#6. CDP – Cognitive/Emotional/social development in infancy

*🌸शैशवावस्था में संज्ञानात्मक/ बौद्धिक/ मानसिक विकास (0-2 वर्ष)🌸* 

*( Cognitive development in infancy stage)* 

*Date-11 february 2021*

👉इस अवस्था में सामान्यतः बच्चे के संज्ञानात्मक विकास का पता नहीं चलता लेकिन बच्चे का संज्ञानात्मक विकास भी होता रहता है। 

👉 विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चे का विकास उनके रखरखाव, आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है। 

👉 बच्चे पर वातावरण का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है बच्चा यह नहीं समझता है कि वह क्या कर रहा है लेकिन बच्चा उसकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है वह उसके वातावरण से प्रभावित होता है। 

👉 पियाजे का मानना है कि बच्चे अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण से कुछ न कुछ सीखते हैं उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसका सफल या असफल प्रयास जरूर करते हैं। 

 जैसे सामने रखें खिलौने को पाने की कोशिश करना अगर खिलौना पा ले तो तो सफल प्रयास और ना पा सके तो असफल  प्रयास। 

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

*🌸शैशवावस्था में भावनात्मक/सामाजिक विकास🌸*

*Emotional/social development in infancy*

👉 2 से 3 माह में बच्चे में खुशनुमा मुस्कान दिखने लगती हैl

👉 4 माह तक बच्चा हंसने लगता है। 

👉 2 से 6 माह के बीच दु:ख, क्रोध, डर, आश्चर्य आदि संवेग जाहिर करने लगता है। 

👉  5 से 6 माह तक बच्चा अपने व दूसरे को पहचाने लगता है। 

👉 6 माह तक घर वालों के द्वारा की हुई आवाज को पहचानने लगता है। 

👉 8 से 10 माह में बच्चे अपनी  भावना  को व्यक्त करने लगते हैं। 

👉 10 माह में जल्दी-जल्दी नाराज,खुश, दु:ख के भाव को व्यक्त करने लगता है। 

👉 11 माह में दूसरों की भावनाओं को समझने लगता है। 

👉 12 महीने तक बच्चा भावना से निकले मतलब या अर्थ को समझने लगता है। 

* 12 माह में ही बच्चा अपनी चीजों के प्रति उत्साह दिखाता है एवं दूसरों की चीजों के प्रति जलन की भावना दिखाता है। 

👉 13 से 18 माह में कौन से व्यक्ति उसके घर वाले हैं जो साथ रहते हैं या बाहर गए हैं को समझने लगता है 

* अपनी चीजों से लगाव बढ़ते जाता है।

👉 18 माह में बच्चे अपनी भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाते हैं

👉 21 माह तक बच्चा थोड़ा स्थित हो जाता है उसकी उम्र के हिसाब से समझदार हो जाता है। 

Notes by Shivee Kumari

🌸🌸🌸🌸🌸

🌺🌺🌻🌻🌻🌻🌺🌺

💥 शैशवावस्था में संज्ञानात्मक विकास / मानसिक विकास /बौद्धिक विकास💥

🌈💫0 से 2 वर्ष तक में संज्ञानात्मक विकास भी चलता है।

👉विशेषज्ञ कहते है- बच्चे का विकास उनके रख रखाव और आस पास के वातावरण पर निर्भर करता है।

🌈🌟 वह ये नही समझता है की  वह क्या कर रहा है लेकिन वह जो भी करता है वह अपने आस पास के वातावरण से ही सीखता है।

👉वह सपनी इच्छा शक्ति की पूर्ति के लिए जो भी करता है वह वातावरण से प्रभावित होता है।

🌺पियाजे के अनुसार-

“इनके अनुसार बच्चा अपनी मानसिक क्षमता के आधार पर वातावरण से कुछ न कुछ सीखता रहता है। अगर बच्चे कुछ पब चाहते हैं तो उसके लिए वो सफल / सफल प्रयास करते हैं।

🌈🌟शैशवावस्था में भावात्मक एवं सामाजिक विकास🌟🌈

🌻👉 2 से 3 महीने में बच्चा खुशनुमा मुस्कान करने लगता है।

🌻👉4 महीने में बच्चा अच्छे से खिलखिला के हँसने लगता है।

🌻👉 2 से 6 महीने के बीच दुःख, क्रोध ,आश्चर्य, खुशी को जाहिर करने लगता है।

🌻👉 5से 6 महीने तक अपने और दूसरों को पहचानने लगता है।

🌻👉 6 महीने पूरा होने तक घर वालो के द्वारा बोली गयी आवाज़  को पहचानने  लगता है।

🌻👉8 से 10 महीने के बीच बच्चा अपनी भावना को व्यक्त करने लगता है।( वह घूमने चाहते हैं, खेलना चाहता है।)

🌻👉 10 महीने के अंत तक बच्चा जल्दी जल्दी नाराज़गी ,खुशी ,दुःख की प्रक्रिया को बदलने लगता है।

🌻👉11 महीने में बच्चा दुसरो की भावनाओ को समझने लगता है। कि हम उसे प्यार कर रहे हैं या डांट रहे हैं। जिनमे फर्क समझने लगता है ।

🌻👉12 महीने तक बच्चा दुसरो की भावनाओं के मतलब को समझने लगता हैं। अपनी चीज़ों के प्रति उत्साह और दूसरों से शेयर करने पर जलन ।

