47. CDP – Learning Theories PART- 3

❇️ थोर्नडायक का उलझन बॉक्स प्रयोग – 

थोर्नडायक ने अपना प्रयोग एक भूखी बिल्ली पर किया। कुछ समय तक भूखा रखने के बाद एक पिंजरे(बॉक्स) में बन्ध कर दिया। जिसे  “पज़ल बॉक्स”(Pazzle Box) कहते हैं। पिंजरे के बाहर भोजन के रूप में थार्नडाइक ने मछली का टुकड़ा रख दिया। पिंजरे के अन्दर एक लिवर(बटन) लगा हुआ था जिसे दबाने से पिंजरे का दरवाज़ा खुल जाता था। भूखी बिल्ली ने भोजन (मछली का टुकड़ा) को प्राप्त करने  व  पिंजरे से बाहर निकलने के लिए अनेक त्रुटिपूर्ण प्रयास किए। बिल्ली के लिए भोजन   उद्दीपक का  काम कर  रहा था ओर उद्दीपक के कारण बिल्ली प्रतिक्रिया कर रही थी।उसने अनेक प्रकार  से बाहर निकलने  का प्रयत्न  किया।एक बार संयोग से उसके पंजे से लिवर दब गया। लिवर दबने से पिंजरे  का दरवाज़ा खुल गया ओर भूखी बिल्ली ने पिंजरे से बाहर निकलकर भोजन को खाकर अपनी  भूख को शान्त किया। थार्नडाइक ने इस प्रयोग को बार- बार  दोहराया। तथा देखा कि प्रत्येक बार बिल्ली को बाहर  निकलने में पिछली बार से कम समय  लगा ओर  कुछ समय बाद बिल्ली बिना किसी भी प्रकार की भूल  के एक ही प्रयास में पिंजरे का दरवाज़ा  खोलना सीख गई। इस प्रकार उद्दीपक ओर अनुक्रिया में  सम्बन्ध स्थापित हो गया।

बिल्ली पर प्रयोग करने के बाद थार्नडाइक इस निष्कर्ष पर पहुंचे की उद्दीपक और अनुक्रिया के बीच एक बंधन बन गया. थार्नडाइक ने कहाँ की उद्दीपक और अनुक्रिया के बीच बंधन होना आवश्यक हे तभी उस उद्देश्य की प्राप्ति होती हे. थार्नडाइक का मानना था की किसी भी कार्य को मानव एक बार में नहीं कर सकता उसे बार -बार प्रयास करते रहना चाहिए।

❇️ भूल भुलैया प्रयोग –

थोर्नडायक ने अपना दूसरा प्रयोग चूहों पर किया यह प्रयोग भूल भुलैया द्वारा सीखना कहलाता है इस प्रयोग में एक  भूखे चूहे को लिया और उसे भूल भुलैया के आरंभ या अंदर प्रवेश करने वाले रास्ते में रख दिया। भूल भुलैया के अंतिम रास्ते पर कुछ खाना रख दिया, चूहे को खाने तक पहुंचने के लिए भूल भुलैया में से रास्ता ढूंढना था । उपयुक्त व सही रास्ता एक था अनुपयुक्त रास्ते अनेक थे जो अंधेरी गलियों में समाप्त हो जाते थे।उन्होंने भूल भुलैया में कुछ ऐसा  प्रबंध किया था कि जब चूहा भूल भुलैया से गलत रास्ते पर जाता तो उसे बिजली का झटका लगता था जबकि उपयुक्त व सही रास्ते पर  नहीं लगता था और उसे खाने भी मिल जाता था पहली बार जो चूहे ने गलती की वह इधर-उधर भटकता रहा और प्रयासों के माध्यम से से ठीक रास्ता। ढूंढ निकाला और खाना प्राप्त कर लिया दुबारा से जब उसे भूल भुलैया में रखा गया तो उसने कम गलतियां की कई बार ऐसा करने पर उसने गलत रास्तों को छोड़ दिया वो रास्ते से जाना सीख लिया।

⚜️ निष्कर्ष ➖

1 सीखने के लिए आवश्यकता पहला उद्देश होना चाहिए। ( जैसे भोजन प्राप्त करना एक आवश्यक “उद्देशय” था बिल्ली एवं चूहे के लिए)

