Learning Factors- Teacher and Syllabus

🌈🌈शिक्षक से कारक
✍विषय का ज्ञान– शिक्षक को विषय का ज्ञान होना होना चाहिए क्या शिक्षा के लिए अति आवश्यक है कि वह अधिगम कराते समय अधिक महत्वपूर्ण है
✍शिक्षण विधि- शिक्षक को शिक्षण विधि का उपयोग करना चाहिए इससे बाय छात्रों को किस तरह किस प्रकार का अधिगम कराना है शिक्षण विधि से करा सकते हैं
✍ मनोविज्ञान –
मनोविज्ञान का अर्थ मन का विज्ञान है शिक्षक को मनोविज्ञान का ज्ञान होना चाहिए जिससे वह बच्चों के मन को समझ कर उन्हें उचित प्रकार से अधिगम कराने में सहायता प्राप्त होती है हर शिक्षक को मनोविज्ञान का ज्ञान होना अति आवश्यक है अधिगम के लिए मनोविज्ञान आवश्यक है
✍शिक्षक का व्यवहार- यह निर्भर करता है की वह कक्षा में किस प्रकार के व्यवहार का उपयोग करें जिससे अधिगम प्रक्रिया बेहतर रूप से बनाया जाए इससे बच्चों को अच्छे प्रकार से सीखने के लिए तैयार हो
✍व्यक्तित्व- शिक्षक का व्यक्तित्व पहनावे पढ़ाने के तरीके अनेक प्रकार की स्थितियों से शिक्षक का व्यक्तित्व का पता लग जा सकता है इसीलिए अधिगम में शिक्षक का व्यक्तित्व अति आवश्यक होता है अधिगम के लिए आवश्यक है
✍व्यक्तिगत विभेद का ज्ञान- कक्षा में अनेक प्रकार की छात्र होते हैं सभी बच्चों का अपना एक व्यक्तित्व होता है शिक्षक को सब को ध्यान में रखते हुए उचित प्रकार का अधिगम प्रक्रिया का उपयोग करना चाहिए जिससे सभी छात्रों के लिए उचित हो
✍ अनुशासन शिक्षा को कक्षा में इस प्रकार का अनुशासन बनाना चाहिए जिससे छात्रों को उचित प्रकार से शिक्षा प्राप्त करने तथा उन्हें किसी प्रकार की समस्या ना हो और कठिनाइयां महसूस ना हो
✍ बाल केंद्रित शिक्षा शिक्षा को बाल केंद्रित शिक्षा के द्वारा छात्रों को सिखाना चाहिए जिससे छात्रों को सीखने के लिए उचित वातावरण तथा सीखने में अनेक प्रकार की मदद मिले और बाल केंद्रित शिक्षा के आधार पर अधिगम कराया जा सकता है
🌈 पाठ्यक्रम/ पाठ्य विषय वस्तु से संबंधित-
✍ विषय वस्तु की प्रकृति विषय वस्तु की प्रगति इस प्रकार होनी चाहिए कि बच्चे को पढ़ते समय वह अच्छी तरह से उपयोग कर सके और अधिगम प्रक्रिया प्रभावित हो
✍ विषय वस्तु का आकार वस्तु का आकार इस प्रकार होना चाहिए जिससे छात्रों को उसे देखकर ऐसा न लगे कि यह सीखने में बाधा उत्पन्न हो आकर छात्रों के अधिगम के अनुसार होना चाहिए ऐसे छात्रों को अधिगम करने में सहज रूप से उपयोग कर सकें
✍ विषय वस्तु रुचिकर विषय वस्तु इस प्रकार होनी चाहिए कि जब छात्र उसका उपयोग करें तो वह उससे प्रभावित होगा अधिगम करने के लिए उत्सुक हो अधिगम करते समय उनकी रूचि अधिक प्रभावित हो इसीलिए विषय वस्तु रुचिकर होनी चाहिए
✍ विषय वस्तु की संरचना विषय वस्तु की संरचना इस प्रकार होनी चाहिए जो अधिगम के लिए प्रभावशाली हो
✍ श्रव्य दृश्य सामग्री अधिगम में पाठ्यवस्तु श्रव्य दृश्य सामग्री का उपयोग भी होना चाहिए जिससे छात्रों को रुचि तथा सीखने में आसानी हो इससे छात्र और बेहतर तरीके से सीख सकते हैं अधिगम में पाठ्य सामग्री के लिए अति आवश्यक है
✍ भाषा शैली पाठ्यवस्तु की भाषा शैली इस प्रकार होनी चाहिए कि बच्चे को अधिगम करते समय सरल सहज तरीके से उसका उपयोग कर सकें यह छात्रों की अनुसार हो ना कि कठिन
✍ उदाहरण प्रस्तुत करना पाठ्यक्रम में उदाहरण इस प्रकार प्रस्तुत करने चाहिए जिससे छात्रों को अधिगम करते समय उसका प्रयोग आसानी से कर सके छात्रों के लिए उचित हो
✍ विषय वस्तु का क्रम पाठ्यक्रम में विषय वस्तु का क्रम इस प्रकार हूं कि बच्चे को अधिगम करते समय कठिनाइयां ना ना हो और वह क्रम रूप से उपयोग कर सकें और अधिगम को सरल बनाया जा सके|
✍✍Menka patel