🌻👉13 से 18 महीने में बच्चा अपने घर वालो को पहचानने लगता है कि कोन मेरे घर मे ही रहता है और कौन घर के बाहर का है। वह यह भी जानने लगता है कि कोन घर पर है और कौन बाहर गए हैं।

👉 बच्चो को अपनी चीज़ों से लगाव हो जाता है।

🌻👉18 महीने में भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाता है।

🌻👉21 महीने में बच्चा शारीरिक और संवेगात्मक रूप से थोड़ा स्थिर होने लगता है। और उम्र की हिसाब से समझदार हो जाते हैं।

🌈🌟💥Notes by Poonam sharma🌻🌻🌻🌻🌺

**शैशवावस्था में संज्ञानात्मक विकास / मानसिक *विकास /बौद्धिक विकास👨

✍️✍️0 से 2 वर्ष तक* में संज्ञानात्मक विकास भी चलता है।

✍️विशेषज्ञ कहते है- बच्चे का विकास उनके रख रखाव और आस पास के वातावरण पर निर्भर करता है।

✍️ वह ये नही समझता है की  वह क्या कर रहा है लेकिन वह जो भी करता है वह अपने आस- पास के वातावरण से ही सीखता है।

✍️वह सपनी इच्छा शक्ति की पूर्ति के लिए जो भी करता है वह वातावरण से प्रभावित होता है।

🚩 *पियाजे के अनुसार-* 

“इनके अनुसार बच्चा अपनी मानसिक क्षमता के आधार पर वातावरण से कुछ न कुछ सीखता रहता है। अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसके लिए वो असफल / सफल प्रयास करते हैं।

😃😂😪शैशवावस्था में भावात्मक एवं सामाजिक विकास👭

✍️2 से 3 महीने में बच्चा खुशनुमा मुस्कान करने लगता है।

✍️4 महीने में बच्चा अच्छे से खिलखिला के हँसने लगता है।

✍️ 2 से 6 महीने के बीच दुःख, *क्रोध ,आश्चर्य, खुशी* को जाहिर करने लगता है।

✍️ 5से 6 महीने तक अपने और दूसरों को पहचानने लगता है।

✍️6 महीने *पूरा होने तक घर वालो के द्वारा बोली गयी आवाज़*  को पहचानने  लगता है।

✍️8 से 10 महीने के बीच बच्चा अपनी *भावना को व्यक्त* करने लगता है।( वह घूमने चाहते हैं, खेलना चाहता है।)

✍️ 10 महीने के अंत तक बच्चा जल्दी जल्दी *नाराज़गी ,खुशी ,दुःख* की प्रक्रिया को बदलने लगता है।

✍️11 महीने में बच्चा *दुसरो की भावनाओ को समझने लगता है।* कि हम उसे प्यार कर रहे हैं या डांट रहे हैं। जिनमे फर्क समझने लगता है ।

✍️12 महीने तक बच्चा दुसरो की *भावनाओं के मतलब को समझने लगता हैं। अपनी चीज़ों* के प्रति उत्साह और दूसरों से शेयर करने पर जलन ।

✍️ *13 से 18 महीने में बच्चा अपने घर वालो को पहचानने लगता है* कि कौन मेरे घर मे ही रहता है और कौन घर के बाहर का है। वह यह भी जानने लगता है कि कौन घर पर है और कौन बाहर गए हैं।

✍️बच्चो को अपनी चीज़ों से लगाव हो जाता है।

✍️18 महीने में भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाता है।

✍️21 महीने में बच्चा शारीरिक और संवेगात्मक रूप से थोड़ा स्थिर होने लगता है। और उम्र की हिसाब से समझदार हो जाते हैं।

Notes by Sharad Kumar patkar**

*शैशवावस्था में संज्ञानात्मक/ बौध्दिक/ मानसिक विकास*

🤱🏻👶🏻😭😡😁🧠👩🏻‍💻👩🏻‍🏫

⭕0 से 2 वर्ष में संज्ञानात्मक विकास भी चलता है।

✅ *विशेषज्ञ कहते है- बच्चे का विकास उनके रख रखाव और आस पास के वातावरण पर निर्भर करता है।*

⭕वह ये नही समझता है की  वह क्या कर रहा है लेकिन वह जो भी करता है वह अपने आस- पास के वातावरण से ही सीखता है।

⭕वह सपनी इच्छा शक्ति की पूर्ति के लिए जो भी करता है वह वातावरण से प्रभावित होता है।

✅ *पियाजे के अनुसार-* 

“इनके अनुसार बच्चा अपनी मानसिक क्षमता के आधार पर वातावरण से कुछ न कुछ सीखता रहता है। अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसके लिए वो असफल / सफल प्रयास करते हैं।

*शैशवावस्था में भावात्मक एवं सामाजिक विकास* 

👶🏻😭😌😡😁😴👨‍👨‍👧‍👧

*2 से 3 महीने में* :-  बच्चा खुशनुमा मुस्कान करने लगता है।

*4 महीने में* :-  बच्चा अच्छे से खिलखिला के हँसने लगता है।

*2 से 6 महीने में* :-  दुःख, क्रोध ,आश्चर्य, खुशी को जाहिर करने लगता है।

*5 से 6 महीने में* :- अपने और दूसरों को पहचानने लगता है।

⭕6 महीने *पूरा होने तक घर वालो के द्वारा बोली गयी आवाज़*  को पहचानने  लगता है।

*8 से 10 महीने में* :- बच्चा अपनी भावना को व्यक्त करने लगता है।( *वह घूमने चाहते हैं, खेलना चाहता है।*)

