Child Centric Education Notes by India’s top learners

🌷बाल केंद्रित शिक्षण🌷

🌹NCF:— मुख्य रूप से ncf-2005 में बाल केंद्रित शिक्षा की विवरण की गई लेकिन प्रकृतिवाद के समय से ही बाल केंद्रित और क्रिया केंद्रित शिक्षा पर चर्चा की

👉राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 — NPE
👉 प्रोग्राम ऑफ एक्शन 1992–POA

👉 14 वर्ष की आयु तक सभी बच्चे का नामांकन और उन्हें सार्वभौमिक रूप से स्कूल में टिकाए रखने तथा स्कूली शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार के लिए बाल केंद्रित उपागम का विचार किया गया था

👉 भारत में बाल केंद्रित शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका गिजुभाई की है

👉 बहुत पुस्तकों की रचना इन्होंने की है

👉 बाल मनोविज्ञान शिक्षा शास्त्र, किशोर साहित्य

🌹 बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत:—

(1) क्रियाशीलता का सिद्धांत बच्चे:— को क्रियाशील करके ज्ञान प्रदान किया जाता है हाथ पर मस्तिष्क सक्रिय होकर

(2) प्रेरणा का सिद्धांत:— पढ़ाई क्यों करनी है ,महापुरुषों की जीवनी, वैज्ञानिकों का उदाहरण देकर प्रेरित किया जाना, अनुकरण करा कर

(3) जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत :—ज्ञान जो है जीवन से संबंधित होनी चाहिए

(4) रुचि का सिद्धांत :—बालक को कैसे रुचि है ,वह रूचि कार्य करने की प्रेरणा देती है

(5 ) निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत:— बालक की शिक्षा उद्देश परक होनी चाहिए अर्थात बालक को दी जाने वाली शिक्षा बालक के उद्देश पूर्ण होनी चाहिए

(6) चयन का सिद्धांत:— क्षमताओं को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान करना

(7) व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धांत:—वैयक्तिक भिन्नता के अनुरूप शिक्षण प्रक्रिया में भी अंतर रखकर इस उद्देश्य को पूरा किया जा सकता है.

(8) लोकतांत्रिक सिद्धांत:—

(9) विभाजन का सिद्धांत:— पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट कर शिक्षण

(10) निर्माण व मनोरंजन का सिद्धांत:— रचनात्मक कार्य जैसे हस्तकला आदि के द्वारा शिक्षण

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Notes by:—sangita bharti

🌺🌺बाल केन्द्रित शिक्षा(Child Centered Education)🌺🌺
पूर्व में बाल मनोविज्ञान की जानकारी ना होने के कारण शिक्षक मारपीट कर बच्चों को पढ़ाते थे * बाल केंद्रित शिक्षा होने के बाद शिक्षक का कर्तव्य हो गया कि यह बालक के मानसिक सामाजिक वह मनोवैज्ञानिक स्तर वा आवश्यकताओं को वा उनकी क्षमता को समझ कर पढ़ाएं एवं उनके अनुकूल, गतिविधि ,शिक्षण सहायक सामग्री इत्यादि का प्रयोग करें।

🌺🌺According to Ncf-2005🌺🌺
➡️🌈मुख्य रूप से ncf-2005 में बाल केंद्रित शिक्षा का विवरण किया गया लेकिन प्रकृति वादी के समय से ही बाल केंद्रित और क्रिया केंद्र के शिक्षा संकल्पना की गई थी।

🌈14 वर्ष की आयु तक सभी बच्चों का नामांकन (किसी भी जाति धर्म आधार पर नामांकन से दूर ना किया जाए)और उन्हें सार्वभौमिक रुप से टिकाएं रखने तथा स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में ठोस सुधार लाने के लिए “बाल केंद्रित शिक्षा का उपागम का विचार प्रस्तुत किया गया है।

🌺🌺 बाल केंद्रित शिक्षा में भूमिका🌺🌺
🌈भारत में बालक केंद्र शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका गिजुभाई बधेका ने निभाई (यह बाल मनोविज्ञान एवं शिक्षा शास्त्र से संबंधित है)।

,🌈इन्होंने कई प्रकार की पुस्तकों की रचना भी की कुछ निम्नलिखित हैं÷
,➡️दिवा-स्वपन
➡️प्राथमिक विद्यालय में भाषा शिक्षा

🌺🌺बाल केन्द्रित शिक्षा के सिद्धांत🌺🌺

1️⃣ 🧠क्रिया शीलता का सिद्धांत🧠

🌈,इस सिद्धांत के द्वारा बच्चों को क्रियाशील रखकर ज्ञान प्रदान किया जाता है,इस क्रिया में बालक के मस्तिष्क के साथ हाथ,पैर भी भी सक्रिय होगा।(बालक इसमें क्रियाए भी करता रहेगा,
🎯जैसे÷क्लास के दौरान नोट्स बनाना।
🎯 मानसिक खेल के साथ शारीरिक खेल भी खिलवाना।

2️⃣🧠प्रेरणा का सिद्धांत🧠÷

🌈इसमें बालको को पढ़ाई क्यो करनी चाहिए;
🌈महापुरुषों की जीवनी वा महान वैज्ञानिकों के उदाहरण देकर प्रेरणा विकसित कर सकते हैं क्योंकि बच्चों को बचपन से ही महापुरुषों की वीर कथाओं कविताओं को पढ़ने के कारण उनकी जीवनी की तरफ आकर्षित रहते है।

