढ़ने नहीं भेज पाते हैं।

3️⃣ ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में विशेष और सामान्य आवश्यकता वाले बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं इसलिए विद्यालय में इनका समावेशन बहुत जरूरी है।

अर्थात सामान्य बालक और विशेष आवश्यकता वाले बालकों का विद्यालय में समावेशन अत्यंत आवश्यक है इससे बालको में सामाजिक तथा नैतिक गुण ,प्रेम, सहानुभूति, आपसी सहयोग आदि गुणों का समावेश होता है।

4️⃣समावेशी शिक्षा, सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करती है।

अर्थात इससे बच्चों में शिक्षण तथा सामाजिक स्पर्धा की भावना विकसित होती है।

5️⃣समावेशी शिक्षा प्रत्येक बालको के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ उनकी व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है बच्चे को उनकी कमजोरी को ना जताते हुए उनकी शक्तियों को निखारना चाहिए।

6️⃣ प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सीखने के लिए प्रेरित होते हैं।

अर्थात प्रत्येक बालकों को उनकी रूचि के अनुसार ही शिक्षा मिलना चाहिए जिससे वे अभिप्रेरित हो सके। और समावेशी शिक्षा के माध्यम से प्रत्येक बालकों को सीखने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है।

7️⃣समावेशी शिक्षा अन्य बालक और खुद के बीच की जो आवश्यकता या क्षमता है इसमें सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती है।

अर्थात समावेशी शिक्षा के माध्यम से सामान्य बालक और विशेष आवश्यकता वाले बालक के मध्य सामंजस्यता स्थापित होती है।

8️⃣ समावेशी शिक्षा विद्यालय की संस्कृति के साथ साथ जो व्यक्तिगत विभिन्नता है उनको स्वीकार करने के अवसर प्रदान करती है ‌

जैसा कि हम जानते हैं कि प्रत्येक बच्चे में व्यक्तिगत विभिन्नता होती हैं शिक्षा के माध्यम से प्रत्येक बच्चे के व्यक्तिगत विभिन्नता को ध्यान रखते हुए उनके भिन्नता को स्वीकार करने के अवसर प्रदान करती है।

9️⃣समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालक को अन्य बालक के समान अन्य गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती
है।

अर्थात समावेशी शिक्षा सामान्य बालकों के साथ-साथ विशेष आवश्यकता वाले बालकों को उनकी जरूरत के अनुसार उन्हें गतिविधियों में भाग लेने या उनके स्वरूप ही लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है‌।

🔟समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों की शैक्षिक गतिविधियों में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित करने की वकालत करती है।

उपरोक्त तथ्यों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि समावेशी शिक्षा की आवश्यकता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी मदद से कोई भी बालक चाहे वह शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग हो उन्हें सबको सामान्य बालकों के साथ ही शिक्षा देने पर बल देता है । समावेशी शिक्षा प्रत्येक बालको की जरूरत पर विशेष ध्यान देता है। समावेशी शिक्षा के माध्यम से विशेष आवश्यकता वाले बालक को भी उच्च स्तर तक ले जाने के लिए बल दिया जाता है।

💠🌀,Notes by manisha gupta 🌀💠

🌷समावेशी शिक्षा की आवश्यकता🌷

जो बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से हैं , शारीरिक अक्षम हैं, आर्थिक, वातावरण , भौगोलिक, सामाजिक, आदि रूप से निम्न स्तर से हैं उन बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा की आवश्यकता होती है।

1. 90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से हैं , जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष विद्यालय न होने के कारण सामान्य विद्यालय में ही पढ़ते हैं।

2. विशेष विद्यालय के शहरी क्षेत्रों में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को वहां पढ़ने नहीं भेज पाते हैं।

अर्थात अधिकतर विशेष विद्यालय गांवों में न होकर बल्कि शहरी क्षेत्रों में हैं जिस कारण गांवों के लोग अपनी आर्थिक परेशानी, आवश्यक सुविधायें न होने से, अशिक्षित माता-पिता जैसे अनेक कारणों से अपने विशेष आवश्यकता बाले बच्चों को शहर के विशेष विद्यालय भेजने में अक्षम रहते हैं।

3. ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष और सामान्य आवश्यकता वाले बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं , इसलिए विद्यालय में इनका समावेशन बहुत जरूरी है।

अतः विशेष आवश्यकता बाले बच्चों को विशेष रूप से उनके अनुकूल शिक्षा व्यवस्था मिलनी आवश्यक है ताकि उनका शैक्षिक रूप से कुछ तो विकास हो सके और बो खुद को सामान्य कक्षा में समायोजित कर सकें।

4. समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करती है।

सभी को एक बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने का एक मुख्य प्रयोजन ये भी है कि सभी बच्चों को एक समान श्रेणी में लाया जाए ताकि किसी भी बच्चे में पिछड़ेपन या हीनता की भावना न आ सके।

5. प्रत्येक बालक के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ उनकी व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है।

6. प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सीखने के लिए अभिप्रेरित होता है।

हर बच्चे में सीखने के प्रति रुचि और क्षमता होती है बस आवश्यकता होती है कि शिक्षक बच्चे को प्रेरित करें, बच्चे को समझें और आवश्यकतानुसार शिक्षा प्रदान करें।

7. समावेशी शिक्षा , अन्य बालक और खुद के बीच की व्यक्तिगत आवश्यकता / क्षमता में सामंजस्य स्थापित करती है।

8. विद्यालय की संस्कृति के साथ साथ व्यक्तिगत विभिन्नता को स्वीकार करने के लिए अवसर प्रदान करते हैं।

9. समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालक को अन्य बालक के समान कक्षा गतिविधि में भाग लेने व व्यक्तिगत लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।

10. समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों की शैक्षिक गतिविधि में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित करने की वकालत करती है।

अतः बच्चों के साथ- साथ माता – पिता भी गतिविधियों में अपनी भागीदारी देंगे तो बच्चे अपने माता पिता से प्रेरित होकर सीखने में रुचि लेंगें और अधिकतम सीखेंगे भी, अर्थात प्रत्येक बच्चे को समझ के शिक्षा देने की विशेष आवश्यकता है।

Notes by
🌺जूही श्रीवास्तव🌺

🔰समावेशी शिक्षा की आवश्यकता🔰

1 90% विशेष आवश्यकता वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से ही है जो कि विशेष विद्यालय ना होने से सामान विद्यालय में पढ़ते हैं

2 विशेष विद्यालय का शहरी क्षेत्र में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ने नहीं भेज पाते

3 ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष और सामान्य आवश्यकता वाले बच्चे साथ साथ पढ़ते हैं इसलिए विद्यालय में समायोजन बहुत जरूरी है

4 समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य करती है

5 प्रत्येक बालक के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है

6 प्रत्येक बालक स्वाभाविक रूप से सीखने के लिए अभी प्रेरित होता है

7 समावेशी शिक्षा में बालक और खुद के बीच की व्यक्तिगत आवश्यकता सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती है

8 विद्यालय की संस्कृति के साथ साथ व्यक्तिगत विभिन्नता को स्वीकार करने के लिए अवसर प्रदान करती है

9 समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालक को अन्य बालक के समान कक्षा गतिविधि में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है

10 समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों की शैक्षिक गतिविधि में उनके माता-पिता को भी सम्मिलित करने की वकालत करती है

🙏🙏🙏 sapna sahu 🙏🙏🙏

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