53. CDP – Learning Theories PART- 9

🌲⚜️🔅कोहलर का प्रयोग🔅⚜️🌲

 ⚜️कोहलर➖️ ने 6 वनमानुष पर प्रयोग किया यह बनमानुस (टेनिरिक द्वीप )के थे

➖️ उस पर उन्होंने प्रयोग किया उनको लकड़ी के कठघड़े में रख दिया और उस पर प्रयोग किया इन 6 बनमानुस में से 1 बन मानस बहुत ही तेज बुद्धिमान है

उसका  सुल्तान नाम रख दिया कोहलर ने अधिकांश प्रयोग सुल्तान पर कि

 🌲उन्होंने प्रयोग को अधिक समझाने में सुल्तान के सामने दो समस्या रखी पहली

🔅समस्या छड़ी का प्रयोग और 

🔅 बॉक्स का प्रयोग

🔅छड़ी समस्या संबंधी प्रयोग ➖️कोहलर ने सुल्तान  को कमरे में बंद कर दिया और उसके सामने एक  छड़ रख दी तथा पिंजरे के बाहर केले रख दिए वह केले इतनी दूर रख दिए कि वह हाथ से नहीं पा सकता था सुल्तान अपने हाथ से लेने की कोशिश की पर वह असफल हो गया भूख से भावुक था फिर उसकी नजर एक छड़ी पर पड़ी तो उसने उस छड़ी से केले को पास में किसका लिया और ले लिया

फिर कोहलर ने कमरे में दो छड़ी रख दी और दोनों एक दूसरे में फिट होती थी ऐसी छड़ी रखी और केले को इतना दूर रख दिया कि वह अकेले को हाथ और एक छड़ी से नहीं छू पाए रहा था फिर सुल्तान ने पहले जो सबसे बड़ी चढ़ी थी उसे पाने की कोशिश की लेकिन वह असफल हो गया फिर उसने कोशिश की लेकिन नहीं ले पाया था फिर उसने दिमाग लगाया और दोनों छड़ी को जोड़ने लगा दोनों छड़ी एक दूसरे में जुड़ गई और छड़ी बड़ी हो गई और उसने केले को अपने पास कर लिया

फिर दूसरे दिन जब उसको उसी स्थिति में रखा गया तो वह तुरंत ही  दिमाग लगा कर छड़ी को मिलाकर जोड़ दिया और केले ले लिया तो इस समस्या का समाधान” सूझ “से मिला

जब बन मानुस ने पहले प्रयोग में कमरे में छड़ी में केले से यह संबंध स्थापित किया फिर उसके बाद सूझ का सिद्धांत लगाया

 तो कोहलर ने बताया हमारे अधिगम में सूझ का प्रयोग होता है

🔅बॉक्स संबंधी प्रयोग ➖️इसमें कोहलर ने भूखे सुल्तान को पिंजरे में बंद कर दिया और केले को ऊपर टांग दिया इस प्रकार टांगा कि वह सुल्तान हाथ से उन केलो को नहीं छुपा रहा था और पिंजरे में  तीन खाली बॉक्स रख दिए पहले तो उसने कुछ उछल कूद करनके पाने की कोशिश की लेकिन नहीं ले पाया तो व्याकुलता में वह फर्श पर पड़े बड़े-बड़े बॉक्स को देखता है और वह एक बक्से को रखकर पकड़ने की कोशिश करता है लेकिन वह नहीं पकड़ पाता फिर दूसरा बॉक्स रखता है तब भी वह नहीं पा पाता है फिर वह तीसरा भाग सकता है और वह केले को पा लेता है तो इस प्रकार है सारे वक्स को एक के ऊपर एक रखकर केले को प्राप्त कर लेता है अब अगर उसके सामने ऐसी स्थिति और आई तो उसी स्थिति द्वारा केले को प्राप्त कर सकता है यह दोनों ही प्रयोग वनमानुष पर किए गए और स्पष्ट हुआ कि सूझ का सिद्धांत है

⚜️उनके अंतर्गत अधिनियम प्रक्रिया जो होती है

 यह मस्तिष्क के 2 स्तर में संपादित होती है

 ⚜️प्रत्यक्ष ज्ञान आत्मा के स्तर का अधिगम

⚜️प्रत्यात्मक  स्तर का अधिगम

1⚜️प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक स्तर का अधिगम ➖️इस पर व्यक्ति की जो ज्ञान इंद्रियां होती हैं उसकी मदद से जो  प्रत्यक्ष चीजें देखते हैं उसमें जो प्रत्यक्ष ज्ञान होता है उसी प्रक्रिया को करते तभी हम सीखते हैं यही प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक स्तर का अध्ययन कहलाता है

जैसे कोहलर के बक्से वाला प्रयोग में इसी ज्ञान का उपयोग किया गया था क्योंकि बॉक्स पहले से ही सामने रखा गया था

2 ⚜️प्रत्यात्मक स्तर का अधिगम ➖️यह जब तक सहायक होता तब वह बहुत ही जटिल समस्या होती हैं इसमें चीजें प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देती है

 बल्कि अपने सूझ द्वारा इसकी समस्या को हल किया जाता है इसमें अपना दिमाग लगाकर समस्याओं को हल किया जाता है जैसे बन मानस ने छड़ी का प्रयोग किया केले  प्राप्त करने में