2 उद्देश के पीछे एक प्रेरक होना चाहिए।

(जैसे बिल्ली व चूहे के लिए “भूख” एक उत्प्रेरक था )

3 उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उद्दीपन होना चाहिए।

(जैसे दिल्ली के लिए एक मछली उद्दीपन था और चूहे के लिए भोजन (पनीर) एक उद्दीपन था।

4 उद्देश की प्राप्ति के लिए अनुक्रिया जरूरी है ।

(जैसे बिल्ली का पिंजरे से बाहर निकल कर मझली प्राप्त करने का प्रयास अनुक्रिया  के रूप में तथा चूहे का भोजन प्राप्ति का प्रयास अनुक्रिया के रूप में हुआ।)

5 जो अनुक्रिया उद्देश्य प्राप्ति में सहायक होती है उसे सीखने वाला अपनाता है और जो क्रिया सहायक नहीं होती अर्थात निरर्थक होती है उस क्रिया को छोड़ देता है।

6 उद्दीपन की प्राप्ति सीखने  वाले  अर्थात उद्दीपक और अनुक्रिया के बीच शक्तिशाली संबंध स्थापित हो जाता है जिससे  वह उस उद्दीपक का भविष्य में कभी भी होने  पर उसके प्रति होने वाली अभिक्रिया को भी पुनः दोरहाया जाता है।

⚜️थोर्नडायक के सिद्धांत के गुण या विशेषताएं

1-उद्दीपन अनुक्रिया दोनों ही एक दूसरे से संबंधित है।

2-प्रेरणा का महत्व देना आवश्यक है।

3-सीखना प्रत्यक्ष भाव से संबंधित है ना कि अप्रत्यक्ष भाव से संबंधित है।

4-सीखना असंबद्ध नहीं है यह प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक ,भावनात्मक, गत्यात्मक हैं।

5-उद्दीपन का अनुक्रिया के साथ जितना अधिक संबंध होगा व्यक्ति उतना ही बुद्धिमान हो जाता है।

▪️ थार्नडाइक  के तीन प्रमुख नियम यहीं से बनाएं है जो निम्नलिखित है तत्परता का नियम

 अभ्यास का नियम

प्रभाव का नियम

⚜️ थोर्नडाइक सिद्धांत के दोष/सीमाएं /कमियां

1 इस सिद्धांत के अनुसार अधिगमकर्ता प्रयत्न एवं त्रुटियों द्वारा ही अधिगम करते हैं जबकि मनोवैज्ञानिक ने यह सिद्ध किया है कि अधिगम सूझ या अन्य मानसिक क्षमता भी पर भी निर्भर करता है।

2 इस सिद्धांत के अनुसार सीखने के लिए उद्दीपक की आवश्यकता होती है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि हमेशा बाहा उद्दीपक की आवश्यकता पड़े।

3 यह सिद्धांत पशुओं पर प्रयोग किया गया अतः यह मानव अधिगम प्रक्रिया की सम्यक व्याख्या नही करता है या मानव पर पूरी तरह से लागू नहीं होता।

4 यह सिद्धांत मानता है कि सीखने की क्रिया यांत्रिक प्रक्रिया है बल्कि सीखने की क्रिया में संतुलित रूप से बुद्धि ,तर्क ,चिंतन और विवेक की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

5 प्रयास और भूल में बहुत समय लगता है।परिणाम स्वरूप अधिगम में समय अधिक नष्ट हो जाता है।

6 अधिगम के कारणों पर प्रभाव नहीं डालता।

7 अभ्यास के नियम का दुरुपयोग होता है।

8 इस सिद्धांत में किसी कार्य को करने अथवा सीखने के लिए प्रयत्न अभ्यास पर अधिक बल दिया जाता है जबकि उसी कार्य को किसी एक विधि से एक बार में ही किया अथवा सीखा जा सकता है।

अर्थात निरर्थक प्रयास करने के बजाय विशिष्ट विधि से सीखा जा सकता है।

✍️

    Notes By-‘Vaishali Mishra’

🌸🌸उद्दीपन अनुक्रिया (अनुबंध) सिद्धांत🌸🌸

🗣️इस सिद्धांत के प्रतिपादक थार्नडाइक है।

🥀ये अमेरिका के निवासी थे;

