Basics of Social development notes by India’s top learners

💥 सामाजिक विकास💥🌺

🖊️ सामाजिक विकास का अर्थ➖
जन्म के समय बालक इतना असहाय होता है कि वह समाज के सहयोग के बिना मानव प्राणी के रूप में विकसित नहीं हो सकता अतः शिशु का पालन पोषण प्रत्येक समाज अपनी विशेषताओं को विभिन्न कार्यों में प्रकट करता है
अर्थात उसके आसपास ,आदत, विश्वास, री ति रिवाज, परंपरा या जिस भी अन्य गुणों का विकास होता है उसे सामाजिक विकास कहते हैं

🦚 एलेक्जेंडर के अनुसार➖

👉🏼व्यक्तित्व का निर्माण सुन में नहीं होता सामाजिक घटनाएं और प्रक्रियाएं बालक की मानसिक प्रक्रिया तथा व्यक्तित्व के प्रतिमानों को अनवरत रूप से प्रभावित करती है

👉🏼बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद ही प्रारंभ हो जाती है और यह परिवार से प्रारंभ होती है

👉🏼परिवार के सदस्य के रूप में बच्चा अन्य सदस्यों से अंतर क्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और उनके व्यवहार का अनुकरण करता है

👉🏼 अनुकरण के आधार पर बच्चा माता-पिता/भाई-बहन आदि भूमिका से सीखता है
👉🏼 यह व्यवहार वह धीरे-धीरे सीखता हैं

🖊️🖊️📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

🌸🌺 समाजिक विकास🌺🌸

🌈 सामाजिक विकास-/

🍃 सामाजिक विकास वह है जिसमें बच्चा परिवार तथा समाज से अंत :क्रिया करके अनुकरण करके सीखता है

🍃 किसी व्यक्ति या अन्य व्यक्ति से अंत: क्रिया करने से जो उसके आसपास आदत, विश्वास, रीति रिवाज , परंपरा या जिस भी अन्य गुणों का विकास होता है सामाजिक विकास कहलाता है

🍃 वंशानुक्रम द्वारा प्राप्त योग्यताएं समाज के द्वारा निर्देशित होती है

🌈 एलेक्जेंडर के अनुसार-/
व्यक्ति का निर्माण शून्य में नहीं होता
सामाजिक घटनाएं और प्रक्रियाएं बालक की मानसिक प्रक्रिया तथा व्यक्तित्व के प्रति मानो को अनवरत रूप से प्रभावित करती रही हैं

🍃 बालक में सामाजिकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद से प्रारंभ हो जाती है और यह परिवार से प्रारंभ होती है
परिवार के सदस्य के रूप में बच्चा अन्य सदस्यों से अंतः क्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और उनके व्यवहार का अनुकरण करता है

🍃 अनुकरण के आधार पर बच्चा माता-पिता भाई-बहन आदि भूमिकाओं को सीखता है

🍃 यह व्यवहार वह धीरे-धीरे सीखता है

🙏🏻Notes by… RITU YOGI🙏🏻

🌷🌷 बच्चे का सामाजिक विकास 🌷🌷

बच्चों का अन्य व्यक्तियों से अंतःक्रिया करने से जो उनके आसपास आदत ,विश्वास , रीति – रिवाज , परंपरा या जो भी अन्य गुणों का विकास होता है , सामाजिक विकास कहलाता हैं।

वंशानुक्रम द्वारा प्राप्त योग्यताएं समाज के द्वारा निर्देशित होते हैं।

🌺 एलेग्जेंडर के अनुसार :-

व्यक्तित्व का निर्माण ” शून्य ” में नहीं होता , सामाजिक घटनाएं सामाजिक प्रक्रियाएं बालक की मानसिक प्रक्रियाओं तथा व्यक्तित्व के प्रतिमानों को अनवरत रूप से प्रभावित करती रहती हैं।

बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद से प्रारंभ हो जाती है।
और यह प्रक्रिया परिवार से ही प्रारंभ होती है।

परिवार में सदस्य के रूप में बच्चा अन्य सदस्यों से अंतःक्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और उनके व्यवहार का अनुकरण करता है।