⭕10 महीने के अंत तक बच्चा जल्दी जल्दी *नाराज़गी ,खुशी ,दुःख* की प्रक्रिया को बदलने लगता है।

*11 महीने में* :- बच्चा *दुसरो की भावनाओ को समझने लगता है।* कि हम उसे प्यार कर रहे हैं या डांट रहे हैं। जिनमे फर्क समझने लगता है ।

*12 महीने में* :- दुसरो की *भावनाओं के मतलब को समझने लगता हैं। अपनी चीज़ों* के प्रति उत्साह और दूसरों से शेयर करने पर जलन ।

*13 से 18 महीने में* :- बच्चा अपने घर वालो को पहचानने लगता है कि कौन मेरे घर मे ही रहता है और कौन घर के बाहर का है। वह यह भी जानने लगता है कि कौन घर पर है और कौन बाहर गए हैं।

⭕बच्चो को अपनी चीज़ों से लगाव हो जाता है।

*18 महीने में* :-भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाता है।

*21 महीने में* :- बच्चा शारीरिक और संवेगात्मक रूप से थोड़ा स्थिर होने लगता है। और उम्र की हिसाब से समझदार हो जाते हैं।

🌹🌹🌟Deepika Ray 🌟🌹🌹✅

💫🌺 शैशवावस्था में संज्ञानात्मक विकास तथा भावनात्मक विकास🌸

🍁 0 से 2 वर्ष तक संज्ञानात्मक विकास चलता रहता है।

✒️ विशेषज्ञ कहते हैं की बच्चे का विकास उनके रखरखाव और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।

💫 वह यह नहीं समझते हैं कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन उसकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है वह उनके वातावरण से प्रभावित होता है।

🌸✒️ जीन पियाजे का मानना है कि बच्चे अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण में कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं ,उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसका सफल/ असफल प्रयास जरूर करते हैं।

🌸💫 शैशवावस्था में भावनात्मक तथा सामाजिक विकास🌸💫

🍁 2 से 3 महीने मे बच्चा  खुशनुमा मुस्कान करते हैं।

🍁 4 महीने तक बच्चे हंसना शुरू कर देते हैं।

🍁 2 से 6 महीने के बीच बच्चा दुख क्रोध आश्चर्य जाहिर करने लगता है।

🍁 5 से 6 महीने तक बच्चा अपने और दूसरों को पहचानने लगता है।

🍁 6 महीने तक बच्चा घर वालों के द्वारा बोली गई आवाज को पहचानने लगता है।

🍁  8 से 10 महीने में बच्चा अच्छे से अपनी भावना व्यक्त करने लगता है।

🍁 10 महीने में बच्चा अपने संवेग तुरंत बदलते रहते हैं, जैसे जल्दी खुश हो जाना, दुखी हो जाना, नाराज हो जाना इत्यादि।

🍁 11 महीने में बच्चे दूसरों की भावनाओं को समझने लगता है।

🍁 12 महीने  के करीब बच्चे सिर्फ भावनाओं को ही नहीं समझते बल्कि उस भावनाओं से निकले हुए मतलब को भी समझने की कोशिश करने लगते हैं।

▫️ अपनी चीजों के प्रति उत्साह रखते हैं ।

▫️ दूसरों के साथ अपनी चीजों को शेयर करने में जलन करते हैं।

🍁 13 से 18 महीने तक बच्चे यह समझने लगते हैं कि सामने वालों में कौन घर वाले है जो उनके साथ रहते हैं और कौन बाहर गए हुए हैं।

▫️ बच्चे को अपनी चीजों से लगा बढ़ते जाता है।

🍁 18 महीने में बच्चे भावनाओं के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाते हैं।

🍁 21 महीने तक बच्चे थोड़ा स्थिर हो जाते हैं तथा अपनी उम्र के हिसाब से समझदार हो जाते हैं।

         💫💫💫💫💫

Notes by 

          SHASHI CHOUDHARY

      🔥🔥🔥🔥🔥🔥

🔆(Infency) शैशवावस्था / संज्ञानात्मक विकास [ बौद्धिक विकास / मानसिक विकास ] (0-2 years) 

💫( 0-2 years ) में संज्ञानात्मक विकास भी चलता रहता है |

विशेषज्ञ कहते है कि बच्चे का विकास उनके रख-रखाव और आस-पास के वातावरण पर निर्भर करता है |

  💫वह वे नही समझता है कि वह क्या कर रहे है | लेकिन उनकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है वह उनके वातावरण से प्रभावित होता है |

    💫प्याजे का मानना है कि बच्चे अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण से कुछ न कुछ सीखते है| उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते है तो उसका सफल / असफल प्रयास जरूर करते है |

💥भावनात्मक / सामाजिक विकास ( शैशवावस्था ) 

Emotional / social development (infancy)