By ➖ Anamika Rathore ✍️

🍁अधिगम को प्रभावित करने वाले व्यक्तिगत या पर्यावरणीय कारक 🍁
1️⃣ शिक्षार्थी

2️⃣शिक्षक ==
शिक्षक से संबंधित अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक निन्न है–

1: विषय का ज्ञान ➖ शिक्षक को विषय का संपूर्ण ज्ञान होना जरूरी है तभी वह बच्चे को सही ज्ञान दे पाएगा।

2: शिक्षण विधि ➖ शिक्षण विधि का भी अधिगम में योगदान होता है । बच्चे को कैसा पढ़ाया जाय की सभी बच्चो को समझ आए , यह ध्यान शिक्षक को होना चाहिए और उसके अनुसार श्रेष्ठ शिक्षण विधि का प्रयोग करना चाहिए।

3: मनोविज्ञान का ज्ञान ➖ शिक्षक द्वारा बच्चे की मन की बातो को समझना और उसको समझ कर उसके हिसाब से ऐसे समझाए की बच्चो को समझ आए।
बच्चे की सोच , उनके व्यवहार को जानकर बच्चे के उचित अनुचित का ज्ञान होना शिक्षक के लिए जरूरी है। शिक्षक का बच्चे के प्रति नजरिया हर भाव पर बदलता है।
यह जरूरी नहीं है कि कोई दिखने में अच्छा है तो उसका व्यवहार , ज्ञान , समझ आदि भी अच्छा हो।

4: शिक्षक का व्यवहार ➖ शिक्षक के व्यवहार में शिष्टाचार होना चाहिए।
शिक्षक के व्यवहार में अनुशासन प्रकट होना चाहिए।
शिक्षक का परिस्थिति के अनुसार सभी बच्चो से जुड़ना या उनको वरीयता देना चाहिए।
किसी भी बच्चे को लेकर व्यवहार में भेदभाव नहीं होना चाहिए।

5: व्यक्तित्व ➖ व्यक्तितव में शिक्षक वाली पर्सनैलिटी या भाव का होना जरूरी है।
बच्चो के सामने शिक्षक की छवि कैसी हो यह महत्वपर्ण है ।
व्यक्तित्व में सादगी होना चाहिए।
उचित जगह पर उचित वेशभूषा , हावभाव , पर्सनैलिटी , ग्रेटिट्यूड और एक्सप्रेशन का होना शिक्षक के व्यक्तित्व को दर्शाता है।

6: व्यक्तिगत विभेद का ज्ञान ➖ ( विभिन्नता )
बच्चे के उचित अनुचित को देखते हुए हर बच्चे को जानना और उनके अकॉर्डिंग शिक्षा देना । अर्थात् बच्चे के मनोविज्ञान को पढ़कर बच्चे को उचित ज्ञान देना उचित तरीके से जरूरी है ।

7: अनुशासन ➖ शिक्षक के अनुशासन का मतलब कठोर नियम नहीं होता है बल्कि सही शिक्षण डायरेक्शन में हो और अपने कार्य को लेकर वह ईमानदार हो।
अनुशासन , एक दिशा प्रदान करता है।
ग़लत दिशा में जाने से रोकने के लिए अनुशासन जरूरी है।
शिक्षक को परिस्थिति और माहौल देखकर प्रतिक्रिया देना चाहिए।
अनुशासन को “” शिक्षण सुगम वातावरण “” भी कह सकते हैं।

8: बाल केंद्रित शिक्षा ➖ शिक्षक को बाल केंद्रित शिक्षा देना जरूरी है ताकि यह सीधे बच्चे को प्रभावित करे । और बच्चे के लिए चीजों को समझना सरल हो जाए।
शिक्षक को बाल केंद्रित शिक्षा देना जरूरी है तथा बच्चे को उससे इंपैक्ट होना जरूरी है।

