Mental Development in ChildHood notes by India’s top learners

बाल्यावस्था में मानसिक विकास

👉बाल्यावस्था में मानसिक विकास तीव्र गति से होता है 👉बालक में रुचि, चिंतन ,स्मरण, निर्णय ,समस्या समाधान आदि गुणों का स्वत: ही विकास हो जाता है

🔥क्रो एंड क्रो -जब बालक लगभग 6 वर्ष का हो जाता है तब उसकी मानसिक शक्तियो और योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है

1.संवेदना और प्रत्यक्षीकरण-

👉इस अवस्था में बालक ज्ञानेंद्रियों का उपयोग करना प्रारंभ करते हैं बाल्यावस्था में बालक अपनी ज्ञानेंद्रियों का प्रयोग करके प्रत्यक्षीकरण करने लग जाते हैं
👉 इस अवस्था में बालक में जिज्ञासा बढ़ने लगती हैं बाल्यावस्था में बालक के पास प्रश्नों का अंबार लगा हुआ होता है वह बहुत ज्यादा प्रश्न पूछना चाहता है और किसी चीज को जानना चाहता है।
👉समय, स्थान ,आकार, गति, दूरी से संबंधित प्रत्यक्षीकरण बाल्यावस्था के शुरुआत में विकसित नहीं होता है लेकिन धीरे-धीरे शुरू हो जाता है अंत के वर्षों तक प्रत्यक्षीकरण विकसित हो जाता है

2.संप्रत्यय निर्माण-

👉इस अवस्था में बालक प्रत्यक्ष अनुभव अर्थात मूर्त्त चिंतन के द्वारा संप्रत्यय निर्माण करना सिख जाता है
👉चित्र या फोटोग्राफ को देखकर उसके बारे में एक संप्रत्यय विकसित करता है या एक निश्चित धारणा का निर्माण कर लेता है अर्थात जैसे बालक टीवी में spider-man ,शक्तिमान ,जूनियर जी ,क्रिश आदि को देखता है तो वह उनके जैसा करने की कोशिश करता है उनके जैसा बनना चाहता है इस प्रकार उसके मस्तिष्क में उनके प्रति धारणा बन जाती है
👉इस अवस्था में बालक नये संप्रत्यय का निर्माण करता है और साथ ही पुराने संप्रत्यय को नवीन रूप देता है।

3.स्मरण शक्ति का विकास-

👉इस अवस्था में बालक में रटने की क्षमता आने लगती है
👉बालक की ग्रहण शक्ति का विकास तीव्र हो जाता है
👉इस अवस्था में बालक पंक्तियों को दोहराना और कहानी के अर्थों को समझना शुरू कर देता है
👉किसी फिल्म या कहानी का 75% या तीन चौथाई या 3/4 भाग तक सुनाने में सफल हो जाता है

4.समस्या समाधान की क्षमता का विकास-

👉इस अवस्था में बालक मूर्त्त चिंतन करने योग्य हो जाता है
👉इस अवस्था में बालक दिन ,तारीख, पैसा आदि सभी समस्याओं का समाधान करने लगता है
👉इस अवस्था में बालक दैनिक प्रयोग में होने वाले छोटे-छोटे कामों को समझने लगता है जैसे फोन की या मोबाइल की बैटरी 20% कम होने पर मोबाइल को चार्ज लगाना ,कहीं बाहर जाते समय अपनी जरूरत की वस्तुओं चीजों को स्वयं ले जाना या रखना अदि कार्य करने लगता है।

Notes by Ravi kushwah

💥💥 *बाल्यावस्था में मानसिक विकास* 💥💥

🌟 बाल्यावस्था में मानसिक विकास तीव्र गति से होता है।

🌟बालक में रुचि चिंतन स्मरण शक्ति निर्णय समस्या समाधान योग्यता का स्वतः विकास हो जाता है।

🦚 *क्रो एंड क्रो के अनुसार :-*

🌸 जब बालक लगभग 6 वर्ष का हो जाता है। उसकी मानसिक शक्तियों योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है।