अनुकरण के आधार पर बच्चा माता-पिता, भाई-बहन आदि भूमिका को सीखता है।

यह व्यवहार वह धीरे-धीरे सीखता है जैसे :-
खुद – माता ,
खुद – पिता ,
खुद – रिश्ते-नाते
आदि में क्या अंतर है ये वह इन सबके बीच रहकर ही सीख जाता है।

🌺✒️Notes by – जूही श्रीवास्तव✒️🌺

🔆 सामाजिक विकास 🔆
सामाजिक विकास सीखने की वह प्रक्रिया है जो समूह के स्तर परम्पराओं तथा रीति-रिवाज के अनुकूल अपने आपको ढालने तथा एकता मेलजोल और पारस्परिक सहयोग की भावना भरने मे सहायक होती है | जिसके द्वारा व्यक्ति अपने सामाजिक वातावरण के साथ अनुकूल करता है सामाजिक परिस्थितियो के अनुरूप अपनी आवश्यकताओं व रूचिओ पर नियंत्रण करता है दूसरों के प्रति उत्तरदायित्व का अनुभव करता है तथा अन्य व्यक्तियों के साथ महत्वपूर्ण ढंग से सामाजिक संबंध स्थापित करता है|
किसी व्यक्ति का अन्य व्यक्ति से अंतः क्रिया करने से जो उसके आसपास आदत विश्वास रीति-रिवाज परंपरा या जिस भी अन्य गुणों का विकास होता है सामाजिक विकास कहलाता है जो हमारे शरीर के अलावा अन्य चीजों में आगे बढ़ने के लिए मदद करता है |
जो वंशानुक्रम के द्वारा प्राप्त योग्यताएं समाज के द्वारा निर्देशित होती हैं
▶ एलेक्जेंडर के अनुसार ➖ व्यक्तित्व का निर्माण शून्य में नहीं होता है सामाजिक घटनाएं और प्रक्रियाएं बालक की मानसिक प्रक्रियाओं तथा व्यक्तित्व के प्रतिमानो को अनवरत रूप से प्रभावित करती रहती हैं |
▪ बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद से प्रारंभ हो जाती है और यह परिवार से प्रारंभ होती है परिवार के सदस्य के रूप में बच्चा अन्य सदस्यों से अंतः क्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और उनके व्यवहार का अनुकरण करता है |
▪ अनुकरण के आधार पर बच्चा माता-पिता भाई-बहन आदि भूमिका को सीखता है |
▪ यह व्यवहार वह धीरे-धीरे सीखता है |
▪ बच्चा खुद में माता-पिता में व रिश्तो में क्या अंतर है समझने लगता है |
Notes by ➖Ranjana Sen

🔆 अध्ययन की दृष्टि से बच्चों का सामाजिक विकास ➖

वंशानुक्रम द्वारा प्राप्त हुई योग्यताएं, समाज के द्वारा निर्देशित होती है |

अर्थात जो भी चीज हमें वंशानुक्रम से मिली है उसमें जो भी परिवर्तन होते हैं उनका पालन पोषण वातावरण से ही होता है |

” किसी भी व्यक्ति का अन्य व्यक्ति से अंतः क्रिया करने से जो उसके आसपास आदत, विश्वास, रीति रिवाज, परंपरा या जिस भी अन्य गुणों का विकास होता है वह सामाजिक विकास कहलाता है |

सामाजिक विकास निरंतर होते रहता हैं चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक हो ,लेकिन होगा तो जरूर |

जब भी हम किसी दूसरे व्यक्ति के साथ ताल-मेल बिठाते हैं या अंतः क्रिया करते हैं तो उसमें अलग-अलग प्रकार के परिवर्तन होते हैं चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो लेकिन होते ही हैं |

सामाजिक विकास के संबंध में एलेक्जेंडर ने कहा है कि
“व्यक्तित्व का निर्माण शून्य में नहीं होता है सामाजिक घटनाएं और प्रक्रियाएं बालक की मानसिक प्रक्रिया तथा व्यक्तित्व के प्रतिमान को अनवरत प्रभावित करती रहती है ” |