🌲🔅वर्दीमर का  प्रयोग ➖️1880 में प्रयोग किया

 इन्होंने लाइट के घूमने का अध्ययन किया लाइट एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलती नजर आ रही थी जबकि वास्तव में एक अंतराल में बल्ब जलते थे और जब एक चलते है तो अन्य बंद हो जाता था इस प्रकार यदि बल्व में 1,3,5,7,9 11 के जलते है तो 2,4,6,8 बंद हो जाते हैं।बल्ब का जलना बंद होना ऐसा प्रगट होता था कि बल्ब की लाइट जल रही है संपूर्ण तस्वीरें उसके अंगों से भिन्नता रखता है अतः इस बात पर बल दिया गया कि संपूर्ण के गुण उनके अंगों का प्रत्यक्षीकरण करने को प्रभावित करता है इसकी विशेषताओं का पता उसके आंतरिक प्रकृति के द्वारा लगाया जा सकता है

⚜️🌲प्रयास और त्रुटि तथा सूझ द्वारा अधिगम में अंतर🌲⚜️

🔅🔅प्रयास और  त्रुटि का सिद्धांत ➖️में प्राणी जो सीखने की परिस्थिति को नहीं समझ पाता है

🔅सूझ  का सिद्धांत ➖️ में समझ पाता है

🔅🔅 प्रयास और त्रुटि➖️ शारीरिक को कुशलता पर बल देता है🔅 जबकि सूझ ➖️का सिद्धांत वौध्दिक ही कुशलता पर बल देता है

🔅🔅प्रयास और त्रुटि का सिद्धांत➖️ शारीरिक अंगों का नियमन करता है और

🔅सूझ का सिद्ध➖️ प्रत्यक्षीकरण करता है

🔅🔅प्रयास व ड्यूटी सिद्धांत ➖️नजर लक्ष्य पर निर्भर रहती है जबकि

 🔅सूझ का सिद्धां➖️त चेतन से ज्यादा अचेतन मन क्रियाशीलता होती है

🔅प्रयास और त्रुटि अभ्यास ➖️परिश्रम की आवश्यकता होती है

🔅जबकि सूझ के सिद्धांत➖️ में बुद्धि से अचानक प्राप्त कर सकते हैं

🔅प्रयास और त्रुटि ➖️में प्रेरणा संवेदना होती है

जबकि

🔅सूझ के सिद्धांत➖️ में प्रत्यक्षीकरण

🔅🔅प्रयास और त्रुटी के सिद्धांत ➖️में किसी समस्या में नए सिरे से प्रयत्न करने की आवश्यकता होती है

जबकि

 🔅सूझ के सिद्धांत➖️ में ज्ञान का हस्तांतरण हो जाता है

Notes by sapna yadav

08/04/2021.            Thursday     

         TODAY CLASS….

           कोहलर और वर्दीमर का प्रयोग

➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

कोहलर ने➖ 6  भूखे बनमानुस पर (टेनेरिफ द्वीप )में प्रयोग किया

➖उसको एक लकड़ी के कटघरे में रखा और इन 6 वनमानुष में सर्वाधिक बुद्धिमान वनमानुष का चयन किया की यह जो वनमानुष है उस में से सबसे ज्यादा बुद्धिमान कौन है और उसका उन्होंने सुल्तान नाम रखा

➖ कोहलर ने अपने अधिकांश प्रयोग (सुल्तान )पर ही किया और वह अधिगम सिद्धांत को स्पष्ट तौर पर बताने के लिए सुल्तान के सामने वह दो प्रकार की समस्या रखा…

➖(1)  छड़ी समस्या (2)बक्सा समस्या

➖(1) छड़ी समस्या प्रयोग:— कोहलर ने  सुल्तान नामक  वनमानुष को पिंजरे में बंद कर दिया और उसके पिंजरे में एक नुकीली छड़ी रख दी तथा पिंजड़े के बाहर केला इतनी दूर पर रखा कि वह हाथ से बाहर से ना ले सके तब भूखे वनमानुष ने हाथ से लेने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं रहा तो भूख से व्याकुल होकर उसकी नजर पिंजरे में रखी छड़ी पर परी उससे वह अकेले को खींचा और भूख मिटा लिया 

➖इसके पश्चात कोहलर पिंजरे में दो छड़ी रख दिया जो एक दूसरे में फिट होकर लंबी हो सकते थे और पिंजरे के बाहर केला इतनी दूरी पर रख दिया कि केला हाथ से भी ना आए एक सिंगल छड़ी से से तो वनमानुष को जो भूख लगा तो वह केला हाथ से लेने का कोशिश किया लेकिन असफल रहा फिर उसने बड़ी वाली छड़ी से केला लेने की कोशिश की फिर भी असफल रहा तो वह भूख से व्याकुल वनमानुष केला लेने के लिए दोनों छड़ी से खेलने लगा और खेलते खेलते दोनों छड़ी एक दूसरे में फिट हो गया तो उसके फलस्वरूप छड़ी लंबी हो गई अब इसकी सहायता से आराम से केला को खींचा और अपना भूख मिटाया ।

➖अब दूसरे दिन उसको उसी स्थिति में रखा तो वह बिना समय लगाए पहले  छड़ी को जोडा फिर केला प्राप्त कर भूख मिटाना सीख गया तो उसके समस्या के समाधान उसके सूझ से मिली।

