💥विकलांग बालकों की शिक्षा
1️⃣ अपंग बालकों की शिक्षा➖
🔹 इस प्रकार के बच्चे सामान्य बालक से अलग होते हैं और हर कार्य को आसानी से नहीं कर पाते हैं जिसके कारण इनके मन में उदासीनता की भावना होती है इसको दूर करने के लिए कुछ ऐसे उपाय हैं जिनको सक्षम बनाने में प्रयोग किया जा सकता है।
🔹 बच्चों की बैठने की व्यवस्था आरामदायक हो।
🔹 ऐसे बच्चों के लिए चिकित्सक सलाह लेकर संसाधनों का प्रयोग किया जा सकता है जो इनके लिए काफी हद तक सही साबित हो सकती है।
🔹 इन बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे।
🔹 विशेष विद्यालय की व्यवस्था करेंगे।
🔹 सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे व्यवसायिक शिक्षा पर ज्यादा जोर देंगे।
🔹 शिक्षण को रोचक और क्रियात्मक ढंग से और सरल तथा धीमी गति का प्रयोग करेंगे।
2️⃣ नेत्रहीन /अर्ध नेत्रहीन बालकों की शिक्षा➖
1) पूर्ण नेत्रहीन:-
▪️ ब्रेल लिपि का प्रयोग
▪️ बोलकर पढ़ाना
▪️ Audio CD ka prayog
▪️ सामाजिक जीवन में समायोजन के लिए हस्तशिल्प संगीत की शिक्षा दी जानी चाहिए।
2) अर्ध नेत्रहीन:-
▪️ कक्षा में आगे बैठाना
▪️ मोटे और बड़े अक्षरों वाले किताब बोर्ड पर बड़ा और साफ़ लिखना।
▪️ कक्षा में रोशनी का उचित व्यवस्था।
▪️ ऐसे बच्चे को ज्यादा से ज्यादा भूलकर बढ़ाना।
▪️ चश्मे या लेंस का प्रयोग करना
▪️ ऑडियो सीडी का प्रयोग करना।
3️⃣ अर्ध बहरे➖
🔹 इनको सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाया जा सकता है।
🔹 कक्षा में सबसे आगे बैठा ना
🔹 जरूरत पड़ने पर कर्ण यंत्रों का प्रयोग करना।
🔹 इस प्रकार के बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
4️⃣ दोषयुक्त वाणी वाले बालकों को शिक्षा➖
🔹 शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारण
1) चिकित्सा (सल्य /मनोविज्ञान) द्वारा भी इसका इलाज संभव है।
2) घर का वातावरण दोष युक्त ना हो।
3) पौष्टिक भोजन देना चाहिए।
4) अभिभावक और शिक्षक को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है इन बच्चों के ऊपर।
5) ऐसे बच्चों की बातों का मजाक ना उड़ाए और चेहरा नहीं ऐसा अगर होता है तो बच्चों के अंदर हीन भावना का विकास होता है।
5️⃣ कोमल या निर्मल बालकों की शिक्षा➖
🔹 ऐसे बच्चे किसी भी रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं।
1) परिवार को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
2) पौष्टिक भोजन ओ का आहार देना चाहिए।
3) समय-समय पर शारीरिक जांच करानी चाहिए जिससे कि कमजोरियों का पता चलता रहे।
4) शक्ति के अनुसार पाठ्यक्रम या खेलकूद कराएं।
5) पढ़ाई में विधि या दृश्य श्रव्य सामग्री को शामिल करना चाहिए।
6) इन बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
🌸🌸🌸Notes by—-Abha kumari 🌸🌸🌸
🌈🌺🌿 विकलांग बालक(Physically handicapped)🌿🌺🌈
💥जन्म से कुछ बालकों में दोष होता है या किसी बीमारी ,आघात ,दुर्घटना या चोट लग जाने पर शरीर के किसी अंगों में दोष होता है उसे विकलांगता कहते हैं।
🌸💥क्रो एंड क्रो- एक व्यक्ति जिसमें कोई प्रकार का शारीरिक दोष होता है जिससे वह किसी भी रुप में सामान्य क्रिया में भाग लेने से रोकता है या सीमित रखता है तो हम उसे विकलांग व्यक्ति कहते हैं।
💥🌿शारीरिक विकलांग बालक के प्रकार———-
1️⃣अपंग-इसमें वह बालक आता है जो लंगड़े, लुले, गूंगे ,बहरे अंधे इत्यादि आते हैं।
2️⃣दृष्टि दोष- इसमें बच्चे अंधे ,अर्ध- अंधे ,यानी देखने या दृश्य संबंधी विकार से पीड़ित होते हैं
3️⃣श्रवण संबंधी दोष- बहरे ,अर्ध बहरे यानी सुनने संबंधी विकार होते हैं।
4️⃣वाक संबंधी विकार (दोष युक्त वाणी)- हकलाना ,गूंगापन तुतलाना, नहीं बोल पाना इत्यादि इसके अंदर होता है।
5️⃣अत्यधिक कोमल और दुर्बल – इसमें रक्त की कमी ,हिमोग्लोबिन की कमी, शक्तिहीन,पाचन क्रिया में गड़बड़ी इत्यादि आते हैं।
🌈💥विकलांग बच्चे की शिक्षा💥🌈➡️
विकलांग बालक को शिक्षा देना हमारा परम कर्तव्य है, और उनको उनके हिसाब से शिक्षा देना जरूरी है।
🌺💥अपंग बालकों की शिक्षा- जो बच्चा अपंग है उनको शारीरिक दोष होगा, लेकिन आवश्यक नहीं है की मंदबुद्धि हो।
शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है।🌸🌿
इनको दूर करने के लिए हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं🌸🌿
➡️(A)विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें।
➡️(B)उनकी विशिष्ठता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो।
➡️(C)उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो।
➡️(D)नुकीले वास्तु कमरे में ना हो।
➡️(E)फर्नीचर इत्यादि इधर उधर ना हो ताकि बच्चे को परेशानी का सामना करना पड़े।
➡️(F)डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहें।
➡️(G)उनकी यथासंभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करते हैं।
➡️(H)विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे।
समान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे। लेकिन, व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे। क्योंकि विकलांगता के हिसाब से जो बच्चा उस काम को कर सकता है या उस काम के लायक है उन पर ज्यादा जोर देंगे। ताकि, बच्चे भविष्य में अपना जीविकोपार्जन कर सके।
➡️(I)मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे ताकि मानसिक विकास विस्तृत कर सके।
➡️(J)शिक्षण विधि सरल रोचक क्रियात्मक ढंग से धीमी गति से हो।
🙏🌺💥🌸🌈Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏💥🌈 ➡️PART 2⬅️
🔥विकलांग बालक के शिक्षा🔥🌈💥
🌺🌸नेत्रहीन /अर्ध नेत्रहीन बालकों की शिक्षा- ऐसे बालक जो नेत्रहीन या अर्ध नेत्रहीन है, उनको हम एक साथ शिक्षा नहीं दे सकते हैं ।इसलिए नेत्रहीन और अर्ध नेत्रहीन बालक को अलग-अलग शिक्षा की व्यवस्था करते हैं।
🔥पूर्ण नेत्रहीन -ऐसे बालक जो पूरी तरह से नेत्रहीन हो ,उनको हम निम्नलिखित विधि से पढ़ाएंगे। जैसे- ब्रेल लिपि से पड़ेंगे,
बोलकर पढ़ाना ,ऑडियो सीडी के माध्यम से पढ़ाना इत्यादि आते हैं।
🌿🌺अर्ध नेत्रहीन – इसमें ऐसे बालक आते हैं जो पूरी तरह से नेत्रहीन ना हो। इनको हम निम्नलिखित विधि से शिक्षा देते हैं। जैसे-
➡️*क्लास में आगे बैठाना।
➡️*बड़े / मोटे अक्षर वाले किताब का प्रयोग करवाएंगे।
➡️*बोड पर बड़ा और साफ लिखेंगे।
➡️*उचित रोशनी का व्यवस्था करेंगे।
➡️*बोलकर पढ़ाएंगे।
➡️*चश्मे या लेंस का प्रयोग कराएंगे।
➡️*ऑडियो सीडी का प्रयोग करवाएंगे।
🌈💥All over बात करें तो पूर्ण नेत्रहीन या अर्ध नेत्रहीन बच्चों को सामाज जीवन में समायोजन के लिए हस्तशिल्प या संगीत की शिक्षा दी जानी चाहिए। ताकि बच्चे आगे चलकर अपना जीविकोपार्जन कर सके।
🌸💥बहारें या अर्ध बहरे बालक की शिक्षा-
कुछ बच्चे जन्मजात बहरे और गूंगे होते हैं इसके लिए ऐसे विद्यालय की स्थापना की जाए, जहां वह उचित शिक्षा प्राप्त कर सकें।
➡️विद्यालय में उन्हें संकेतिक भाषा में शिक्षा दी जाए।
➡️Exprission/हाव -भाव समझने की शिक्षा दी जाए।
➡️होठों की गतिविधियों को समझना।
🌺ऐसे बच्चों को ज्यादातर लिखकर या दिखाकर पढ़ाएंगे।
🔥🌈अर्थ बहरे-
इनको समान बच्चों के साथ पढ़ाया जा सकता है।
🔥बच्चों को कर्ण यंत्रों का प्रयोग करना।
🌸कक्षा में बच्चों को विशेष ध्यान देकर।
🌈💥दोष-युक्त वाणी वाले बालकों को शिक्षा-
🔥💥बच्चों में शारीरिक और मानसिक दोनों ही कारण से होता है
🔥🌈चिकित्सा (शल्या या मनोवैज्ञान) द्वारा भी इनका इलाज संभव है।
🌸🔥घर का वातावरण भी दोष युक्त ना हो।
🌸💥ऐसे बच्चों को पौष्टिक भोजन देना चाहिए।
🌺🌈बच्चों पर अभिभावक / शिक्षक को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
💥अभिभावक बच्चे के अशुद्ध उच्चारण को प्यार से ठीक करें।, 🌸उनको चिढ़ाऐ नहीं,हसे नहीं ।
🌈💥🔥कोमल या निर्बल बालकों की शिक्षा🌈💥🔥
ऐसे बालक रोगों से ग्रस्त नहीं होते
ऐसे बालक पर परिवार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
💥ऐसे बच्चों को पौष्टिक भोजन देना चाहिए।
🌈बच्चों को समय-समय पर शारीरिक जांच करवायें।
🌸➡️उनकी क्षमता के अनुसार पाठ्यक्रम या खेलकूद रखें।
🌸🌈इनकी शिक्षण में खेल विधि या दृश्य श्रव्य सामग्री रखें।
💥🔥ऐसे बालकों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🔥🌈💥Notes by-SRIRAM PANJIYARA💥🌈🔥🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
💫 *विकलांग बालकों की शिक्षा* ➖
विकलांग बालकों को शिक्षा देना समाज ,शिक्षक सभी का परम कर्तव्य है विकलांग बालकों की शिक्षा में सभी को अपना निश्चित रूप से अनिवार्य योगदान करना चाहिए —–
*(A)* *अपंग बालकों की शिक्षा*➖
शारीरिक दोष से संबंधित बालक को भी शिक्षा दी जा सकती है आवश्यक नहीं है कि यह मंदबुद्धि ही हों, अपंग बालक प्रतिभाशाली या रचनात्मक भी हो सकते हैं लेकिन शारीरिक कमी के कारण उनमें हीन भावना जागृत हो सकती है जो कि बहुत ही खतरनाक है किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है इसके लिए विशिष्ट प्रकार के उपाय करना चाहिए जो कि निम्न है —-
*1)* *विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करें*
जिसे उनकी शिक्षा के में कोई बाधा उत्पन्न ना हो और वह सामान्य बालकों की तरह शिक्षा ग्रहण कर सकें |
*2)* *उनकी विशिष्टता या विकलांगता के हिसाब से कमरे उपयुक्त हो*
जिससे उनका ध्यान पढ़ाई की ओर आकर्षित हो और इस प्रकार के कमरों की व्यवस्था की जानी चाहिए जहां उन्हें उचित प्रकार का वातावरण मिल सके तथा उन्हें आने जाने में किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़े |
*3)* *उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से बैठ सकें*
बैठने के लिए उचित प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे बच्चे को कोई असुविधा ना हो कक्षा में उचित प्रकार के फर्नीचर से व्यवस्था की जानी चाहिए जिसमें बच्चे आसानी से बैठकर शिक्षा ग्रहण कर सकें |
*4)* *डॉक्टर या विशेषज्ञों की राय लेते रहें हर संभव चिकित्सा हेतु संसाधनों का इंतजाम करें*
जिससे उनकी विकलांगता की समय-समय पर जांच हो सके और अच्छे तरीके से देख रहे हो सके |
*5)* *विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करें*
ताकि उनमें हीन भावना ना सके और उनको सहानुभूति देना अति आवश्यक है वरना बच्चा एक अलग रास्ता पकड़ लेता है और उससे उसका भविष्य बिगड़ सकता है |
*6)* *सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखना लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर अधिक जोर देना*
उनकी विकलांगता को ध्यान में रखते हुए उन्हें शिक्षा देना जो उनके भविष्य के लिए आवश्यक हो जिससे उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और लाभदायक भी होगा |
*7)* *मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देना*
जिस -जिस क्षेत्र में मानसिक विकास हो सकता है उन्हें उस क्षेत्र में पूरा अवसर देना जिससे वह अपने मस्तिष्क का विकास कर सकें और इस प्रकार वे अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं |
*8)* *शिक्षण विधि सरल, रोचक, और क्रियात्मक ढंग से हो एवं धीमी गति से होने चाहिए*
जिससे उनके मन में हीन भावना का विकास ना हो और वे अपने मन में शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न कर सकें, और इस प्रकार उनके भविष्य को बेहतर बनाया जा सकता है |
🔆 *विकलांग बालक के प्रकार*➖
*1)* अपंग बालक |
*2)* दृष्टि दोष |
*3)* श्रवण संबंधी दोष |
*4)* वाक् संबंधी दोष या दोष युक्त पानी |
*5)* अत्याधिक कोमल और दुर्बल |
💫 *विकलांग बालकों की शिक्षा* ➖
विकलांग बालकों को शिक्षा देना हमारा परम कर्तव्य है जिससे कि वह अपने आने वाले जीवन के लिए कुछ कर सकें | उनमें हीन भावना का विकास ना हो इसलिए विकलांग बालकों की शिक्षा अति आवश्यक है विकलांग बालकों को निम्न प्रकार से शिक्षा दी जा सकती है —
🍀 *अपंग बालकों की शिक्षा* ➖
शारीरिक दोष से संबंधित बालक को भी शिक्षा दी जा सकती है यह आवश्यक नहीं है कि मंदबुद्धि बालक ही अपंग हो, अपंग बालक प्रतिभाशाली या सृजनात्मक भी हो सकते हैं लेकिन उनमें शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है इसलिए उन बालकों की शिक्षा अति आवश्यक है ताकि उनमें हीन भावना का विकास न हो | अतः अपंग बालकों को निम्न प्रकार से शिक्षा दी जा सकती है—
*1)* विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करके |
*2)* उनकी विशेषता के हिसाब से कमरे की व्यवस्था करके|
*3)* उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से बैठ सकें |
*4)* डॉक्टर या विशेषज्ञों की राॅय लेते रहे हर संभव चिकित्सा हेतु संसाधन का इंतजाम करना |
*5)* विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना |
*6)* सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे |
*7)* मानसिक विकास का पूर्ण अवसर |
*8)* शिक्षण विधि सरल ,रोचक, और क्रियात्मक ढंग से हो एवं धीमी गति से होना चाहिए |
🍀 *नेत्रहीन या अर्ध नेत्र हीन बालकों की शिक्षा* ➖
*नेत्रहीन बालक* ➖
ऐसे बच्चे जो पूर्ण रूप से नेत्रहीन है उनको ब्रेल लिपि से पढ़ाया जाए एवं इनको सामाजिक जीवन में समायोजन के लिए हस्तशिल्प या संगीत आदि की शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि वह अपने आने वाले जीवन के प्रति सजग हो सकें और उसके लिए कर सकें ताकि उनमें हीन भावना का विकास न हो सके |
*अर्ध नेत्रहीन बालक*➖
ऐसे बालक जो अर्धनेत्रहीन है उनकी शिक्षा के लिए उनको
🔅कक्षा में आगे बैठाएंगे ताकि उनको आंखों पर ज्यादा जोर न देना पड़े |
🔅मोटे अक्षर वाले किताब का प्रयोग करना ताकि वे उसे छूकर महसूस कर सकें |
🔅बोर्ड पर बड़ा और साफ़ लिखना ताकि स्पष्ट दिखाई दे सके |
🔅उचित रोशनी की व्यवस्था की जाए |
🔅जोर से बोलकर बढ़ाना ताकि वो स्पष्ट सुन सकें |
🔅जरूरत पड़ने पर चश्मे के लेंस का प्रयोग करना |
🔅अर्ध नेत्रहीन बालकों के लिए ऑडियो सीडी या श्रव्य साधनों का प्रयोग करना |
🔅 इनको समाज या जीवन में समायोजन करने के लिए हस्तशिल्प या संगीत की शिक्षा दी जानी चाहिए |
ताकि वे समायोजन करके अपने जीवन को बेहतर बना पाए |
🍀 *बहरे या अर्ध बहरे बालकों की शिक्षा*➖
कुछ बालकों में जन्म से बहरापन होता है कुछ बालक जन्मजात बहरे होते हैं इस कारण से वे गूंगे भी होते हैं इसके लिए ऐसे विद्यालय की स्थापना की जाए जहाँ वे उचित शिक्षा प्राप्त कर सकें और विशेष विद्यालय में उन्हें —
*1)* सांकेतिक भाषा भाषा में शिक्षा दी जाए |
*1)* हाव-भाव के द्वारा शिक्षा दी जाए जिससे वे शब्दों को समझ सकें |
*3)* होठों की गतिविधि को समझ सके ऐसे वातावरण की व्यवस्था करना जिससे बच्चे को समझने में आसानी होगी और समझने में सक्षम होगा कि सामने वाला क्या कहना चाहता है यदि वह इशारों को समझने में एक्सपर्ट हो गया तो वह चेहरे के हावभाव और होठों की गतिविधि को भी समझ सकेंगे |
*4)* ज्यादातर दिखाकर या लिखकर पढ़ाएंगे जिससे वह अपने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ा सकें |
🍀 *दोष युक्त वाणी वाले बालकों की शिक्षा* ➖
बच्चों की दोष युक्त वाणी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों कारणों से होती है अत: ऐसे बालकों की शिक्षा के लिए निम्न उपाय अपनाने चाहिए —
*1)* ऐसे बच्चे जो दोष युक्त वाणी वाले हैं उनका चिकित्सा ( शल्य/ मनोवैज्ञानिक) द्वारा भी इलाज संभव है क्योंकि मनोवैज्ञानिक ही एक ऐसी विधि है जिसमें बच्चे को समझा जा सकता है |
*2)* घर का वातावरण भी दोष युक्त ना हो क्योंकि इससे भी बच्चे के मनोवैज्ञानिक विकास में प्रभाव पड़ता है |
*3)* पौष्टिक भोजन भी मिलना आवश्यक है क्योंकि ये शरीर से जुड़ा हुआ है |
*4)* अभिभावक और शिक्षक को विशेष ध्यान की आवश्यकता होती है क्योंकि शुद्ध उच्चारण को प्यार से ठीक करें उनको चिड़ाएं नहीं ,हंसे नहीं, मजाक ना करें, इससे उनके मन में हीन भावना आती है |
🍀 *कोमल या निर्बल बालकों की शिक्षा* ➖
ऐसे बच्चे रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं बल्कि सामान्य बच्चे ही कोमल या दुर्बल हो जाते हैं उनको फोबिया हो सकता है उन्हें किसी भी चीज़ से डर लगने लगता है किसी भी चीज से इसके लिए–
*1)* ऐसे बच्चों के प्रति परिवार का विशेष ध्यान होना चाहिए |
*2)* उनके लिए पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की जानी चाहिए |
*3)* समय समय पर शारीरिक जांच करवाना चाहिए |
*4)* एवं उनकी शक्ति के अनुसार पाठ्यक्रम खेलकूद की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि यह कमजोर होते हैं इसलिए इनकी शिक्षा में खेल विधि का प्रयोग करना चाहिए |
*5)* उनके साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करें अन्यथा वो हीन भावना का शिकार हो सकते हैं |
𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙄 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚
🍀🌻🌺🌸🌸🌸🌸🌸🌻🍀
⭐
⭐विकलांग बच्चों की शिक्षा⭐
▪️ अपंग बालकों की शिक्षा:-
शारीरिक दोष में यह आवश्यक नहीं है कि बच्चे मंदबुद्धि हो शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है इससे मंदबुद्धि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
▪️ विशिष्ट प्रकार के विद्यालय का संगठन करना:-
विद्यालय का गठन इस प्रकार होना चाहिए कि इन बच्चों के लिए सुविधाजनक हो और उनके लिए शिक्षा का साधन प्रदान की जा सके।
▪️ उनकी विशेषता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त हो :-
विकलांगता के प्रकार को देखते हुए कमरे का चयन करना चाहिए जिससे कि बच्चों की कोई प्रॉब्लम ना हो और आसानी पूर्व को वह अपनी कक्षा तक पहुंच सके।
▪️उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो ताकि वे आराम से बैठ सके:-
इस प्रकार के बच्चों के लिए बैठने के लिए अच्छी व्यवस्था करनी चाहिए ताकि वो आराम महसुस कर सके।
▪️ डॉक्टर विशेषज्ञ की राय लेते रहें संभव हो तो चिकित्सा हेतु संसाधनों का इंतजाम करें:-
इन बच्चों को समझने के लिए एवं सही शिक्षा देने के लिए डॉक्टरों की राय जरूरी है जिससे उचित निदान किया जा सके।
▪️ विकलांग बच्चों में सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे:-
बच्चों में किसी प्रकार के हीन भावना नहीं आने देंगे जिससे कि वह अपने आपको अलग समझे और किसी भी कार्य करने से पीछे हट जाए हमें उनका हमेशा सहयोग पूर्ण मदद करनी चाहिए जिससे कि वह आगे कार्य करने में समर्थ हो सके।
▪️ सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोड़ देंगे:-
जिस प्रकार सभी बच्चों के लिए पाठ्यक्रम बनाई जाती है उसी प्रकार पाठ्यक्रम को रखेंगे हो सके तो कम करेंगे लेकिन व्यवसायिक शिक्षा पर जोर देंगे ताकि वह अपने भविष्य में इसका उपयोग करें एवं इनके लिए लाभकारी साबित हो।
▪️ मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे:-
बच्चों को खुद से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जिससे उनकी मानसिकता का विकास हो और और अपने आप को सक्रिय रख पाएंगे बच्चे इस अवसर के द्वारा।
▪️ शिक्षण विधि सरल रोचक एवं क्रियात्मक ढंग से प्रस्तुत करेंगे:-
शिक्षण विधियों को सरल गति से प्रस्तुत करना चाहिए ताकि बच्चे के मानसिक स्तर के अनुसार हो और उन्हें रुचिकर लगे ताकि वह अपने रूचि के अनुसार पढ़ाई को समझ पाए और अपने से जोड़ पाए।
🙏🙏🙏Notes by—-Abha kumari 🙏🙏🙏
🌸🌸💥💥Part2💥💥🌸🌸
2️⃣ नेत्रहीन /अर्ध नेत्रहीन बालकों की शिक्षा➖
1) पूर्ण नेत्रहीन:-
▪️ ब्रेल लिपि का प्रयोग
▪️ बोलकर पढ़ाना
▪️ Audio CD ka prayog
▪️ सामाजिक जीवन में समायोजन के लिए हस्तशिल्प संगीत की शिक्षा दी जानी चाहिए।
2) अर्ध नेत्रहीन:-
▪️ कक्षा में आगे बैठाना
▪️ मोटे और बड़े अक्षरों वाले किताब बोर्ड पर बड़ा और साफ़ लिखना।
▪️ कक्षा में रोशनी का उचित व्यवस्था।
▪️ ऐसे बच्चे को ज्यादा से ज्यादा भूलकर बढ़ाना।
▪️ चश्मे या लेंस का प्रयोग करना
▪️ ऑडियो सीडी का प्रयोग करना।
3️⃣ अर्ध बहरे➖
🔹 इनको सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाया जा सकता है।
🔹 कक्षा में सबसे आगे बैठा ना
🔹 जरूरत पड़ने पर कर्ण यंत्रों का प्रयोग करना।
🔹 इस प्रकार के बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
4️⃣ दोषयुक्त वाणी वाले बालकों को शिक्षा➖
🔹 शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारण
1) चिकित्सा (सल्य /मनोविज्ञान) द्वारा भी इसका इलाज संभव है।
2) घर का वातावरण दोष युक्त ना हो।
3) पौष्टिक भोजन देना चाहिए।
4) अभिभावक और शिक्षक को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है इन बच्चों के ऊपर।
5) ऐसे बच्चों की बातों का मजाक ना उड़ाए और चेहरा नहीं ऐसा अगर होता है तो बच्चों के अंदर हीन भावना का विकास होता है।
5️⃣ कोमल या निर्मल बालकों की शिक्षा➖
🔹 ऐसे बच्चे किसी भी रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं।
1) परिवार को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
2) पौष्टिक भोजन ओ का आहार देना चाहिए।
3) समय-समय पर शारीरिक जांच करानी चाहिए जिससे कि कमजोरियों का पता चलता रहे।
4) शक्ति के अनुसार पाठ्यक्रम या खेलकूद कराएं।
5) पढ़ाई में विधि या दृश्य श्रव्य सामग्री को शामिल करना चाहिए।
6) इन बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
🌸🌸🌸Notes by—-Abha kumari 🌸🌸🌸
🌀
🌀🦚 विकलांग बच्चों की शिक्षा🦚🌀
1️⃣ अपंग बालकों की शिक्षा➡️
अपंग छात्रों में शारीरिक दोष होने के कारण वह अपने शरीर के विभिन्न अंगों का सामान प्रयोग नहीं कर सकते हैं और यही दोष उनके कार्य में बाधा डालते हैं जिसके कारण उनमें हीन भावना जागृत हो सकती है
🌀 ऐसे बालकों की शिक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जाने चाहिएं🌀
1️⃣ उनके लिए विशेष प्रकार के विद्यालयों का संगठन करना चाहिए
2️⃣ उनकी विशेषता के हिसाब से कमरे भी उपयुक्त होने चाहिए
3️⃣ उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए
4️⃣डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेती रहना चाहिए हर संभव चिकित्सक हेतु साधनों का इंतजाम करना चाहिए
5️⃣ विकलांग बच्चों से सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए
6️⃣सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और कम रखना चाहिए लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देना चाहिए
7️⃣ मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देना चाहिए
8️⃣ शिक्षण विधि सरल, रोचक, क्रियात्मक ढंग से और धीमी गति से चलना चाहिए
🌀🦚 नेत्रहीन/अर्द्ध नेत्रहीन बालकों की शिक्षा🦚🌀
🌺 अर्द्ध नेत्रहीन बालक ➡️
1-ऐसे बच्चों को क्लास में आगे बैठने की व्यवस्था करनी चाहिए
2-मोटे अक्षर वाले किताबों की व्यवस्था करनी चाहिए
3-श्यामपट्ट पर बड़ा और साफ सुथरा लिखना चाहिए
4-उचित रोशनी की व्यवस्था करनी चाहिए
🌺नेत्रहीन बालक➡️
ऐसे बच्चे जो पूर्ण रूप से नेत्रहीन है उनको ब्रेल लिपि से पढ़ाया जाए बोलकर पढ़ाया जाए, ऑडियो सीडी के माध्यम से पढ़ाया जाए ।
🌈💥 All over बातें करें तो पूर्ण नेत्रहीन या अर्थ नेत्रहीन बच्चों को सामाजिक जीवन में समायोजन के लिए हस्तशिल्प यह संगीत की शिक्षा देनी चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपना जीवन यापन कर सके
🌀🦚 बहेर या अर्ध बहरे बालकों की शिक्षा🦚🌀
कुछ बच्चे जो जन्मजात बहरे और गूंगे होते हैं उनके लिए ऐसे विद्यालय की स्थापना की जाए जहां वह उचित शिक्षा प्राप्त कर सकें
🌈🌺 पूर्ण बहरे बालक🌺
➡️ संकेतिक भाषा में शिक्षा दी जानी चाहिए
➡️ छात्रों के हाव भाव समझने की शिक्षा दी जानी चाहिए
➡️ कम बहरी छात्रों के लिए अलग स्कूल की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए क्योंकि ऐसे छात्र अध्यापकों के होठों से बहुत कुछ जान सकते हैं तथा सीख सकते हैं
➡️ ज्यादातर सिखा कर या दिखाकर पढ़ाना चाहिए
🌈🌺अर्ध बहरे🌺
➡️ इनको सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाया जाना जाना चाहिए
➡️ कक्षा में आगे बैठाना चाहिए
➡️ कर्ण यंत्रों का प्रयोग करना चाहिए
➡️ इन बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए
🌀🦚🌀 दोष युक्त वाणी वाले बालकों की शिक्षा🌀🦚🌀
ऐसे बालकों में शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारण आते हैं
➡️ चिकित्सा /मनोवैज्ञानिक द्वारा भी इलाज संभव है
➡️ घर का वातावरण भी दोष ना हो
➡️ पोषक भोजन मिलना चाहिए
➡️ अभिभावक/शिक्षक को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है
➡️ अशुद्ध उच्चारण को प्यार से ठीक करना चाहिए उनका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए
🌈🌺 कोमल या निर्बल बालकों की शिक्षा🌺
यह रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं
➡️ परिवार का विशेष ध्यान होने की आवश्यकता होती है
➡️ इन्हीं पौष्टिक भोजन देना चाहिए
➡️ की छमता के अनुसार खेलकूद/ पाठ्यक्रम रखना चाहिए
➡️इनकी पढ़ाई में विशेष ध्यान देना चाहिए तथा खेल विधि ,दृश्य/ श्रव्य सामग्री का प्रयोग करना चाहिए
➡️ और इनके साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए
📚📚🖊️🖊️ Notes by….. Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️
♦️🌺
♦️ नेत्रहीन या ardh नेत्रहीन की शिक्षा-/ ऐसे बच्चों की शिक्षा विशिष्ट प्रकार की दी जाएगी जो निम्न लिखित बिंदुओं के आधार पर दे सकते हैं
पूर्ण नेत्रहीन -/बालकों को ब्रेल लिपि के अनुसार शिक्षा दी जानी चाहिए
उन्हें बोलकर पढ़ाना चाहिए
ऑडियो cdद्वारा पढ़ाना चाहिए
ऐसे बालकों को समाज जीवन में समायोजन के लिए हस्तशिल्प या संगीत की शिक्षा दी जानी चाहिए
जिससे वह क्षेत्र में अपना उच्च स्थान प्राप्त कर सकें
अर्ध नेत्रहीन बालक-/
अर्ध नेत्रहीन बालकों को सामान्य बच्चों के साथ ही पढ़ाया जा सकता है
उन्हें कक्षा कक्ष में आगे बैठा कर शिक्षा देना चाहिए
Karn यंत्रों का प्रयोग करना चाहिए जिससे उन्हें उचित रूप से सुना सके
उनके ऊपर विशेष रुप से व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना चाहिए
♦️ दोष युक्त वाणी वाले बालकों की शिक्षा
दोष युक्त बानी वाले बालकों की शिक्षा के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं
# दोष युक्त बालकों को चिकित्सा शल्य मनोविज्ञान द्वारा भी इलाज करवाना चाहिए
# अभिभावक तथा शिक्षक को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है
उन्हें ऐसे बच्चों के अशुद्ध उच्चारण को प्यार से ठीक करना चाहिए
उनको चिढ़ाना व उनके ऊपर हंसना नहीं चाहिए ऐसा करने से बच्चों में हीन भावना पनपती है
♦️ कोमल व निर्मल बालकों की शिक्षा-/
# ऐसे बच्चे रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं
# परिवार का विशेष ध्यान इन बच्चों पर होना चाहिए तथा पौष्टिक भोजन करवाना चाहिए जिससे कि इनकी कमजोरी दूर हो और इनके शरीर को प्रचुर मात्रा में विटामिंस व प्रोटीन मिल सके
# समय-समय पर शारीरिक जांच करवाना चाहिए
# उनकी शक्ति तथा क्षमता के अनुसार पाठ्यक्रम होना चाहिए अधिक से अधिक खेलकूद अन्य गतिविधि वाले कार्यक्रम रखें
# पढ़ाई में खेल विधि का उपयोग करना चाहिए जिससे कि वह खेल खेल में बेहतर और स्थाई सीख सकें तथा दृश्य और श्रव्य सामग्री का उपयोग करना चाहिए
# ऐसे बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए उन्हें प्यार से समझाना चाहिए जिससे कि उनमें हीन भावना ना आए
✍🏻ritu yogi✍🏻
🙏🏻
🌻 *विकलांग* *बालक*🌻
*(physically* *Handicaped *child*)
🏵
✍️ *विकलांग* *बालक* *की* *शिक्षा*— विकलांग बालक की शिक्षा में किसी कारणवश उन्हें परेशानी होती है जैसे उनके किसी शरीर का अंग का काम नहीं करना और असामान्य होना जिसके कारण उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में उन्हें विशेष कठिनाइयां होती है जैसे दृष्टिबाधित बच्चों को श्रवण बाधित मूर्ख बनाने वाले बालक के बालक को शारीरिक विकलांगता के अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था दी जानी चाहिए।
✍️ *अपंग* *बालको* *की* *शिक्षा*— यदि किसी कारणवश बच्चों में शारीरिक दोष होता है तो यह नहीं आवश्यक है कि बच्चे मन बुद्धि हो शारीरिक कमी के कारण हीन भावना जागृत हो सकती है इसलिए बालकों को इन के स्वरूप ही शिक्षा देकर इनके हीन भावना को समाप्त किया जाना चाहिए।
💎 विशेष प्रकार के विद्यालय का संगठन करें— विकलांग बच्चों के लिए विशेष प्रकार के विद्यालय का संगठन करना चाहिए जिससे उनके शिक्षा में कोई दिक्कत ना हो और वह नि:संकोच होकर पढ़ सके।
💎 उनकी विशेषता के हिसाब से उनके कच्छा कमरे का भी व्यवस्था करें— विकलांगता बच्चे के लिए ऐसी उनकी विशेषता के हिसाब से उनका कक्षा का कमरा व्यवस्था करना चाहिए जिससे जैसे वह नुकीली चीज ना हो उनके लिए।
💎 उचित प्रकार के बैठने की व्यवस्था हो:- उनके बैठने की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जो वह उचित प्रकार से बैठ सकें।
💎 डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेते रहेंगे उनके हर संभव चिकित्सा हेतु साधनों का इंतजाम करेंगे।
💎 विकलांग बच्चे से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे— विकलांग बच्चे से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करेंगे ताकि उन्हें ऐसा न लगे कि वह सामान्य बच्चे से कमजोर हैं।
💎 सामान्य पाठ्यक्रम को साधारण और क्रम में रखेंगे लेकिन व्यवसायिक पाठ्यक्रम पर जोर देंगे— बच्चे का पाठ्यक्रम ऐसा रखेंगे ताकि वह उनके आगे जाकर उनका काम आ सके वह अपने व्यवसायिक में उसका उपयोग कर सकें।
💎 मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे —बच्चे के मानसिक विकास का पूर्ण अवसर देंगे ताकि
वह अपना विकास कर सके हमें कोशिश करना चाहिए कि हमें उनको भरपूर मौका देता कि वह स्वयं से सीख सके।
💎 विकलांगता बच्चों का शारीरिक रूप से उनका सही समय पर उनका उपचार किया जाना चाहिए जिससे वह अपना आगे सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।
💎 शिक्षण विधि सरल रोचक क्रियात्मक या धीमी गति से हो— विकलांग बच्चों के लिए हमें शिक्षण विधि ऐसी बनानी चाहिए जिससे उन्हें रोचक क्रियात्मक के लगे जैसे उनके कार्य में उनको रुचि बने।
*part2*
✍️ *नेत्र हीन/ अद्ध नेत्र हीन की शिक्षा:-*
💎नेत्र हीन व अर्ध नेत्रहीन बालको को समान रूप से शिक्षा नहीं दे सकते है ऐसे बच्चे को निम्न प्रकार से शिक्षा दे सकते हैं :-
🌷नेत्र हीन बालक को ब्रेल लिपि के माघ्यम से पढायेगे, श्रव्य द्वारा बोलकर पढायेगे।
🌷नेत्र हीन बालक को *Audio cd* के माध्यम से शिक्षा देगे।
🌷नेत्र हीन बालक को समाज /जीवन मे समायोजन के लिए हस्त शिल्प संगीत की शिक्षा दी जानी चाहिए।
🌷 अर्द्ध नेत्रहीन ने बालक को कक्षा में आगे के बेंच पर बैठायेगे।
🌷अर्ध नेत्रहीन ने वाले बालों को बड़े और मोटे अक्षर वाले किताब उपलब्ध करवाएंगे ।
🌷अर्ध नेत्रहीन बालक को बोर्ड पर बड़ा और साफ लिखेंगे।
🌷 अर्ध नेत्रहीन बालको को उचित रोशनी की व्यवस्था करवाएंगे।
🌷 अर्ध नेत्रहीनता बालक को बोलकर पढायेगें।
🌷अर्ध नेत्रहीन बालक को चशमें/लेंस का प्रयोग करवायेगें।
🌷अर्ध नेत्रहीन बालक को श्रव्य सामाग्री का प्रयोग करवायेगें।
✍️ *बहरे या अर्ध बारे की शिक्षा:-*
🌷 जो बच्चे जन्मजात बहरे और गूंगे होते हैं इनके लिए ऐसे विद्यालय की स्थापना की जाए जहां वह उचित शिक्षा प्राप्त कर सकें।
🌷बहरे बच्चे को सांकेतिक भाषा में शिक्षा दी जानी चाहिए।
🌷 बहरे बालक को हाव-भाव के माघ्यम से शिक्षा देंगे।
🌷 बहरे बालको को होठों की गतिविधि से समझा कर पढ़ाएंगे।
🌷 बहरे बालक को ज्यादातर लिखा कर या दिखाकर पढ़ाएंगे।
🌷अर्ध बहरे बालक को सामान्य बच्चे के साथ पढ़ाया जा सकता है।
🌷अर्ध बहरे बालक को कर्णयंत्रो का प्रयोग करके पढायेगे।
🌷अर्ध बहरे बालक को विशेष घ्यान देने ताकि बच्चे को कोई भी परेशानी ना हो।
🌷अर्ध बहरे बालक को कक्षा में आगे बठायेगें।
✍️ *वाक् संबंधी विकार (दोषयुक्त वाणी):-*
🌷 शारीरिक और मनोवैज्ञानिक के दोनों कारण से होता है।
🌷 इनका चिकित्सा मनोवैज्ञानिक शल्य द्वारा भी इलाज संभव है।
🌷 घर का वातावरण भी सही होना चाहिए ना कि दोष युक्त हो क्योंकि यह बच्चे पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
🌷 ऐसे बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलना महत्वपूर्ण है।
🌷 इसमें शिक्षक और अभिभावक का भी विशेष ध्यान देंगे जो आवश्यक होंगे अशुद्ध उच्चारण को प्यार से ठीक करेंगे उनको चिढ़ाएंगे नहीं ऐसे नहीं करना चाहिए जिससे उनमें हीन भावना आए।
✍️ *कोमल या निर्बल बालकों की शिक्षा:-*
🌷 ऐसे बच्चे रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं यह बच्चे ठीक हो सकते हैं इसमें कुछ जिम्मेदारियां होती हैं।
🌷 परिवार का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
🌷 ऐसे बच्चों को पौष्टिक भोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
🌷 ऐसे बच्चों को समय-समय पर शारीरिक जांच करवानी चाहिए।
🌷 ऐसे बच्चों को उनके शक्ति के अनुसार पाठ्यक्रम या खेलकूद करवाना चाहिए।
🌷 ऐसे बच्चों की पढ़ाई में खेल विधि रखे दृष्य सामग्री रखे जिससे इनका रुचि बढ़े।
🌷 ऐसे बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
🌸🌸🌸🌷 *Notes by: Neha Roy*🌸🌸🌸🌸