3️⃣🧠जीवन से संबंधित में करने का सिद्धांत🧠

,🌈इसमें हम बच्चों के जीवन से जोड़कर उनको पढ़ाते है, इससे वह उस ज्ञान को अच्छे से समझ जाते है।

4️⃣🧠रुचि का सिद्धांत🧠
🌈बालको को किस प्रकार की क्रियाओ में रुचि है, यह जानकर शिक्षण देने से ज्ञान को अच्छे से समझते हैं वा लंबे समय तक याद रख सकते है,

🎯 जैसे÷बालकों को खेल-खेल में पढ़ा देना;

5️⃣🧠निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत🧠

🌈बालकों को दी जाने वाली शिक्षा बालकों के उद्देश्य को पार करने वाली होनी चाहिए क्योंकि उद्देश निश्चित होगा तो सफलता तभी मिलेगी।

,6️⃣🧠चयन का सिद्धांत🧠
🌈बालको की रुचि के अनुसार पढ़ाने के लिए विभिन्न क्रियाओं का चयन करके पढ़ाना ,उनकी आवश्यकता के अनुसार विषय वा शिक्षण अधिगम सामग्री का चयन करके पढ़ाना।

7️⃣🧠व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धांत🧠
प्रत्येक बालक की मानसिक क्षमता अलग-अलग होती है अत: शिक्षण करते समय प्रत्येक बालक की मानसिक क्षमता को ध्यान में रखकर अधिगम करने से अधिक प्रभावी होता है क्योंकि प्रत्येक बालक विशिष्ट है और उनको समझाना शिक्षक का कर्तव्य।

8️⃣🧠निर्माण व मनोरंजन का सिद्धांत🧠

🌈बच्चो से हस्तकला ( बच्चों से छोटी मिट्टी की गोलियां बनवाना या मूर्तियां बनवाना ,या गत्ते से खिलौने वा अन्य महत्वपूर्ण चीजें बनवाना) रचनात्मक कार्य( नाट्क , एकांकी वा अंताक्षरी आदि करवाना) भी करवाएं ।

9️⃣🧠विभाजन का सिद्धांत🧠
– बच्चों को किसी भी विषय के पाठ को पढ़ाने के लिए छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर पढ़ाने से बालक पाठ को अच्छे से समझते है वा इसी के आधार पर अपनी समस्याओं को टुकड़ों में बाटकर हल करना सीखते है।
Thank you 💞☺️
Notes by- $hikhar pandey

🦚💥 बाल केंद्रित शिक्षा💥
(Child Centred Education)

👉🏼बाल केंद्रित शिक्षा में बच्चों के मूल प्रवृत्ति , प्रणाम और संवेग ऊपर आधारित शैक्षणिक योजना का स्वरूप निर्धारित किया जाता है।
👉🏼साथ ही साथ इस में शिक्षा के उन नूतन व नवीन रचनाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाता है जो बच्चों के आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति में सहायक हो।
👉🏼 और उनके शारीरिक मानसिक ,सामाजिक, संवेगात्मक व आध्यात्मिक पक्षों का संतुलित व समुचित विकास किया जा सके।
👉🏼 मुख्य रूप से NCF2005 में बाल केंद्रित शिक्षा की विवरण की गई हैलेकिन प्रगतिवादी के समय से ही बाल केंद्रित और क्रिया केंद्रित शिक्षा पर चर्चा की गई।
👉🏼सामान्य शब्दों में प्राथमिक स्तर तक के विद्यालयों में बालकों को दी जाने वाली शिक्षा को ही बाल केंद्रित शिक्षा कहा जाता है।

💥 राष्ट्रीय शिक्षा नीतिNPE 1986
💥 कार्यकारी योजना 1992

👉🏼14 वर्ष की आयु तक सभी बच्चों का नामांकन और उन्हें सार्वभौमिक रूप से स्कूलों में टिकाए रखने तथा स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बाल केंद्रित उपागम का विचार प्रस्तुत किया गया था।
👉🏼भारत में बाल केंद्रित शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका कि जो भाई की थी उन्होंने बहुत पुस्तकों की रचना की।

🎯 बाल मनोविज्ञान शिक्षा शास्त्र
🎯 किशोर साहित्य

🌺 बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत➖

🎯 क्रियाशीलता का सिद्धांत➖
बालकों को क्रियाशील रखकर शिक्षा प्रदान करना इससे किसी भी कार्य को करने में बालक के हाथ पैर और मस्तिष्क सब क्रियाशील हो जाते हैं

🎯 प्रेरणा का सिद्धांत➖इसके अंतर्गत बालकों को महापुरुषों, वैज्ञानिकों का उदाहरण देकर प्रेरित किया जाना शामिल है।

🎯 जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत➖ अनुकरणीय व्यवहार नैतिक कहानियां व घटनाओं आदि द्वारा बालक का शिक्षण किया जाता है।

🎯 रुचि का सिद्धांत➖ रूचि कार्य करने की प्रेरणा देता है।

🎯 निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत➖बालक की शिक्षा उद्देश्य परखो अर्थात बालक को दी जाने वाली शिक्षा बालक के उद्देश को पूर्ण करने वाली हो।