➖ समस्या का समाधान हेतु सूझ मिलने से पहले वनमानुष ने पिंजरे की स्थिति, केला की दूरी या छड़ी की लंबाई इन सभी चीजों से उसने संबंध स्थापित किया और उसके द्वारा अपनी समस्याओं को समाधान करने का लक्ष्य को प्राप्त किया

🔥 दूसरा प्रयोग बक्सा समस्या संबंध प्रयोग

➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

➖कोहलर ने:— वनमानुष को पिंजरे में रखा और पिंजरे के छत में केला को टांग दिया

➖ इस प्रकार से केला टांगा कि हाथ फैलाने से भी केला छू ना सके। पिंजरे में तीन खाली बक्सा डाल दिया इन्होंने केले को देखकर इधर-उधर उछल- कूद करने लगा केला लेने का कोशिश किया लेकिन केला इतना दूर था कि वह नहीं ले पाया और वह व्याकुल हो गया तो व्याकुलता में फर्श पर पड़े बक्से पर नजर परी तो पहले वह बक्से को केले के नीचे रखा उस पर चढ़कर प्रयास किया प्रयास असफल रहा कुछ समय बाद दूसरा बक्सा उस पर रखा फिर भी और असफल रहा तो कुछ समय के लिए वह अपनी समस्या को देखा, समझा ,सोचा और वहां पर  तीसरा बक्सा दिखाई दिया तो उसने तीसरे बक्से को भी उस पर रखा और वह केले को प्राप्त कर भूख मिटा लिया

➖ अब जब दूसरे दिन भी वनमानुष को उस स्थिति में रखा गया तो वह आराम से ज्यादा बक्से के ऊपर बक्सा रखता और केला प्राप्त कर लेता

➖ दोनों प्रयोग से एक तथ्य सामने आई हैं की सूझ के सिद्धांत के अंतर्गत अधिगम प्रक्रिया मस्तिष्क के दो स्तर में संपादित होता है

(1) प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक स्तर का अधिगम

(2)  प्रतियात्मक स्तर का अधिगम

(1) प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक स्तर का अधिगम:— मे ज्ञानेंद्रियों की सहायता से पूरी परिस्थिति के प्रत्यक्ष ज्ञान होने पर प्रतिक्रिया करती है और तब ही सीखते हैं ( बक्से का प्रयोग)

(2)  प्रतियात्मक स्तर का अधिगम:—मे मस्तिष्क तब सहायता करता है जब कोई जटिल समस्या उत्पन्न होती है और शारीरिक क्षमताओं के साथ बुद्धि का सहारा लेना पड़ता तब हम यह काम करते हैं

जैसे :— वनमानुष ने केला लेने के लिए बक्सा और छड़ी का प्रयोग किया

🔥 वर्दीमर का प्रयोग:— लाइट घूमने का अध्ययन (1880)मे

➖ इसमें विज्ञापन में जो संकेत होता है जिसमें लाइट घूमता है यह लाइट घूमने का दृश्य उन्होंने अध्ययन किया

➖ वर्दीमर ने बोला:— यह जो अंतराल में जलना ऐसा दिखता है कि यह चल रहा है

➖ तो इस दृश्य से यह स्पष्ट होता है कि हर भाग जो इसका है अपनी-अपनी पात्र में भिन्नता रखता है सब एक दूसरे से किसी ना किसी का तदम्कता में सेट और अपने कार्य को करने की प्रणाली में हर लाइट भी भिन्नता रखता है

➖ विज्ञापन में लाइट एक स्थान से दूसरे स्थान में चलते हुए दिखेगा वास्तव में यह अंतराल पर चलने वाले बल्ब हैं और जब तक जलता है अन्य बल्ब बंद रहते हैं

➖ इस प्रकार यदि बल्ब 1,3,5,7,9 जलते हैं तो 2,4,6,8 बंद रहते हैं

➖ बल्ब का जलना/ बंद होना ऐसा प्रकट होता है की लाइट चल रही है। संपूर्ण तस्वीर उसके भागों से भिन्नता रखता है

➖ आता इस बात पर बल दिया गया कि संपूर्ण गुण और उसके अंगों का प्रत्यक्षीकरण करने को प्रभावित कर ते हैं

🔥 प्रयास और त्रुटि तथा सूझ द्वारा अधिगम में अंतर

➖ प्रयास और त्रुटि:— रानी सीखने की परिस्थिति को नहीं समझ पाता /  सूझ में समझता है

➖ प्रयास और त्रुटि:— सारे कुशलता पर बल देता है / सूझ मे सोच का सिद्धांत बोधिक कुशलता पर बल देता है

➖ प्रयास और त्रुटि:— सभी प्रयोग कर सकते हैं / सूझ मे सामान बौद्धिक स्तर की आवश्यकता है

➖ प्रयास और त्रुटि:— शारीरिक अंगों का नियोजन /सूझ मे प्रत्यक्षीकरण को समझना आवश्यक है

➖ प्रयास और त्रुटि:— नजर लक्ष्य पर रहती है / सूझ मे चेतन से ज्यादा अचेतन मन क्रियाशील होता है

➖ प्रयास एवं त्रुटि:— दक्षता धीरे-धीरे मिलती है / सूझ मे एकाएक

➖ प्रयास और त्रुटि:— में अभ्यास और परिश्रम करनी पड़ती है / सूझ मे बुद्धि से अचानक प्राप्त कर सकते हैं

