10/04/2021. Saturday
TODAY CLASS….
संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत
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स्विट्जरलैंड के मनोवैज्ञानिक:— जीन पियाजे
जन्म:— 9 अगस्त 1896
मृत्यु:— 16 सितंबर 1980
➖ इन्होंने *धर्म, दर्शन* का गहन अध्ययन किए
🔥 दर्शन की ज्ञान मानसा और प्राणी विज्ञान के बीच संबंध है
➖ इन्होंने कहा हर इंसान, जीव, जंतु , जानवर, प्रजाति इत्यादि वह सब प्राणी विज्ञान में आ जाते हैं
और ज्ञान मीमांसा किसी भी प्राणी का जो ज्ञान, बुद्धि के ,बौद्धिक के ,क्षेत्र में परिपेक्ष अस्तित्व है वह वह सभी ज्ञान मीमांसा के रूप में आएगा
➖ यही खोज यही संबंध स्थापित करना उन्हें मनोवैज्ञानिक बना दिया
➖ यूरोप के अनेक मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला में कार्य किया
➖ अल्फार्ड बिने के साथ बुद्धि के विषय पर काम किया
🔥 जीन पियाजे🔥
इन्होंने बुद्धि के विषय में पूर्व धारणा ” *बुद्धि जन्मजात होती है* ” इसका *खंडन* किया।
➖ इन्होंने बाल क्रियाओं का अध्ययन किया कि जैसे जैसे बच्चे की *आयु बढ़ती है* और *उसका कार्य क्षेत्र भी बढ़ता है* वैसे वैसे बुद्धि का विकास होता है
➖ बच्चा प्रारंभ में छोटे-छोटे सरल प्रत्यय को सीखते हैं परंतु जैसे-जैसे बड़ा हो जाता है कठिन से कठिन प्रत्यय ग्रहण करने लगता है
➖ यह बात अवश्य है कि इन सब से सीखने के लिए *उचित वातावरण* और *उचित क्रिया* दोनों ही आवश्यक है किसी भी कार्य के लिए
🔥थार्नडाइक /पावलव :— ” *सीखना एक यांत्रिक प्रक्रिया है”*
🔥 जीन पियाजे:—” *सीखना कोई यांत्रिक क्रिया नहीं है परंतु यह बौद्धिक प्रक्रिया है”*
➖ सीखना संप्रत्यय निर्माण की प्रक्रिया है
➖ इसका निर्माण सरल संप्रदाय से कठिन संप्रदाय की ओर जाता है
➖ बच्चा जैसे जैसे विकसित होता है सरल से ज्यादा जटिल संप्रत्यय का निर्माण होता है उसकी उपयोगिता की क्षमता विकसित हो जाती है इसे ही प्रत्यय निर्माण का सिद्धांत करते हैं
🔥 *वास्तविकता पर चिंतन की शक्ति🔥*
➖ ना केवल *अनुभव* से प्राप्त होता है और ना केवल *परिपक्वता* से प्राप्त होता है
➖ बल्कि इन *दोनों के अंतः क्रिया* का होना बहुत जरूरी है
➖ इन्हीं को *अंत:क्रियावादी विचार* का नाम दिया गया है
🔥संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत के संप्रदाय🔥
*अनुकूलन* ➖ इनके दो कारक हैं **आत्मसातकरण और सामंजन*
*अनुकूलन* ➖बच्चे की वातावरण के साथ खुलने मिलने की प्रवृत्ति ही अनुकूलन है
➖ जो बच्चे के सामने कोई भी परिस्थिति होती है तो अलग कार्य ना करके संगठित रूप से कार्य करती है और वह ज्ञान अर्जित करती है
*आत्मसातकारण* :— पूर्व ज्ञान से जोड़ना।
किसी समस्या समाधान के लिए पहले सीखी हुई है योजना का मानसिक प्रक्रिया का सहारा लेना
**सामंजस्य* नए परिस्थिति में एडजस्टमेंट करना।
अगर पहले सीखी हुई योजना का मानसिक प्रक्रिया से काम नहीं चल पाता है तब समायोजन की जाती है
➖ जीन पियाजे कहते हैं कि बालक को आत्मसातकरण और समायोजन के बीच संतुलन करना होता है
➖ साम्याधारण:— आत्मसातकरण और समायोजन के बीच संतुलन