◼ 2-3 महीने में खुशनुमा मुस्कान 

◼ 4 महीने तक हसने लगता है |

◼ 2-6 महीने के बीच दु:ख , क्रोध ,डर , आश्चर्य जाहिर करने लगता है |

◼ 5-6 महीने तक अपने /दूसरे को पहचानने लगता है |

◼ 6 महीने पूरा होने तक घर वालो के द्वारा बोली गयी आवाज की पहचानने लगता है |

◼ 8-10 महीना में बच्चे अपनी भावना व्यक्त करने लगता है |

◼ 10 महीने जल्दी – जल्दी नाराज ,हो जाना और खुश हो जाना, और दुख व्यक्त  करता है |

◼ 11 महीने दूसरो की भावनाओ को समझने लगता है |

◼ 12 महीने तक भावना से निकले मतलब को भी समझता है |

  ▪अपने चीजो के प्रति उत्साह रहता है

  ▪दूसरो से कोई चीज शेयर करने मे जलन करता है |

 ◼ 13-18 महीना अभी उनके कौन से घर वाले है जो साथ रहते है बाहर गए है |

▪बच्चो को अपनी चीजो से लगाव बढ़ते जाता है |

◼ 18 महीने में भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाते है |

◼ 21 महीने तक बच्चे थोडा़ स्थिर हो जाते है अपनी उम्र के हिसाब से समझदार हो जाते है |

Notes by ➖Ranjana sen

💫शैशवास्था में संज्ञानात्मक/बौद्धिक विकास/मानसिक विकास 💫

👼🏻🧠👩🏻‍🎓

🌻 0-2 वर्ष में संज्ञानात्मक विकास भी चलता रहता है।

🌻👨🏻‍🔬 विशेषज्ञ कहते हैं-बच्चे का विकास उनके रखरखाव ,और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।

🌻वह यह नहीं समझता कि वह लोग क्या कह रहे हैं लेकिन उनकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है वह उसके वातावरण से प्रभावित होता है।

🤵🏻‍♂प्याजे का मानना है-कि बच्चे अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण से कुछ न कुछ सीखते हैं।

🌻 उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसका सफलता/ असफलता प्रयास करते हैं।

💫शैशवास्था मैं भावनात्मक एवं सामाजिक विकास💫

👼🏻😡😢😄😴

🌻 2 से 3 महीने में खुशनुमा मुस्कान देख सकते हैं।

🌻 4 महीने तक हंसने लगता है।

🌻 2 से 6 महीने के बीच दुख😴 क्रोध😡 डर 🥵आश्चर्य😲 जाहिर करने लगता है।

🌻 5 से 6 महीने तक अपनों व दूसरों को पहचाने लगता है।

🌻 8 से 10 महीने के बीच बच्चा अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगता है।

🌻 10 महीने में बच्चा जल्दी जल्दी नाराज, खुश, दुख करने लगता है।

🌻 11 महीने में दूसरों की भावनाओं को समझने लगता है।

🌻 12 महीने में बच्चा भावना से निकले मतलब को भी समझता है।अपने चीजों के प्रति उत्सुक होने लगता है दूसरों से शेयर करने में जलन करने लगता है।

🌻 13 से 18 महीने में बच्चा अभी उसके साथ घर वाले हैं जो साथ रहते हैं या बाहर गए हैं उन सब बातों को जानता है। अपनी चीजों के प्रति लगाव बच्चे को हो जाती है।

🌻 18 महीने में भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाता है

🌻21 महीने तक बच्चा थोड़ी स्थिर हो जाता है अपनी उम्र के हिसाब से समझदार हो जाता है।

✍🏻📚📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

⚡शैशवावस्था में संज्ञानात्मक/बौद्धिक/ मानसिक विकास

(Cognitive/Mental Development in Infancy)

🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴11 feb 2021🌴🌴

🚼 0 से 2 वर्ष में बालक का संज्ञानात्मक विकास भी चलता रहता है।

        🍂 विशेषज्ञ कहते हैं कि, “बच्चे का विकास उनके रख-रखाव और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।”

🚼वह यह नहीं समझता कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन उनकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है वह उनके वातावरण से प्रभावित होता है।

🧔पियाजे का मानना है कि बच्चे अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण से कुछ न कुछ सीखते हैं उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसका सफल या असफल प्रयास जरूर करते हैं।

⚡शैशवावस्था में भावनात्मक/सामाजिक विकास

(Emotional/social development in infancy)⤵️

➡️ 2 से 3 महीने में बालक खुशनुमा मुस्कान प्रदर्शित करता है

➡️ 4 महीने में बालक हंसने लगता है।

➡️ 2 से 6 महीने बीच बालक दुख, क्रोध, डर, आश्चर्य जाहिर करने लगता है।

➡️ 5 से 6 महीने तक अपने अथवा दूसरों को पहचाने लगता है।

➡️ 6 माह तक घर वालों के द्वारा बोले आवाज की पहचान करने लगता है।

➡️ 8 से 10 महीना में बच्चे अपनी भावना व्यक्त करने लगते हैं।

➡️ 10 महीने मैं जल्दी-जल्दी नाराज, खुश, दु:खी होने लगते हैं।

➡️ 12 महीने तक भावना से निकले मतलब को भी समझता है।

           🍂 अपनी चीजों के प्रति उत्साह

           🍂 दूसरों से शेयर करने में जलन

➡️ 13 से 14 महीना में बालक अभी उनके कौन से घर वाले हैं जो साथ रहते हैं, बाहर गए हैं इत्यादि समझने लगता है।