➖ प्रयास एवं त्रुटि :— इसमें प्रेरणा एवं संवेदना की जरूरत होती है / सूझ मे प्रत्यक्षीकरण की

➖ प्रयास एवं त्रुटि किसी समस्या में नए सिरे से प्रयत्न / सूझ मे ज्ञान स्थानांतरण करके किया जा सकता है

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

Notes by:— ✍संगीता भारती✍

*कोहलर का प्रयोग*

कोहलर ने ➖ 6  भूखे बनमानुस पर (टेनेरिफ द्वीप )में प्रयोग किया।

➖उसको एक लकड़ी के कटघरे में रखा और इन 6 वनमानुष में सर्वाधिक बुद्धिमान वनमानुष का चयन किया की यह जो वनमानुष है उस में से सबसे ज्यादा बुद्धिमान कौन है और उसका उन्होंने सुल्तान नाम रखा।

कोहलर ने अपने अधिकांश प्रयोग (सुल्तान )पर ही किया और वह अधिगम सिद्धांत को स्पष्ट तौर पर बताने के लिए सुल्तान के सामने  दो प्रकार की समस्या रखा➖

(1)  छड़ी समस्या

 (2)बक्सा समस्या

 *छड़ी समस्या प्रयोग*

कोहलर ने  सुल्तान नामक  वनमानुष को पिंजरे में बंद कर दिया और उसके पिंजरे में एक नुकीली छड़ी रख दी तथा पिंजड़े के बाहर केला इतनी दूर पर रखा कि वह हाथ से बाहर से ना ले सके तब भूखे वनमानुष ने हाथ से लेने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं रहा तो भूख से व्याकुल होकर उसकी नजर पिंजरे में रखी छड़ी पर परी उससे वह अकेले को खींचा और भूख मिटा लिया ।

        इसके पश्चात कोहलर पिंजरे में दो छड़ी रख दिया जो एक दूसरे में फिट होकर लंबी हो सकते थे और पिंजरे के बाहर केला इतनी दूरी पर रख दिया कि केला हाथ से भी ना आए एक सिंगल छड़ी से से तो वनमानुष को जो भूख लगा तो वह केला हाथ से लेने का कोशिश किया लेकिन असफल रहा फिर उसने बड़ी वाली छड़ी से केला लेने की कोशिश की फिर भी असफल रहा तो वह भूख से व्याकुल वनमानुष केला लेने के लिए दोनों छड़ी से खेलने लगा और खेलते खेलते दोनों छड़ी एक दूसरे में फिट हो गया तो उसके फलस्वरूप छड़ी लंबी हो गई अब इसकी सहायता से आराम से केला को खींचा और अपना भूख मिटाया ।

       अब दूसरे दिन उसको उसी स्थिति में रखा तो वह बिना समय लगाए पहले  छड़ी को जोडा फिर केला प्राप्त कर भूख मिटाना सीख गया तो उसके समस्या के समाधान उसके सूझ से मिली।

          समस्या का समाधान हेतु सूझ मिलने से पहले वनमानुष ने पिंजरे की स्थिति, केला की दूरी या छड़ी की लंबाई इन सभी चीजों से उसने संबंध स्थापित किया और उसके द्वारा अपनी समस्याओं को समाधान करने का लक्ष्य को प्राप्त किया।

*प्रयोग बक्सा समस्या संबंध प्रयोग*

 वनमानुष को पिंजरे में रखा और पिंजरे के छत में केला को टांग दिया।

        इस प्रकार से केला टांगा कि हाथ फैलाने से भी केला छू ना सके। पिंजरे में तीन खाली बक्सा डाल दिया इन्होंने केले को देखकर इधर-उधर उछल- कूद करने लगा केला लेने का कोशिश किया लेकिन केला इतना दूर था कि वह नहीं ले पाया और वह व्याकुल हो गया तो व्याकुलता में फर्श पर पड़े बक्से पर नजर परी तो पहले वह बक्से को केले के नीचे रखा उस पर चढ़कर प्रयास किया प्रयास असफल रहा कुछ समय बाद दूसरा बक्सा उस पर रखा फिर भी और असफल रहा तो कुछ समय के लिए वह अपनी समस्या को देखा, समझा ,सोचा और वहां पर  तीसरा बक्सा दिखाई दिया तो उसने तीसरे बक्से को भी उस पर रखा और वह केले को प्राप्त कर भूख मिटा लिया

          अब जब दूसरे दिन भी वनमानुष को उस स्थिति में रखा गया तो वह आराम से ज्यादा बक्से के ऊपर बक्सा रखता और केला प्राप्त कर लेता है। 

दोनों प्रयोग से एक तथ्य सामने आई हैं की सूझ के सिद्धांत के अंतर्गत अधिगम प्रक्रिया मस्तिष्क के दो स्तर में संपादित होता है।

(1) प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक स्तर का अधिगम

(2)  प्रतियात्मक स्तर का अधिगम

1️⃣प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक स्तर का अधिगम:— मे ज्ञानेंद्रियों की सहायता से पूरी परिस्थिति के प्रत्यक्ष ज्ञान होने पर प्रतिक्रिया करती है और तब ही सीखते हैं ( बक्से का प्रयोग)

2️⃣प्रतियात्मक स्तर का अधिगम:—मे मस्तिष्क तब सहायता करता है जब कोई जटिल समस्या उत्पन्न होती है और शारीरिक क्षमताओं के साथ बुद्धि का सहारा लेना पड़ता तब हम यह काम करते हैं