➖ *नई समस्या* :—संज्ञानात्मक➡️ असंतुलन
➖ *समायोजन* :— आत्मसातकरण *+* समाधान
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Notes by:— ✍संगीता भारती✍
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🌼🌸🧠 संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत 🧠🌸🌼
संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत स्विस मनोवैज्ञानिक जीन पियाजे द्वारा दिया गया ।
जीन पियाजे ने आगे चलकर धर्म और दर्शन का अध्ययन किया।
इन्होंने दर्शन की ज्ञान मीमांसा और प्राणी विज्ञान के बीच संबंध स्थापित किया । यही संबंध का स्थापित करना उन्हें मनोवैज्ञानिक बना दिया ।
यूरोप की अनेक वैज्ञानिक प्रयोगशाला में इन्होंने कार्य किया।
जीन पियाजे ने अल्फ्रेड बिने के साथ भी काम किया । बिने के साथ बुद्धि पर इन्होंने अनेक प्रयोग किए।
🧩 बुद्धि की पूर्वधारणा — ” बुद्धि जन्मजात होती है ” पियाजे ने इसका खंडन किया।
जीन पियाजे ने कहा कि बुद्धि जन्मजात नहीं होती है।
इन्होंने बाल क्रियाओं का बारीकी से अध्ययन किया और कहा जैसे जैसे बच्चे की आयु बढ़ती है और उसका कार्यक्षेत्र बढ़ता है वैसे – वैसे बुद्धि का विकास हो जाता है।
बच्चा प्रारंभ में सरल प्रत्यय (छोटे तथ्य ) को सीखता है परंतु जैसे-जैसे बड़ा हो जाता है कठिन से कठिन प्रत्यय ग्रहण करने लगता है ।
लेकिन यह बात अवश्य है इन सबसे सीखने के लिए उचित वातावरण और क्रिया दोनों आवश्यक है।
🏵️ थार्नडाइक / पावलव ने कहा
सीखना एक यांत्रिक प्रक्रिया है।
पियाजे ने कहा सीखना कोई यांत्रिक क्रिया नहीं है यह एक बौद्धिक प्रक्रिया है।
सीखना संप्रत्यय निर्माण की प्रक्रिया है ।
बच्चा जैसे जैसे विकसित होता है सरल से ज्यादा जटिल संप्रत्यय का निर्माण होता है उसकी उपयोगिता की क्षमता विकसित हो जाती है।
इसे ही प्रत्यय निर्माण का सिद्धांत कहते हैं।
Theory of concept development
वास्तविकता पर चिंतन की शक्ति ना तो केवल अनुभव पर और ना ही केवल परिपक्वता पर निर्भर करती है बल्कि दोनों की अंत:क्रिया पर निर्भर करती है।
*अंत:क्रियावादी विचारधारा* –+ अनुभव और परिपक्वता
🌺 संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत के सम्प्रत्यय
अनुकूलन 1.आत्मसात्करण
2. सामंजन
🌸 बच्चे की वातावरण के साथ घुलने मिलने की प्रवृत्ति ही अनुकूलन है।
जब बच्चे के सामने परिस्थिति होती है तो उसकी विभिन्न मानसिक प्रक्रिया अलग-अलग काम ना करके संगठित रूप से कार्य करती है और ज्ञान अर्जित करती है।
🔺 आत्मसात्करण — किसी समस्या समाधान के लिए पहले सीखी हुई योजना या मानसिक प्रक्रिया का सहारा लेते हैं।
🔺 सामंजन / समायोजन — अगर पहले सीखी योजना या मानसिक प्रक्रिया से काम नहीं चल पाता तब समायोजन की जाती है।
पियाजे कहते हैं बालक को आत्मसात्करण और समायोजन के बीच संतुलन करना होता है।
और यहीं पर साम्यधारण होता है।
आत्मसात्करण और समायोजन के बीच संतुलन ही साम्यधारण हैं।
🌼 नई समस्या ➡️ संज्ञानात्मक ➡️ असंतुलन ➡️समायोजन ➡️ आत्मसात्करण ➡️ समाधान। ।
🌺 धन्यवाद
वंदना शुक्ला 🌺