3️⃣ पाठ्यवस्तु या पाठ्यक्रम ➖ पाठ्यवस्तु से संबंधित अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है–

1: प्रकृति ➖ विषय वस्तु की प्रकृति का अधिगम में प्रभाव पड़ता है , विषय वस्तु की प्रकृति कैसी है इसका बच्चे पर कैसा प्रभाव पड़ेगा यह जरूरी है। बच्चो के अकॉर्डिंग होना चाहिए।

2: आकर ➖ विषय वस्तु का आकार ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए जिससे बच्चे उससे इंपैक्ट नहीं हो पाते है। विषय वस्तु का आकार , बच्चे के अनुसार सरल , सुव्यवस्थित और संक्षिप्त होना चाहिए जिसमें जरूरी चीजों का संग्रह हो।

3: रूचिपूर्ण ➖ विषय वस्तु का रूचिपूर्ण होना बहुत ज़रूरी है तभी छात्र इंटरेस्ट के साथ पढ़े। बच्चो को प्रभावित करने वाला कंटेंट होना जरूरी है । जैसे – छोटे बच्चो की पुस्तक में कहानियों का होना ।

4: संरचना ➖ पाठ्यवस्तु का आकर्षित भी होना चाहिए । उसकी संरचना बच्चो को प्रभावित कर की वह उसे पढ़े । बाहरी आवरण का आकर्षित होना भी जरूरी है ।

5: दृश्य श्रव्य सामग्री ➖ पाठ्यक्रम में दृश्य श्रव्य सामग्री का भी उपयोग होना चाहिए । जैसे – बच्चो की पुस्तक में रंग बिरंगे चित्रों का होना , चित्र बच्चो को आकर्षित करते है । जिससे बच्चे में रुचि उत्पन्न हो और आसानी से सीख सके ।

6:भाषा शैली ➖ पाठ्यवस्तु में भाषा शैली का सरल , सुगम और सुव्यवस्थित होना चाहिए ।जिससे बच्चे अधिगम करते समय उसका सहजता से उपयोग कर सके। भाषा शैली बच्चो के अनुसार होना चाहिए।

7: उदाहरण प्रस्तुत करना ➖ पाठ्य पुस्तक में उदाहरण प्रस्तुत करने चाहिए जो वास्तविक जीवन के उदाहरण हो जो बच्चो के आयु वर्ग से संबंधित हो जिससे बच्चे सरलता से रिलेट कर सकते है।

8: विषय वस्तु का क्रम ➖ विषय वस्तु का क्रम इस प्रकार हो की बच्चे को अधिगम में कठिनाई नहीं हो और वह सरलता से समझ सके । अर्थात् विषय वस्तु का क्रम सरल से जटिल की ओर होना चाहिए।
,🙏🙏


✍ Notes by➖रश्मि सावले ✍

अधिगम को प्रभावित करने वाले व्यक्तिगत और पर्यावरणीय कारक ➖
1 शिक्षार्थी से संबंधित कारक
2 शिक्षक से संबंधित कारक
3 पाठ्यवस्तु
4 वातावरण
5 अधिगम की व्यवस्था

शिक्षार्थी से संबंधित कारक➖
1 अभिवृत्ति
2 बुद्धि
3 परिपक्वता
4 सीखने की इच्छा
5 शैक्षणिक पृष्ठभूमि/दृष्टिकोण
6 शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य
7 अधिगम प्रक्रिया
8 बाल केन्द्रित शिक्षा
9 बालक(शिक्षार्थी)

🌺शिक्षक से संबंधित कारक🌺

1⃣ विषय वस्तु का ज्ञान (knowledge of subject) ➖
एक शिक्षक के पास अपने विषय वस्तु का ज्ञान होना आवश्यक है क्योंकि विषय के ज्ञान के बिना वह कुछ नहीं कर सकता है | विषय ज्ञान उसकि एक हथियार के रूप में कार्य करता है…

2⃣ शिक्षण विधि (teaching methods) ➖ विषय के ज्ञान के साथ साथ शिक्षक के पास उस ज्ञान को पेश करने represent करने कु कला होना भी आवश्यक है क्योंकि ये नहीं होगा तो विषय ज्ञान का कोई अस्तित्व नहीं है विषय को प्रभाव पूर्ण बनाना अति आवश्यक है उस ज्ञान को वास्तविक जीवन से जोड़कर सही विधि से पढा़या जाये तो अधिगम प्रभावी होगा…