जैसे :— वनमानुष ने केला लेने के लिए बक्सा और छड़ी का प्रयोग किया।

*वर्दीमर का प्रयोग*

लाइट घूमने का अध्ययन (1880)मे।

➖ इसमें विज्ञापन में जो संकेत होता है जिसमें लाइट घूमता है यह लाइट घूमने का दृश्य उन्होंने अध्ययन किया।

वर्दीमर➖यह जो अंतराल में जलना ऐसा दिखता है कि यह चल रहा है।

➖ तो इस दृश्य से यह स्पष्ट होता है कि हर भाग जो इसका है।

➖ अपनी-अपनी पात्र में भिन्नता रखता है सब एक दूसरे से किसी ना किसी का तदम्कता में सेट और अपने कार्य को करने की प्रणाली में हर लाइट भी भिन्नता रखता है।

➖ विज्ञापन में लाइट एक स्थान से दूसरे स्थान में चलते हुए दिखेगा वास्तव में यह अंतराल पर चलने वाले बल्ब हैं और जब तक जलता है अन्य बल्ब बंद रहते हैं।

➖ इस प्रकार यदि बल्ब 1,3,5,7,9 जलते हैं तो 2,4,6,8 बंद रहते हैं।

➖ बल्ब का जलना बंद होना ऐसा प्रकट होता है की लाइट चल रही है। संपूर्ण तस्वीर उसके भागों से भिन्नता रखता है

➖ आता इस बात पर बल दिया गया कि संपूर्ण गुण और उसके अंगों का प्रत्यक्षीकरण करने को प्रभावित कर ते हैं।

 प्रयास और त्रुटि तथा सूझ द्वारा अधिगम में अंतर➖

➖ प्रयास और त्रुटि:— रानी सीखने की परिस्थिति को नहीं समझ पाता है। 

 सूझ में समझता है।

➖ प्रयास और त्रुटि में सारे कुशलता पर बल देता है।

सूझ मे सोच का सिद्धांत बोधिक कुशलता पर बल देता है।

➖ प्रयास और त्रुटि में सभी प्रयोग कर सकते हैं।

सूझ मे सामान बौद्धिक स्तर की आवश्यकता है।

➖ प्रयास और त्रुटि में शारीरिक अंगों का नियोजन होता है। 

सूझ मे प्रत्यक्षीकरण को समझना आवश्यक है।

➖ प्रयास और त्रुटि लक्ष्य पर रहती है।

सूझ मे चेतन से ज्यादा अचेतन मन क्रियाशील होता है।

➖ प्रयास एवं त्रुटि में दक्षता धीरे-धीरे मिलती है।

 सूझ मे एकाएक मिलता है। 

➖ प्रयास और त्रुटि में अभ्यास और परिश्रम करनी पड़ती है।

 सूझ मे बुद्धि से अचानक प्राप्त कर सकते हैं।

➖ प्रयास एवं त्रुटि में प्रेरणा एवं संवेदना की जरूरत होती है।

 सूझ मे प्रत्यक्षीकरण की जरूरत होती है। 

➖ प्रयास एवं त्रुटि किसी समस्या में नए सिरे से प्रयत्न करना है। 

सूझ मे ज्ञान स्थानांतरण करके किया जा सकता है।

Deepika Ray➡️➡️♋♋

🌸🌸कोहलर का प्रयोग🌸🌸

 🟢कोहलर🧑🏻‍✈️ ने 6 वनमानुष पर प्रयोग किया । यह वनमानुष (टेनिरिक द्वीप )के थे।

👉🏻उस पर उन्होंने प्रयोग किया उनको लकड़ी के कठघड़े में रख दिया और उस पर प्रयोग किया इन 6 बनमानुस में से 1 वनमानुष मानस बहुत ही तेज बुद्धिमान है।

उसका  सुल्तान नाम रख दिया कोहलर ने अधिकांश प्रयोग सुल्तान पर कि

 👉🏻उन्होंने प्रयोग को अधिक समझाने में सुल्तान के सामने दो समस्या रखी पहली।

🌸समस्या छड़ी का प्रयोग और 

🌸बॉक्स का प्रयोग

🟢छड़ी समस्या संबंधी प्रयोग

 कोहलर ने सुल्तान  को कमरे में बंद कर दिया और उसके सामने एक  छड़ रख दी तथा पिंजरे के बाहर केले रख दिए वह केले इतनी दूर रख दिए कि वह हाथ से नहीं पा सकता था सुल्तान अपने हाथ से लेने की कोशिश की पर वह असफल हो गया भूख से भावुक था फिर उसकी नजर एक छड़ी पर पड़ी तो उसने उस छड़ी से केले को पास में किसका लिया और ले लिया।

फिर कोहलर ने कमरे में दो छड़ी रख दी और दोनों एक दूसरे में फिट होती थी। ऐसी छड़ी रखी और केले को इतना दूर रख दिया कि वह अकेले को हाथ और एक छड़ी से नहीं छू पाए रहा था फिर सुल्तान ने पहले जो सबसे बड़ी चढ़ी थी उसे पाने की कोशिश की लेकिन वह असफल हो गया फिर उसने कोशिश की लेकिन नहीं ले पाया था फिर उसने दिमाग लगाया और दोनों छड़ी को जोड़ने लगा दोनों छड़ी एक दूसरे में जुड़ गई और छड़ी बड़ी हो गई और उसने केले को अपने पास कर लिया।

