Motivation and Learning notes by India’s Top Learners

🌹अभिप्रेरणा और अधिगम🌹 👉 अभिप्रेरणा का अर्थ किसी व्यक्ति के लक्ष्य व्यवहार को सक्रिय और ऊर्जान्वित करना करना करना 👉Motivation शब्द:— 👉latin—भाषा के (motion)शब्द से लिया गया है 👉Motion:—अनुसार प्रेरणा में गति होना अनिवार्य है 👨 क्रैच और क्रैचफील्ड:— हम किसी पर सुने क्यों रखते हैं 👉हम सारी रात फोन पर बात क्यों करते हैं 👉 प्रेरणा एक बल है जो किसी प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है 👨 गुड:— प्रेरणा कार्य को आरंभ करने जारी रखने और नियमित रखने की प्रक्रिया है 👨‍🔬 स्पिनर:— प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है 🌻 प्रेरणा को दो भागों में बांटा गया है 👉 आंतरिक प्रेरणा 👉 बाहय प्रेरणा 🌻 आंतरिक प्रेरणा:— जैसे भूख लगना यह इंसान के अंदर से आता है 👉 यह भी अभिप्रेरणा मनुष्य के शरीर और मस्तिष्क से संबंधित है इस प्रकार की प्रेरणा मनुष्य के जीवित रहने के लिए आवश्यक है 👉 सांस लेना, नींद ,प्यास, आराम, प्रेम ,क्रोध 👉 आंतरिक प्रेरक के अन्य नाम:— 👉 जन्मजात प्रेरक 👉 व्यक्तिगत प्रेरक 👉 जैविक प्रेरक 👉 प्राथमिक प्रेरक 🌻वाहय प्रेरणा:– जो बाहरी चीजों से आता है 👉 वे सभी वाहय कारक जैसे प्रोत्साहन पदोन्नति आर्थिक लाभ आदि जिसकी प्राप्ति से व्यक्ति संतोष एवं आनंद की अनुभूति करता है बांहय प्रेरक कहलाते हैं 👉 जिज्ञासा :— जैसे कोई मिठाई देख कर उसे खाने की जिज्ञासा होती है 👉 जिज्ञासा, सामाजिक ,सुरक्षा 👉 बाहय प्रेरक के अन्य नाम:— 👉 अर्जित प्रेरक 👉 सामाजिक प्रेरक 👉 मनोवैज्ञानिक प्रेरक 👉 द्वितीय प्रेरक 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 Notes by:—sangita Bharti 🌺🌺अभिप्रेरणा और अधिगम 🌺🌺 अभिप्रेरणा लैटिन भाषा के “Motion”शब्द से बना है,जिसका अर्थ हैं, “गति” move करना। अर्थात प्रेरणा में गति का होना अनिवार्य है। 👀क्रेंच और क्रचफील्ड के अनुसार- प्रेरणा हमारे “क्यों” शब्द का उत्तर देती हैं, हम किसी पर स्नेह क्यों रखते हैं, प्रेरणा एक प्रकार का बल है जो प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता हैं।। 👀गुड के अनुसार – प्रेरणा कार्य को आरम्भ करने,जारी रखने, और नियमित रखने की प्रक्रिया है। 👀 स्किनर के अनुसार- प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है। 🌺🌺 प्रेरणा को निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया गया है÷ 💢 आंतरिक प्रेरक 💢बाह्य प्रेरक 👁️ आंतरिक प्रेरक÷ ये वह प्रेरणा है जिसके लिए किसी उद्दीपक (बाहरी चीज की आवश्यकता नहीं)की जरूरत नहीं होती, जैसे÷ ✨भूख लगना आंतरिक प्रेरक हैं (भूख लगने पर पेट भरना फिर उसके लिए सूखी रोटी खानी पड़े या कच्चे चावल चबाने पड़े, किसी विशेष पकवान की चाह इस समय नहीं होगी कि “चाऊमीन,बर्गर,या रसगुल्ले ,रबड़ी ही मिलें। ✨प्यास लगने पर प्यास बुझाने के लिए जल पीना (संकटग्रस्त स्थति में प्यास बुझाने के लिए “यूरिन” का प्रयोग भी करना पड़ जाता हैं) आवश्यक एवं जरुरी है। ✨ नींद,प्रेम,क्रोध,भी आंतरिक प्रेरक ही हैं ☠️☠️ आंतरिक प्रेरक व्यक्तिगत वा जन्मजात प्रेरक हैं ☠️☠️ आंतरिक प्रेरक जैविक प्रेरक है ☠️☠️ आंतरिक प्रेरक प्राथमिक प्रेरक भी है। 👁️ बाह्य प्रेरक÷इस प्रकार की प्रेरणा में “जिज्ञासा, उत्सुकता, पसंद , इच्छाएं होती है, ✨ किसी चीज को देखकर अचानक से खाने का मन करना, किसी वस्तु को लेने की इच्छा इत्यादि, (इस प्रकार के प्रेरक मे अच्छे पकवान ही देखकर खाने को मन करेगा।। ✨ यह सामाजिक प्रेरक ( पार्टी में किसी इंसान की , ब्रांडेड वाच, अच्छे कपड़े, आदि चीजों को देखकर लेने की जिज्ञासा) हैं ✨ यह द्वितीयक प्रेरक ( यहां पर आपको सूखी रोटी खाने की इच्छा नहीं होगी क्योंकि यहां पर भूख प्रबल नहीं है) है। ✨यह अर्जित प्रेरक है। ✨यह मनोवैज्ञानिक प्रेरक हैं। Thank you 😊🙏 ✍️✍️Notes by $hikhar pandey 📖 📖 अभिप्रेरणा/ प्रेरणा 📖 📖 (Motivation) 🌷🌿🌷 अभिप्रेरणा या प्रेरणा का अर्थ🌷🌿🌷 अभिप्रेरणा एक ऐसी क्रिया या प्रतिक्रिया है, जो अगर किसी व्यक्ति में विद्यमान हो तो वह व्यक्ति कार्यों के प्रति उत्सुक होता है। उस कार्य को करने के लिए वह हर संभव प्रयास करता है। अर्थात हम कह सकते हैं, कि अभिप्रेरणा किसी भी कार्य को करने के लिए अति आवश्यक होती है। अभिप्रेरणा के अभाव में हम कोई कार्य नहीं कर पाते हैं। क्योंकि अगर मन में प्रेरणा ही नहीं होगी, तो कार्य करने के लिए हमें उत्सुकता नहीं बढ़ेगी। 👉🏻 अभिप्रेरणा/Motivation की उत्पत्ति~ अभिप्रेरणा शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के एक शब्द से हुई है। जिसका अर्थ होता है- गति करना। अभिप्रेरणा/ प्रेरणा/ Motivation – यह लैटिन भाषा के शब्द हैं, जिनका अर्थ- Move, motion, motor, या गति करना। इनके अनुसार प्रेरणा में गति होना अनिवार्य है। कुछ मनोवैज्ञानिकों के द्वारा इनकी परिभाषाएं दी गई है, जो कि निम्नलिखित है~ 🍂🍃 क्रेच व क्रचफील्ड~ प्रेरणा हमारे क्यों का उत्तर देती है। 👉🏻 उदाहरण ~ ● हम सभी पर स्नेह क्यों रखते हैं? ● हम पढ़ाई क्यों करते हैं? ● हम खाना क्यों खाते हैं? ● मजदूर काम क्यों करते हैं? इन सभी का अर्थ है, कि हम में इन कार्यों को करने के प्रति अभिप्रेरणा होती है। तभी हम इन कार्यों को कर पाते हैं। प्रेरणा एक बल है, जो प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करती है, कि हमें किस तरफ जाना है। हमें किस कार्य के प्रति रुचि है। यह सभी हम निश्चित कर पाते हैं। 🍃🍂 गुड के अनुसार परिभाषा ~ प्रेरणा कार्य को जारी रखने एवं नियमित रखने की एक प्रक्रिया है। इनका कहने का आशय यह है, कि हम तभी किसी कार्य को जारी या निरंतर रख पाते हैं। जब हमें उस कार्य को करने के लिए प्रेरणा होती है। अगर उस कार्य में हमें प्रेरणा ही नहीं होगी, तो हम कभी भी उस कार्य को नहीं कर पाएंगे। या उस कार्य को करने में हमें कई प्रकार की बाधा भी उत्पन्न होगी है। अतः बिना किसी बाधा या रूकावट के हमें किसी कार्य को पूरा करना है, तो हमें अभिप्रेरणा या प्रेरणा की आवश्यकता होती ही है। 🍂🍃 स्किनर के अनुसार अभिप्रेरणा की परिभाषा~ प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है। अर्थात कहने का अर्थ यह है, कि हमें सीखने नामक मंजिल तक पहुंचने के लिए प्रेरणा नामक राजमार्ग का सहारा लेना ही होगा। तभी हम अपनी पर पहुंच पाएंगे। 🌺🌿🌺अभिप्रेरणा के प्रेरक 🌺🌿🌺 👉🏻 अभिप्रेरणा दो प्रेरक की होती है~ ■ आंतरिक प्रेरक, ■ बाह्य प्रेरक। 🌻🌿🌻 आंतरिक प्रेरक🌻🌿🌻 आंतरिक प्रेरक का अर्थ है, ऐसे प्रेरक जो हमें किसी कार्य को करने के लिए अंदर से प्रोत्साहन देती है। अंदर से करने के लिए हमें प्रेरित करती है, आंतरिक प्रेरक कहलाते हैं। ● आंतरिक प्रेरक के अन्य नाम~ 👉🏻 जन्मजात प्रेरक, 👉🏻 व्यक्तिगत प्रेरक, 👉🏻 जैविक प्रेरक, 👉🏻 प्राथमिक प्रेरक। आंतरिक प्रेरक के अंतर्गत आने वाले कारक~ ⚘ भूख, ⚘ प्यास, ⚘आराम, ⚘ नींद, ⚘ प्रेम, ⚘ क्रोध। 🌻🌿🌻बाह्य प्रेरक 🌻🌿🌻 ऐसे प्रेरक जो कि आंतरिक प्रेरकों के पश्चात आने वाले होते हैं, उन्हें वाह प्रेरक कहते हैं। ● बाह्य प्रेरक के अन्य नाम ~ 👉🏻 अर्जित प्रेरक, 👉🏻 सामाजिक प्रेरक, 👉🏻 मनोवैज्ञानिक प्रेरक, 👉🏻 द्वितीयक प्रेरक। बाह्य प्रेरक के अंतर्गत आने वाले कारक~ ⚘ जिज्ञासा, ⚘ सामाजिकता, ⚘ सुरक्षा। 📚 📚 📚 📕 समाप्त 📕 📚 📚 📚 ✍🏻 PRIYANKA AHIRWAR ✍🏻 🙏🏻🌷🌻🌿🌺🙏🏻🌷🌻🌿🌺🙏🏻🌷🌻🌿🌺🙏🏻🌷🌻🌿 ———×———×———×———×———×———×——–×——- 📚 अभिप्रेरणा/प्रेरणा (motivation)📚 ⚛️ अभिप्रेरणा का अर्थ ➖ अभिप्रेरणा एक ऐसी क्रिया या प्रक्रिया है जो अगर किसी व्यक्ति में विद्यमान हो तो वह व्यक्ति कार्यों के प्रति उत्सुक होता है उस कार्य को करने के लिए वह हर संभव प्रयास करता है अर्थात हम कह सकते हैं कि अभिप्रेरणा किसी भी कार्य को करने के लिए अति आवश्यक होती है अभिप्रेरणा के अभाव में हम कोई कार्य नहीं कर पाते हैं क्योंकि अगर मन में अभिप्रेरणा ही नहीं होगी तो कार्य करने के लिए हम उत्सुकता से आगे नहीं बढ़ पाएंगे और उस कार्य को पूरी लगन के साथ नहीं कर पाएंगे अभिप्रेरणा किसी कार्य को करने के लिए हमारे अंदर एक क्षमता का विकास करती है और उस कार्य को करने के लिए एक ऊर्जा प्रदान करती है। ✍️ अभिप्रेरणा( motivation) की उत्पत्ति ➖ अभिप्रेरणा शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द motion से हुई है जिसका अर्थ होता है गति करना (to move) अभिप्रेरणा में गति होना अनिवार्य है। ✡️ कुछ मनोवैज्ञानिकों के द्वारा अभिप्रेरणा की परिभाषा दी गई है जोकि निम्नलिखित हैं- ➡️ क्रेच व क्रचफील्ड➖ अभिप्रेरणा हमारे क्यों का उत्तर देती है। जैसे ➖ 🔸 हम सभी पर स्नेह है क्यों दिखाते हैं ? 🔸हम पढ़ाई क्यों करते हैं ? 🔸हम खाना क्यों खाते हैं? 🔸 मजदूर काम क्यों करते हैं? इन सभी का अर्थ है कि हम इन कार्यों को करने के प्रति अभी प्रेरित होते हैं तभी हम इन कार्यों को कर पाते हैं। प्रेरणा एक बल है जो प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दशा में चलने के लिए अभी प्रेरित करता है कि हमें किस तरफ जाना है हमें किस कार्य के प्रति रुचि है यह सभी हम निश्चित कर पाते हैं। ✡️गुड के अनुसार परिभाषा ➖ अभिप्रेरणा कार्य को जारी रखने एवं नियमित रखने की एक प्रक्रिया है। इनका कहने का आशय यह है कि हम तभी किसी कार्य को जारी या नियंत्रित रख पाते हैं जब हमें उस कार्य को करने के लिए प्रेरणा होती है अगर उस कार्य में हमें अभिप्रेरणा ही नहीं होगी तो हम कभी भी उस कार्य को नहीं कर पाएंगे या उस कार्य को करने में हमें कई प्रकार की बाधा भी उत्पन्न होंगी अतः बिना किसी बाधा या रुकावट के हमें किसी कार्य को पूरा करना है तो हमें अभिप्रेरणा या प्रेरणा की आवश्यकता होती है। ✡️स्किनर के अनुसार अभिप्रेरणा की परिभाषा ➖ अभिप्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है। अर्थात कहने का अर्थ यह है कि हमें सीखने नामक मंजिल तक पहुंचने के लिए अभिप्रेरणा नामक राजमार्ग का सहारा लेना ही होगा तभी हम अपनी मंजिल तक पहुंच पाएंगे। ⚛️ अभिप्रेरणा के प्रेरक ➖ 👉 अभिप्रेरणा के दो प्रेरक होते हैं- 🔸आंन्तरिक प्रेरक 🔸बाह्म प्रेरक ✡️ आन्तरिक प्रेरक ➖ आंतरिक प्रेरक का अर्थ है कि ऐसे प्रेरक जो हमें किसी कार्य को करने के लिए अंदर से प्रोत्साहन देते हैं अंदर से करने के लिए हमें प्रेरित करते हैं आंतरिक प्रेरक कहलाते हैं यह प्रेरक जन्मजात होते हैं। 🔸 आन्तरिक प्रेरक के अन्य नाम ➖ 👉 जन्मजात प्रेरक 👉व्यक्तिगत प्रेरक 👉 जैविक प्रेरक 👉 प्राथमिक प्रेरक 🌀 आन्तरिक प्रेरक के अन्तर्गत आने वाले कारक ➖ ⚡ भूख ⚡प्यास ⚡ आराम ⚡ नींद ⚡प्रेम ⚡क्रोध । ⚛️ बाह्म प्रेरक ➖ ऐसे प्रेरक जो की आंतरिक प्रेरकों के पश्चात आने वाले होते हैं इन्हें बाह्म प्रेरक कहते हैं। 🔸 बाह्म प्रेरकों के अन्य नाम ➖ 👉 अर्जित प्रेरक 👉 सामाजिक प्रेरक 👉 मनोवैज्ञानिक प्रेरक 👉 द्वितीयक प्रेरक 🌀 बाह्म प्रेरक के अन्तर्गत आने वाले कारक ➖ ⚡ जिज्ञासा ⚡ सामाजिकता ⚡ सुरक्षा 📝 Notes by ➖ ✍️ Gudiya Chaudhary 🌀अभिप्रेरणा और अधिगम🌀 (Motivation and learning) 🌀 अभिप्रेरणा➖मनुष्य स्वभाव से ही क्रियाशील प्राणी है वह सदा ही किस्मत किसी कार्य में लगा रहता है और कोई ना कोई व्यवहार करता रहता है उसके कार्य का उद्देश्य किसी लक्ष्य विशेष की पूर्ति करनी होती है उदाहरण-एक अच्छा विद्यार्थी बड़े उत्साह व लगन से अध्ययन करता है जबकि दूसरा अध्ययन की ओर से उदासीन रहता है ? इस प्रकार का प्रश्न उठता है-हम भोजन क्यों करते हैं इन प्रश्नों के उत्तर में यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति के कार्य व्यवहार को परिचालित करने वाली कुछ प्रेरक शक्तियां हैं जो उसे विभिन्न परिस्थितियों में कार्य व्यवहार करने के लिए प्रेरणा प्रदान करती हैं 🖊️ अभिप्रेरणा (motivation) की उत्पत्ति➖ अभिप्रेरणा शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के motum से हुई है जिसका अर्थ है गति करना ✨ कुछ मनोवैज्ञानिकों के द्वारा अभिप्रेरणा की परिभाषा दी गई है ✨ क्रेच और क्रचफील्ड (keech and krachfield) 👉🏼 प्रेरणा हमारी क्यों का उत्तर देती है➖ ⚡ हम किसी पर स्नेह क्यों रखते हैं? ⚡ हम पढ़ाई क्यों करते हैं? ⚡ हम लड़ते क्यों हैं? प्रेरणा एक बल है जो किसी प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करती है 🌀 गुड(good) प्रेरणा कार्य को आरंभ करने/जारी रखने नियमित रखने की प्रक्रिया है 🌀 स्किनर (Skinner) प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है 💥🌀 अभिप्रेरणा के प्रकार🌀 👉🏼 अभिप्रेरणा के दो प्रेरक होते हैं ✨ आंतरिक प्रेरक ✨ बाह्य प्रेरक 🌀 आंतरिक प्रेरक➖आंतरिक प्रेरक का तात्पर्य उन आंतरिक शक्तियों से होता है जो व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करती है यह प्रेरक जन्मजात होती हैं ✨ आंतरिक प्रेरक के अन्य नाम 👉🏼 जन्मजात प्रेरक 👉🏼 व्यक्तिगत प्रेरक 👉🏼 जैविक प्रेरक 👉🏼 प्राथमिक प्रेरक 👉🏼 प्राकृतिक प्रेरक 🌀 आंतरिक प्रेरक के अंतर्गत आने वाले कारक➖ ✨ भूख ✨ प्यास ✨ आराम ✨ नींद ✨ प्रिय ✨ क्रोध। 🌀 बाह्य प्रेरक➖ ऐसे प्रेरक जो आंतरिक प्रेरकों के पश्चात आने वाले होते हैं 🌀बाह्य प्रेरक के अन्य नाम➖ ✨ अर्जित प्रेरक ✨ सामाजिक प्रेरक ✨ मनोवैज्ञानिक प्रेरक ✨ द्वितीयक प्रेरक ✨ कृत्रिम प्रेरक 🌀 बाह्य प्रेरक के अंतर्गत आने वाले अन्य कारक➖ ✨ जिज्ञासा ✨ सामाजिकता ✨ सुरक्षा 🖊️🖊️📚📚 Notes by..,. Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️ 🌺🌺 अभिप्रेरणा और अधिगम🌺🌺 🌺Motivation & Learning🌺 अभिप्रेरणा Motivation शब्द की उत्त्पति :- लैटिन भाषा के शब्द Move /Motion से हुई है जिसका अर्थ है गति करना। [अतः इसके अनुसार प्रेरणा में गति होना अनिवार्य है] कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार अभिप्रेरणा की परिभाषा:- 🌺क्रेच और क्रचफील्ड :- “प्रेरणा हमारे “क्यों” का उत्तर देती है।” जैसे हम किसी पर स्नेह “क्यों’करते हैं, हम सफल व्यक्तियों को देखकर, सुनकर प्रेरित “क्यों” होते हैं। “प्रेरणा एक बल है जो किसी प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है।” गुड :- प्रेरणा , कार्य को “आरंभ करने” , “जारी रखने” और “नियमित रखने” की प्रक्रिया है। स्किनर :- प्रेरणा सीखने के लिए “राजमार्ग” है। 🌺 प्रेरणा का वर्गीकरण 🌺 प्रेरणा दो प्रकार की होती है :- आंतरिक प्रेरक बाह्य / बाहरी प्रेरक 1. आंतरिक प्रेरक :- अर्थात शारीरिक जरुरतों (भूख प्यास आदि) जिस वस्तु, व्यक्ति (उद्दीपक) को देखकर, सुनकर, पढ़कर हम आंतरिक मन से प्रेरित होते हैं, वही आंतरिक प्रेरणा है, जैसे :- भूख प्यास आराम नींद प्रेम क्रोध आंतरिक प्रेरक के अन्य नाम :- जन्मजात प्रेरक व्यक्तिगत प्रेरक जैविक प्रेरक प्राथमिक प्रेरक 2. बाह्य / बाहरी प्रेरक :- जो हम बाहरी रूप से देखके , बाहरी जरूरत के आधार पर प्रेरित होते हैं, बाह्य प्रेरक कहलाता है, जैसे :- जिज्ञासा सामाजिकता सुरक्षा बाह्य प्रेरक के अन्य नाम :- अर्जित प्रेरक सामाजिक प्रेरक मनोवैज्ञानिक प्रेरक द्वितीयक प्रेरक 🌺🌹✒️✒️ Notes by- जूही श्रीवास्तव✒️✒️🌹🌺 💥अभिप्रेरणा (motivation)💥 🎯 मोटिवेशन शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा काम शब्द motion move motor या गति करना ऐसी प्रक्रिया जिसके बाद व्यक्ति गतिशील या सक्रिय हो जाता है | 💫 इसके अनुसार प्रेरणा में गति होना अनिवार्य है | ◼ अभिप्रेरणा एक मानसिक प्रक्रिया या एक आंतरिक शक्ति है जो अंदर से किसी व्यक्ति को कार्य करने के लिए सदैव अभिप्रेरित कर सकती है | शाब्दिक रूप से अभिप्रेरणा उद्दीपक से उत्पन्न उत्तेजना की वह अवस्था है जो व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है | मनोवैज्ञानिक अर्थ में अभिप्रेरणा से हमारा अभिप्राय केवल आंतरिक उत्तेजना से होता है जिनके कारण व्यक्ति कोई कार्य व्यवहार करता है इस अर्थ में बाहरी उत्तेजनाओ को कोई महत्व नहीं दिया जाता है | अभिप्रेरणा ध्यानाकर्षण या लालच की कला है जो व्यक्ति में किसी कार्य को करने की इच्छा एक जिज्ञासा उत्पन्न करती है यह एक अदृश्य शक्ति मानी जाती है जिसको देखा नहीं जा सकता है अभिप्रेरणा व्यक्ति को लक्ष्य तक पहुंचाने वाली शक्ति है मानव और पशु की मूल प्रवृत्तियां एक समान है इस प्रकार हम आधारित व्यवहार की देखरेख देखकर केवल उसका अनुमान लगा सकते हैं इस प्रकार अभिप्रेरणा वह कारक है जो किसी कार्य को गति प्रदान करती है | ⚡ क्रेच और क्रैचफील्ड के अनुसार :- प्रेरणा हमारी क्यों का उत्तर देती है जैसे कि हम किसी स्नेह क्यों रखते हैं हम पढ़ाई क्यों करते हैं हम सारी रात फोन पर बात क्यो करते है| 💫 प्रेरणा एक बल है जो प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है | ⚡ गुड के अनुसार ➖ प्रेरणा कार्य को आरंभ करने जारी रखने नियमित रखने की प्रक्रिया है | ⚡ स्किनर के अनुसार ➖ प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है | 🔶 आंतरिक प्रेरक ➡ भूख , प्यास आराम, नींद , प्रेम , क्रोध जन्मजात प्रेरक , व्यक्तिगत प्रेरक ,जैविक प्रेरक , प्राथमिक प्रेरक 🔶 बाहृय प्रेरक ➡ जिज्ञासा , सामाजिक , सुरक्षा , अर्जित प्रेरक , सामाजिक प्रेरक , मनोवैज्ञानिक प्रेरक , द्वितीय प्रेरक , Notes by ➖ Ranjana Sen 🔆 अभिप्रेरणा और अधिगम ( 𝙈𝙤𝙩𝙞𝙫𝙖𝙩𝙞𝙤𝙣 𝙖𝙣𝙙 𝙇𝙚𝙖𝙧𝙣𝙞𝙣𝙜) ➖ 🎯 अभिप्रेरणा का अर्थ ➖ अभिप्रेरणा वह चीज है या वह क्रिया है जो यदि व्यक्ति के अंदर उपस्थित हो तो वह अपने कार्यों को उत्सुकता के साथ करता है उस कार्य को करने के लिए हर संभव प्रयास करता है अभिप्रेरणा वह है जो हमारे प्रश्नों के क्यों का उत्तर देती है | अर्थात हम कह सकते हैं कि अभिप्रेरणा यदि किसी कार्य के प्रति है तो हम उस कार्य को अच्छे से करते हैं और यदि अभिप्रेरणा नहीं है तो हम उस कार्य को करने में अपनी उत्सुकता नहीं दिखाते हैं | अभिप्रेरणा की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द 𝙢𝙤𝙩𝙞𝙤𝙣 से हुई है जिसका अर्थ 𝙢𝙤𝙫𝙚 𝙢𝙤𝙩𝙚𝙧,𝙢𝙤𝙩𝙞𝙤𝙣, होता है इसके अनुसार गति करना अनिवार्य होता है | अभिप्रेरणा के संबंध में विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अपने-अपने मत प्रस्तुत किए हैं जो कि निम्नानुसार है➖ 💫 क्रेच व क्रेचफील्ड के अनुसार➖ प्रेरणा हमारे क्यों का उत्तर देती है | जैसे ∆ हम किसी पर स्नेह क्यों करते हैं ? ∆ हम किसी कार्य को क्यों करते हैं ? ∆ हम पढ़ाई क्यों करते हैं ? ∆ हमें शिक्षक क्यों बनना है ? इस प्रकार से अर्थात यदि हमें इन सभी कार्यों में के प्रति प्रेरणा हैं तभी इन कार्यों को पूरे लग्न के साथ कर सकते हैं अन्यथा यदि हम इन कार्यों के प्रति प्रेरणा नहीं है तो इन कार्यों को करना असंभव है | ” प्रेरणा एक बल है जो किसी प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करती है ” | 💫 गुड के अनुसार ” प्रेरणा कार्य को आरंभ करने ,जारी रखने ,और उसने नियमित रखने की प्रक्रिया है ” | अर्थात यदि हमें किसी कार्य को करने के प्रति अभिप्रेरणा है या हम उस कार्य को करने के लिए प्रेरित है तभी हम उसको आरंभ करके निरंतर कर सकते हैं और यदि उस कार्य के प्रति हमें प्रेरणा नहीं है तो हम उस कार्य को आरंभ ही नहीं कर सकते हैं | कहने का तात्पर्य यह है कि यदि हमें किसी कार्य को करने के प्रति प्रेरणा है तभी हम उस कार्य को आरंभ करते हैं और उस को सुचारू रूप से जारी रखते हैं और यदि हमें उस कार्य के प्रति प्रेरणा नहीं है तो हम उस कार्य को नहीं करते हैं | या हम कह सकते हैं कि किसी कार्य को आरंभ करने के लिए प्रेरणा का होना अति आवश्यक है और उसको शुरुआत करने के बाद जारी रखना भी अनिवार्य है | 💫 स्किनर के अनुसार ➖ ” प्रेरणा सीखने का राजमार्ग है ” | अर्थात यदि हमें किसी कार्य को सीखने के प्रति प्रेरणा है तो हमें उस कार्य को करने के अन्य रास्ते भी मिल जाते हैं या हम उनको खोज लेते हैं | 🎯 प्रेरणा का वर्गीकरण ➖ प्रेरणा का वर्गीकरण दो भागों में किया गया है — 1) आंतरिक प्रेरणा 2) बाह्य प्रेरणा 💫 आंतरिक प्रेरणा ➖ वह प्रेरणा जो हमें अंदर से आती है आंतरिक प्रेरणा कहलाती है | जैसे भूख ,प्यास ,आराम, नींद, क्रोध आदि सब आंतरिक प्रेरणा के उदाहरण है जो स्वयं से उत्पन्न होते हैं इनको लाने के लिए किसी बाहरी कारक की आवश्यकता नहीं होती है | आंतरिक प्रेरणा को जन्मजात प्रेरक, व्यक्तिगत प्रेरक, जैविक प्रेरक , और प्राथमिक प्रेरक आदि नामों से जाना जाता है | 💫 बाह्य प्रेरणा ➖ ऐसी प्रेरणा जो हमें बाहर से आती है वह बाह्य प्रेरणा कहलाती है | जैसे पेट भरा होने पर किसी मनपसंद चीज को देख कर खाने का मन करना | उदाहरण जिज्ञासा ,सामाजिकता, सुरक्षा, आदि शब्द बाह्य प्रेरणा के उदाहरण हैं | बाह्य प्रेरणा को अर्जित, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, और द्वितीयक प्रेरणा आदि नामों से जाना जाता है | आंतरिक प्रेरणा को हम रोक नहीं सकते हैं वह अंदर से आती है इसका आना तय है लेकिन बाहरी प्रेरणा को हम रोक सकते हैं यह हमारी आवश्यकता और रूचि पर आधारित होती है | 𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚 🌻🌼🍀🌺🌸🌻🌼🍀🌺🌸🌻🌼🍀🌺🌸 🔆 अभिप्रेरणा/ प्रेरणा(motivation) ःप्रेरणा एक ऐसी प्रक्रिया है जो अगर व्यक्ति के कार्यों के प्रति उत्सुक होता है तो उस कार्य को करने के लिए वह हर संभव प्रयास करते हैं अभिप्रेरणा किसी भी कार्य को करने के लिए अति आवश्यकता होती है तभी हम किसी कार्य को करने में रुचि भी होते हैं अभिप्रेरणा के अभाव में अगर हम कोई कार्य नहीं कर पाते हैं क्योंकि अगर मन में प्रेरणा नहीं रहती है तो हम उस कार्य को करने के लिए उत्सुक भी नहीं रहते और ना ही तत्पर रहते हैं इसलिए अभिप्रेरणा का होना बहुत ही आवश्यक है। 🌀अभिप्रेरणा /motivation की उत्पत्ति — ःप्रेरणा शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है गति करना। 🌀अभिप्रेरणा /प्रेरणा/motivation—यह लैटिन भाषा के शब्द है जिसका अर्थ है—move, motion, motor, या गति करना इनके अनुसार प्रेरणा में गति होना अनिवार्य है। 🌀 मनोवैज्ञानिकों के द्वारा इनकी परिभाषा दी गई है जो कि निम्न लिखित है— ⚜️क्रेच व क्रचफील्ड — प्रेरणा हमारे क्यों का उत्तर देती है। हमें कार्यों के प्रति अभिप्रेरणा होती है तभी हम कार्य को कर पाते हैं अगर हमें अभिप्रेरणा नहीं मिलेगी तो हम कार्य को नहीं कर पाएंगे प्रेरणा वह है जो प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करती है हमें किस तरफ जाना है और किस तरफ नहीं जाना है यह हमें प्रेरणा कार्य के प्रति रुचि भी उत्पन्न करती है यह सब निश्चित कर पाते हैं। ⚜️ गुड के अनुसार— ःप्रेरणा कार्य को जारी रखने एवं नियमित रखने की प्रक्रिया है हम तभी कार्य को जारी या निरंतर रख पाते हैं जब हम उस कार्य को करने के लिए प्रेरणा होती है अगर उस कार्य को पूर्ण नहीं होगी तो हम उस कार्य को नहीं कर पाएंगे कार्य को करने में कई प्रकार की बाधा उत्पन्न होती है किसी भी कार्य को करने के लिए बधाए या रुकावट में हमें कार्य को पूरा करने के लिए जो हमें भी प्रेरणा प्रेरणा मिलती है वह हमारे लिए बहुत ही आवश्यक होती है। ⚜️स्किनर के अनुसार — प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है। हम कह सकते हैं कि जो भी हम सीखने के लिए अपने मंजिल तक पहुंचने के लिए प्रेरणा का सहारा लेना ही पड़ता है तभी हम अपनी मंजिल तक पहुंच पाते हैं। 🔆 अभिप्रेरणा के प्रेरक — अभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है। 1आंतरिक प्रेरक 2 बाह्य प्रेरक 🌀 आंतरिक प्रेरक आंतरिक प्रेरक में कहने का तात्पर्य है कि ऐसे प्रेरक जो हमें किसी कार्य को करने के लिए अंदर से प्रोत्साहित करती है जो हम कार्य करते हैं उसके लिए प्रेरित होते हैं आंतरिक प्रेरक कहलाते हैं। 🌀आंतरिक प्रेरक के अन्य नाम से भी जानते हैं जो कि निम्नलिखित है— ⚜️ जन्मजात प्रेरक , ⚜️ वयक्तिगत प्रेरक , ⚜️जैविक प्रेरक , ⚜️ प्राथमिक प्रेरक आंतरिक प्रेरक के अंतर्गत आने वाले कारक— भूख ,प्यास ,आराम, नींद, प्रेम, क्रोध । 🌀 ब्रह्मा प्रेरक ऐसे प्रेरक जो आंतरिक प्रेरक के पश्चात आने वाले होते हैं उन्हें बाह्म प्रेरक में आते हैं। ब्रह्मा प्रेरक के अन्य नाम ⚜️ अर्जित प्रेरक ⚜️ सामाजिक प्रेरक ⚜️ मनोवैज्ञानिक प्रेरक ⚜️ द्वितीय प्रेरक बाह्मा प्रेरक के अंतर्गत आने वाले कारक है— जिज्ञासा, सामाजिकता, सुरक्षा Notes By :-Neha Roy🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *अभिप्रेरणा और अधिगम* ( *Motivation and learning* ) *अभिप्रेरणा* 🔥 अभिप्रेरणा लैटिन भाषा के “motum” या “moveers” शब्द से बना है जिसका अर्थ है “to move” गति प्रदान करना ।इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अभिप्रेरणा वह कारक है जो कार्य को गति प्रदान करता है। अर्थात अभिप्रेरणा एक ऐसी आंतरिक शक्ति है जो व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं । इसलिए अभिप्रेरणा ध्यान आकर्षण या लालच की कला है जो व्यक्ति में किसी कार्य को करने की इच्छा एवं जिज्ञासा को उत्पन्न करती है। *अभिप्रेरणा की परिभाषाएं*👉 *क्रेच व क्रचफील्ड के अनुसार*,”प्रेरणा हमारे क्यों का उत्तर देती है हम किसी पर इसने क्यों रखते हैं । ” प्रेरणा एक बल है जो प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है। *गुड के अनुसार*, “प्रेरणा कार्य को आरंभ करने , जारी रखने ,नियमित रखने की प्रक्रिया है । ” *स्किनर के अनुसार* “प्रेरना सीखने का सर्वोत्तम राजमार्ग है।” *वुडवर्थ के अनुसार* “अभिप्रेरणा व्यक्तियों की दशा का वह समूह है जो किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए निश्चित व्यवहार को स्पष्ट करती है।” *गेट्स एवम अन्य के अनुसार* “अभिप्रेरणा प्राणी के भीतर शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक दशा है जो उसे विशेष प्रकार की क्रिया करने के लिए प्रेरित करती है।” *अभिप्रेरणा के प्रकार*🔥 अभिप्रेरणा को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है – 1) आंतरिक प्रेरक व 2) बाह्य प्रेरक। *आंतरिक प्रेरक* 🌟 आंतरिक प्रेरक के अन्य नाम कुछ इस प्रकार से दिए गए हैं 1 ) जन्मजात प्रेरक, 2) व्यक्तिगत प्रेरक, 3) जैविक प्रेरक, 4) प्राथमिक प्रेरक आदि आंतरिक प्रेरक के अंतर्गत आने वाले कारक जैसे – भूख ,प्यास , आराम, नीद, प्रेम, क्रोध इत्यादि। *बाह्य प्रेरक*🌟 बाह्य प्रेरक के अन्य नाम निम्नलिखित दिए गए हैं 1) सामाजिक प्रेरक 2) मनोवैज्ञानिक प्रेरक 3) द्वितीयक प्रेरक 4) अर्जित प्रेरक बाह्य प्रेरक के अंतर्गत आने वाले कारक- जिज्ञासा, सामाजिकता, सुरक्षा, आदि। 🙏Notes by Shreya Rai 🙏 🌊अभिप्रेरणा और अधिगम🌀 (Motivation and learning) 🌾अभिप्रेरणा motivation💫 motivation शब्द की उत्पत्ति:- 👉लैटिन भाषा का शब्द motion से इसकी उत्पत्ति हुआ है। 🌟इसे अन्य नाम से जाना जाता है। जैसे:- 👉Move 👉Motor 👉Motion इनके अनुसार प्रेरणा में गति होना अनिवार्य है। किसी कार्य को करते हैं तो हम उसके लिए मोटिवेट है तभी उस कार्य को हम कर पाते हैं अन्यथा मोटिवेशन होने के बावजूद भी अगर हम कार्य में गति नहीं करेंगे तो उस समय मोटिवेशन होने का कोई मतलब नहीं होगा। 🌲क्रेच और क्रेचपिल्ड ~~ प्रेरणा हमारे “क्यों “का उत्तर देती है। जैसे हम किसी पर स्नेह “क्यों” रखते हैं। हम दिन भर में 8 घंटा “क्यों” पड़ते हैं । प्रेरणा एक बल है जो प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है। 🍁🍂गुड ~~ प्रेरणा कार्य को प्रारंभ करने ,जारी रखने, और नियमित रखने की प्रक्रिया है । 🌻🌷स्किनर ~~ प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है 🌴🌿प्रेरणा को दो भागों में बांटा गया है। 👉(1) आंतरिक प्रेरक 👉(2)बाह्य प्रेरक 💫(1) आंतरिक प्रेरक~ याह हमारे अंदर होती है।भूख लगी है तो समोसा खाएं। जैसे~भूख 👉प्यास 👉आराम 👉 नींद 👉प्रेम 👉क्रोध। इनके अन्य नाम~~~ 🌟व्यक्तिगत प्रेरक 🌟 जन्मजात प्रेरक 🌟 जैविक प्रेरक 🌟प्राथमिक प्रेरक। 🥀☀️बाह्य प्रेरक~ यह बाहरी होते हैं जैसे – समोसा को देखकर भूख लगना। 🌻जिज्ञासा 🌻 सामाजिकता 🌻सुरक्षा 💫🌺इन के अन्य नाम ……… 👉अर्जित प्रेरक 👉समाजिक प्रेरक 👉 मनोवैज्ञानिक प्रेरक 👉द्वितीय प्रेरक इत्यादि। 🌈🌸💥 Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏 🔆 अभिप्रेरणा और अधिगम (Motivation and learning)🔆 किसी भी परिस्थिति में हम काम करना चाहते हैं अथवा नहीं ।यदि करना चाहते हैं तो उसके पीछे कोई कारण या वजह होती है और यह कारण या वजह किसी भी तरह का हो सकता है जैसे आवश्यकता ,रुचि या हुनर। अभिप्रेरणा शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द “Motion” से हुई है जिसका अर्थ Move/Motor/Motion इत्यादि होता है इसके अनुसार प्रेरणा में गति होना अनिवार्य है। यदि हमें किसी चीज के लिए प्रेरणा है या उस चीज के प्रति हम प्रेरित हैं यह हमारा मन है तो उस कार्य को हम किसी भी तरीके से सफलतापूर्वक कर ही लेते हैं। लेकिन जब हम किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित नहीं है लेकिन उस कार्य के प्रति हमारे अंदर रुचि है तो उस कार्य को हम किसी न किसी सूझ से पूरा करने का रास्ता ढूंढ ही लेते हैं मतलब अपनी रुचि के हिसाब से उस कार्य के लिए गति करते हैं। कई मनोवैज्ञानिक ने अभिप्रेरणा को कई रूपों में परिभाषित किया जिनमें से कुछ निम्न प्रकार है। ⚜️क्रेंचऔर क्रेंच फील्ड के अनुसार ➖ “प्रेरणा हमारे क्यों का उत्तर देती है।” जैसे हम जब भी कोई कार्य करते हैं तो वह “क्यों”करते हैं यदि हम किसी से स्नेह “क्यों” रखते हैं किसी से बात “क्यों” करते हैं। पढ़ाई “क्यों” करते हैं। प्रेरणा एक बल है जो किसी प्राणी को किसी निश्चित व्यवहार या दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है। प्रेरणा हमें बल या जोर प्रदान करता है जिसके द्वारा हम किसी भी कार्य को करने में निश्चित व्यवहार यह निश्चित दिशा में चलने के लिए आगे बढ़ते हैं। ⚜️ गुड के अनुसार➖ “प्रेरणा कार्य को आरंभ करने, जारी रखने और नियमित रखने की प्रक्रिया है। किसी भी कार्य के प्रति यदि प्रेरणा है तो उस कार्य को हम आरंभ करते हैं या शुरुआत करते हैं और साथ ही साथ उस कार्य को जारी रखते हैं और नियमित रूप से करते हैं। कई बार यदि किसी कार्य के लिए हम प्रेरित होते हैं तो उस कार्य को आरंभ कर लेते हैं लेकिन जारी नहीं रख पाते और ना ही नियमित रूप से कर पाते हैं जिससे हमें कार्य में असफलता प्राप्त होती है। ⚜️ स्कीनर के अनुसार➖ “जो प्रेरणा है वह सीखने का राजमार्ग है” जिस प्रकार हमें अच्छा रास्ता मिलने पर किसी भी प्रकार की वाहन को काफी स्पीड या गति से चला सकते हैं उसी प्रकार किसी कार्य के प्रति मोटिवेशन या अभिप्रेरणा मिलने पर हम उस कार्य को भी गति प्रदान कर सकते हैं। 🌀 अभिप्रेरणा के प्रकार ➖ अभिप्रेरणा को सामान्यता दो वर्गों में विभाजित किया गया है। 1 आंतरिक अभिप्रेरणा 2 बाह्य अभिप्रेरणा 🔱 भूख ,प्यास ,आराम , नीद,प्रेम, क्रोध यह सभी आंतरिक प्रेरणा के आंतरिक अभिप्रेरक है। ✨आंतरिक अभिप्रेरणा को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे जन्मजात प्रेरक, जैविक प्रेरक ,प्राथमिक प्रेरक आदि। 🔱 जिज्ञासा, सामाजिकता, सुरक्षा, सभी बाहा अभिप्रेरणा के बाहा अभिप्रेरक हैं। ✨बाहा अभिप्रेरणा को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे अर्जित प्रेरक, सामाजिक प्रेरक, मनोवैज्ञानिक प्रेरक और द्वितीयक प्रेरक आदि। ▪️आंतरिक अभिप्रेरणा में हम आंतरिक रूप से या अंदर से किसी भी कार्य को करने के लिए प्रेरित रहते है आंतरिक रुप से किए गए किसी भी कार्य के बिना हम नहीं रह सकते अर्थात जिस कार्य के बिना हम नहीं रह सकते है , जो हमारे लिए हमारी प्राथमिक या निम्न स्तर की आवश्यकता है जो सबसे पहले पूरी करना चाहते हैं वह आंतरिक अभिप्रेरणा के अंतर्गत आता है। ▪️बाहा अभिप्रेरणा में किसी भी कार्य को करने के लिए हम बाहर रूप से प्रेरित होते हैं अर्थात जिज्ञासा जिस प्रकार हमें बाहरी चीजों को देखकर इसके बारे में जानने की जिज्ञासा होती है कि वह कैसी होगी, क्या होगी और कैसे कार्य करेगी इसके लिए जिज्ञासा होती है और यही जिज्ञासा हमे उस चीज को जानने में गति देंगी । बाहा अभिप्रेरणा किसी भी बाहरी प्रेरक के बदल जाने पर बदल जाती है । ✍🏻 Notes By-Vaishali Mishra

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