🎯 चयन का सिद्धांत➖ बालक की योग्यता और रूचि के अनुसार विषय वस्तु का चयन करना।

🎯 व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धांत➖व्यक्तिगत विभिन्नता ओं का सिद्धांत प्रत्येक बालक का आइक्यू अलग अलग होता है अतः उनकी विशेषताओं को ध्यान में रखना चाहिए।

🎯 लोकतांत्रिक सिद्धांत➖
लोकतांत्रिक सिद्धांत हमारे लिए कक्षा में सभी विद्यार्थी समान हैं सभी से सामान प्रश्न पूछना चाहिए उनसे कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

🎯 विभाजन का सिद्धांत➖ विभाजन का सिद्धांत जो भी पढ़ाई उसे कुछ भागों में बांटकर पढ़ाई ताकि वह सरल हो सके।

🎯 निर्माण और मनोरंजन का सिद्धांत➖ निर्माण व मनोरंजन का सिद्धांत हस्तकला एवं रचनात्मक कार्यों को करवाना है इन कार्यों से बालक की अध्ययन में रुचि बढ़ती है।

🖊️🖊️📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

🔆 बाल केंद्रित शिक्षा (child center education)🔆

प्राचीन काल में शिक्षा का उद्देश्य केवल बालक को जानकारी देना मात्र था लेकिन आधुनिक शिक्षा शास्त्र के अनुसार बालक के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाता है उसके विकास के सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर शिक्षा दी जाती है।

👉 बालक के मनोविज्ञान को समझते हुए शिक्षण की व्यवस्था करना तथा उसकी अधिगम संबंधी कठिनाइयों को दूर करना बाल केंद्रित शिक्षा कहलाता है अर्थात बालक की रुचियां प्रवृत्तियों तथा क्षमताओं को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान करना ही बाल केंद्रित शिक्षा कहलाता है।

इसमें बालक का व्यक्तिगत निरीक्षण करके उसकी कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया जाता है।

पूर्व में बाल मनोविज्ञान की जानकारी ना होने के कारण शिक्षक बच्चों को मारपीट कर शिक्षा प्रदान करते थे लेकिन बाल केंद्रित शिक्षा आने के बाद शिक्षक का कर्तव्य हो गया है कि वह बालक के मानसिक सामाजिक मनोवैज्ञानिक स्तर आवश्यकताओं उसकी क्षमता को समझ कर शिक्षा प्रदान करें एवं उसके अनुकूल प्रतिक्रिया या गतिविधि शिक्षण सहायक सामग्री आदि का प्रयोग करें।

🔰 According to NCF – 2005➖
मुख्य रूप से NCF – 2005 मैं बाल केंद्रित शिक्षा का विवरण दिया गया लेकिन प्रकृति वादी समय से ही बाल केंद्रित और क्रिया केंद्र शिक्षा संकल्पना की गई थी।

✨14 वर्ष की आयु तक सभी बच्चों का नामांकन किसी भी जाति धर्म के आधार पर नामांतरण से दूर नहीं किया जाए और उन्हें सार्वभौमिक रूप से टिकाऊ रखने तथा स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में ठोस सुधार लाने के लिए बाल केंद्रित शिक्षा का उपागम का विचार प्रस्तुत किया गया है।

🎯 भारत में बाल केंद्रित शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका गिजुभाई भाई ने निभाई यह बाल मनोविज्ञान शिक्षा शास्त्र एवं किशोरशास्त्र से संबंधित थे।

✨ इन्होंने कई प्रकार की पुस्तकों की रचना भी की कुछ पुस्तकें निम्न हैं ➖

– दिवा-स्वपन
– प्राथमिक विद्यालय में भाषा शिक्षा

📚 बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धान्त ➖

1️⃣ क्रियाशीलता का सिद्धांत ➖
इस सिद्धांत के द्वारा बच्चों को क्रियाशील रखकर ज्ञान प्रदान किया जाता है इसमें बालक के मस्तिष्क के साथ हाथ पैर भी सक्रिय होने चाहिए बालक इसमें क्रियाएं भी करता रहेगा जैसे शिक्षा देते समय बालक को कुछ पॉइंट नोट करने चाहिए।

2️⃣ प्रेरणा का सिद्धांत ➖

इसमें बालक को पढ़ाई क्यों करनी चाहिए इसमें बालक को महापुरुषों की जीवनी महान वैज्ञानिकों के उदाहरण देकर प्रेरणा विकसित करके शिक्षा दी जाती है क्योंकि बच्चों को बचपन से ही महापुरुषों की कहानियां कविताओं को पढ़ने में रुचि होती है और बच्चे महापुरुषों की जीवनी एवं महान वैज्ञानिकों के कार्यों से प्रेरित होकर रुचि के साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं और उन से प्रेरित होकर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं।

3️⃣ जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत ➖
इसमें बच्चों को जीवन से जोड़कर शिक्षा प्रदान की जाती है जिससे वह उस ज्ञान को अच्छे से समझ जाते हैं।

4️⃣ रूचि का सिद्धांत ➖
बालक को यदि उसकी रूचि के अनुसार शिक्षा मिलेगी तो वह सीखने के प्रति अधिक उत्सुक एवं जागरूक होंगे शिक्षा में बालक की रुचि को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान करनी चाहिए जिससे वह शिक्षण में दिए गए ज्ञान को अच्छे से समझे एवं लंबे समय तक याद रख सकें।

5️⃣ निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत ➖
बालक को दी जाने वाली शिक्षा बालक के उद्देश्य को ध्यान में रखकर दी जानी चाहिए क्योंकि उसके उद्देश्य निश्चित होगा तो सफलता तभी प्राप्त होगी।

6️⃣ चयन का सिद्धांत ➖

बालक की योग्यताओं के अनुसार ही विषय वस्तु का चयन होना चाहिए बालक की मानसिक दशा का भी शिक्षक को ध्यान रखना चाहिए बाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम रूचि के अनुसार लचीला ज्ञान पर केंद्रित राष्ट्रीय भावना का विकास करने वाला बालक के मानसिक स्तर के अनुसार होना चाहिए जिससे बालक अधिक ज्ञान प्राप्त कर सकें।

7️⃣ व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धांत ➖
एक बालक की मानसिक क्षमता अलग-अलग होती है अतः शिक्षण कराते समय प्रत्येक बालक की मानसिक क्षमता को ध्यान में रखकर अधिगम कराना चाहिए जिससे अधिगम प्रभावशाली हो सके क्योंकि प्रत्येक बालक विशिष्ट है और उनको समझना शिक्षक का कर्तव्य होता है।

8️⃣ निर्माण एवं मनोरंजन का सिद्धांत ➖
बच्चे को हस्तकला जैसे छोटी मिट्टी की गोलियां बनाकर या मूर्ति बनाकर एवं गत्ते के खिलौने या अन्य महत्वपूर्ण चीजें बनवाकर रचनात्मक कार्य जैसे नाटक अंताक्षरी आदि कराकर भी शिक्षा प्रदान करानी चाहिए।

9️⃣ विभाजन का सिद्धांत ➖

बच्चों को किसी भी विषय के पाठ को पढ़ाने के लिए छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर पढ़ाने से बालक पाठ को अच्छे से समझते हैं उसी के आधार पर अपनी समस्याओं को टुकड़ों में बांटकर हल करना सीखते हैं।

🔟 लोकतंत्रीय सिद्धांत ➖

शिक्षक को सभी छात्रों को एक समान दृष्टिकोण से देखना चाहिए ना कि भेदभाव पूर्ण तरीके से प्रश्न पूछने पर उत्तर देने के संदर्भ में शिक्षा में बदलाव नहीं करना चाहिए सभी को समान शिक्षा दी जानी चाहिए।

📝 Notes by ➖
✍️ Gudiya Chaudhary

👉 बाल केंद्रित शिक्षा (child centric education) मुख्य रूप से ncf -2005 में बाल केंद्रित शिक्षा का विवरण दिया गया है। लेकिन प्रकृति वादी के समय से ही बाल केंद्रित और क्रिया केंद्रित शिक्षा पर चर्चा की गई है~ *राष्ट्रीय शिक्षा नीति- (N P E) 1986 program of action-(P O A) 1992 14 वर्ष की आयु तक सभी बच्चों का नामांकन और उन्हें सार्वभौमिक रूप से स्कूल में टिकाए रखने तथा स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बाल केंद्रित उपागम का विचार प्रस्तुत किया था ◾ भारत में बाल केंद्रित शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका गिजुभाई की है इनके द्वारा कई पुस्तकों की रचना भी की गई है – 🔸 बाल मनोविज्ञान और शिक्षा शास्त्र 🔹 किशोर साहित्य 👉 बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत *1️⃣क्रियाशीलता का सिद्धांत-*अध्यापक बच्चे को क्रियाशील करके ज्ञान प्रदान करता है हाथ पैर तथा मस्तिष्क को सक्रिय रखकर ज्ञान प्रदान करना ही क्रियाशीलता है। 2️⃣*प्रेरणा का सिद्धांत-* छात्रों को बताया जाता है पढ़ाई क्यों करनी है, महापुरुषों की जीवनी, अनुकरण करके आदि तरीकों से छात्रों को प्रेरणा दी जाती है 3️⃣*जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत*- ज्ञान को जीवन से संबंधित कराके छात्रों को पढ़ाना चाहिए। 4️⃣* रुचि का सिद्धांत-* रुचि कार्य करने की प्रेरणा देती है जब बच्चों में रुचि होगी तो वह कार्य को क्रियाशील होकर कर पाएंगे। 5️⃣*निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत*- पढ़ाने से पहले एक शिक्षक के अंदर निश्चित उद्देश्य का होना अति आवश्यक है इससे शिक्षक को पता होता है। उसको क्या पढ़ाना है तथा किस माध्यम से पढ़ाना है । 6️⃣*चयन का सिद्धांत*- शिक्षण कार्य कराने से पहले हमें यह चयन कर लेना चाहिए कि बच्चों के लिए क्या जरूरी है क्या नहीं फिर उस माध्यम से शिक्षण कार्य कराना चाहिए। 7️⃣*व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धांत*- व्यक्तिगत विभिन्नताओ को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य कराना चाहिए सभी छात्रों को सीखने के समान अवसर मिलने चाहिए। 8️⃣*लोकतंत्रीय सिद्धांत*सभी छात्रों को एक साथ लोकतंत्र के आधार पर शिक्षा ग्रहण करानी चाहिए । 9️⃣*विभाजन का सिद्धांत*- छात्रों को पाठ्यक्रम छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित करके पढ़ाना चाहिए। 🔟*निर्माण और मनोरंजन का सिद्धांत*- बच्चों के अंदर ज्ञान का निर्माण कराकर तथा मनोरंजन के माध्यम से उन्हें खेल खेल में शिक्षा देकर उनके ज्ञान को स्थाई कर सकते हैं। ✍️*Written by – Vinay Singh Thakur

🌼🌼बाल केंद्रित शिक्षा 🌼🌼
🌼(child centric education ) 🌼
🌼(Progressive education) 🌼

ncf (national curriculum framework –2005 )

🌼मुख्य रूप से ncf-2005 में बाल केंद्रित शिक्षा की विवरण की गई, लेकिन प्रकृतिवादी के समय से ही बाल केंद्रित शिक्षा और क्रिया केंद्रित शिक्षा पर चर्चा करें

🌼🌼 बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत🌼🌼
🌼🌼1. क्रियाशीलता का सिद्धांत — बच्चे को क्रियाशील करके ज्ञान प्रदान किया जाता है तथा हाथ, पैर , मस्तिष्क सब सक्रिय होते हैं

🌼🌼2. प्रेरणा का सिद्धांत — पढ़ाई क्यों करनी है महापुरुषों की जीवनी से प्रेरित होते है अनुकरण के द्वारा सीखते है

🌼🌼3. जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत– बच्चे को जीवन से जोड़कर पढ़ाना पढ़ाना चाहिए

🌼🌼4.रुचि का सिद्धांत — रुचि सिद्धांत रुचि कार्य करने की प्रेरणा देती है

🌼🌼5. निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत — बालक को दी जाने वाली उद्देश्य पूर्ण होनी चाहिये!

🌼🌼6.चयन का सिद्धांत व्यक्तिगत – बच्चों को पढ़ाने से पहले यह चयन करते है कि बच्चे को क्या पढ़ना है क्या सिखाना है.. इसका चयन कर लेना चाहिए!!

🌼🌼7. व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धांत — सभी बालक अलग-अलग भिन्नाताओ, क्षमताओं तथा अलग-अलग रुचि वाले होते हैं इसलिए उनमें व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना चाहिए

🌼🌼8.लोकतंत्र सिद्धांत — बच्चों को लोकतांत्रिक शिक्षा देनी चाहिए

🌼🌼9.विभाजन का सिद्धांत — बच्चे के पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके शिक्षण कराना चाहिए

🌼🌼10.निर्माण और मनोरंजन का सिद्धांत–बच्चे को रचनात्मक कार्य कराना चाहिए बच्चों के अंदर ज्ञान का निर्माण कराकर मनोरंजन के माध्यम से तथा खेल के माध्यम से बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए

🌼🌼 राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NEP) -1986

🌼🌼program of action (POA)-1992
14 वर्ष की आयु तक सभी बच्चे का नामांकन और उन्हें सार्वभौमिक रूप से स्कूल में टिकाए रखने तथा स्कूल शिक्षा गुणवत्ता में ठोस सुधारने के लिए बाल केंद्रित उपागम का विचार प्रस्तुत किया था

🌼🌼भारत में बाल केंद्रित शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका गिजु भाई की है
बहुत पुस्तकों की रचना की है
🌼1.बाल मनोवैज्ञानिक शिक्षा शास्त्र
🌼2. किशोर साहित्य

🌼🌼Notes by manjari soni 🌼

🔆बाल केन्द्रित शिक्षा (Child Centric Education/ प्रगतिशील शिक्षा (Progressive Education) ➖

बाल केंद्रित शिक्षा को बाल केंद्रित एवं क्रिया केंद्रित करने की बुनियादी नीव की चर्चा प्रकृतिवाद के समय से ही की गई थी |

लेकिन मुख्य रूप से ncf-2005 या राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 में बाल केंद्रित शिक्षा का विवरण किया गया |

बाल केंद्रित शिक्षा में बच्चे की क्षमता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रदान की जाती है |

इसके अंतर्गत बच्चे के सामाजिक सांस्कृतिक संज्ञानात्मक आदि सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए और उनकी व्यक्तिगत विभिन्नता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रदान की जाती है |

बाल केंद्रित शिक्षा मुख्य रूप से प्राथमिक विद्यालयों में दी जाती है लेकिन इसका प्रावधान हाईस्कूल तक कर दिया गया है बाल केंद्रित शिक्षा में बच्चे को खोजकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया जाता है बच्चे की सोच में वैज्ञानिक तर्क का विकास किया जाता है जिससे वह किसी भी समस्या का समाधान स्वयं कर सकता है |

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 और कार्यकारी योजना ( Program of Action POE) 1992 में कहा गया कि
” 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को बिना भेदभाव के साथ नामांकन और उन्हें सार्वभौमिक रूप से स्कूल में टिकाए रखने तथा स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बाल केंद्रित उपागम का विचार प्रस्तुत किया था” |

यदि हम बाल केंद्रित शिक्षा की बात करते हैं तो उसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को ध्यान में रखते हुए उनकी क्षमता के अनुसार शिक्षा देने की बात कही जाती है |

बाल केंद्रित शिक्षा के संदर्भ में भारतीय शिक्षाविद् गिजुभाई ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इन्होंने
“बाल मनोविज्ञान शिक्षाशास्त्र और किशोर साहित्य ”
नामक पुस्तकों की रचना की |

🔆 बाल केन्द्रित शिक्षा के सिद्धांत ➖

🎯 क्रियाशीलता का सिद्धांत➖

इस सिद्धांत के अनुसार छात्र को क्रियाशील होना जरूरी है इसमें बच्चे को क्रियाशील करके ज्ञान प्रदान किया जाता है बच्चे के हाथ पैर मस्तिष्क आदि सब सक्रिय होना चाहिए |

🎯 प्रेरणा का सिद्धांत➖

यदि बच्चा क्रियाशील है तभी वह सीख सकता है जो प्रेरणा के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि बच्चे अनुकरण करते हैं और अनुकरण से प्रेरित होकर सीखते हैं शिक्षक बच्चों को कुछ महापुरुषों की जीवनी, आत्मकथा ,कहानी, कविताएं ,आदि सुना कर भी प्रेरित कर सकते हैं |

🎯जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत➖

बच्चों को दैनिक जीवन से जोड़कर पढ़ाया जाना चाहिए जिससे बच्चे का ज्ञान स्थाई हो सके |

🎯 रूचि का सिद्धांत➖

रुचि कार्य करने की प्रेरणा देती है शिक्षण में बच्चों को रुचि होना चाहिए अन्यथा पढ़ाई नीरस हो जाएगी और बाल केंद्रित शिक्षा नहीं हो पाएगी |

🎯 निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत➖

जब तक निश्चित उद्देश्य नहीं होगा तब तक बाल केंद्रित शिक्षा का कोई मतलब नहीं है क्योंकि बच्चों को एक निश्चित लक्ष्य के साथ पढ़ाना चाहिए जिससे उनका शिक्षण प्रभावी हो सके |

🎯चयन का सिद्धांत➖

एक शिक्षक को बच्चे के शिक्षण का उद्देश्य उनके शिक्षण विधियों का चयन आदि के बीच एक संतुलन बनाकर अवश्य रखना चाहिए | अन्यथा शिक्षण रुचिकर नहीं होगा और इससे बाल केंद्रित शिक्षा की अवधारणा कोई अर्थ नहीं है |

🎯 व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धांत ➖

सभी बच्चों की सीखने की क्षमता उनके तौर-तरीके ,ऊंची सब अलग-अलग होती है और उस व्यक्तिगत विभिन्नता को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है अन्यथा उनकी विभिन्न व्यक्तिगत विभिन्नता का सम्मान नहीं हो पाएगा |

🎯 लोकतांत्रिय सिद्धांत➖

लोकतांत्रिय रूप से बच्चे को शिक्षा देना बहुत आवश्यक है जिससे बच्चे की शिक्षा में प्रगति होगी तथा इससे बच्चे और शिक्षक दोनों के बीच एक अंतः क्रिया होगी दोनों सक्रिय रुप से उपस्थित रहेंगे |

🎯 विभाजन का सिद्धांत ➖

आवश्यकता के अनुसार शिक्षण का विभाजन बहुत आवश्यक है इससे बच्चों को क्या पढ़ाना है, क्या नहीं पढ़ाना है,क्या आवश्यक है, क्या नहीं आवश्यक है, इन सभी का निर्धारण हो जाता है और शिक्षण प्रक्रिया उचित ढंग से सुचारू रुप से चलती है |

🎯 निर्माण और मनोरंजन का सिद्धांत➖

बच्चों में निर्माण जरूरी है जो कि मनोरंजन से हो सकता है क्योंकि मनोरंजन से प्रेरणा मिलती है और रुचि भी बढ़ती है |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

🌻🌼🍀🌸🌺🌻🌼🍀🌸🌺🌻🌼🍀🌸🌺🌻🌼🍀🌸🌺

💐💐 बाल केंद्रित शिक्षा💐💐
Child centeric education

▫️ बाल केंद्रित शिक्षण में व्यक्तिगत शिक्षण को महत्व दिया जाता है इसमें बालक का व्यक्तिगत निरीक्षण कर उसकी दैनिक कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया जाता है।
बालक के व्यवहार और व्यक्तित्व में सामान्यता के लक्षण होने पर बौद्धिक दुर्बलता समस्यात्मक बालक योगी बालक अपराधी बालक इत्यादि का निदान बाल केंद्रित शिक्षा से किया जाता है।

🌸 मुख्य रूप से ncf-2005 में बाल केंद्रित शिक्षा का विवरण किया, लेकिन प्रगतिवादी के समय से ही बाल केंद्रित और क्रिया केंद्रित शिक्षा पर चर्चा करते हैं।

🌺 इसमें 14 वर्ष तक की आयु के “सभी बच्चों का नामांकन” और सार्वभौमिक रूप से “स्कूल में टिकाए रखने” तथा स्कूली “शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार” के लिए बाल केंद्रित शिक्षा का उपागम का विचार प्रस्तुत किया।

🌺राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE)– 1986
🌺 Program of Action–1992

💐 भारत में बाल केंद्रित शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका गिजू बधेका भाई है।

▫️ इन्होंने कई प्रकार की पुस्तकों की रचना की है।
👉 बाल मनोविज्ञान शिक्षा शास्त्र
👉 किशोर साहित्य

💐 बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत💐

1– क्रियाशीलता का सिद्धांत:-
इस सिद्धांत मैं बच्चे को क्रियाशील करके ज्ञान प्रदान किया जाता है किसी भी क्रिया को करने में छात्र के हाथ पैर और मस्तिष्क सभी क्रियाशील हो जाते हैं।