फिर दूसरे दिन जब उसको उसी स्थिति में रखा गया तो वह तुरंत ही  दिमाग लगा कर छड़ी को मिलाकर जोड़ दिया और केले ले लिया तो इस समस्या का समाधान” सूझ “से मिला।

जब बन मानुस ने पहले प्रयोग में कमरे में छड़ी में केले से यह संबंध स्थापित किया। फिर उसके बाद सूझ का सिद्धांत लगाया।

 👉🏻 🧑🏻‍✈️कोहलर ने बताया हमारे अधिगम में सूझ का प्रयोग होता है।

🟢बॉक्स संबंधी प्रयोग ÷ इसमें कोहलर ने भूखे सुल्तान को पिंजरे में बंद कर दिया और केले को ऊपर टांग दिया इस प्रकार टांगा कि वह सुल्तान हाथ से उन केलो को नहीं छुपा रहा था और पिंजरे में  तीन खाली बॉक्स रख दिए पहले तो उसने कुछ उछल कूद करनके पाने की कोशिश की लेकिन नहीं ले पाया तो व्याकुलता में वह फर्श पर पड़े बड़े-बड़े बॉक्स को देखता है और वह एक बक्से को रखकर पकड़ने की कोशिश करता है लेकिन वह नहीं पकड़ पाता फिर दूसरा बॉक्स रखता है तब भी वह नहीं पा पाता है फिर वह तीसरा भाग सकता है और वह केले को पा लेता है तो इस प्रकार है सारे वक्स को एक के ऊपर एक रखकर केले को प्राप्त कर लेता है अब अगर उसके सामने ऐसी स्थिति और आई तो उसी स्थिति द्वारा केले को प्राप्त कर सकता है यह दोनों ही प्रयोग वनमानुष पर किए गए और स्पष्ट हुआ कि सूझ का सिद्धांत है।

👉🏻उनके अंतर्गत अधिनियम प्रक्रिया जो होती है।

 यह मस्तिष्क के 2 स्तर में संपादित होती है।

 🌸प्रत्यक्ष ज्ञान आत्मा के स्तर का अधिगम

🌸प्रत्यात्मक  स्तर का अधिगम

🟢प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक स्तर का अधिगम ÷ 

इस पर व्यक्ति की जो ज्ञान इंद्रियां होती हैं उसकी मदद से जो  प्रत्यक्ष चीजें देखते हैं उसमें जो प्रत्यक्ष ज्ञान होता है उसी प्रक्रिया को करते तभी हम सीखते हैं यही प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक स्तर का अध्ययन कहलाता है

जैसे कोहलर के बक्से वाला प्रयोग में इसी ज्ञान का उपयोग किया गया था क्योंकि बॉक्स पहले से ही सामने रखा गया था

🟢प्रत्यात्मक स्तर का अधिगम ÷

यह जब तक सहायक होता तब वह बहुत ही जटिल समस्या होती हैं इसमें चीजें प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देती है

 बल्कि अपने सूझ द्वारा इसकी समस्या को हल किया जाता है इसमें अपना दिमाग लगाकर समस्याओं को हल किया जाता है जैसे बन मानस ने छड़ी का प्रयोग किया केले  प्राप्त करने में

🟢वर्दीमर का  प्रयोग ÷ 1880 में प्रयोग किया

 इन्होंने लाइट के घूमने का अध्ययन किया लाइट एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलती नजर आ रही थी जबकि वास्तव में एक अंतराल में बल्ब जलते थे और जब एक चलते है तो अन्य बंद हो जाता था इस प्रकार यदि बल्व में 1,3,5,7,9 11 के जलते है तो 2,4,6,8 बंद हो जाते हैं।बल्ब का जलना बंद होना ऐसा प्रगट होता था कि बल्ब की लाइट जल रही है संपूर्ण तस्वीरें उसके अंगों से भिन्नता रखता है अतः इस बात पर बल दिया गया कि संपूर्ण के गुण उनके अंगों का प्रत्यक्षीकरण करने को प्रभावित करता है इसकी विशेषताओं का पता उसके आंतरिक प्रकृति के द्वारा लगाया जा सकता है

🌸प्रयास और त्रुटि तथा सूझ द्वारा अधिगम में अंतर🌸

🌷प्रयास और  त्रुटि का सिद्धांत में प्राणी जो सीखने की परिस्थिति को नहीं समझ पाता है।

🌷सूझ  का सिद्धांत में समझ पाता है

🌷 प्रयास और त्रुटिके सिद्धान्त मे शारीरिक को कुशलता पर बल देता है।

🌷 जबकि सूझ का सिद्धांत वौध्दिक ही कुशलता पर बल देता है

🌷प्रयास और त्रुटि का सिद्धांत शारीरिक अंगों का नियमन करता है और

🌷सूझ का सिद्धांत प्रत्यक्षीकरण करता है।

🌷प्रयास व ड्यूटी सिद्धांत मे नजर लक्ष्य पर निर्भर रहती है जबकि

 🌷सूझ का सिद्धांत चेतन से ज्यादा अचेतन मन क्रियाशीलता होती है

🌷प्रयास और त्रुटि अभ्यास परिश्रम की आवश्यकता होती है

👉🏻जबकि सूझ के सिद्धांत में बुद्धि से अचानक प्राप्त कर सकते हैं

🌷प्रयास और त्रुटि में प्रेरणा संवेदना होती है।

जबकि

🌷सूझ के सिद्धांत में प्रत्यक्षीकरण

🌷प्रयास और त्रुटी के सिद्धांत में किसी समस्या में नए सिरे से प्रयत्न करने की आवश्यकता होती है