           🍂 इस अवस्था में बच्चों को अपनी चीजों के प्रति लगाव बढ़ता जाता है।

➡️ 18 महीने में भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाता है।

➡️ 21 महीने में बच्चे थोड़ा स्थिर हो जाते हैं अपनी उम्र के हिसाब से समझदार हो जाते हैं।🔚

         🙏

📝🥀Notes by Awadhesh Kumar🥀

शैशवावस्था में 

संज्ञानात्मक / बौद्धिक / मनिसिक विकास

💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥

🌹   0 – 2 वर्ष में बच्चे का संज्ञानात्मक विकास भी चलता रहता है।   🌹

                   🌻   विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चे का विकास उनके रख –  रखाव और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।  🌻

              🌻   बच्चा यह नहीं समझता है कि वह क्या कर रहा है लेकिन अपनी इच्छा पूर्ति के लिए वह जो भी करता है वह सब उसके वतावरण से प्रभावित होता है।🌻

                          🌸🌼🌸  ” जीन पियाजे ” का मानना है कि  –   बच्चे अपनी मानसिक क्षमता अनुसार अपने वातावरण से कुछ न कुछ सीखते हैं यदि इस समय भी बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो बो उसका सफल और असफल प्रयास जरूर करते हैं।🌸🌼🌸

          शैशवावस्था अवस्था में                   भावनात्मक / सामाजिक विकास

💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥

🏵️.  शैशवावस्था में बच्चों का भावनात्मक / सामाजिक विकास निम्नलिखित प्रकार से होता है  :-

👉   2 – 3 महीने में बच्चा अपनी खुशनुमा मुस्कान दिखाने लगता है।

👉  4 महीने में बच्चा खिलखिला कर हंसने लगता है।

👉  2 – 6 महीने के मध्य तक बच्चा अपना दुख ,  क्रोध , डर ,  खुशी जाहिर करने लगता है।

👉 5- 6  महीने में बच्चा अपने परिवार ( आसपास रहने वालों ) और दूसरों को पहचाने लगता है।

👉 6 महीने के अंत तक बच्चा अपने घर वालों की बोली /  आवाज पहचानने लगता है।

👉 8 – 10 महीने में बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगते हैं जैसे  :- खेलने की इच्छा  , घूमने की इच्छा आदि जाहिर करने लगते हैं।

👉 10 महीने के अंत तक बच्चे जल्दी – जल्दी ( तुरंत ही )  अपनी खुशी,  दुख ( रोना ) ,  नाराजगी आदि प्रतिक्रियाएं बदलने लगते हैं।

  जैसे  :-  बच्चा यदि किसी छोटे कारणवश रो रहा है औऱ हम यदि उसे प्यार से खिलाएंगे, खिलौने देंगे आदि तो वह शांत होकर बहल जाएगा, हंसने लगेगा ।

 👉 11 महीने में बच्चा अपने सामने वालों ( दूसरों )  की भावना को समझने लगता है , जैसे  :-  यदि हम उसे प्यार करते हैं तो वह खुश हो जाता है औऱ यदि डांट देंगे तो वह रोने  लगता है , इसी प्रकार वह हमारी भावना का अंतर समझ लेता है।

👉 12 महीने में बच्चा दूसरों की भावना से निकलने वाले मतलब को समझने लगता है।

💥  अतः इस समय बच्चों में अपनी चीजों के प्रति उत्साह भरा होता है  जैसे  :-  अपने नये खिलौने सबको दिखाने में वह उत्सुकता महसूस करता है ।

💥   वहीं दूसरों से अपनी वस्तुएं बांटने में share करने में वह  जलन और दुख की भावना को महसूस करता है  जैसे  :-   यदि उसके सामने कोई दूसरा उसकी माँ से स्नेह जताता है या उसकी माँ अपने बच्चे के सामने किसी अन्य बच्चे से दुलार करने लगती है तो,  उसे जलन होने लगती है वह रोकर अपनी माँ से लिपटने लगता है ।

👉 13 – 18 महीने में बच्चा समझने लगता है कि कौन अभी बाहर गया है और कौन घर में उनके साथ मौजूद है ,

जैसे  :-  यदि बच्चे से पूछेंगे कि पापा कहां गए हैं तो वह बोलेगा कि ऑफिस , बाहर आदि छोटे शब्द ।

💥   इस अवस्था में बच्चों को अपनी चीजों से लगाव हो जाता है।

👉 18 महीने के अंत तक बच्चा अपनी भावनाओं के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाता है।

 जैसे :-  हम बोलेंगे कि खाना खालीजिएगा तो हठ करेगा ,  रूठ जाएगा आदि।

👉  21 महीने में बच्चे संज्ञानात्मक और संवेगात्मक रूप से थोड़े स्थिर हो जाते हैं , अतः अपनी उम्र के अनुकूल समझदार हो जाते हैं।

✍️

Notes by – जूही श्रीवास्तव ✍️

🔥🔥शैशवावस्था🔥🔥

            ( Infancy)

    🌸🌸 (संज्ञानात्मक विकास)🌸🌸

🗣️०-२ वर्ष-संज्ञानात्मक विकास भी चलता रहता है;

🕵️विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चे का विकास उनके रख-रखाव और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है;

🕵️वह नहीं समझता कि वह क्या कर रहा है लेकिन उनकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है वह उनके वातावरण से प्रभावित होता है;

👩‍🎓जीन पियाजे का मानना है कि बच्चे अपने मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण से कुछ न कुछ सीखते हैं उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसका सफल सफल प्रयास जरूर करते हैं;

🏵️🏵️(Emotinal and Social Development in Infancy)🏵️🏵️

🌺(शैशवावस्था में भावनात्मक/सामाजिक विकास)🌺

🗣️२- ३ माह -बच्चे के चेहरे पर खुशनुमा मुस्कान आने लगती है;

🗣️४- माह -इस माह में बच्चा हंसना शुरू कर देता है;

🗣️२- ६ माह -इस माह के बीच बच्चा दुख, क्रोध ,डर ,आश्चर्य खुशी जाहिर करने लगता है;

🗣️५- ६ माह – इस माह तक अपने दूसरों को पहचाने लगता है परिचित वहां पर अपरिचित में विभेद करने लगता है;

🗣️६- माह – इस माह तक घर वालों की आवाज पहचाने लगता है;

🗣️८- १० माह -इस माह में बच्चे अपनी भावना व्यक्त करने लगते हैं;

🗣️१० माह- जल्दी-जल्दी नाराज होना खुश होना मत दुख प्रकट करता  है ;

🗣️११-माह -दूसरों की भावना को समझने लगता है;

🗣️१२ माह -इस माह के अंत तक बच्चा भावना से निकले मतलब को भी समझता है 

             ‌            वा 

🌸अपने चीजों के प्रति उत्साह

                 वा

🌸दूसरों से साझा करने में जलन भी होने लगती हैं;

🗣️१३ – १८ माह -अभी उनके कौन से घरवाले हैं जो साथ रहते हैं , और बाहर गए हैं जानने लगता है बच्चा ;

🌸बच्चों को अपनी चीजों से लगाव  बढ़ते जाता है;

🗣️१८ – माह – इस माह में भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाता है;

( अगर खाना या दूध नहीं पीना है तो नहीं पीना है;)

🗣️२१ – माह -इस महीने तक बच्चे थोड़ी स्त्रियों जाते हैं और अपनी उम्र के हिसाब से समझदार भी हो जाते है।

     🧠🧠धन्यवाद 🧠🧠

🌸हस्त लिखित-शिखर पाण्डेय 🌸

💐💐शैशवावस्था( संज्ञानात्मक विकास ,बौद्धिक विकास ,मानसिक विकास)💐💐

0 से 2 ईयर में संज्ञानात्मक विकास भी चलता रहता है

विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चे का विकास उनके रखरखाव और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है वह यह नहीं समझता कि वह क्या कह रहे हैं लेकिन उनकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है उस उनके वातावरण से प्रभावित होता है

प्याजे का मानना है कि बच्चे अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण से कुछ ना कुछ सीखते हैं उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसका सफल या असफल प्रयास जरूर करते हैं

         💐भावनात्मक सामाजिक विकास💐

 2-3  महीने में बच्चे में खुशनुमा मुस्कान  आने लगती है

4   महीने में बच्चा हंसने लगता है

2 से 6 महीने में बच्चा, दुख ,क्रोध ,डर ,आश्चर्य जाहिर करने लगता है

5 से 6 महीने तक बच्चा अपने और दूसरे को पहचाने लगता है कौन अपना है और कौन पराया यह जानने लगता है

6 महीने तक बच्चा घर वालों के द्वारा बोले जाने वाले आवाजों को पहचानने लगता है

8 से 10 महीने में बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगते हैं

 10 महीने में बच्चा जल्दी जल्दी नाराज खुश और दुखी हो जाता है

11 महीने में बच्चा दूसरों की भावनाओं को समझने लगता है

 12 महीने में बच्चा भावना से निकले मतलब वह भी समझता है अपनी चीजों को दूसरों को देने में उसे जलन होती है

13 से 18 महीने में बच्चा अपने परिवार वालों को कौन घर में है और कौन बाहर गए हैं यह सब अंदाजा लगा लेता है

बच्चों को अपनी चीजों से लगाओ  बढ़ते जाता  है

18 महीने में बच्चा भावना भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाते हैं

 21 महीने में बच्चा स्थिर हो जाता है और अपनी उम्र के हिसाब से समझदार हो जाता है

🔰🔰🔰🔰sapna sahu. 🔰🔰🔰🔰🔰🔰

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*शैशवावस्था संज्ञानात्मक विकास*

*(बौद्धिक विकास मानसिक विकास)*

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●*0-2 वर्ष में  संज्ञानात्मक विकास  भी चलता रहता है।*

● विशेषज्ञ कहते हैं बच्चे का विकास उनके रखरखाव और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।

 ●वह यह नहीं समझता कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन उनकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है वही उनके वातावरण से प्रभावित होता है।

● *पियाजे का मानना है कि बच्चे अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण से कुछ ना कुछ सीखते हैं।*

 ●उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसका सफल /असफल प्रयास जरूर करते हैं।

 ★ *शैशवावस्था में भावनात्मक /सामाजिक विकास*

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● 2-3 महीने में खुशनुमा मुस्कान देता है।😊😊

● 4  महीने तक हंसने लगता है।😂😂

● 2-6    महीने के बीच दुख ,क्रोध, डर ,आश्चर्य जाहिर करने लगता है।😢😟

● 5-6  महीने तक अपने दूसरे को पहचाने रखता है।

● 6  महीने  तक घरवालों के द्वारा बोली गई आवाज को पहचानने लगता है।

● 8 -10  महीने के बीच बच्चा अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगता है।

●10- महीने जल्दी-जल्दी नाराज व खुश होने  लगता है संवेगों में परिवर्तन होने लगता है।🤣😆☹️🙁🤓🤪

●11  महीने दूसरों की भावनाओं को समझने लगता है।

● 12 महीने भावना से निकले अर्थों को समझने लगता है।🤔🤔🤔

>अपनी चीजों की प्रति उत्साह होता है ।

      🤩🤩

●दूसरे के साथ बांटने या देने में जलन होती है।.    

               😡😡

● 13-18 महीने में यह समझने लगता है कि उनके  घर वाले बाहर गए है या कौन घर पर है।

बच्चों को अपनी चीजों से  लगाव बढ़ने लगता है।  खिलौनों को अपने पास ही ज्यादातर रखता है।

● 18 महीने में   भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाते हैं जैसे बच्चों को अपनी तरफ गोद में लेना या खाना खिलाना इन सब क्रियाकलापों में बच्चे द्वारा  मना करना।

● *21 महीने तक  बच्चों में थोड़ा  स्थिर  हो जाते है।* 

*अपनी उम्र के हिसाब से समझदार हो जाते है।*

✒️✒️ *Anand Chaudhary*📋📋

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शैशवास्था में संज्ञानात्मक विकास /बौद्धिक विकास / मानसिक विकास

0 से 2 वर्ष में संज्ञानात्मक विकास भी चलता रहता है

विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चे का विकास उनके रख-रखाव,

 आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है

 वह यह नहीं समझता कि वह क्या कर रहा हैं लेकिन उनकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है वह उनके वातावरण से प्रभावित होता है

 पियाजे का मानना है कि बच्चे अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण से कुछ न कुछ सीखते हैं उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसका सफल या असफल प्रयास जरूर करते हैं।

शैशवावस्था में भावनात्मक/ सामाजिक विकास

2 से 3 महीने में बच्चा खुशनुमा मुस्कान प्रदर्शित करता है

4 महीने तक हंसने लगता है

2 से 6 महीने के बीच दुख ,क्रोध, डर ,आश्चर्य को जाहिर करने लगता है।

5 से 6 महीने तक अपने अर्थात अपने परिचित लोगों को तथा दूसरों अर्थात अपरिचित लोगों को पहचानने लगता है।

6 महीने तक घर वालों के द्वारा बोली गए आवाज को पहचान लेता है अर्थात यह आवाज किसकी है जैसे दादा की है, दादी की है ,मां की है, पिता की है।

8 से 10 महीने में बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगते हैं।

10 महीने में बच्चे अपनी भावनाओं को जल्दी-जल्दी व्यक्त करते हैं जैसे जल्दी नाराज हो जाना और फिर एक ही पल में खुश हो जाना या दुखी हो जाना।

11 महीने में दूसरों की भावनाओं को समझने लगता है।

12 महीने तक बच्चे भावनाओं से निकलने वाले मतलब या अर्थ को भी समझने लगते हैं।

तथा 

अपनी चीजों के प्रति उत्साह और दूसरों से शेयर या साझा करने में जलन होती है।

13 से 18 महीने में बालक को यह पता रहता है कि अभी उनके कौन से घर वाले जो साथ रह रहे हैं और कौन बाहर गए हैं

अर्थात अभी घर में कौन है

जैसे उससे पूछा जाए कि उसके पापा कहां गए हैं तो वह बता देगा कि पापा ऑफिस या ड्यूटी या काम पर गए हैं।

18 महीने में भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाता है

21 महीने तक बच्चे थोड़ा स्थिर हो जाते हैं और अपनी उम्र के हिसाब से समझदार हो जाते हैं।

Notes by Ravi kushwah

💫💫शैशवावस्था संज्ञानात्मक विकास

(बौद्धिक विकास मानसिक विकास)💫💫

🔅0-2 वर्ष में  संज्ञानात्मक विकास  भी चलता रहता है।

🔅 विशेषज्ञ कहते हैं बच्चे का विकास उनके रखरखाव और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।

 🔅वह यह नहीं समझता कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन उनकी इच्छा पूर्ति के लिए जो भी करता है वही उनके वातावरण से प्रभावित होता है।

💫पियाजे का मानना है कि बच्चे अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार अपने वातावरण से कुछ ना कुछ सीखते हैं।

 उस समय भी अगर बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो उसका सफल /असफल प्रयास जरूर करते हैं।

 शैशवावस्था में भावनात्मक /सामाजिक विकास

🔅 2-3 महीने में खुशनुमा मुस्कान देता है।

🔅 4  महीने तक हंसने लगता है।

🔅2-6    महीने के बीच दुख ,क्रोध, डर ,आश्चर्य जाहिर करने लगता है।

🔅 5-6  महीने तक अपने दूसरे को पहचाने रखता है।

🔅6  महीने  तक घरवालों के द्वारा बोली गई आवाज को पहचानने लगता है।

🔅 8 -10  महीने के बीच बच्चा अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगता है।

🔅10- महीने जल्दी-जल्दी नाराज व खुश होने  लगता है संवेगों में परिवर्तन होने लगता है।

🔅11  महीने दूसरों की भावनाओं को समझने लगता है।

🔅12 महीने भावना से निकले अर्थों को समझने लगता है।

🔅अपनी चीजों की प्रति उत्साह होता है ।

🔅दूसरे के साथ बांटने या देने में जलन होती है।.    