3⃣ मनोविज्ञान का ज्ञान (psychology knowledge)
बच्चे के मन को पढ़ना अर्थात बच्चे के मस्तिष्क में क्या चल रहा है उसको पहचाना ही एक सफल शिक्षक की विशेषता है यदि हम बच्चों के मन को नहीं पढ़ पा रहे हैं तो हमारा शिक्षण बेकार है मनोविज्ञान से शिक्षक का attitude व्यक्त होता है…

4⃣ शिक्षक का व्यवहार (behavior of teacher) ➖
यदि शिक्षक का व्यवहार अच्छा नहीं है तो subject knowledge, teaching methods, या , psychology knowledge का कोई अर्थ नहीं क्योंकि बच्चे को शिक्षक का व्यवहार पसंद आना आवश्यक है बच्चे को comfortable feel होना आवश्यक है क्योंकि बच्चे comfortable feel नहीं करेंगे तो अधिगम रूचि पूर्ण नहीं होगा |
परिस्थिति के अनुसार अपने व्यवहार में परिवर्तन करना आवश्यक है |….

5⃣ व्यक्तित्व (personality) ➖
शिक्षक के व्यक्तित्व का शिक्षण पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है शिक्षक का हाव भाव, पहनावा, झुकाव, आदि सब पर personality बहुत अधिक निर्भर करती है और अधिगम इससे बहुत अधिक प्रभावित होती है…

6⃣ व्यक्तिगत विभेद को समझना (individual different) ➖
हर बच्चे को जानकर, समझकर शिक्षा देना बहुत महत्वपूर्ण है हर बच्चे के व्यवहार को विभेद कर उनके मनोविज्ञान को समझना अति आवश्यक है इसके बिना अधिगम संभव नहीं है क्योंकि सबकी सोच अलग अलग होती है सभी को खुश नहीं किया जा सकता है….

7⃣ अनुशासन (menarsh)➖अनुशासन एक ऐसी मध्य रेखा है जो टूट जाये तो students और teacher के बीच understanding समाप्त हो जायेगी जिसका सीधा असर अधिगम पर निर्भर करेगा….

8⃣ बाल केन्द्रित शिक्षा ( child centrik education) ➖
बाल केन्द्रित शिक्षा स्वयं में एक महत्वपूर्ण कारक है जो शिक्षण विधि को सुगम बनाता है जिससे उनकी रुचि बढ़ती है और अधिगम बेहतर रुप से होता है इसमें विषय का ज्ञान और शिक्षण विधि निर्भर करती है…

🌺 पाठ्यक्रम/पाठ्यवस्तु/ विषय वस्तु से संबंधित कारक

1⃣ विषय वस्तु की प्रकृति (nature of the book) ➖विषय वस्तु की प्रकृति का अधिगम पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है

2⃣ विषय वस्तु का आकार ➖विषय वस्तु का आकार अधिगम को बहुत अधिक प्रभावित करता है यदि विषय वस्तु का आकार बड़ा है तो अधिगम में नीरसता आती है…

3⃣ विषय वस्तु रुचिकर ➖
विषय वस्तु को वास्तविक जीवन से जोड़कर पढा़या जाना चाहिए, जिससे अधिगम अधिक प्रभावी होगा…..

4⃣ विषय वस्तु की संरचना ➖
विषय वस्तु की संरचना को उसके page ,covers और background आदि सब बेहतर बनाते हैं…

5⃣ दृश्य या श्रव्य सामग्री का प्रयोग ➖
शिक्षण में मानचित्र, रेडियो, टेप रिकॉर्डर, चलचित्र आदि का प्रयोग परिस्थिति के अनुसार करते रहना चाहिए जिससे अधिगम बेहतर रुप से हो सके…..

6⃣ पाठ्यवस्तु की भाषा शैली ➖
भाषा शैली सरल, सुबोध, स्पष्ट, और बोधगम्य होनी चाहिए….

7⃣ उदाहरण प्रस्तुतीकरण ➖
उदाहरण वास्तविक जीवन से संबंधित होने चाहिए जिससे बच्चे उसको अनुभव कर सकें….

8⃣ विषय वस्तु का क्रम ➖
विषय वस्तु का क्रम सामान्य से जटिल की ओर होना आवश्यक है जिससे बच्चे उनको समझ सकें अर्थात आगमन विधि पर आधारित होना चाहिए….