जबकि।

 👉🏻सूझ के सिद्धांत में ज्ञान का हस्तांतरण हो जाता है।

🌸🌸Notes by shikha tripathi🌸🌸

🌟🌼🌟 कोहलर के प्रयोग 🌟🌼🌟

 * कोहलर ने 6 भूखे वनमानुष को जो टेनिरिफ द्वीप के थे उन पर प्रयोग किया।

* इन वनमानुष को लकड़ी के कटघरे में रखकर प्रयोग किया।

 * इन छह वनमानुष में से सबसे तेज वनमानुष का चयन किया जिसका नाम कोहलर में सुल्तान रखा ।

* कोहलर ने अपने ज्यादातर सिद्धांत सुल्तान पर ही किए हैं और उन्होंने अपने अधिगम सिद्धांत को स्पष्ट रूप से बताने के लिए समझने के लिए दो समस्या रखें एक छड़ी दूसरा बक्सा रखा।

🧩 छड़ी समस्या संबंधी प्रयोग

* कोहलर ने सुल्तान नामक वनमानुष को एक पिंजरे में बंद कर दिया और उसके पास एक नुकीली छड़ रख दी तथा पिंजरे के बाहर केले इतनी दूर रखें कि हाथ से वह उसे ना ले सके।

* तो भूखे वनमानुष ने क्या किया कि पहले अपने हाथों से उसे लेने का प्रयास किया और पर सफल नहीं हो पाया क्योंकि केले दूर रखे थे तो सफल नहीं हो पाया । भूख से व्याकुल सुल्तान की नजर उस छड़ी पर पड़ी, छड़ी उठाकर उस केले को अपने समीप खींचा और उसे खाकर अपनी भूख मिटाई।

* इसके बाद कोहलर ने पिजड़े में दो छड़ी रखी जो एक दूसरे में फिट होकर लंबी हो सकती थी। इस बार केले को इतनी दूर रखा कि केला हाथ से भी ना आए और एक छड़ी से भी ना आ पाए इतनी दूर केले को रखा।

* फिर सुल्तान ने पहले केले अपने हाथ से फिर एक छड़ी की सहायता से लेना चाहा पर प्रयास असफल रहा फिर वह दोनों छड़ी में जो बड़ी छड़ी थी उस से लेने की कोशिश की उसने सोचा होगा यह बड़ी है इससे आ जाएगा लेकिन केला पाने में असमर्थ रहा।

* केला पाने की व्याकुलता उसके अंदर थी इसके लिए दोनों छड़ी से खेलने लगा ।किसको लगाए यह लगाए वह लगाए उसी दोनों छड़ी से खेलते खेलते छोटी छड़ी बड़ी छड़ी में फिट हो गई।

* जब छोटी छड़ी बड़ी छड़ी में फिट हो गई तो इसके परिणाम स्वरूप छड़ी लंबी हो गई क्योंकि वह एक दूसरे में फिट हो गई थी अब इस लंबी छड़ी की सहायता से वह केले को पा लिया और केला खाकर संतुष्ट हुआ।

* दूसरे दिन जब उसको उसी स्थिति में रखा गया तो वह बिना समय लगाए दोनों छड़ी को जोड़ा और केला छड़ी से खींच लिया।

 तो इस समस्या की सूझ उसको अचानक से मिली।

* तो समस्या का समाधान आपको अचानक से उसी समय मिलता है । यह पहले से नहीं होता।

तो सुल्तान ने अपनी सूझ छड़ी को जोड़ कर दिखा दिया।

** समस्या समाधान हेतु सूझ मिलने से पहले वनमानुष ने पिजड़े की स्थिति, केले की दूरी, छड़ी की लंबाई इन सबके साथ एक संबंध स्थापित किया और उसके द्वारा समस्या के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहा।

* पहले वाले में जब छोटी छड़ी से केला आया तो संबंध स्थापित किया कि इतनी दूरी से केला इस छड़ी से आ जाएगा ।

और जब केला को और दूर रखा गया तो उसे अपने हाथ से,  छोटी छड़ी से फिर बड़ी से कोशिश की खेल खेल में दोनों छड़ी के जुड़ने से बड़ा होने से उसमें भी संबंध बना लिया ।

अब अगली बार जब ऐसा होगा तो वह इसी संबंध को दोहराएगा।

 तो हमारे अधिगम में इसी प्रकार से सूझ का तत्व होता है यह बात कोहलर ने बताया।

🛡️🧩 बक्सा समस्या संबंधी प्रयोग

* इस प्रयोग में भी उस सुल्तान को लिया गया और उसे एक पिंजरे में बंद कर दिया गया और केला पिंजरे के बाहर नहीं रखा गया बल्कि अकेला को पिंजरे के छत में टांग दिया गया ।

*इस प्रकार से टांगा की केला हाथ फैलाने पर भी उसकी पहुंच से बाहर था । पिंजरे में 3 खाली बक्से डाल दिए गए।