🔅 13-18 महीने में यह समझने लगता है कि उनके  घर वाले बाहर गए है या कौन घर पर है।

बच्चों को अपनी चीजों से  लगाव बढ़ने लगता है।  खिलौनों को अपने पास ही ज्यादातर रखता है।

🔅18 महीने में   भावना के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाते हैं जैसे बच्चों को अपनी तरफ गोद में लेना या खाना खिलाना इन सब क्रियाकलापों में बच्चे द्वारा  मना करना।

🔅21 महीने तक  बच्चों में थोड़ा  स्थिर  हो जाते है।

अपनी उम्र के हिसाब से समझदार हो जाते है।                

✍🏻✍🏻Notes by raziya khan✍🏻✍🏻

🔆शैशवावस्था में 

संज्ञानात्मक / बौद्धिक / मनिसिक विकास➖

0 – 2 वर्ष में बच्चे का संज्ञानात्मक विकास भी चलता रहता है।   

   विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चे का विकास उनके रख –  रखाव और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।  

बच्चा यह नहीं समझता है कि वह क्या कर रहा है लेकिन अपनी इच्छा पूर्ति के लिए वह जो भी करता है वह सब उसके वतावरण से प्रभावित होता है।

   ” जीन पियाजे ” का मानना है कि  –   बच्चे अपनी मानसिक क्षमता अनुसार अपने वातावरण से कुछ न कुछ सीखते हैं यदि इस समय भी बच्चे कुछ पाना चाहते हैं तो बो उसका सफल और असफल प्रयास जरूर करते हैं।

 🔆शैशवावस्था अवस्था में                   भावनात्मक / सामाजिक विकास➖

🔅 शैशवावस्था में बच्चों का भावनात्मक / सामाजिक विकास निम्नलिखित प्रकार से होता है  :-

▪️   2 – 3 महीने में बच्चा अपनी खुशनुमा मुस्कान दिखाने लगता है।

▪️ 4 महीने में बच्चा खिलखिला कर हंसने लगता है।

▪️  2 – 6 महीने के मध्य तक बच्चा अपना दुख ,  क्रोध , डर ,  खुशी जाहिर करने लगता है।

▪️ 5- 6  महीने में बच्चा अपने परिवार या आसपास रहने वाले लोगो और दूसरों को पहचाने लगता है।

▪️ 6 महीने के अंत तक बच्चा अपने घर वालों की बोली /  आवाज पहचानने लगता है।

▪️ 8 – 10 महीने में बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगते हैं जैसे  :- खेलने की इच्छा  , घूमने की इच्छा आदि जाहिर करने लगते हैं।

▪️10 महीने के अंत तक बच्चे जल्दी – जल्दी या तुरंत ही अपनी खुशी,  दुख  ,  नाराजगी आदि प्रतिक्रियाएं बदलने लगते हैं।

  जैसे  :-  बच्चा यदि किसी छोटे कारणवश रो रहा है औऱ हम यदि उसे प्यार से खिलाएंगे, खिलौने देंगे आदि तो वह शांत होकर बहल जाएगा, हंसने लगेगा ।

 ▪️ 11 महीने में बच्चा अपने सामने वालों ( दूसरों )  की भावना को समझने लगता है , जैसे  :-  यदि हम उसे प्यार करते हैं तो वह खुश हो जाता है औऱ यदि डांट देंगे तो वह रोने  लगता है , इसी प्रकार वह हमारी भावना का अंतर समझ लेता है।

▪️ 12 महीने में बच्चा दूसरों की भावना से निकलने वाले मतलब को समझने लगता है।

▪️अतः इस समय बच्चों में अपनी चीजों के प्रति उत्साह भरा होता है  जैसे  :-  अपने नये खिलौने सबको दिखाने में वह उत्सुकता महसूस करता है ।

▪️  वहीं दूसरों से अपनी वस्तुएं बांटने में वह  जलन और दुख की भावना को महसूस करता है  जैसे  :-   यदि उसके सामने कोई दूसरा उसकी माँ से स्नेह जताता है या उसकी माँ अपने बच्चे के सामने किसी अन्य बच्चे से दुलार करने लगती है तो,  उसे ईर्ष्या होने लगती है वह रोकर अपनी माँ से लिपटने लगता है ।

▪️ 13 – 18 महीने में बच्चा समझने लगता है कि कौन अभी बाहर गया है और कौन घर में उनके साथ मौजूद है ,

जैसे  :-  यदि बच्चे से पूछेंगे कि पापा कहां गए हैं तो वह बोलेगा कि ऑफिस , बाहर आदि छोटे शब्द ।

▪️   इस अवस्था में बच्चों को अपनी चीजों से लगाव हो जाता है।

▪️ 18 महीने के अंत तक बच्चा अपनी भावनाओं के हिसाब से प्रतिरोध करना सीख जाता है।

 ▪️  21 महीने में बच्चे संज्ञानात्मक और संवेगात्मक रूप से थोड़े स्थिर हो जाते हैं , अतः अपनी उम्र के अनुकूल समझदार हो जाते हैं।

✍️

Notes by – Vaishali Mishra

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