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Date , 9/9/2020 – Nots By shanu sanwle
📒 अधिगम – learning 📒
अधिगम एक प्रक्रिया process है हमेशा चलती रहती है हर समय ,हर पल , हम कुछ ना कुछ सिखते रहते हैं सिखना हमारी क्षमताcapacity पर निर्भर है हम कितना सिख रहे हैं
✍️ Better motivation
Better learning
✍️ हमें अगर अच्छा motivation अभिप्रेरणा मिलती है तो हम बेहतर सिखते है
🔸 क्षमता capacity :-
अगर किसी कि क्षमता बहुत ज्यादा है वह बहुत जल्दी सिख जाता है उसे motivation कम भी मिले फिर भी वह बेहतर कर सकता है लेकिन motivation नहीं तो यह नहीं सिख पाते हैं
🔸किसी की क्षमता बहुत कम है लेकिन‌ motivat बहुत ज्यादा है सिखने में रुचि ,सिखने का प्रयास, मेहनत कर रहा है वह बहुत ज्यादा सिखता है और सफल होते हैं।
💥 अगर capacity है motivation भी है ये जल्दी सफल होते हैं।
💥अगर capacity कम है वह खुद ही डरा रहता है हम motivation हो कर करता करेंगे तो वह नहीं सिख पाते हैं कुछ नहीं कर सकते हैं ।
✍️ अधिगम को प्रभावित करने वाले 5 कारक
1) शिक्षार्थी
2) शिक्षक
3) वातावरण
4) पाठ्यक्रम
5) अधिगम व्यवस्था
1️⃣ शिक्षार्थी , learner :-
छात्र कि सोच , अभिवृत्ति, नजरिया कैसा है वह किस प्रकार सिखता है उसकी मानसिक, शारीरिक क्षमता कैसी है ये सब सिखने को प्रभावित करते हैं
1) बुध्दि
2 )परिपक्वता
3) सिखने की इच्छा
4)शैक्षिक पृष्ठभूमि
5)शारीरिक , मानसिक,स्वास्थ्य
6 ) अधिगम प्रक्रिया
7) बालकेन्द्रित शिक्षा
8 ) बालक
2️⃣ शिक्षक , teacher
💥 बच्चों को सिखने में शिक्षक का बहुत बड़ा रोल है शिक्षक कि शिक्षण प्रक्रिया से बच्चो पर गहरा प्रभाव पड़ता है
1 ) विषय वस्तु का ज्ञान
💥एक शिक्षक होने के नाते आपको को अपने विषय का ज्ञान होना चाहिए ,अगर विषय का ज्ञान नहीं है तो बच्चों को नही सिखा पाओगे , बच्चा आपसे पढ़ना नहि चाहेंगे।
2 ) शिक्षण विधि
,💥 शिक्षक को पढ़ाने का तरीका होना चाहिते ,विषय को कैसे सरल ,रोचक , बनाया जाये, जिसे बच्चा समझ सके।
3 ) मनोवैज्ञानिक ज्ञान
💥बच्चे कैसे सोचता है ,कैसे समझता है, बच्चे के मन में क्या चल रहा है बच्चे की शारीरिक मानसिक दशा कैसी है एक शिक्षक को ये पता पता होना चाहिये बच्चे के मन को पढ़ना शिक्षक को आना चाहिए
4) शिक्षक का व्यवहार
💥 अगर शिक्षक का व्यवहार अच्छा नहि है तो बच्चा कभी नहीं सिख पायेगा, चाहे शिक्षक कितना भी अच्छा क्यो ना पढ़ाता हो , कितना भी ज्ञान हो ,कितनी भी अच्छी विधि से पढाता हो ,शिक्षक के व्यवहार के कारण बच्चा शिक्षक से अंत: क्रिया नहि कर पाता ,ऐसे मे सिखना बाधित होता है
5) व्यक्तित
💥 एक शिक्षक का व्यक्तित्व ,सहज ,सरल होना चाहिए, शिक्षक का पहनावा ,तोर तरीका ,हाव ,भाव , गुरू की तरह होना चाहिए ।
6) व्यक्तिगत विभेद का ज्ञान
💥 बच्चे की अलग अलग सोच ,विचार ,करने की क्षमता होती है शिक्षक की मनोवैज्ञानिक सोच समझ होना चाहिए , बच्चे मे विभेद करना आना चाहिए।
7) अनुशासन
💥 शिक्षक को अनुशासित होना चाहिए कहा, कब, कैसे , बात करना है परिस्थितिय,समय के अनुसार कब क्या करना है शिक्षक को अनुशासन बना कर रखना चाहिए , बच्चा शिक्षक से हि सिखते है ।
8) बाल केन्द्रित शिक्षा
💥 बच्चे को बालकेन्द्रित शिक्षा द्वारा पढ़ाया जाये,बच्चे की रूचि, क्षमता ,को ध्यान‌ रखते हुए ,शिक्षा देना चाहिए।
3️⃣ पाठ्यक्रम
1) विषय वस्तु से संबंधित
💥 पाठ्यक्रम विषय वस्तु की प्रकृति से संबंधित हो ,सरल ,और रुचि कर हो।
2) विषय वस्तु का आकार
💥 विषय वस्तु कितनी बड़ी है ,कितने पैसे हैं उनका आकार कैसा है कितना लिखा है आदि।
3) विषय वस्तु रुचि पूर्ण
💥 विषय वस्तु रुचिकर हो बच्चे आसानी से समझ सके ।
4 ) विषय वस्तु की संरचना
💥 विषय की संरचना कैसी है कवर पेज,कवर फोटो रुचि कर हो
5) दृश्य ,श्रव्य सामग्री
शिक्षण में चलचित्र, रेडियो, मेप, माॅडल आदि
6) भाषा शैली
💥 विषय वस्तु की भाषा सरल ,सहज हो बच्चे आसानी से समझ पाये , बच्चे के परिवेश से संबंधित भाषा हो , जिससे बच्चे पढ़ने म रुचि ले ।
7) उदाहरण प्रस्तुत करना
💥 बच्चे के घर परिवार ,आस पास के वातावरण से संबंधित उदाहरण होना चाहिए।
8) विषय वस्तु का क्रम
💥विषय वस्तु को क्रम से पढ़ये ,कब क्या ,
कैसे पढाये ।
ये सब बातो का ध्यान रखना चाहिए।


✍🏻Notes By➖ Vaishali Mishra

अधिगम को कई सारे कारक प्रभावित करते है जिसमे है शिक्षक से संबंधित और पाठ्यवस्तु से संबंधित कारक निम्न प्रकार है।

◼️ शिक्षार्थी से संबंधित कारक( Factor related to teacher)➖ शिक्षक से संबंधित कई कारक है जिनके द्वारा अधिगम प्रभावित होता है।
🔅1 विषय का ज्ञान(Knowledge of subject)
🔅2 शिक्षण विधि( Teaching method)
🔅3 मनोविज्ञान का ज्ञान (psychology knowledge)
🔅4 शिक्षक का व्यवहार (Behaviour of teacher)
🔅5 व्यक्तित्व (Personality of teacher)
🔅6 व्यक्तिगत विभेद का ज्ञान( knowledge of Individual differences)
🔅7 अनुशासन (Decippline)
🔅8 बाल केंद्रित शिक्षा ( child centered education)

उपरोक्त सभी कारक जो कि शिक्षक के द्वारा अधिगम को बहुत प्रभावित करते है।यदि शिक्षक इन समस्त पदो को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करे तो अधिगम कार्य को काफी बेहतर बना सकता है।

◼️ पाठ्यवस्तु से संबंधित( factor related to curriculum)
पाठ्यवस्तु से संबंधित कई कारक होते है जिसके द्वारा अधिगम प्रभावित होता है।

🔅1 विषयवस्तु की प्रकृति
🔅2 विषयवस्तु का आकार
🔅3 विषय वस्तु का रुचि पूर्ण होना
🔅4 विषय वस्तु की संरचना
🔅5 दृश्य और श्रव्य सामग्री का उपयोग
🔅6 भाषा शैली का प्रयोग
🔅7 उदाहरणों का प्रस्तुतीकरण
🔅8 विषयवस्तु का क्रम

उपरोक्त कारकों का उचित रूप से प्रयोग करके अधिगम कार्य को काफी बेहतर ओर उपयोगी बनाया जा सकता है।


✍🏻manisha gupta ✍🏻

🌈शिक्षक से संबंधित कारक

1️⃣ विषय का ज्ञान➖ एक शिक्षक को अपने विषय का संपूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है जिससे बच्चों का अधिगम प्रभावित होता है।

2️⃣ शिक्षण विधि➖ प्रत्येक शिक्षा को शिक्षण विधि का भी ज्ञान होना चाहिए और किस शिक्षण विधि को किस प्रकरण के लिए प्रयोग करना है यह भी ज्ञात होना आवश्यक होता है।

3️⃣ मनोविज्ञान का ज्ञान➖ मनोविज्ञान का ज्ञान शिक्षक से संबंधित महत्वपूर्ण कारक है जिसमें शिक्षक को विद्यार्थियों के मन का ज्ञान होना आवश्यक होता है कि बच्चे की मन में क्या चल रहा है या उसका व्यवहार कैसा है यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

4️⃣ शिक्षक का व्यवहार➖ शिक्षक का अच्छा व्यवहार भी बच्चों के अधिगम को प्रभावित करता हैयदि शिक्षक कक्षा में अच्छे से आचरण करते हैं तो बच्चे भी उनसे शालीनता पूर्ण व्यवहार करते हैं और और पढ़ने में रुचि लेते हैं।

5️⃣ व्यक्तित्व ➖ व्यक्तित्व भी एक ऐसा महत्वपूर्ण कारक है जो शिक्षक से संबंधित होता है और बच्चों के अधिगम पर प्रभाव डालता है।

6️⃣ व्यक्तिगत विभिन्नता का ज्ञान➖ जैसा कि हम जानते हैं कि बच्चे में विभिन्न प्रकार की विभिन्नता पाई जाती हैं तो शिक्षक के लिए यह आवश्यक है कि वह प्रत्येक बच्चे के इस विभिन्नता को जानकर ही अधिगम कराएं।

7️⃣ अनुशासन➖ अनुशासन एक शिक्षक और छात्र के बीच में होना अत्यंत आवश्यक है जिससे कि शिक्षक और छात्र के मध्य understandingबनी रहती है जो छात्र के अधिगम पर निर्भर करता है।

8️⃣ बाल केंद्रित शिक्षा➖प्रत्येक शिक्षा को बालक के रुचि योग्यता क्षमता के अनुसार ही शिक्षा दी जानी चाहिएयदि शिक्षक के द्वारा दिया गया ज्ञान बालक के अनुसार नहीं होगा तो इस ज्ञान का बालक के अधिगम पर प्रभाव पड़ता है।

🌈 पाठ्यक्रम से संबंधित कारक

1️⃣ विषय वस्तु की प्रकृति➖ बालक की अधिगम पर विषय वस्तु का nature ya prakriti कैसा है यह भी बहुत अधिक प्रभावित करता है।

2️⃣ विषय वस्तु का आकार➖ विषय वस्तु का आकार भी बालक के अधिगम को प्रभावित करता है यदि विषय वस्तु का आकार बड़ा होता है तो बच्चों में नीरसता आ जाती है।

3️⃣ विषय वस्तु रुचि पूर्ण➖ विषय वस्तु का रुचि पूर्ण होना भी अधिगम के लिए अत्यंत आवश्यक है।

4️⃣ विषय वस्तु की संरचना➖ विषय वस्तु की संरचना अर्थात उसके पेज, कवर आदि भी बालक की अधिगम को प्रभावित करती है।

5️⃣ दृश्य श्रव्य सामग्री का उपयोग➖ दृश्य श्रव्य सामग्री का उपयोग करके अधिगम की प्रक्रिया को बेहतर रूप से पूर्ण किया जाता है जैसे रेडियो, टेप रिकॉर्डर ,चलचित्र ,मानचित्र ,चार्ट आदि।

6️⃣ भाषा शैली➖ विषय वस्तु की भाषा शैली सरल, स्पष्ट एवं सुगम होनी चाहिए।

7️⃣ उदाहरण➖ विषय वस्तु में समाविष्ट किए गए उदाहरण भी वास्तविक जीवन से संबंधित ही होना चाहिए।

8️⃣ विषय वस्तु का क्रम➖ विषय वस्तु का क्रमानुसार होना भी बालक की अधिगम को प्रभावित करता है जैसे बच्चे को सामान्य से जटिल की ओर ,सरल से कठिन की ओर ही अधिगम कराया जाना चाहिए।

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By – Vandana Shukla
💠 Factor related to teachers💠
💠 शिक्षक आधारित कारक💠

🔸1-विषय का ज्ञान-एक शिक्षक को उसके विषय का ज्ञान होना आवश्यक है जिससे अधिगम की प्रक्रिया बाधित ना हो। छात्र कई तरीके के प्रश्न शिक्षक से करते हैं अगर उसे अपने विषय का ज्ञान नहीं होगा तो वह छात्रों को उस विषय के बारे में नहीं बता पाएगा जिससे छात्रों अधिगम बाधित होगा।

🔸2-शिक्षण विधि-शिक्षक को शिक्षण के लिए ऐसी विधि का चुनाव करना चाहिए। जिससे वह बच्चों को आसानी से समझा सके उन्हें बच्चों के आसपास के वातावरण से जोड़ सकें जिससे अधिगम सुगम हो।

🔸3-मनोविज्ञान का ज्ञान-शिक्षक को मनोविज्ञान का ज्ञान होना चाहिए जिससे वह अपने छात्रों के बारे में उनके मन में क्या चल रहा है उन्हें किस चीज की परेशानी है उन्हें समझने में कहा दिक्कत आ रही इन सब के बारे में जान सके बच्चे, अगर शिक्षक को मनोविज्ञान का पता होगा तो वह बच्चों को आसानी से समझ सकेगा और अधिगम अच्छा करा सकेगा।

🔸4-शिक्षक का व्यवहार-शिक्षक का व्यवहार भी अधिगम के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है शिक्षक अगर मिलनसार होता है तो बच्चे उससे अपनी परेशानी बेझिझक बता सकते हैं और अगर शिक्षक कठोर रहता है या रूद्र रूप धारण किए रहता है तो बच्चे उससे डरेंगे और अधिगम आसानी से नहीं हो पाएगा।

🔸5-व्यक्तित्व-शिक्षक बच्चों के लिए एक आदर्श होता है इसलिए शिक्षक को भी आदर्श की तरह ही अपना व्यक्तित्व रखना चाहिए बच्चे उनका पहनावा उनका छोटो से बड़ों से बात करने के तरीके को बहुत एकाग्र होकर देखता है अगर शिक्षक का व्यक्तित्व अच्छा होता है तो बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है वह भी अपने शिक्षक जैसा बनना चाहता है और वहीं अगर शिक्षक का नकारात्मक व्यवहार रहता है तो छात्रों पर भी इसका असर पड़ता है जो सीधा अधिगम पर असर करता है।

🔸6- व्यक्तिगत विविध का ज्ञान-हर छात्र का अपना व्यक्तित्व होता है सब एक दूसरे से अलग होते हैं शिक्षक को सभी छात्रों को एक साथ लेकर चलना होता है इसलिए वह सब के व्यक्तित्व के अनुसार से अधिगम को सुगम रूप से करवाएं।
🔸7- अनुशासन -अनुशासन कक्षा का अलंकार है जैसे किसी कक्षा में अगर शिक्षक पढ़ा रहा है और सभी बच्चे बात कर रहे हैं तो शिक्षक अधिगम नहीं कर पाएंगे क्योंकि वह बात कर रहे हैं और यही शिक्षक पढ़ा रहा है और छात्र अपने विषय पर आधारित अपने शिक्षक से या अपने साथी छात्र से बात कर रहे हैं तो यह एक अनुशासित कक्षा होगी जिसमें अगर वह बात भी कर रहे हैं तो अपने विषय आधारित प्रश्न कर रहे विषय पर आधारित बातचीत कर रहे हैं जो अधिगम को बढ़ाएगा।

🔸8-बाल केंद्रित शिक्षा-शिक्षा का केंद्र बिंदु बालक होना चाहिए अर्थात शिक्षक को ऐसी विधि का प्रयोग करना चाहिए जिससे बालक आसानी से अपने आप को जोड़ सके और अधिगम कर सके।

🔅 पाठ्यवस्तु या पाठ्यक्रम से संबंधित कारक🔅
1-विषय वस्तु की प्रकृति-विषय वस्तु की प्रकृति आकर्षक होनी चाहिए जिससे बच्चों की देखकर रुचि बड़े और वह उसे पढ़ना चाहे।
2-विषय वस्तु का आकार-विषय वस्तु का आकार बच्चों के हिसाब से उनके उम्र के हिसाब से होनी चाहिए बहुत बड़ी पुस्तक भी बच्चों में नीरसता उत्पन्न करती है 3-विषय वस्तु का रुचि पूर्ण-पाठ्यवस्तु मैं बच्चों की रुचि का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए वह बच्चों में रुचि पैदा करें 4-विषय वस्तु का संरचना – 5-दृश्य श्रव्य सामग्री का उपयोग ,चित्र- विषय के अनुरूप पाठ्यवस्तु में दृश्य श्रव्य एवं चित्रों का भरपूर उपयोग होना चाहिए
6-भाषा शैली -भाषा शैली बच्चों की योग्यता के आधार पर होनी चाहिए जैसे छोटे बच्चों की पाठ्यवस्तु में सरल भाषा का प्रयोग एवं बड़े बच्चों की पाठ्यवस्तु में सामान्य भाषा का प्रयोग
7-उदाहरण प्रस्तुत करना -पाठ्यवस्तु में जहां आवश्यक हो वहां उदाहरण को प्रस्तुत करना चाहिए
8-विषय वस्तु का क्रम-विषय वस्तु का क्रम अधिगम के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है हमें पहले सरल विषय को पढ़ाना चाहिए फिर उससे जुड़े हुए विषयों को पढ़ाना चाहिए इस तरीके से धीरे-धीरे हमें बच्चों को सरल से जटिल की ओर ले कर जाना चाहिए।

धन्यवाद

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