* वनमानुष ने पहले उछल कूद के द्वारा उसे लेने की कोशिश की पर उस तक नहीं पहुंच पाया। केले को लेने में असमर्थ हो गया। नहीं पाने पर व्याकुल हो गया। व्याकुलता में कुछ समय बाद फर्श पर पड़े खाली बक्से को देखता है।

** पहले एक बक्से को रखता है केले के ठीक नीचे कहीं और नहीं रखता केले के नीचे ही रखता है।

 पहले एक बक्से को रखता है उस से वो कैला को प्राप्त नहीं कर पाता । 

फिर थोड़ी देर बाद दूसरे बक्से को लाकर पहले वाले बक्से के ऊपर रखा देता है, और इससे केला प्राप्त करने की कोशिश करता है।

 पर प्राप्त कर नहीं कर पाता इसमें भी सफलता नहीं मिलती। बार बार सोचता है क्यों नहीं हो रहा, बहुत सोचा क्यों नहीं हो रहा थोड़ी देर बाद तीसरा बक्सा उसको दिखा तो अब तीसरे बक्से को भी दूसरे के ऊपर रख दिया।

अब इसके ऊपर चढ़ के वह केले को प्राप्त कर लिया। 

तो अब आगे भी दूसरे दिन जब ऐसे किया गया तो वह जानता था कि बक्से के ऊपर बक्सा रखना है और केले को प्राप्त कर लेना है।

 इसलिए उपयुक्त दोनों प्रयोग वनमानुष पर किए गए और इससे यह स्पष्ट हो गया कि सूझ का जो सिद्धांत है वह सूझ से होता है।

🌟 इन दोनों प्रयोगों से एक तथ्य सामने आया। सूझ का सिद्धांत के अंतर्गत अधिगम प्रक्रिया मस्तिष्क के दो स्तर में स्थापित होती है।

⚡1 प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक स्तर का सिद्धांत — हमारे ज्ञानेंद्रियों की सहायता से पूरी परिस्थिति का प्रत्यक्ष ज्ञान होने पर होता है।

 प्रत्यक्ष ज्ञान होने पर प्रतिक्रिया होती है तभी हम सीखते हैं।

⚡2 प्रत्यात्मक स्तर का अधिगम

इस क्रिया में मस्तिष्क तब सहायता करता है जैसे-जैसे समस्या की जटिलता बढ़ती जाती है।

🌼 वर्दीमर का प्रयोग 🌼

       1880

** लाइट के घूमने का अध्ययन किया।

 लाइट एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलती नजर आ रही थी जबकि वास्तव में एक के अंतराल वाले बल्ब जलते हैं और जब एक जलता है तो अन्य बंद हो जाते हैं।

 इस प्रकार यदि बलब 1,3,5,7,9 जलते हैं तो 2,4,6,8, 10 बंद रहते हैं ।

बल्ब का जलना बंद होना ऐसा प्रकट होता है कि बल्ब की लाइट चल रही है।

संपूर्ण तस्वीर उसके भागों से भिन्नता रखता है। अतः इस बात पर बल दिया गया कि संपूर्ण गुण उसके अंगों का प्रत्यक्षीकरण करने को प्रभावित करते हैं।

 इसकी विशेषताओं का पता उसके आंतरिक प्रकृति के द्वारा लगाया जा सकता है।

🏵️ प्रयास और त्रुटि तथा सूझ द्वारा अधिगम में अंतर🏵️

🔺 प्रयास और त्रुटि में प्राणी सीखने की परिस्थिति को नहीं समझ पाता जबकि सूझ द्वारा अधिगम में प्राणी सीखने की परिस्थिति को समझ पाता है।

🔺 प्रयास व त्रुटि में शारीरिक कुशलता पर बल दिया जाता है जबकि सूझ द्वारा अधिगम में बौद्धिक कुशलता पर बल दिया जाता है।

🔺 प्रयास और त्रुटि में सभी प्रयोग कर सकते हैं जबकि सूझ द्वारा अधिगम में सामान बौद्धिक स्तर की आवश्यकता होती है इसलिए सभी प्रयोग नहीं कर सकते।

🔺 प्रयास और त्रुटि सिद्धांत में शारीरिक अंगों का नियोजन होता है जबकि सूझ द्वारा अधिगम में सूझ में प्रत्यक्षीकरण को समझना आवश्यक है।

🔺 प्रयास और त्रुटि सिद्धांत में नजर लक्ष्य पर रहती है जबकि सूझ द्वारा अधिगम में चेतन मन से ज्यादा अचेतन मन क्रियाशील होता है।

🔺 प्रयास और त्रुटि सिद्धांत में दक्षता धीरे-धीरे मिलती है जबकि सूझ में एकाएक समस्या का समाधान मिल जाता है।

🔺 प्रयास और त्रुटि सिद्धांत में अभ्यास और परिश्रम करना पड़ता है जबकि सूझ द्वारा अधिगम में सूझ/ बुद्धि अचानक से प्राप्त हो जाती है ।

🔺प्रयास और त्रुटि सिद्धांत में प्रेरणा एवं संवेदना की जरूरत होती है जबकि सूझ द्वारा अधिगम में प्रत्यक्षीकरण की जरूरत होती है। 

🔺 प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत में किसी समस्या को नए सिरे से प्रयत्न करने की जरूरत होती है जबकि सूझ में ज्ञान का हस्तांतरण हो जाता है।

☘️धन्यवाद

 वंदना शुक्ला ☘️

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *