🔆अधिगम का साइन /चिन्ह गेस्टाल्ट सिद्धांत
▪️यह सिद्धांत टोलमैन द्वारा प्रतिपादित किया गया।
▪️यह सिद्धांत गेस्टाल्ट थ्योरी से प्रेरित है गेस्टाल्ट का अर्थ होता है पूर्णाकार।
▪️टोलमैन कहा कि सिद्धांत का आधार पूर्णाकारवाद है।
▪️मानव का व्यवहार किसी न किसी उद्देश्य होता है।
▪️अधिगम का जो चिह्न सिद्धांत है उसके अंतर्गत अधिगम के चिन्ह और आशा को टोलमैन ने अधिक महत्व दिया।
▪️उनके अनुसार उद्दीपन व्यक्ति में उसी समय उत्पन्न होता है जब वह उसकी आवश्यकता और उसके उद्देश्य पूर्ति में सहायक हो।
▪️यदि हमारे आस पास कोई उद्दीपक है और वह हमारी किसी भी प्रकार की कोई आवश्यकता है यदि वह उसमे सहायक नहीं है और ना ही किसी तरह से हमारी आवश्यकता की पूर्ति कर रहा है तो उस उद्दीपक का कोई महत्व नहीं है।
▪️अर्थात व्यक्ति की जरूरत के हिसाब से ही उसका उद्दीपक कार्य करता है या उस प्रभावित करता है।
🔸जैसे यदि हमें भूख नहीं लगे और हमारे सामने भोजन (उद्दीपक) रख दिया जाए तो भोजन (उद्दीपक) का कोई मतलब नहीं है।
▪️टोलमैन की मान्यता है कि मानव का व्यवहार उद्देश्य पूर्ण होता है।
▪️अधिगम के चिन्ह तथा आशा को अधिक महत्व दिया गया।
▪️चिह्न से तात्पर्य संकेत या प्रतीक से है जिनके द्वारा हमारा अधिगम होता है।
▪️किसी भी चीज के चिन्ह या संकेत या प्रतीक तथा आशा या उम्मीद या अपेक्षाओं से ही या उसके हिसाब से कार्य होने पर ज्ञात होता है कि हम किस प्रकार का अधिगम कर रहे हैं।
▪️इनके अनुसार उद्दीपक में अर्थ तभी होता है जब वह व्यक्ति की आवश्यकता और उद्देश प्राप्ति में सहायक हो।
▪️यदि कोई चीज हमारे उद्देश्य आवश्यकता में मददगार साबित ना हो तो उसका उद्दीपक में कोई अर्थ नहीं निकलेगा।
▪️टोलमैन का यह मत प्रायोजन वादी मनोविज्ञान पर आधारित है।
▪️प्रयोजन वादी से तात्पर्य किसी उद्देश्य मकसद से है जिसको पूरा किया जाना है।
▪️प्रयोजन को किसी क्रिया को सीखने का केंद्र बिंदु माना जाता है।
✨जी.लेस्टर एडरसन ने कहां है कि
🔸टोलमैन के सिद्धांत में सिर्फ गतियों का ही अधिगम प्राप्त नहीं किया जा सकता बल्कि चिन्हों/ संकेतों / प्रतीकों और आशाओं का भी अध्ययन किया जाता है।
▪️गतियां हमेशा एक जैसी नहीं होती हम परिस्थिति के हिसाब से ही हम किसी गति या क्रिया को करते हैं।
▪️टोलमैन ने संज्ञानात्मक संरचना को महत्व दिया उन्होंने कहा कि व्यवहार की जरूरत है लेकिन व्यवहार ऐसा हो जो कि “उद्देश्यात्मक व्यवहार” हो।
▪️अर्थात व्यवहार किसी उद्देश्य या किसी लक्ष्य या किसी तथ्य से जुड़ा हो।
▪️इनकी सिद्धांत को प्रयोजन के कारण और अलग अलग नाम से भी जाना गया।
🌀चिन्ह गेस्टाल्ट सिद्धांत
🌀संभावना सिद्धांत
🌀ज्ञानात्मक सिद्धांत
▪️टोलमैन अपने सिद्धांत का प्रतिपादन पशु और मनुष्य में उद्देश्यात्मक प्रेरक, युद्ध की ओर तथा कुछ निबंधों में किया।
▪️टोलमैन का मत किसी भी चीज की समझ पर बल या जोर देता है।
▪️जैसे जब हमें कोई चीज या बात ज्ञात नहीं होती है या उसका पता नहीं होता है लेकिन हम धीरे-धीरे उस चीज या बात को जानने की जरूरत होती है तो उसके लिए हम मेहनत करते हैं जिससे हमारे दिमाग को संकेत मिलता है कि हमें यह सीखना है या उस चीज या उस बात को जानना है जिसके फलस्वरूप हम सीखना प्रारंभ कर देते हैं जिससे हमारी आवश्यकता की पूर्ति होती जाती है और हम सीख जाते हैं।
▪️किसी चीज या बात को जानने के लिए हमें एक तरीका चाहिए होता है और यही तरीका हमारी उद्दीपन में सूज बुझ को लगाने से प्राप्त होता है।
▪️टॉल मैन के मत के अनुसार चिन्ह का अवबोध महत्वपूर्ण है। (क्या करना है?)
▪️अवबोध से तात्पर्य है कि हमें यह पता होना चाहिए कि हमें किस चीज की जरूरत है?या किस चीज के बारे में क्या जानकारी चाहिए? तथा उस चीज के चिन्हों या इशारों एवम उस चीज की आवश्यकताओं का भी पता होना चाहिए।
▪️अवबोध हो जाने पर उस चीज की उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कई विधियों या तरीकों का ज्ञान होना भी आवश्यक या जरूरी है। (कैसे करना है?)
▪️व्यक्ति जब कभी किसी की क्रिया या काम को सीखते या अधिगम करता है तो सबसे पहले समस्या या काम को सीखने में समाधान हेतु प्रयुक्त उपयुक्त अनेक तत्व एकत्रित करता है।
और उस पर प्रतिक्रिया करने लगता है। (तत्वों का संग्रह)
▪️इन सब सही उद्दीपक का चयन करने हैं बुद्धि का प्रयोग करते हैं।
▪️इनके अनुसार अधिगम का अर्थ अलग-अलग उद्दीपन के संबंधों को पहचानना है।
▪️किसी भी कार्य को पूरा करने में उसका उद्देश्य तय या निर्धारित किया जाता है तथा उन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कई सारे छोटे-छोटे उद्दीपक होते हैं हम इन्हीं उद्दीपको के बीच संबंध स्थापित करके एक उचित व सही उद्दीपक प्राप्त हो जाने पर उस उद्दीपक के प्रति अनुक्रिया करने लग जाते हैं जिससे हमारे उद्देश्य की पूर्ति हो जाती है अर्थात उद्देश्य पूरा होते ही हम काम को पूरा और सफल रूप से करना सीख जाते हैं।
▪️संबंधों को पहचानने के बाद प्रतिक्रिया करते हैं इन प्रतिक्रियाओं का आधार उद्देश का प्रत्यक्षीकरण है।
▪️उद्देशय के प्रत्यक्षीकरण से तात्पर्य है कि हम उस उद्देश्य की स्थिति या उसके मकसद को समझेंगे जिसके आधार पर ही हम प्रतिक्रिया करेंगे।
▪️वास्तव में उद्देश्यों को प्रत्यक्ष रूप से देखना या समझना ही हमें उचित और सही व प्रभावी उद्दीपक का चयन कर पाने में मदद करता है जिसके परिणाम स्वरूप उचित व प्रभावी उद्दीपक के प्रति भी उचित व प्रभावी प्रतिक्रिया हो पाती हैं।
▪️अर्थात जैसा उदीपक होगा उसकी वैसी ही प्रतिक्रिया होगी।
❇️ साइन या चिन्ह गेस्टाल्ट सिद्धांत की विशेषताएं ➖
🔹1 यह संज्ञानात्मक रचना पर बल देता है इसमें चिन्ह, आशा तथा लक्ष्य पर बल दिया जाता है।
🔹2 यह अनुकरण मनोविज्ञान पर बल देता है।
▪️जब हम संज्ञानात्मक संरचना के लिए अपने स्वयं का प्रत्यक्षीकरण करते हैं जिसके लिए हमें कई संकेतों को देखते हैं एवं कई एकत्रित तत्वों को देखकर या चुनकर समस्या का समाधान करना चाहते हैं तो विभिन्न परिस्थिति में जिस प्रकार के संकेतों वह तत्व और विधियों का सही और प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है उसी तत्व ,संकेतों और विधियों का अनुकरण कर लेते हैं।
🔹3 सीखने वाला अनुक्रिया का अधिगम उद्दीपक के प्रत्यक्ष ज्ञान से करता है।
▪️हमारा उद्देश्य क्या है ?या हम क्या कर रहे हैं अर्थात उद्देश को प्रत्यक्ष रूप से देखने के आधार पर ही हम उद्देश्य की प्राप्ति के लिए स्पष्ट व उचित अनुक्रिया करते हैं और कार्य को भलीभांति सीख जाते हैं।
🔹4 व्यवहार का परिणाम लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है।
▪️अर्थात हमें जैसा व्यवहार करते हैं और उसके फल स्वरुप जैसा परिणाम प्राप्त होता है वही परिणाम में लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करता है।
❇️गेस्टाल्ट सिद्धांत की शैक्षिक उपादेयता ➖
⚜️1छात्रों को अधिगम में दी जाने वाली क्रिया के उद्देश्य प्राप्ति के साधन आदि का स्पष्टीकरण दें।
▪️जिसके फलस्वरूप यह स्पष्ट होगा कि उद्दीपन क्यों हो रहा है? या उसकी क्या वजह है?
⚜️2 कक्षा के मानसिक और शारीरिक स्तर तथा आकांक्षा या उम्मीद या इच्छाओ का ध्यान रखें।
🔆ब्रूनर का अधिगम सिद्धांत➖
▪️पियाजे के विचार के अनुगामी और विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रवर्तक ब्रूनर को ही माना जाता है।
▪️ब्रूनर ने बौद्धिक विकास के नए संप्रत्यय का निर्माण किया ।
▪️सीखने हेतु इस पाठ योजना में ब्रूनर द्वारा विकसित प्रतिमान (मॉडल)1956 में प्रस्तुत किया गया।
▪️इन्होंने पाठ योजना प्रतिमान को सूचना प्रकरण के मुख्य सिद्धांत या स्रोत के रूप में बताया।
उनका कहना था कि किसी भी चीज की शुरुआत की प्लानिंग या योजना से होती है।
▪️ब्रूनर और अन्य लोगो ने यह जानने की कोशिश की कि मानव अपने प्रत्यय की रचना कैसे करता है?
▪️हमारे आसपास या पर्यावरण की जो वस्तुएं हैं उन वस्तुओं के बीच के परस्पर संबंधों को मनुष्य कैसे देखता है?
▪️जिस प्रकार से व्यक्ति वस्तु के बीच परस्पर संबंध को देखता है वह समझता है या उसका उस वस्तु के प्रति जैसा नजरिया या दृष्टिकोण होता है उसी के हिसाब से वह अपने दिमाग में उस वस्तु का संप्रत्यय का निर्माण कर लेता है।
▪️अर्थात हम जैसा माहौल दिया जाता है हम उसी माहौल या परिस्थिति के हिसाब से किसी वस्तु के संप्रत्यय का निर्माण कर लेते हैं।
✍️
Notes By-‘Vaishali Mishra’
🌼☘️ अधिगम का चिन्ह गेस्टास्ट थ्योरी ☘️🌼
प्रतिपादक ➖ टॉलमैन
🔸 इस सिद्धांत का आधार पूर्णाकारावाद है।
🔸 मानव का व्यवहार किसी न किसी उद्देश्य से होता है।
🔸 टॉलमैन की मान्यता है कि मानव का व्यवहार उद्देश्य पूर्ण होता है।
🔸 अधिगम के चिन्हों को अधिक महत्व देते है।
🔸इसके अनुसार उद्दीपन में अर्थ तभी होता है जब वह व्यक्ति की आवश्यकता और उद्देश्य प्राप्ति में सहायक हो।
🔸 टॉलमैन का यह मत प्रयोजनवादी मनोविज्ञान पर आधारित है।
🔸 प्रयोजन को किसी क्रिया को सीखने का केंद्र बिंदु बनाते हैं।
🌼 जी लेस्टर एडरसन➖ टॉलमैन के सिद्धांत में सिर्फ गतियों का ही अधिगम प्राप्त नहीं किया जा सकता बल्कि चिन्हो (संकेत) एवं प्रतीक और आशाओं का भी अध्ययन किया जाता है।
🔸 टॉलमैन संज्ञानात्मक संरचना को महत्व दिया उन्होंने उद्देश्यात्मक व्यवहार की बात की।
🔸 इनके थ्योरी को प्रयोजन के कारण और अलग अलग नाम से भी जाना गया।
💫 चिन्ह गेस्टोल्ट सिद्धांत
💫 संभावना सिद्धांत
💫 ज्ञानात्मक सिद्धांत
🔸 टॉलमैन के मत के अनुसार चिन्ह का अवबोध महत्वपूर्ण है।
🔸 उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विधियों का ज्ञान होना जरूरी है।
🔸जब कभी किसी क्रिया का अधिगम करता है सबसे पहले समस्या समाधान हेतु अनेक तत्व एकत्र करता है और उस पर प्रतिक्रिया करता है।
🔸 प्रतिक्रिया का आधार उद्देश्यों का प्रत्यक्षीकरण है।
🌼 साइन गेस्टाल्ट सिद्धांत की विशेषता➖
🟣 संज्ञानात्मक संरचना पर बल देता है इसमें आशा लक्ष्य पर बल दिया जाता है।
🟣यह अनुकरण मनोविज्ञान पर भी बल देता है।
🟣सीखने वाला अनुक्रिया करता है वह अधिगम उद्दीपन के प्रत्यक्ष ज्ञान से प्राप्त करता है।
🟣व्यवहार का परिणाम लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है।
🌼☘️ गेस्टाल्ट सिद्धांत की शैक्षिक उपादेयता🌼☘️
🔸छात्रों को अधिगम दी जाने वाली क्रिया के उद्देश्य प्राप्ति के साधन आदि का स्पष्टीकरण कर दे।
🔸 कक्षा के मानसिक और शारीरिक स्तर तथा आकांक्षा का ध्यान रखें।
🌼☘️ ब्रेनर का अधिगम सिद्धांत🌼☘️
🔸 प्याजे के विचार के अनुगामी और विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रवर्तक हैं इन्होंने बौद्धिक विकास के नए संप्रत्यय का निर्माण किया।
🔸 सीखने हेतु इस पाठ योजना में ब्रूनर द्वारा विकसित प्रतिमान 1956 मैं प्रस्तुत किया गया।
🔸पाठ योजना ,प्रतिमान, सूचना प्रकरण का प्रमुख स्रोत है।
🔸 ब्रूनर और अन्य ने जानने की कोशिश की मानव अपने प्रत्यय की रचना कैसे करता है?
🔸 पर्यावरण की वस्तुओं के बीच में परस्पर संबंध को मानव कैसे देखता है?
✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma📚📚🟣
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🎾 अधिगम का चिन्ह सिद्धांत या साइन (sign) गेस्टाल्ट सिद्धांत➖
💠 इस सिद्धांत का प्रतिपादन टाॅलमैन ने किया था |
यहाँ पर गेस्टाल्ट का अर्थ पूर्णाकार है |
इसलिए इस सिद्धांत का आधार पूर्णाकारवाद है |
💠 टाॅलमैन ने कहा कि मानव का व्यवहार कुछ ना कुछ उद्देश्य से व्यक्त होता है अर्थात उनकी मान्यता है कि मानव का व्यवहार उद्देश्य पूर्ण होता है |
उन्होंने बताया कि व्यक्ति जो भी व्यवहार करता है वह अपने उद्देश्य के अनुसार करता है जैसा उद्देश्य होगा वैसा ही मनुष्य का व्यवहार होगा अर्थात व्यवहार उद्देश्य पर आधारित होता है |
💠 टाॅलमैन अधिगम में चिन्ह (संकेत, और, प्रतीक) और आशा को अधिक महत्व देते हैं |
उनके अनुसार उद्दीपन में अर्थ तभी होता है जब वह व्यक्ति की आवश्यकता और उद्देश्य में सहायक हो |
💠 टाॅलमैन का यह मत “प्रयोजनवादी मनोविज्ञान” पर आधारित है टाॅलमैन प्रयोजन को किसी क्रिया को सीखने का केंद्र बिंदु मानते हैं |
अर्थात व्यक्ति जो भी कार्य करता है उसका एक उद्देश्य अवश्य होता है और उसी उद्देश्य के अनुसार क्रिया करता है और क्रिया के अनुसार ही एक प्रयोजन का निर्माण करता है जिसे टाॅलमैन ने प्रयोजनवादी मनोविज्ञान कहा है |
💠 जी लेस्टर एंडरसन के अनुसार➖
” उन्होंने कहा कि टाॅलमैन के सिद्धांत में सिर्फ गतियों को ही अधिगम प्राप्त नहीं किया जा सकता है बल्कि चिन्हों (संकेत , प्रतीक) और आशाओं का भी अध्ययन किया जाता है |”
💠 टाॅलमैन ने भी “संज्ञानात्मक संरचना” को महत्व दिया है लेकिन इन्होंने “उद्देश्ययात्मक व्यवहार ” की बात की है |
अर्थात व्यक्ति के अधिगम का कुछ ना कुछ उद्देश्य होता है और उसी के उसके अनुसार व्यवहार किया जाता है |
💠 इनके थ्योरी या सिद्धांत को प्रयोजन के कारण अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है जैसे
चिन्ह गेस्टाल्ट सिद्धांत
संभावना सिद्धांत
ज्ञानात्मक सिद्धांत आदि |
💠 टाॅलमैन ने अपने सिद्धांत में कहा कि चिन्ह का अवबोध, उसका ज्ञान या या उसके संबंध में जानकारी महत्वपूर्ण है उस उद्देश्य को समझना जरूरी है कि वह क्या है????
उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विधियों का ज्ञान होना जरूरी है कि उद्देश्य को कैसे प्राप्त करना है |
💠 जब कभी किसी क्रिया का अधिगम किया जाता है तो सबसे पहले समस्या समाधान हेतु अनेक तत्व एकत्रित यह जाते हैं और उस पर प्रतिक्रिया करते हैं उस पर अपना व्यवहार प्रदर्शित करते हैं जिससे की समस्या समाधान के प्रति सजगता बनी रहे |
💠 अधिगम का अर्थ अलग-अलग उद्दीपन के बीच संबंध हो को पहचानना है | प्रतिक्रिया का आधार उद्देश्यों का प्रत्यक्षीकरण है जिससे उद्दीपक उत्पन्न होगा और वही हमारे उद्देश्य प्राप्ति का कारण होगा |
📛 चिन्ह सिद्धांत की विशेषताएं➖
💠 यह सिद्धांत संज्ञानात्मक संरचना पर बल देता है इसमें चिन्ह, आशा तथा लक्ष्य पर बल दिया जाता है |
💠 यह सिद्धांत अनुकरण मनोविज्ञान की बात करता है की समस्या को हल करने का नजरिया क्या है उस समस्या को हम किस प्रकार से व्यक्त करते हैं उसको किस प्रकार से सोचते हैं और अपनी समझ के अनुसार कैसी प्रतिक्रिया देते हैं |
💠 सीखने वाला अनुक्रिया का अधिगम उद्दीपन के प्रत्यक्ष ज्ञान से करता है जैसा प्रत्यक्षीकरण होगा वैसी प्रतिक्रिया होगी |
💠 यह सिद्धांत व्यवहार के परिणाम या लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है अर्थात प्रत्यक्षीकरण के अनुसार प्रतिक्रिया होगी | अर्थात् हमारा उद्देश्य होगा ,,व्यवहार का परिणाम लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है अर्थात प्रत्यक्षीकरण के अनुसार प्रतिक्रिया जैसी होगी वैसा ही हमारा उद्देश्य भी होगा |
🎾 गेस्टाल्ट सिद्धांत की शैक्षिक उपादेयता ➖
💠 शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों को अधिगम में दी जाने वाली क्रिया के उद्देश्य प्राप्ति के साधन आदि का स्पष्टीकरण कर दें |
इससे उद्दीपन की स्पष्टता का ज्ञान होगा |
💠 यह सिद्धांत के अनुसार शिक्षक कक्षा के मानसिक व शारीरिक स्तर पर आकांक्षा का ध्यान रखें | जिससे बच्चे उद्देश्य प्राप्त करने की आशा को बनाए रखें |
🔥 ब्रूनर का सिद्धांत 🔥
पियाजे के विचार के अनुगामी और विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रवर्तक ब्रूनर को माना जाता है |
इन्होंने बौद्धिक विकास के नए संप्रत्यय का निर्माण किया |
सीखने हेतु पाठयोजना में ब्रुस द्वारा विकसित प्रतिमान 1956 में प्रस्तुत किया गया |
एवं उन्होंने ने कहा कि यह पाठ योजना प्रतिमान सूचना प्रकरण का प्रमुख स्रोत है |
ब्रूनर और अन्य ने यह जानने की कोशिश की,,,,कि मानव अपने किसी प्रत्यय की रचना कैसे आता है |
पर्यावरण की वस्तुओं के बीच परस्पर संबंध को मनुष्य कैसे देखता है क्योंकि मनुष्य का वस्तुओं के बीच संबंध जैसा होगा वैसा ही उसका प्रत्यय या कॉन्सेप्ट निर्माण होगा |
व्यक्ति को जैसा वातावरण या माहौल मिलेगा वैसे ही उसका प्रत्यय निर्माण होगा और वह उसी के अनुसार प्रतिक्रिया करेगा | |
नोट्स बाय➖ रश्मि सावले
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अधिगम का चिन्ह सिद्धांत या साइन (sign) गेस्टाल्ट सिद्धान्त
इस सिद्धांत का प्रतिपादन टाॅलमैन ने किया था |
यहाँ पर गेस्टाल्ट का अर्थ पूर्णाकार है |
इस सिद्धांत का आधार पूर्णाकारवाद है |
टाॅलमैन ने कहा कि मानव का व्यवहार कुछ न कुछ उद्देश्य से व्यक्त होता है अर्थात उनकी मान्यता है कि मानव का व्यवहार उद्देश्य पूर्ण होता है |
उन्होंने बताया कि व्यक्ति जो भी व्यवहार करता है वह अपने उद्देश्य के अनुसार करता है जैसा उद्देश्य होगा वैसा ही मनुष्य का व्यवहार होगा अर्थात व्यवहार उद्देश्य पर आधारित होता है |
टाॅलमैन अधिगम में चिन्ह (संकेत, और, प्रतीक) और आशा को अधिक महत्व देते हैं |
वह उद्दीपन ही सार्थक होता है जो व्यक्ति की आवश्यकता और उद्देश्य में सहायक हो |
टाॅलमैन का यह मत “प्रयोजनवादी मनोविज्ञान” पर आधारित है टाॅलमैन प्रयोजन को किसी क्रिया को सीखने का केंद्र बिंदु मानते हैं |
अर्थात व्यक्ति जो भी कार्य करता है उसका एक उद्देश्य अवश्य होता है और उसी उद्देश्य के अनुसार क्रिया करता है और क्रिया के अनुसार ही एक प्रयोजन का निर्माण करता है जिसे टाॅलमैन ने प्रयोजनवादी मनोविज्ञान कहा है |
जी लेस्टर एंडरसन के अनुसार
” उन्होंने कहा कि टाॅलमैन के सिद्धांत में सिर्फ गतियों को ही अधिगम प्राप्त नहीं किया जा सकता है बल्कि चिन्हों (संकेत , प्रतीक) और आशाओं का भी अध्ययन किया जाता है |”
टाॅलमैन ने भी “संज्ञानात्मक संरचना” को महत्व दिया है लेकिन इन्होंने “उद्देश्ययात्मक व्यवहार ” की बात की है |
अर्थात व्यक्ति के अधिगम का कुछ न कुछ उद्देश्य होता है और उसी के अनुसार व्यवहार किया जाता है |
इनके थ्योरी या सिद्धांत को प्रयोजन के कारण अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है जैसे
चिन्ह गेस्टाल्ट सिद्धांत
संभावना सिद्धांत
ज्ञानात्मक सिद्धांत आदि |
टाॅलमैन ने अपने सिद्धांत में कहा कि चिन्ह का अवबोध, उसका ज्ञान या उसके संबंध में जानकारी महत्वपूर्ण है उस उद्देश्य को समझना जरूरी है कि वह क्या है?
उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विधियों का ज्ञान होना जरूरी है कि उद्देश्य को कैसे प्राप्त करना है |
जब कभी किसी क्रिया का अधिगम किया जाता है तो सबसे पहले समस्या समाधान हेतु अनेक तत्व एकत्रित करते हैं और उस पर प्रतिक्रिया करते हैं उस पर अपना व्यवहार प्रदर्शित करते हैं जिससे की समस्या समाधान के प्रति सजगता बनी रहे |
अधिगम का अर्थ अलग-अलग उद्दीपन के बीच संबंध हो को पहचानना है | प्रतिक्रिया का आधार उद्देश्यों का प्रत्यक्षीकरण है जिससे उद्दीपक उत्पन्न होगा और वही हमारे उद्देश्य प्राप्ति का कारण होगा |
चिन्ह सिद्धांत की विशेषताएं
1.यह सिद्धांत संज्ञानात्मक संरचना पर बल देता है इसमें चिन्ह, आशा तथा लक्ष्य पर बल दिया जाता है |
2. यह सिद्धांत अनुकरण मनोविज्ञान की बात करता है की समस्या को हल करने का नजरिया क्या है उस समस्या को हम किस प्रकार से व्यक्त करते हैं उसको किस प्रकार से सोचते हैं और अपनी समझ के अनुसार कैसी प्रतिक्रिया देते हैं |
3. सीखने वाला अनुक्रिया का अधिगम उद्दीपन के प्रत्यक्ष ज्ञान से करता है जैसा प्रत्यक्षीकरण होगा वैसी प्रतिक्रिया होगी |
4. यह सिद्धांत व्यवहार के परिणाम या लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है अर्थात प्रत्यक्षीकरण के अनुसार प्रतिक्रिया होगी | अर्थात् हमारा उद्देश्य होगा ,,व्यवहार का परिणाम लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है अर्थात प्रत्यक्षीकरण के अनुसार प्रतिक्रिया जैसी होगी वैसा ही हमारा उद्देश्य भी होगा |
गेस्टाल्ट सिद्धांत की शैक्षिक उपादेयता
1. शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों को अधिगम में दी जाने वाली क्रिया के उद्देश्य प्राप्ति के साधन आदि का स्पष्टीकरण कर दें |
इससे उद्दीपन की स्पष्टता का ज्ञान होगा |
2.इस सिद्धांत के अनुसार शिक्षक कक्षा के मानसिक व शारीरिक स्तर पर आकांक्षा का ध्यान रखें | जिससे बच्चे उद्देश्य प्राप्त करने की आशा को बनाए रखें |
ब्रूनर का सिद्धांत
पियाजे के विचार के अनुगामी और विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रवर्तक ब्रूनर को माना जाता है |
इन्होंने बौद्धिक विकास के नए संप्रत्यय का निर्माण किया |
सीखने हेतु पाठयोजना में ब्रूनर द्वारा विकसित प्रतिमान 1956 में प्रस्तुत किया गया |
एवं उन्होंने ने कहा कि यह पाठ योजना प्रतिमान ,सूचना प्रकरण का प्रमुख स्रोत है |
ब्रूनर और अन्य ने यह जानने की कोशिश की,,,,कि मानव अपने किसी प्रत्यय की रचना कैसे आता है |
पर्यावरण की वस्तुओं के बीच परस्पर संबंध को मनुष्य कैसे देखता है क्योंकि मनुष्य का वस्तुओं के बीच संबंध जैसा होगा वैसा ही उसका प्रत्यय या कॉन्सेप्ट या संप्रत्यय निर्माण होगा |
व्यक्ति को जैसा वातावरण या माहौल मिलेगा वैसे ही उसका प्रत्यय निर्माण होगा और वह उसी के अनुसार प्रतिक्रिया करेगा | |
Notes by Ravi kushwah
*अधिगम का चिह्न सिद्धांत – गेस्टाल्ट सिद्धांत*
💫💫💫💫💫💫💫💫💫
इस सिद्धांत के प्रतिपादक टॉलमेन थे। यहां गेस्टाल्ट का अर्थ पूर्णाकार है। टालमेन के इस सिद्धांत का आधार पूर्णाकारवाद है।
इनकी मान्यता है कि मानव का व्यवहार उद्देश्य पूर्ण होता है। अधिगम के चिन्ह तथा आशाओं को वह अधिक महत्व देता है।
उन्होंने बताया कि व्यक्ति जो भी व्यवहार करता है वह अपने उद्देश्य के अनुसार करता है जैसा उद्देश्य होगा वैसा ही मनुष्य का व्यवहार होगा अर्थात् व्यवहार उद्देश्य पर आधारित होता है।
टालमेन का यह मत प्रयोजनवादी मनोविज्ञान पर आधारित है। प्रयोजन को किसी क्रिया को सीखने का केंद्र बिंदु मानते हैं।
*जी. लेस्टर एंडरसन के अनुसार*…..✍️
“टालमैन के सिद्धांत में केवल गतियों का ही अधिगम नहीं प्राप्त किया जाता है बल्कि चिन्हों या आशाओं का भी अधिगम प्राप्त किया जाता है।
टालमैंन ने संज्ञानात्मक संरचना को महत्व दिया। इन्होंने उद्देश्य आत्मक व्यवहार की बात की।
इनकी थ्योरी को प्रयोजन के कारण और अलग – अलग नाम से भी जाना गया है………….
1.) चिह्न पूर्णाकारवाद (sign gestalt theory)
2 .) संभावना सिद्धांत(expectancy theory)
3 .) ज्ञानात्मक सिद्धांत(cognitive theory)
टॉलमैन के मत के अनुसार……✍️
चिह्न का अवबोध महत्वपूर्ण है।
उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विधियों का ज्ञान होना जरूरी है।
जब कभी किसी क्रिया का अधिगम करता है सबसे पहले समस्या समाधान हेतु अनेक तत्व एकत्र करता है। इन तत्वों के अनुरूप हम प्रतिक्रिया करते हैं। अधिगम का अर्थ विभिन्न उद्दीपनो के संबंधों को पहचानना है। व्यक्ति की प्रतिक्रिया का आधार, आशाओं एवं उद्देश्यों का प्रत्यक्षीकरण है।
*अधिगम का चिन्ह सिद्धांत की विशेषताएं*
💫💫💫💫💫💫💫💫💫
1. यह सिद्धांत संज्ञानात्मक रचना पर बल देता है इसमें चिन्ह आशा तथा लक्ष्यों का निवेश होता है।
2. भौतिक विज्ञान मैं ग्रामाणु का विशेष महत्व है या अनुकरण मनोविज्ञान में लिया गया है।
3. सीखने वाला अनुक्रियाओं का अधिगम उद्दीपनों के प्रत्यक्ष ज्ञान के रूप में करता है।
4. यह सिद्धांत व्यवहार के परिणाम या लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करता है।
*गेस्टाल्ट सिद्धांत की शैक्षिक उपादेयता*
💫💫💫💫💫💫💫💫💫
1. शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों को अधिगम दी जाने वाली क्रिया के उद्देश्य प्राप्ति के साधन आदि का स्पष्टीकरण कर दे।
2. कक्षा का मानसिक और शारीरिक स्तर तथा आकांक्षा का ध्यान रखें।
*ब्रूनर का सिद्धांत*
💫💫💫💫💫💫
पियाजे के विचार के अनुगामी और विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रवर्तक ब्रूनर को माना जाता है।
इन्होंने बौद्धिक विकास के नए संप्रत्यय का निर्माण किया।
सीखने हेतु पाठ योजना में ब्रूनर द्वारा विकसित प्रतिमान 1956 ई. में प्रस्तुत किया गया।
पाठ योजना प्रतिमान, सूचना प्रकरण का प्रमुख स्रोत है।
ब्रूनर और अन्य ने जानने की कोशिश की कि मानव अपने प्रत्यय की रचना कैसे करता है।
पर्यावरण की वस्तुओं के बीच के परस्पर संबंध को मनुष्य कैसे देखता है।
*Notes by Shreya Rai*……..✍️🙏