यदि किसी व्यक्ति की समाज के साथ अंतः क्रिया नहीं है तो उसका सामाजिक विकास नहीं होगा | यदि किसी व्यक्ति को बंद कमरे में रखा जाए तो उसमें अंतः क्रिया ना होने की वजह से जो भी रीति रिवाज है ज्ञान है तो उनका विकास नहीं हो पाएगा अर्थात उसका सामाजिक विकास नहीं हो पाएगा और व्यक्ति हर समय नई-नई सामाजिक अंतः क्रिया करते हैं जोकि नहीं हो पाएगी |

बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया उसके जन्म के कुछ दिनों बाद से ही प्रारंभ हो जाती है बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया उसके परिवार से प्रारंभ होती है और परिवार के सदस्य के रूप में बालक अन्य सदस्यों से अंतः क्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और उनके व्यवहार का अनुकरण करता है |

जिस समाज में हम रहते हैं उसमें हम अनुकरण के साथ साथ अलग-अलग भूमिका में भी रहते हैं और अपनी अलग-अलग भूमिकाओं को निभाते हैं जो सभी के लिए अलग-अलग होती हैं इसके लिए उन भूमिकाओं का महत्व समझना अति आवश्यक है |

अर्थात अनुकरण के आधार पर बच्चा माता-पिता या भाई-बहन आदि की भूमिका को सीखता है |

1) बच्चा अपने व्यवहार को धीरे-धीरे सीखता है कि किसके साथ कैसा व्यवहार करना है |

2) बच्चा समझने लगता है कि खुद से माता-पिता या अन्य में क्या अंतर है वह समझने लगता है कि वह स्वयं में क्या है |

3) यह परिस्थिति पर निर्भर करता है कि बच्चे का परिवेश क कैसा है |

4) सामाजिक विकास में वंशानुक्रम और वातावरण दोनों का प्रभाव देखा जा सकता है दोनों का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का हो सकता है लेकिन प्रभाव सकारात्मक हो या नकारात्मक हो लेकिन होगा तो जरूर |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

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🔆 *बच्चे का सामाजिक विकास*

बच्चों का अन्य व्यक्तियों से अंतः क्रिया करने से जो उनके आसपास जो आदत विश्वास, परंपरा,रीति-रिवाज या जो कुछ भी उनमें गुणों का विकास होता है उसे सामाजिक विकास से कहते हैं।

वंशानुक्रम द्वारा प्राप्त योग्यताएं समाज के द्वारा निर्देशित होते हैं।

✳️ *एलेगजेंडर के अनुसार :-* व्यक्तित्व का निर्माण “शून्य” में नहीं होता सामाजिक घटनाएं समाज पर क्रियाएं बालक की मानसिक प्रक्रिया तथा व्यक्तित्व के प्रति मानव को अनवरत रूप से प्रभावित करती है

किसी व्यक्ति की समाज के साथ अंतर क्रिया नहीं है तो उनका सामाजिक विकास नहीं होगा क्योंकि अगर कोई व्यक्ति बंद कमरे में रखा जाए तो उसकी वजह से रीति रिवाज है और उनका ज्ञान विकास नहीं हो पाएगा और उनमें समाजिक विकास नहीं हो पाएगा ।
✳️ बालक के समाजीकरण पर समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद ही प्रारंभ हो जाती है और यह प्रक्रिया परिवार से शुरू होती है और अपने आसपास से और अपने दोस्तों से सामाजिकरण भी सीखते हैं।

परिवार में सदस्य ग्रुप में बच्चा उन अन्य सदस्यों से अंतर क्रिया संबंध स्थापित करता और उनके व्यवहार का अनुकरण ने करता है वह अपने माता-पिता दादा-दादी अपने भाई बहन का अनुकरण करता है।
जिस समाज में हमें रहते हैं उसमें अनुकरण के साथ-साथ अलग भूमिका भी होती है और अलग-अलग भूमिका को निभाने के लिए हमें उन्हें भूमिकाओं को महत्व को समझना भी होगा।

क्या वह बार-बार धीरे-धीरे सीखता है जैसे—
खुद-माता,
खुद-पिता,
खुद-रिश्ते -नाते
क्या अंतर है यह इन सबके बीच रहकर सीख जाते हैं।

सामाजिक विकास में और वातावरण दोनों का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है लेकिन सकारात्मक या नकारात्मक होगा यह जरूरी नहीं है।

Notes By:-Neha Roy🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

बालक का सामाजिक विकास

👉किसी व्यक्ति का अन्य व्यक्ति से अंतः क्रिया करने से जो उसके आसपास, आदत ,विश्वास ,रीति -रिवाज या जिस भी अन्य गुणों का विकास होता है ,सामाजिक विकास कहलाता है

👉वंशानुक्रम द्वारा प्राप्त योग्यताएं समाज के द्वारा निर्देशित होती है

🔥एलेक्जेंडर – व्यक्तित्व का निर्माण शून्य में नहीं होता है सामाजिक घटनाएं और प्रक्रियाएं बालक की मानसिक प्रक्रियाओ तथा व्यक्तित्व के प्रतिमान को ‘अनवरत’ रूप से प्रभावित करती रहती हैं

👉 बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद से प्रारंभ हो जाती है और यह परिवार से प्रारंभ होती है।

👉 परिवार के सदस्य के रूप में बच्चा अन्य सदस्यों से अंतः क्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और उनके व्यवहार का अनुकरण करता है

👉अनुकरण के आधार पर बच्चा माता-पिता, भाई-बहन आदि की भूमिकाओं को सीखता है

👉 यह व्यवहार वह धीरे-धीरे सिखता है कि उसे माता के साथ, पिता के साथ या किसी अन्य रिश्तेदार के साथ, अपने मित्रों के साथ कैसा व्यवहार करना है इसमें क्या अंतर होगा क्या नहीं होगा यह सब अनुकरण करके सीखता है।

👉अनुवांशिकता और वातावरण बालक के सामाजिक विकास को प्रभावित करते हैं

जैसे किसी बच्चे के माता पिता अच्छा व्यवहार करते हैं और उनका बेटा या बेटी भी उन्हीं की तरह शिष्टाचार युक्त या सदाचारी आचरण करता है तो यह आचरण उसे उसके माता-पिता या परिवार वालों से मिला है
जबकि कुछ बच्चों के माता-पिता भी अशिष्ट व्यवहार या आचरण करते हैं तो उनका बेटा या बेटी भी उसी प्रकार व्यवहार करता है जो उसने अपने माता-पिता से सीखा है

पहले उदाहरण में अनुवांशिकता का सामाजिक विकास पर प्रभाव सकारात्मक हुआ और दूसरे में अनुवांशिकता का सामाजिक विकास पर प्रभाव नकारात्मक हुआ

इसी प्रकार कोई बच्चा पढ़ने के लिए बाहर जाता है और वह वहां से अशिष्ट व्यवहार या बुरा व्यवहार सीख कर आता है तो इसमें उसके वातावरण का उसके सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा

जबकि यदि बच्चा पढ़ने के लिए बाहर जाता है और वहां उसे अच्छा वातावरण मिलता है तो वह उसके साथ कुछ ना कुछ अच्छे गुण लेकर साथ में आता है इस प्रकार यहां वातावरण का प्रभाव सकारात्मक पड़ता है

Notes by Ravi kushwah

🔥सामाजिक विकास🔥
किसी व्यक्ति के किसी अन्य व्यक्ति के साथ अंतः क्रिया करने से जो उसके आसपास आदत विश्वास रिती रिवाज परंपरा या किसी अन्य गुणों का विकास होता है वह सामाजिक विकास कहलाता हैl

🧙‍♂️अलेक्जेंडर के अनुसार:-
➡️व्यक्तित्व का निर्माण शून्य में नहीं होता में नहीं होता सामाजिक घटनाएं और प्रक्रिया बालक की मानसिक प्रक्रिया तथा व्यक्तित्व के प्रतिमानो की अनवरत रूप से प्रभावित करती है

➡️ बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद से ही प्रारंभ हो जाती है और यह परिवार से प्रारंभ होती है

➡️ परिवार के सदस्य के रूप में बच्चा अन्य सदस्यों से अंतः क्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और और उनके परिवार का अनुकरण करता हैl

➡️ अनुकरण के आधार पर बच्चा माता पिता भाई बहन आदि भूमिकाओं को समझता है

➡️ यह व्यवहार वह धीरे-धीरे सीखता हैl
✔ खुद—- माता
✔ खुद—- पिता
✔ खुद— भाई बहन
क्या अंतर है यह इन सब के बीच रहकर सीख जाते हैं

Notes by – Sangita Bharti

🌊सामाजिक विकास🌴

⚡किसी व्यक्ति का अन्य व्यक्तियों से अंतः क्रिया करने से जो उसके आस-पास आदत ,विश्वास , रीती रिवाज , परंपरा या जिस भी अन्य गुणों का विकास होता है वह सामाजिक विकास कहलाता है।

🌾🌴वंशानुक्रम द्वारा प्राप्त योग्यता समाज के द्वारा निर्देशित होती है मैं अनुभव लाती है मैच्योरिटी लाती है

💫अलेक्जेंडर के अनुसार—-
🍂👉व्यक्तित्व का निर्माण सून्य में नहीं होता हैं। समाजिक घटनाएं और प्रक्रियाओं तथा व्यक्तित्व के प्रति मानों को अनवरत रूप से प्रभावित करती रहती है
🥀बालक में समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म से कुछ दिन बाद से प्रारंभ हो जाती है और यह परिवार से प्रारंभ होते हैं
परिवार के सदस्य के रूप में बच्चा अन्य सदस्यों से अंतः क्रियात्मक संबंध स्थापित करते हैं और उनके व्यवहार का अनुकरण करता है।

🌟अनुकरण के आधार पर बच्चा अपने माता – पिता ,भाई बहन इत्यादि भूमिका को सीखता है।

🌾यह व्यवहार वह धीरे-धीरे सिखता है कि माता के साथ, पिता के साथ या किसी अन्य रिश्तेदार के साथ अपने मित्रों के साथ कैसा व्यवहार करना है उस में क्या अंतर हो सकता है यह सब अनुकरण करके बच्चा धीरे-धीरे सीखता है।

🌈वंशानुक्रम और वातावरण का प्रभाव व्यक्ति के सामाजिक विकास में पड़ता है कभी कभी यह प्रभाव सकारात्मक तथा नकारात्मक हो सकते हैं।
💫🌴💐🌲🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏

🔆सामाजिक विकास🔆

▪️सामाजिक विकास का अर्थ किसी भी व्यक्ति का अन्य व्यक्ति के साथ अंतः क्रिया करने से जो उनके आसपास आदत ,विश्वास, रीति रिवाज, परंपराएं या जिस भी अन्य गुणों का विकास होता है वह सामाजिक विकास कहलाता है।

▪️सामाजिक विकास हर व्यक्ति में होता है चाहे वह किसी भी परिस्थिति या किसी भी वातावरण में हो।

▪️ हम अपने शरीर से बाहर निकल कर समाज कि अन्य चीजों के साथ संपर्क स्थापित करते हैं।

▪️ जो भी चीजें जन्म के साथ वंशानुक्रम विरासत में हमें मिली हैं उसको आगे लेकर जाना या नया रूप देना समाज पर ही निर्भर करता है।

▪️ समाज हमारे शरीर के अलावा अन्य चीजों के बढ़ने में मदद करता है।
अर्थात वंशानुक्रम कि जो क्रियाएं हैं वह समाज द्वारा ही निर्देशित या पोषित होती हैं
या दूसरे रूप में कह सकते है कि वंशनुक्रम द्वारा प्राप्त योग्यताएं , समाज के द्वारा ही निर्देशित होते हैं।

▪️ हमारा जो सामाजिक विकास है वह हमेशा होता ही रहता है या निरन्तर चलता रहता है लेकिन वह हमें किस स्तर पर प्रभावित करता है यह हमारे ऊपर ही निर्भर करता है।

🔅 अलेक्जेंडर के अनुसार
“व्यक्तित्व का निर्माण शून्य में नहीं होता। जो सामाजिक घटनाएं और प्रक्रिया है वह बालक की मानसिक प्रक्रिया तथा व्यक्तित्व के प्रति मानव को अनवरत रूप से प्रभावित करती हैं।”

(यदि जन्म से ही किसी बच्चे को एक कमरे में बंद कर दिया जाए या सामाजिक संपर्क में ना आने दिया जाए तो बच्चे का व्यक्तित्व निर्माण शून्य के बराबर भी नहीं होगा।
सभी सामाजिक घटनाएं और प्रक्रिया ही बालक के मानसिक प्रक्रिया और व्यक्तित्व को कई रूपों में या कई तरीको से प्रभावित करती हैं।)

यदि बच्चा समाज के साथ अंतः क्रिया करता है तो वह विभिन्न सकारात्मक भावना ,जनकल्याण की भावना से प्रेरित होकर समाज का एक जिम्मेदार सदस्य बन जाता है।

⚜️ बालक की सामाजिकरण प्रक्रिया ➖
▪️जन्म के कुछ ही दिनों के बाद समाजीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है।
▪️बालक के समाजीकरण की यह प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है परिवार के सदस्य के रूप में बच्चा अन्य सदस्यों के साथ अंतः क्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और इससे बच्चा सीखता है व अन्य सदस्यों के व्यवहार का भी अनुकरण करता है।

बालक के इस अनुकरण में सभी सदस्यों की भूमिका अलग अलग होती है तो बालक का उन सदस्यों के प्रति सोच व्यवहार और तथ्य भी अलग-अलग होते हैं।
अनुकरण के आधार पर बच्चा अपने माता-पिता भाई बहन या कोई भी अलग अलग तरह की भूमिका के व्यवहार को धीरे धीरे सीखता है।

वह धीरे धीरे खुद अन्य लोगों के बीच मे अपने माता पिता भाई-बहन व अन्य सदस्यों के बीच क्या अंतर है ,क्या संबंध है ,उनका क्या व्यवहार है इस को को जानता व पहचानता है।

बच्चे की up bringing या लालन पालन में माता-पिता का ही महत्वपूर्ण योगदान होता है।

▪️समाज ही बच्चे को बनाता है और समाज में रहकर ही बच्चा अपना नजरिया या दृष्टिकोण के आधार पर ही सीखता है व समझता है कि समाज का क्या व्यवहार है, क्या सोच है फिर धीरे-धीरे उसे अपने व्यवहार में लाता है।

♻️ बच्चो के सामाजिक विकास में वंशानुक्रम व वातावरण की भूमिका➖

वंशानुक्रम हमें विकसित होने की क्षमताएं प्रदान करता है इन क्षमताओं के विकसित होने के अवसर हमें वातावरण प्रदान करता है।”

वंशानुक्रम और वातावरण में पारस्परिक निर्भरता है। यह एक दूसरे के पूरक, सहायक और सहयोगी हैं । बालक को जो मूल प्रवृत्तियां वंशानुक्रम से प्राप्त होती हैं उनका विकास वातावरण में होता है । जैसे यदि बालक में बौद्धिक शक्ति नहीं है तो उत्तम से उत्तम वातावरण भी उसका सामाजिक विकास नहीं कर सकता है।
ओर ठीक इसके विपरीत यदि बालक में बौद्धिक शक्ति है लेकिन वातावरण उत्तम नहीं है तब भी बच्चे का सामाजिक विकास नहीं हो सकता है।

किसी भी व्यक्ति का सामाजिक विकास या जो भी सामाजिक अंतः क्रिया है वह वंशानुक्रम व वातावरण का ही गुणनफल है।
बालक का सामाजिक विकास या सामाजिकरण की जो अंतः क्रिया है वह वंशानुक्रम और वातावरण के सकारात्मक या नकारात्मक किसी भी रूप में प्रभावित हो सकती हैं।
✍🏻
Notes By-Vaishali Mishra

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