2– प्रेरणा का सिद्धांत:- छात्र अनुकरणीय व्यवहार नैतिक कहानियां व नाटकों आदि के द्वारा बालक अच्छी तरह से सीखते हैं इसमें हम लोगों को महापुरुषों की जीवनी वैज्ञानिकों के उदाहरण आदि के माध्यम से प्रेरित करके आगे बढ़ा सकते हैं।

3– रुचि का सिद्धांत:- रुचि कार्य करने की प्रेरणा देती है अगर बालकों को किसी कार्य को करने में रुचि होती है तो वह उसको करने को उत्सुक होते हैं।

4– निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत:-
बालक को दी जाने वाली शिक्षा बालक के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर देनी चाहिए क्योंकि उसका उद्देश्य निश्चित होगा तभी सफलता प्राप्त होगी।

5– चयन का सिद्धांत:- बालक की योग्यता के अनुसार ही विषय वस्तु का चयन करना चाहिए बाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम रूचि के अनुसार लचीला होना चाहिए।

6– व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धांत:-
प्रत्येक बालक की मानसिक क्षमता अलग-अलग होती हैं अतः उनकी विभिन्न नेताओं को ध्यान में रखकर शिक्षा को अधिगम या पढ़ाना चाहिए जिससे अधिगम अत्यधिक रुचिकर और प्रभावशाली होगा।

7– लोकतंत्रीय सिद्धांत:- शिक्षा के लिए कक्षा में सभी विद्यार्थी समान है एक शिक्षक का कर्तव्य है कि वह सभी विद्यार्थियों को समान रूप से देखें।
उनसे कोई भेद भाव नही होना चाहिए।

8– विभाजन का सिद्धांत:- शिक्षक द्वारा जो भी पाठ पढ़ाया जाये उसे कुछ भागों में बांटकर सरल करके पढ़ाएं।

9– निर्माण व मनोरंजन का सिद्धांत:-

बाल केंद्रित शिक्षा करके सीखने पर अत्यधिक बल देता है तुम हमें बच्चों को हस्तकला एवं रचनात्मक कार्य भी करवाने चाहिए इन कार्यों से बालक के अध्ययन में रुचि बढ़ती है।

10– जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत:- ज्ञान, बालक के जीवन से संबंधित होना चाहिए जिससे बालकों को सीखने में सरलता अनुभव होती है।

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✍🏻 NOTES BY
💐Shashi Choudhary

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बाल केंद्रित शिक्षा (child centred education/progressive education) 🔥🔥

मुख्य रूप से ncf-2005 में बाल केंद्रित शिक्षा की विवरण की गई, लेकिन प्रकृतिवादी के समय से ही बाल केंद्रित और क्रिया केंद्रीय शिक्षा पर चर्चा की गई थी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 1986 (national policy on education)🔥🔥

संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति -1992
(Program of action)🔥🔥

14 वर्ष की आयु तक सभी बच्चे का नामांकन और उन्हें सार्वभौमिक रूप से स्कूल में टिकाए रखने तथा स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बाल केंद्रित उपागम का विचार प्रस्तुत किया गया था।

🌟 भारत में बाल केंद्रित शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका गिजुभाई बधेका की है। इन्होंने बहुत सारे पुस्तकों की रचना की जिनमें से “बाल मनोविज्ञान शिक्षा शास्त्र” और “किशोर साहित्य”से सम्बन्धित पुस्तकों की रचना की।

बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत 🔥🔥

1. क्रियाशीलता का सिद्धांत(law of productivity)🔥🔥

बालकों को क्रियाशील रखकर शिक्षा प्रदान करना इससे किसी भी कार्य को करने में बालक के हाथ, पैर और मस्तिष्क क्रियाशील हो जाते हैं।

2. प्रेरणा का सिद्धांत 🔥🔥

इसके अंतर्गत बालकों को महापुरुषों, वैज्ञानिको, आदिं का उदाहरण देकर प्रेरित किया जाना शामिल है।

3. जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत 🔥🔥

बच्चों को जीवन से जुड़े हुए ज्ञान से संबंधित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे बच्चे अपने पूर्व अनुभव के आधार पर नए ज्ञान को सीख सकें।

4. रुचि का सिद्धांत 🔥🔥

रूचि कार्य करने की प्रेरणा देती है। जब बच्चे को किसी कार्य को करने में रुचि होगी तभी वह उससे संबंधित किसी ज्ञान को रुचि के साथ सीखेगा।

5. निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत🔥🔥

बालक की शिक्षा उद्देश्य परक हो अर्थात बालक को दी जाने वाली शिक्षा बालक के उद्देश्य को पूर्ण करने वाली हो।

6. चयन का सिद्धांत🔥🔥

छात्रों को उनकी क्षमता,योग्यता और रूचि के अनुसार विषय वस्तु का चयन किया जाना चाहिए।

7. व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धांत🔥🔥

हर बच्चा शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक आदि रूपों में अन्य बालकों से भिन्न होते हैं इसलिए हर बच्चों की विभिन्नताओं के अनुसार अलग-अलग विधियों से उनको शिक्षा दी जानी चाहिए। जिससे हर बच्चा सीख सके।

8. लोकतंत्र के सिद्धांत🔥🔥

शिक्षकों को चाहिए कि शिक्षार्थियों को समान रूप से शिक्षा प्रदान करें किसी भीे बच्चे में भेदभाव ना करें।

9. विभाजन का सिद्धांत🔥🔥

बच्चों को पाठ्य पुस्तक पढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनको क्या,कैसे और कितना पढ़ाना है इसके लिए विषय को छोटे-छोटे इकाइयों में विभाजित करके पढ़ाना चाहिए जिससे बच्चे को बोझ भी ना लगे और वह कक्षा में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।

10. निर्माण और मनोरंजन का सिद्धांत🔥🔥

हर बच्चों को खेलो और गतिविधियों का हिस्सा बनने का अधिकार है जो उनके शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक विकास की अनुमति देते हैं इसलिए शिक्षक को चाहिए कि शिक्षा में खेल भी शमिल करें जिससे बच्चे मे सर्वांगीण विकास हो सके।

Notes by-Shreya Rai🙏🙏

🎯बाल केंद्रित शिक्षा (child centric education)/प्रगतिशील शिक्षा (progressive education)🌈

💫मुख्य रूप से ncf-2005 में बाल केंद्रित शिक्षा की विवरण की गई, लेकिन प्रकृतिवादी से ही बालकेंद्रित और क्रियाकेंद्रित शिक्षा पर चर्चा की गई है।

💫 बाल केंद्रित शिक्षा में बच्चे के सभी पहलू को ध्यान में रखा जाता है जैसे- सामाजिक, सांस्कृतिक, संज्ञानात्मक इत्यादि।

👉इसमें बच्चों को सक्रिय खोजकर्ता के रूप में देखा जाता हैं। इसमें बच्चों के तर्क – वितर्क एवं समस्या समाधान इत्यादि का गुण विकसित होते हैं।

🌈राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE)- 1986

🌾कार्यकारी योजना(PROGRAM OF ACTION-(POE)1992

🍂14 वर्ष की आयु तक जितने भी बच्चे हैं सभी बच्चे का नामांकन और उन्हें सार्वभौमिक रूप से स्कूल में टिकाए रखने तथा स्कूली शिक्षा के ठोस गुणवत्ता में ठोस सुधार के लिए बाल केंद्रित उपागम का विचार प्रस्तुत किया गया था।

🌹भारत में बाल केंद्रित शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका गिजूभाई की थी।

🌿 गिजूभाई ने बहुत पुस्तकों की रचना की। जैसे:-
बाल मनोविज्ञान, शिक्षा शास्त्र किशोर साहित्य इत्यादि।

💫बाल केंद्रित शिक्षा के सिद्धांत

🌴(1) क्रियाशीलता का सिद्धांत :-
छात्र को क्रियाशील करके शिक्षा प्रदान किया जाता है ।
जब बच्चा सक्रिय रहेगा तब वह मेहनत करेगा और सीखेगा।

हाथ पैर मस्तिष्क को सक्रिय होंगे जरूरत के अनुसार।

🌾(2) प्रेरणा का सिद्धांत :-

बचा अलग-अलग तरह से प्रेरणा मिलना चाहिए।
जैसे – पढ़ाई क्यों करनी है, महापुरुषों की जीवनी , वैज्ञानिक इत्यादि का उदाहरण देकर बच्चे प्रेरित किया जाना शामिल हैं।

🌻(3) जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत:-

बच्चे अपने दैनिक जीवन में जो भी किए रहते हैं उनसे जोड़कर शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। ताकि बच्चे पूर्व अनुभव के आधार पर नए ज्ञान को सीख सकें।

🌀(4)रुचि का सिद्धांत :-

रुचि आएगी तब बच्चों में प्रेरणा आएगी बच्चों को काम के प्रति रुचि होनी चाहिए तो बच्चे प्रेरित होते हैं और रुचि के अनुरूप सीखते हैं।

रुचि कार्य करने की प्रेरणा देती है।

🥀(5) निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत :-

बालक की शिक्षा उद्देश्य परक, यानी बालक को दी जाने वाली शिक्षा बालक के उद्देश्य को पूर्ण करती हो।

🌺(6) चयन का सिद्धांत :-

बच्चों को किस तरीके से पढ़ाना है ,किस चीज में कितना समय देना है, चीजों को संतुलित करना अति आवश्यक है।

💐(7) व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धांत :-
विद्यालय में विभिन्न समूह ,जाति, धर्म ,लिंग के बच्चे होते हैं जिनको समझाना और सबको संतुलित करना बहुत जरूरी है।

☀️(8) लोकतंत्रीय सिद्धांत :-

शिक्षक बच्चों को साथ रखें, सबको साथ बढ़ाना है शिक्षार्थी को समान रूप से शिक्षा प्रदान करें।

🌴(9)विभाजन का सिद्धांत :-

शिक्षक को चाहिए कि बच्चों को क्या पढ़ना है, कैसे पढ़ाना है ,किस चीजों को कब ,कैसे, कितना समय देना है ।सब को लेकर चलना है।

🌹(10)निर्माण और मनोरंजन का सिद्धांत :-

रचनात्मक करने से बच्चे गेहूं निर्माण करते हैं कला कौशल इत्यादि से सीखते हैं तथा बच्चे में रुचि जागृत होती है प्रेरणा मिलता है और वह चीजों को आसानी से करने में सक्षम होते हैं।

🌴☘️🌻💫🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏

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