💥 *संवेदना व प्रत्यक्षीकरण :-*

🌟 इस अवस्था में बालक अपने ज्ञान इंद्रियों के प्रयोग द्वारा संवेदना व प्रत्यक्षीकरण का अनुभव या कार्य करने लगते हैं।

🌟 किस अवस्था में बालक को की किसी कार्य या वस्तु के प्रति उनकी जिज्ञासा बहुत अधिक होती है जिसे भी अनेक प्रकार के सवाल जवाब करते हैं तथा हर एक व्यक्ति या वस्तु के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं।

🌟 इसके अतिरिक्त, इस अवस्था में बालक को में समय संख्या,आकार,गति,दूरी इन सभी चीजों का प्रत्यक्षीकरण से विकास नहीं हो पाता है। लेकिन ससमय धीरे-धीरे अंतिम चरण तक इसका पूर्ण विकास हो जाता है।

*💥 संप्रत्यय निर्माण :* –

🌟 इस अवस्था में बालक वास्तविक तथा अमूर्त अनुभव द्वारा संप्रत्यय निर्माण करना सीखने लगते हैं।

🌟 इस अवस्था में बालक को में चित्र,फोटोग्राफ,टेलीविजन या अन्य किसी भी प्रकार का दृश्य देखकर भी उन चीजों के प्रति उनमें संप्रत्यय निर्माण होने लगता है। उनके मस्तिष्क में इन चीजों के प्रति धारणा बनने लगती है और वह इस प्रकार के कार्यों के करने में रुचि लेने लगते हैं तथा कोशिश करते हैं।

🌟 इस अवस्था में बालकों के मन में नए-नए संप्रत्यय विकसित होते हैं तथा पुराने संप्रत्यय को नवीन रूप देने की क्षमता विकसित होती है तथा उन्हें नवीन रूप देने में सक्षम हो जाते हैं।

*💥 स्मरण शक्ति का विकास* :-

🌟 इस अवस्था में बालको में रटने की क्षमता आ जाती है।
🌹 दूसरे शब्दों में,इस अवस्था में उनमें ग्रहण कौशल का तीव्र विकास हो जाता है।

🌟 इस अवस्था में बालक किसी भी कही सुनी गई बात को अच्छी तरह से दोहराना इस जाते हैं।

🌟 इस अवस्था में बालक किसी भी फिल्म या नाटक का 75% तक भाग सुनने – सुनाने में सफल हो जाता है।

💥 *समस्या समाधान योग्यता का विकास :-*

🌟 इस अवस्था में बालक मूर्ति चिंतन करने योग्य हो जाते हैं।

🌟 इस अवस्था में बालक अपने दैनिक जीवन की हर एक छोटी से छोटी जरूरतों को जानने या पहचानने की क्षमता रखता है।

🌟 अवस्था में बालक दिन,तारीख,पैसा इत्यादि की समस्याओं को भी समाधान करना सीख जाते हैं

🔥Notes by :- Neha Kumari ☺️

🙏🙏🙏धन्यवाद् 🙏🙏🙏

🙏🙏🦚💥🌟🌸🌺🔥🔥🌺🌸🌟💥🦚🙏🙏

📚📒 मानसिक विकास (mental development)📚📒

🔰 बाल्यावस्था( childhood)➖

बाल्यावस्था में मानसिक विकास तेज गति से होता है बालक में रुचि चिंतन स्मरण निर्णय समस्या समाधान आदि गुणों का स्वतः ही विकास होता है।

💫 क्रो एण्ड क्रो के अनुसार ➖

जब बालक लगभग 6 वर्ष का हो जाता है तब उसकी मानसिक शक्तियों और योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है।

💫 संवेदना और प्रत्यक्षीकरण ➖

🔸ज्ञान इंद्रियों का उपयोग प्रारंभ कर देते हैं

🔸 जिज्ञासा बनने लगती है

🔸 समय स्थान आकार गति दूरी से संबंधित प्रत्यक्षीकरण बाल्यावस्था के शुरुआत में विकसित नहीं होता है लेकिन धीरे धीरे शुरू हो जाता है

🔸अंत के वर्षों तक प्रत्यक्षीकरण विकसित हो जाते हैं।

💫 सम्प्रत्यय का निर्माण ➖

🔸 प्रत्यक्ष अनुभव के द्वारा संप्रत्यय निर्माण करना सीख जाता है।

🔸 चित्र फोटोग्राफ देखकर उसके बारे में एक संप्रत्यय विकसित करना या एक निश्चित धारणा का निर्माण कर लेना

🔸 नए संप्रत्यय का निर्माण करता है और साथ ही पुराने संप्रत्यय को नवीन रूप देता है।

💫स्मरण शक्ति का विकास ➖

🔸 रटने की छमता आने लगती है

🔸 ग्रहण शक्ति का विकास तीव्र हो जाता है

🔸पंक्तियों को दोहराना और कहानी के अर्थ को समझना शुरू कर देता है

🔸 किसी फिल्म या कहानी का 75% या 3/4 भाग तक सुनाने में सफल हो जाता है।

💫 समस्या समाधान क्षमता का विकास ➖

🔸 मूर्त चिंतन करने योग्य हो जाता है

🔸दिन तारीख पैसा इत्यादि समस्या का समाधान करने लगता है

🔸 दैनिक प्रयोग में होने वाले छोटे-छोटे कार्य को समझने लगता है।

📝 Notes by ➖
✍️ Gudiya Chaudhary

🌺🌺 बाल्यावस्था में मानसिक विकास🌺🌺
(Mental development in childhood)

🌀 बाल्यावस्था में मानसिक विकास तेज गति से होती है

🌀बालक में रुचि ,चिंतन ,स्मरण, निर्णय समस्या समाधान आदि गुणों का स्वत: ही विकास होता है

🌺 क्रो एंड क्रो के अनुसार–

जब बालक लगभग 6 वर्ष का हो जाता है तब उसकी मानसिक शक्तियों और योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है

💥 संवेदना और प्रत्यक्षीकरण

🌼 ज्ञानेंद्रियों का उपयोग प्रारंभ कर देता है
🌼 बच्चों में किसी भी चीज को जानने की समझने की जिज्ञासा बढ़ने लगती है
🌼 समय, स्थान ,आकार ,जाति, दूरी से संबंधित प्रत्यक्षीकरण बाल्यावस्था की शुरुआत में विकसित नहीं होता लेकिन धीरे-धीरे शुरू हो जाता है
🌼 अंत के वर्षों तक प्रत्यक्षीकरण विकसित हो जाते हैं

💥 संप्रत्यय निर्माण➖

🌼 प्रत्यक्ष अनुभव के द्वारा संप्रत्यय निर्माण करना सीख जाते हैं
🌼 चित्र/फोटोग्राफ देखकर उसके बारे में एक संप्रत्य विकसित कर लेते हैं या मूर्त चीजों के बारे में धारणा का निर्माण कर लेते हैं
🌼नए संप्रत्यय का निर्माण करते हैं और साथ ही और पुराने संप्रत्यय को नवीन रूप देते हैं

💥 स्मरण शक्ति➖

🌼 रटने की क्षमता आने लगती है
🌼 ग्रहण शक्ति का विकास तीर गति से हो जाता है
🌼 पंक्तियों को दोहराना और कहानी के अर्थ को समझना शुरू कर देते हैं

💥 समस्या समाधान की क्षमता का विकास➖

🌼 मूर्त चिंतन करने के योग्य हो जाते हैं
🌼 दिन ,तारीख जैसे आदि समस्या का समाधान करने लगता है
🌼 दैनिक प्रयोग में होने वाले छोटे-छोटे काम को समझने लगता है

🖊️🖊️📚📚 Notes by.,….
Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

🔆 बाल्यावस्था में मानसिक विकास🔆

💫 बाल्यावस्था में मानसिक विकास तेज गति से होता है |
बालक में रूचि, चिंतन ,स्मरण, समस्या समाधान ,आदि गुणों का स्वत: विकास होता है इस अवस्था में बच्चा क्यों ,कैसे वाले प्रश्नों के हल खोजने लगता है मूर्त चीजों के प्रति अपनी तर्कशक्ति विकसित करने लगता है तथा वह अपने तर्क को खोजने का प्रयास करने लगता है |

क्रो एवं क्रो के अनुसार ” जब बालक लगभग 6 वर्ष का हो जाता है तब उसके मानसिक शक्तियों और योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है ” |

🎯 संवेदना और प्रत्यक्षीकरण ➖

1) इस उम्र में बच्चा ज्ञानेंद्रियों का उपयोग करने लगता हैं और हर बात को समझने लगता है |

2) किसी चीज के प्रति जिज्ञासा बढ़ने लगती है बच्चे जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं तथा क्यों ,कैसे के उत्तर खोजने लगते हैं |

3) अंत की वर्षों तक बच्चे में प्रत्यक्षीकरण अर्थात इसका अर्थ क्या है इसकी क्या परिभाषा है आदि विकसित हो जाता है प्रत्यक्षीकरण बाल्यावस्था की शुरुआत में विकसित नहीं होती है लेकिन धीरे-धीरे स्थित हो जाती है |

🎯 संप्रत्यय निर्माण ➖

1) प्रत्यक्ष प्रभाव के द्वारा संप्रत्यय निर्माण करना सीख जाता है और चिंतन करने लगता है |

2) किसी चीज को चित्र या फोटोग्राफ के माध्यम से अपने मन में प्रत्यक्ष अनुभव करने लगता है उसका अनुमान लगाने लगता है और उसके प्रति अपनी निश्चित धारणा का संप्रत्यय विकसित कर लेता है |

3) इसलिए इस उम्र में बच्चे के मन में मीडिया मोबाइल वीडियो गेम इमेज आदि का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है उन वीडियो के प्रति अपनी धारणा विकसित कर लेता हैं नए संप्रत्यय का निर्माण होता है और साथ ही पुराने संप्रत्यय को नवीन रूप देता है अर्थात बच्चे किसी चीज को देखकर जैसे अपने मन में धारणा बनाते हैं उनका संप्रत्यय भी वैसे संप्रदाय का निर्माण भी वैसे ही होता है |

🎯 स्मरण शक्ति ➖

1)इस उम्र में रखने की क्षमता आने लगती है अर्थात किसी चीज के प्रति अपना संप्रत्यय निर्माण करके उस चीज को रखने में अपना कन्सनटेशन। न कर लेते हैं |
2) ग्रहण करने की शक्ति का विकास होने लगता है किसी चीज के प्रति समझ विकसित करने लगता है |

3) किसी चीज या किसी फिल्म की कहानी का 3/4 भाग या 75% भाग सफल हो जाता है|

4) इस समय में बच्चा पंक्तियों को दोहराने और कहानी के अर्थ को समझना शुरू कर देता है |

🎯 समस्या समाधान की क्षमता का विकास ➖

1) मूर्त चिंतन करने योग्य हो जाता है वह किसी भी चीज के प्रति अपनी धारणा बना कर या एक इमेज बनाकर उसका मूर्त चिंतन करने लगते हैं |

2) बच्चा दिन तारीख पैसा आदि की समस्या का समाधान करने लगता है अर्थात बच्चे को कैलेंडर,घड़ी आदि को समझने में समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है |

3) बच्चे में दैनिक जीवन में होने वाले छोटे छोटे काम को समझने लगता है अर्थात काम के प्रति जिम्मेदारी समझने लगते हैं |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 ➖𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

🌼🌸🌺🌻🌼🌸🌺🌻🌼🌸🌺🌻🌼🌸🌺

🥀🌾बाल्यावस्था में मानसिक विकास🥀🌾

🌻बाल्यावस्था में मानसिक विकास तीव्र गति से होता है।

🌷बालक में रुचि ,चिंतन ,स्मरण- शक्ति ,निर्णय ,समस्या समाधान की योग्यता का विकास स्वत:ही हो जाता है।

🌸बाल्यावस्था के संदर्भ में क्रो एंड क्रो का स्टेटमेंट~~~

👉इनके अनुसार जब बालक लगभग 6 साल का हो जाता है तो उसकी मानसिक शक्तियों, योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है।

🌈संवेदना और प्रत्यक्षीकरण ~~

इस अवस्था में बच्चे अपने ज्ञानेंद्रियों का प्रयोग प्रारंभ कर देता है। बच्चों का जिज्ञासा बढ़ने लगती है, किसी भी वस्तु या चीजों को जानने की इच्छा बच्चों में काफी अधिक होने लगता हैं। अनेक प्रकार के सवाल पूछते हैं जिसका जवाब देना मुश्किल हो जाता है।

⭐समय,स्थान, आकार, गति, दूरी से संबंधी प्रत्यक्षीकरण बाल्यावस्था के शुरुआत में विकसित नहीं होती हैं लेकिन धीरे-धीरे विकसित हो जाते हैं।

💥अंत के वर्षों तक बच्चों में प्रत्यक्षीकरण विकसित हो जाते हैं।

🌈संप्रत्यय निर्माण ~~

👉बच्चे प्रत्यक्ष अनुभव (जैसे -जो सामने है उसकी चीजों को समझना तथा जो सामने नहीं है उनको नहीं समझना) के द्वारा संप्रत्यय निर्माण करना सीख जाता है।

🌾🥀इस उम्र में बच्चे चित्र या ग्राफिकल चीजों के माध्यम से किसी निश्चित धारणा का निर्माण कर लेते हैं मतलब बच्चों को ऐसा लगता है कि जो भी वीडियो में दिखा रहा है वह सही है।

🌻इस उम्र में बच्चों पर यूट्यूब, वेब- सीरीज ,वीडियो का धारणा का निर्माण कर लेते हैं।

🌺🔥यह इसी समय विकसित हो जाते हैं लेकिन इसका रिप्रेजेंटेशन किशोरावस्था में झलकते हैं।

🌷🌿बच्चे इस समय में नए संप्रत्यय का निर्माण और साथ ही पुराने संप्रत्यय को नवीन रूप देता है।

🌈स्मरण शक्ति ~~~~

👉इस उम्र में बच्चों को रटने की क्षमता विकसित होने लगती है इस समय बच्चे शब्द, वाक्य, सेंटेंस ,छोटे कविता, इत्यादि को रटने की प्रवृत्ति होती हैं।

🌸गहन शक्ति का विकास तीव्र हो जाता है।

🌾💥इस समय बच्चे किसी वस्तु या चीजों की जड़ तक पहुंचने की कोशिश करता हैं।

🌺🔥इस समय में बच्चे पंक्तियों को दोहराना और कहानी के अर्थ को समझना शुरू कर देते हैं।

🥀🌿इस अवस्था में बालक किसी भी कहानी या फिल्म को लगभग 75% या 3 / 4 भाग तक सुनाने में सफल हो जाते हैं।

🌈समस्या समाधान की क्षमता का विकास ~~~

🌾🌸इस समय में बालक मूर्त चिंतन करने के योग्य हो जाता है
दिन तारीख पैसा या इस तरह के अलग-अलग समस्या का समाधान करने लगता है इस समय में बच्चे समस्या पर हावी होते हैं समस्या को समाधान करने के लिए बच्चे में जिज्ञासा होती है वह अपनी सूझबूझ के साथ समस्या का समाधान निकालते हैं

⭐🌻दैनिक उपयोग में होने वाले छोटे-छोटे काम को समझने लगता है।

🌾🌿अपने दिनचर्या में जो भी कार्य है उनको वह अच्छी तरह से पूर्ण करने के लिए कैपेबल हो जाते हैं।
🌿🌾Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌸🌺🙏

🔆 *बाल्यावस्था में मानसिक विकास है—*
⚜️ बालक में रूचि चिंतन स्मरण शक्ती निर्णय समस्या समाधान योग्यता का स्वतः विकास हो जाता है।
⚜️इस अवस्था में मानसिक विकास तीव्र गति से होता है

⚜️ *क्रो एंड क्रो के अनुसार*
जब बालक लगभग 6वर्ष का हो जाता है उसकी मानसिक शक्तियों योगिता का पूर्ण विकास हो जाता है

⚜️ *संवेदना का प्रत्यक्षीकरण—*
⚜️इस अवस्था में बालक के अपने ज्ञान इंद्रियों के प्रयोग द्वारा संवेदना व प्रत्यक्षीकरण का अनुभव या कार्य करने लगते हैं।
⚜️ इस अवस्था में बालक को अगर किसी कार्य में रुचि है या उन्हें किसी वस्तु में जिज्ञासा है तो वह बहुत बार सवाल पूछते हैं जब तक उनके सवालों का जवाब ना मिल जाए यह क्यों है कैसे हुआ किसका है यह सब जानने की इच्छा रखते हैं और तब तक पूछते ही रहते हैं जब तक उन्हें इन बातों का जवाब ना मिल जाए कभी-कभी बच्चे ऐसा भी सवाल पूछ लेते हैं जो हमें पता भी नहीं रहती है।

⚜️ इस अवस्था में बालको में समय ,संख्या, आकार, गति, दूरी इन सभी चीजों का प्रत्यक्षीकरण से विकास नही हो पाता है लेकिन धीरे-धीरे अंतिम चरण तक इसका पूर्ण विकास हो जाता है जैसे बच्चे को यह पता चल जाता है कि यहां से कहीं जाने में कितना दूरी होगा या फिर वह इस संख्या उसकी कितनी होगी यह सब जानकारी हो जाता हैं।

⚜️ *संप्रत्यय निर्माण—*
इस अवस्था में बालक के वास्तविक या अमूर्त अनुभव द्वारा संप्रत्यय निर्माण करना सीखने लगते हैं।

⚜️ इस अवस्था में बालकों में चित्र फोटोग्राफ टेलीविजन या अन्य किसी भी प्रकार का दृश्य देखकर उन चीजों के प्रति उनमें संप्रत्य निर्माण होने लगता है उनके मस्तिष्क में इन चीजों के प्रति धारणा भी बनने लगती है और बच्चे इस तरह के कार्य करने के लिए रुचि भी लेते हैं और कोशिश भी करते हैं क्योंकि बच्चे को अगर दृश्य दिखाकर या श्रव्य के माध्यम से अगर बताया जाए तो वह जल्दी सीखते हैं और
बहुत दिनों तक उस चीज को याद भी रखते हैं इसलिए बच्चे इससे के माध्यम से पढ़ाने से बच्चे ज्यादा रुचि लेते हैं और ज्यादा सीखते भी हैं।

⚜️ इस अवस्था तक आते-आते बालकों में नए-नए संप्रदाय भी विकसित होते हैं तथा पुराने संप्रत्यय को नवीन रूप देने की क्षमता विकसित होती है तथा उन्हें नवीन रूप देने में सक्षम हो पाते हैं जैसे किसी चीज को पुराने तरीके से सीखते हैं मगर उस चीज का नया रूप दे देते हैं।

⚜️ *स्मरण शक्ति का विकास—* इस अवस्था में बालकों में रटने की क्षमता आ जाती है कुछ भी चीजों को वह रटकर याद कर लेते हैं जैसे बिहार के मुख्यमंत्री कौन है तो नीतीश कुमार हैं।

⚜️ इस अवस्था में उन्हें ग्रहण कौशल का तीव्र विकास होता है। बहुत जल्दी आसानी से किसी चीज को ग्रहण कर लेते हैं अगर किसी चीज को उनको हम बताते हैं जैसे कोई विषय के बारे में भी तो बहुत आसानी से उस चीज को कैच कर लेते हैं।

⚜️ इस अवस्था में बालक किसी भी कहीं सुनाएं सुनी गई बात को अच्छी तरह से दोहराना सीख जाते हैं जैसे किसी चीज को अगर हम बात करते हैं किसी से भी बात करते हैं घर में या बाहर भी तू चीज को सुनते हैं समझते हैं और उस चीज को दोहराना भी सीख जाते हैं।

⚜️ इस अवस्था में बालक के किसी भी फिल्म या नाटक का 75%या 3/4 तक भाग सुनने सुनाने में सफल हो जाता है जैसे जो चीज वह देखते हैं या सुनते हैं उस चीज को अपने वाक्य में प्रस्तुत करते हैं।

⚜️ *समस्या समाधान योग्यता का विकास —*
इस अवस्था में बालक अपने दैनिक जीवन की हर एक छोटी से छोटी जरूरतों को जानने या पहचानने की क्षमता रखते हैं जैसे बच्चे को क्या चाहिए नहीं चाहिए उन्हें क्या चीज की जरूरत है कैसे चीज को पूरा कर सकते हैं यह सब उनमें क्षमता आ जाती है।

⚜️ इस अवस्था में बालक के मूर्त चिंतन करने योग्य हो जाते हैं इस अवस्था में बालक के किसी चीज को देख कर उस पर चिंतन विचार विमर्श करते हैं कैसे उस चीज को किया जाए नहीं किया जाए उसके बारे में चिंतन भी करते हैं।

⚜️ इस अवस्था में बालक दिन तारीख पैसा इत्यादि की समस्याओं को भी समाधान करना सीख जाते हैं।
⚜️ इस अवस्था में बालक के अपने बड़ों की बातें सुनकर प्रत्यक्ष रूप से उस पर विचार विमर्श करते हैं और अपने बड़ों का सहायता करना भी चाहते हैं उनमें उतनी समझ नहीं होती है फिर भी वह अपने बड़ों का समस्या समाधान करते हैं जितना उनसे हो पाता है उनमें उतनी समझ में नहीं होती है मगर फिर भी वह करते हैं।

Notes By—Neha Roy🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

🌷🌷 मानसिक विकास 🌷🌷

बाल्यावस्था में बच्चे का मानसिक विकास निम्नलिखित प्रकार से होता है :-

बाल्यावस्था में बच्चे का मानसिक विकास तीव्र गति से होता है। बालक में रुचि , चिंतन , स्मरण , निर्णय , समस्या , समाधान आदि गुणों का स्वतः ही विकास हो जाता है।

🌲🌺 क्रो & क्रो के अनुसार :-

जब बालक लगभग 6 वर्ष का हो जाता है तब उसकी मानसिक शक्तियों और योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है।

1. संवेदना और प्रत्यक्षीकरण :-

👉ज्ञानेंद्रियों का उपयोग प्रारंभ
👉जिज्ञासा बढ़ने लगती है
👉समय , स्थान , आकर , गति , दूरी से संबंधित प्रत्यक्षीकरण बाल्यावस्था की शुरुआत में विकसित नहीं होता लेकिन धीरे-धीरे शुरू हो जाता है।
👉बाल्यावस्था के अंत के वर्षों तक प्रत्यक्षीकरण विकसित हो जाता है।

2. संप्रत्यय निर्माण :-

👉प्रत्यक्ष अनुभव के द्वारा संप्रत्यय निर्माण करना सीख जाता है।
👉चित्र / फोटोग्राफ देखकर उसके बारे में एक संप्रत्यय विकसित करना तथा निश्चित धारणा का निर्माण कर लेना।
👉नये संप्रत्यय का निर्माण करता है और साथ ही पुराने संप्रत्यय को नवीन रूप देता है।

3. स्मरण शक्ति :-

👉रटने की क्षमता आने लगती है।
👉ग्रहण शक्ति का विकास तीव्र हो जाता है।
👉पंक्तियों को दोहराना और कहानी के अर्थ को समझना शुरू कर देता है।
👉किसी भी फिल्म या कहानी का ” 75% , 3/4 ” भाग तक सुनाने में सफल हो जाता है।
अर्थात बाल्यावस्था में बच्चे की यादाश्त क्षमता बहुत तीव्र हो जाती है।

4. समस्या समाधान की क्षमता का विकास :-

👉मूर्त चिंतन करने योग्य हो जाता है।
👉दिन , तारीख , पैसा आदि का समाधान करने लगता है।
👉दैनिक प्रयोग में होने वाले छोटे-छोटे काम को समझने लगता है।

🌺✒️ Notes by- जूही श्रीवास्तव ✒️🌺

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