🥀इन्होंने संबंध वाद का प्रतिपादन किया था।

🎉इन्होंने अपनी पुस्तक जिसको १९९८ में 

लिखी”Animal Intelligence”में उल्लेख किया।

🎉Education Psychology (१९१३) में लिखी जिसमें अच्छे से वर्णन किया।

🕵️थार्नडाइक ने अनेक पशुओं पर अपने प्रयोग किया जिनमें निम्नलिखित है÷मुर्गियों, बिल्लियों,मछलियो, कुत्ते,बंदर ,मानव,चूहा इत्यादि थे

🌻🌻थार्नडाइक का उलझन बॉक्स प्रयोग🌻🌻

प्रयोग÷थार्नडाइक महोदय ने भूखी बिल्ली 🐈पर अपना प्रयोग किया इस प्रयोग को करने के लिए उस बिल्ली को एक बक्से में बंद कर दिया जिसका नाम मंजूषा बाक्स था और इस बाक्स से बाहर निकलने का एक ही रास्ता था जिसके लिए उसको दरवाजे पर लगे लीवर को घुमाना था जिससे दरवाजा खुल जाता और बाक्स से कुछ ही दूरी पर एक तश्तरी में मछली 🦈के कुछ टुकड़े हुए रखे हुए थे, जिसको प्राप्त करने के लिए बिल्ली 🐈ने मंजूषा में खूब उछल कूद की व अन्य बहुत सारी अनुक्रियाएं की बाहर निकलने के लिए लेकिन फिर संयोगवश अचानक उसका हाथ लीवर पर पढ़ा और दरवाजा खुल गया दरवाजा खुलते ही बिल्ली ने भोजन को प्राप्त किया इसी प्रक्रिया को फिर से दोहराया गया लेकिन इस बार बिल्ली 🐈पिछली बार की तुलना में उछल कूद कम किया और इसी तरह बार-बार प्रक्रिया दोहराते- दोहराते एक समय ऐसा आया जब बिल्ली🐈 ने उछल कूद करना बंद कर दिया जब उसको भूख लगती तब वह लीवर को घुमा कर भोजन को प्राप्त कर लेती।

इसी तरह से मानव भी दैनिक जीवन में हर रोज इसी प्रकार की अनेक क्रियाएं करके कुछ न कुछ सीखता रहता है।

 थार्नडाइक ने अपना दूसरा प्रयोग भूखे चूहों 🐁पर किया

इसमें उन्होंने भूखे चूहे 🐁को लिया और उसको भूल भुलैया में प्रवेश करा दिया और उस भूल भुलैया में एक रास्ते पर पनीर के कुछ टुकड़े रख दिए ,शुरुआत में चूहा🐁 पूरे भूल भुलैया में इधर-उधर भटकता रहा कभी इस कोने में जाता तो कभी उस कोने में जाता तभी इस रास्ते पर भटक जाता तो कभी कुछ रास्ते पर भटक जाता है लेकिन अचानक संयोगवश एक बार उसको भोजन की प्राप्ति हो गई अर्थात वह सही रास्ते पर चला गया और वहां रखे भोजन को ग्रहण कर लिया, जिसके बाद अगली बार जब उसे भूल भुलैया में छोड़ा गया तो देखा गया कि वह अब पिछली बार की तुलना में इस बार कम भटक रहा है और एक  समय के बाद भूल भुलैया में चूहे 🐁को छोड़ते ही वह तुरंत सही रास्ते पर जाकर भोजन को प्राप्त कर लेता था।

✋अर्थात इन दोनों प्रयोग में उद्दीपक (भोजन) का होना आवश्यक है।

🏵️👏निष्कर्ष-सीखने के लिए आवश्यकता का पहला उद्देश्य होता है (भोजन प्राप्त करना)

🕵️उद्देश्य के पीछे प्रेरक का होना जरूरी है (भूख)

🕵️उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उद्दीपन का होना जरूरी है (मछली,पनीर )

🕵️उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अनुक्रिया भी जरूरी है (बाक्स से बाहर निकलने के लिए किया गया प्रयास)

🕵️जो अनुक्रिया उद्देश्य प्राप्ति में सहायक होती है उसे सीखने वाला अपनाता है ,और जो निरर्थक होती है उसे छोड़ देता है।

🕵️उद्देश्य की प्राप्ति पर सीखने वाले में उद्दीपन- अनुक्रिया में शक्तिशाली संबंध हो जाता है।

🌻🌻थार्नडाइक के सिद्धांत के गुण🌻🌻

🥀उद्दीपन अनुक्रिया दोनों ही एक दूसरे से संबंधित है;

                   या

🥀उद्दीपन और अनुक्रिया सीखने का संबंध है।

🥀प्रेरणा का महत्व होना आवश्यक है।

🥀सीखना प्रत्यक्ष भाव से संबंधित है ना कि अप्रत्यक्ष भाव से संबंधित है।

🥀सीखना असबद्ध नहीं है, यह प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक ,भावात्मक ,गत्यात्मक है।

🥀उद्दीपन का अनुक्रिया के साथ जितना अधिक संबंध होगा ,व्यक्ति उतना ही बुद्धिमान हो जाता है।

🌸🌸थार्नडाइक ने तीन मुख्य नियम यहीं से बनाएं जो निम्नलिखित है÷

🥀तत्परता का नियम

🥀अभ्यास का नियम

🥀प्रभाव का नियम

🌻🌻थार्नडाइक के  सिद्धांत में कमियां 🌻🌻

🏵️छात्र सिर्फ प्रयत्न या त्रुटि से ही नहीं सीखता है सूझ तर्कशक्ति ,मनन ,चिंतन व अनुभूति ,वा मानसिक क्षमता पर भी  निर्भर करता है

🏵️इस सिद्धांत के अनुसार सीखने के लिए हमेशा उद्दीपन की आवश्यकता होती है किंतु कई बार छात्र बिना किसी उद्दीपन के भी  सीख लेता है।

🏵️इन्होंने अपने प्रयोग पशुओं पर किए, जबकि पशु और मनुष्य एक समान नहीं होते हैं इसलिए इंसानों पर यह सिद्धांत पूरी तरह लागू नहीं होता है।

🏵️सीखना यांत्रिक प्रक्रिया है या सिद्धांत मांनता है जबकि मनुष्य मे बुद्धि, तर्क, चिंतन, विवेक इत्यादि की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है‌।

🏵️प्रयत्न वा भूल में बहुत समय लगता है।

🏵️अधिगम के कारणों पर प्रकाश नहीं डालता है।

🏵️अभ्यास का नियम दुरुपयोग होता है।

🏵️किसी कार्य को करने के लिए किया गया निरर्थक प्रयाश के बदले विशिष्ट विधि से सीख सकता है।

🎶🎶WRITTEN BY-shikhar pandey🗣️

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🈵 थार्नडाइक का उद्दीपन –  अनुक्रिया या प्रयास और त्रुटि के सिद्धांत ➖ 

थार्नडाइक में अपने प्रयोग प्रयास और त्रुटि के सिद्धांत में अनेक जानवरों जैसे मुर्गियों ,बिल्ली, मछली, कुत्ता ,बंदर ,आदि पर प्रयोग किया |

           यहां तक कि उन्होंने मनुष्य पर भी प्रयोग किया लेकिन प्रयास और त्रुटि का सिद्धांत बिल्ली के लिए अधिक प्रसिद्ध है |

        इसके अनुसार कोई उद्दीपन होगा तभी अनुक्रिया होगी  |

क्योंकि गलती करना तो जीव का स्वभाव है प्रयास के साथ त्रुटि का जो संबंध है उसको थार्नडाइक ने संबंध वाद का नाम दिया है जो कि एक अच्छे कार्य की विशेषता है  |

एस – आर थ्योरी लिए प्रयास और त्रुटि का होना अति आवश्यक है जिसको उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत  या प्रयास और त्रुटि का सिद्धांत कहते हैं |

💮 थार्नडाइक का उलझन बॉक्स प्रयोग ➖ बिल्ली पर

इस प्रयोग में थार्नडाइक ने एक सुखी बिल्ली पर प्रयोग किया जिसमें बिल्ली को उन्होंने एक मंजूषा ( दरवाजे) में बंद कर दिया जिसमें बिल्ली को बाहर निकलने निकलने का एक रास्ता था |

       उस मंजूषा में एक  लीवर या कुंडी लगा था जिसको दबाने से दरवाजा खुल जाता था मंजूषा के बाहर एक मछली का टुकड़ा रखा गया था |

 बिल्ली ने मंजुषा को खोलने का बहुत प्रयास किया क्योंकि मछली का टुकड़ा मंजुषा के बाहर था |

और इस प्रकार उसने बहुत कोशिश की और गलती भी की प्रयास और भूल के साथ बिल्ली का पंजा  दरवाजे पर लगाया और  मंजुुषा खुल गया तब मछली को खा कर उसमें संतुष्टि प्राप्त की |

         लेकिन उसको बिल्ली द्वारा बार बार कराया गया तो उसको करने में कम समय लगा और बार-बार करने  पर उससे गलतियां कम हो गई और अंत में ऐसा हुआ कि उसको प्रयास ही नहीं करना पड़ा सीधे दरवाजे पर पंजा मारकर मजुषा का दरवाजा खोलकर मछली को खा लिया गया |

💮 थार्नडाइक का भूल भुलैया प्रयोग ➖ चूहे पर

इस प्रयोग में उन्होंने चूहे को भूल भुलैया दरवाजे में प्रवेश  कराया 

दरवाजे में पनीर को रखा गया |

जैसे ही चूहे ने दरवाजे में प्रवेश किया उसमें कई दरवाजे थे  बार-बार रास्तों में चूहे को भटकने के बाद सही रास्ता मिल गया|

 और अंत में उसने  सही दरवाजे को पा लिया | और  से उसने पनीर को पा लिया  |

अर्थात  अनुक्रिया के  के लिए उद्दीपन का होना  आवश्यक है |

📛 प्रयास और त्रुटि सिद्धांत के निष्कर्ष ➖

🍀 इन दोनों प्रयोगों से यह निष्कर्ष निकलता है कि आवश्यकता को पूरा करने के लिए उद्देश्य का होना आवश्यक है |

 अर्थात ➖भोजन प्राप्त करना |

🍀  प्रत्येक उद्देश्य के पीछे प्रेरक जरूर होगा अर्थात उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उद्दीपन जरूरी है |

जैसे मछली का टुकड़ा और पनीर |

🍀   उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अनुक्रिया जरूरी है | जैसे बिल्ली का पिंजरे से बाहर निकलने का प्रयास |

🍀 उद्देश्य की प्राप्ति पर सीखने वाले में जो उद्दीपन स्थापित होता है वही अनुक्रिया है और अनुक्रिया के बीच शक्तिशाली संबंध होता है जो सीखने वाले के भविष्य की कमी पर भी निर्भर करता है |

📛 थार्नडाइक के सिद्धांत के गुण या विशेषताएं ➖

🍀 उद्दीपन और अनुक्रिया के बीच  संबंध जुड़ जाता है |

🍀  उद्दीपन और अनुप्रिया में प्रेरणा का महत्व बहुत आवश्यक है |

🍀 प्रयास और त्रुटि का सिद्धांत असंबंध नहीं है जो प्रत्यक्ष, गत्यात्मक ,ज्ञानात्मक, भावात्मक होता है |जिससे  ज्ञान बढ़ता है  |

🍀  जो व्यक्ति उद्दीपन अनुक्रिया से जितना अधिक संबंध रखता है वह व्यक्ति उतना ही बुद्धिमान हो जाता है |

 🍀 थार्नडाइक ने यहीं से  तीन मुख्य नियम बनाए हैं ➖

तत्परता 

अभ्यास 

और प्रभाव का नियम

📛 थार्नडाइक के सिद्धांत की कमियां या दोष ➖

🍀 छात्र सिर्फ प्रयत्न और  त्रुटि से नहीं मिलता है कुछ लोगों का कहना है कि छात्र अपनी बुद्धि सूझ तथा अन्य मानसिक क्षमताओं से भी सीखता है |

🍀प्रयास और त्रुटि सिद्धांत के अनुसार सीखने के लिए उद्दीपन की आवश्यकता होती है लेकिन कई बार बाह्य उद्दीपक से भी सीखना कठिन हो जाता है  |

जैसे जरूरी नहीं है कि खाना देखकर भूख लगे बिना खाना देखे भी भूख लग सकती है  |

🍀 थार्नडाइक ने अपना प्रयोग पशु पर किया , यह इंसान पर पूरी तरह से लागू नहीं होता है क्योंकि जरूरी नहीं है कि इंसान का मष्तिक पशु की तरह कार्य करें |

🍀 इस नियम के अनुसार शिक्षा एक यांत्रिक प्रक्रिया है जो कि इस सिद्धांत की कमी है क्योंकि मनुष्य के सीखने में उसकी बुद्धि, संज्ञान ,तर्क, चिंतन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है |

🍀  प्रयास या भूल में बहुत समय लगता है |

🍀  यह अधिगम में अनुक्रिया को खोजता है लेकिन अधिगम के कारणों पर प्रकाश नहीं डालता है |

🍀  किस कारण से अधिगम हुआ है इस पर प्रकाश नहीं डालता और  अभ्यास के नियम का दुरुपयोग होता है |

🍀 निरर्थक प्रयास जब हम करते हैं तो उसको हम किसी विशिष्ट विधि से भी सीख सकते हैं |

 नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

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☘️🌼 उद्दीपन अनुक्रिया (अनुबंध) सिद्धांत 🌼☘️

💫 इस सिद्धांत के प्रतिपादक थार्नडाइक  हैं। वह अमेरिका के निवासी थे।

🤵🏻‍♂थार्नडाइक में अनेक पशुओं पर प्रयोग किए जिसमें उन्होंने मुर्गियों, बिल्लियों ,मछलियों ,कुत्ते, बंदर, मानव और चूहे पर प्रयोग किया।

💫 थार्नडाइक का उलझन बॉक्स प्रयोग➖

➡️ थार्नडाइक ने भूखी बिल्ली🐈 पर अपना प्रयोग किया इस प्रयोग को करने के लिए उन्होंने भूखी बिल्ली 🐈 को एक संदूक में बंद कर दिया इस संदूक का दरवाजा एक चटकनी के दबाने से खुलता था संन्दूक के बाहर मछली🐟  का एक छोटा टुकड़ा इस प्रकार रखा की अंदर से बिल्ली🐈 को स्पष्ट रूप से दिखाई दे भूखी बिल्ली के लिए मछली का टुकड़ा एक उद्दीपन (Stimulus)का कार्य करता था उस टुकड़े को देखकर संदूक में बंद बिल्ली🐈 ने अनुक्रिया प्रारंभ किए संदूक के अंदर ही चलती होती रही तथा उसके अनेक अनुक्रिया प्रत्यय तथा भूल के आधार पर की एक बार संयोगवश बिल्ली 🐈का पंजा संदूक के दरवाजे पर पड़ गया और वह खुल गया बिल्ली🐈 ने बाहर रखा हुआ मछली🐟 का टुकड़ा खा लिया।

   थार्नडाइक ने उपरोक्त प्रयोग को दोहराया उसने उस बिल्ली🐈 को भूखा रखकर उसी संन्दूक में बंद कर दिया। बिल्ली🐈 ने फिर पहले जैसे अनुक्रिया प्रारंभ की , संयोगवश उसका पंजा फिर संन्दूक  के दरवाजे पर पड़ा और वह बाहर निकल कर मछली🐟 का टुकड़ा पाने में कामयाब हो गई थार्नडाइक प्रयोग में कई बार दोहराया ।उपयुक्त प्रयोगों के आधार पर थार्नडाइक ने अधिगम  के प्रयास एवं त्रुटि के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

💫 थार्नडाइक अपने दूसरा प्रयोग  चूहों 🐁पर किया।

➡️ भूल -भुलैया प्रयोग➖ इस प्रयोग में उन्होंने एक भूखा चूहा🐁 लिया और उसे भूल -भुलैया के अंत में कुछ पनीर के टुकड़ों को रख दिया चूहों 🐁को खाने तक पहुंचाने के लिए भूल- भुलैया में से रास्ता जोड़ना था उपरोक्त वह सही रास्ता एक था अनुपयुक्त रास्ता अनेक थे जो अंधेरी गली में से समाप्त हो जाते थे ऐसा कुछ प्रबंध किया गया था कि जब चूहा🐁 भूल -भुलैया में गलत रास्ते पर जाता था तो उसे बिजली का झटका लगता था उपरोक्त रास्ते पर झटका नहीं लगता था उसे खाना भी मिल जाता था पहली बार जो मैंने गलती की वह इधर-उधर भटकता रहा प्रश्नों के माध्यम से उसने ठीक रास्ता ढूंढ निकाला और पनीर प्राप्त कर लिया दोबारा जब उसे भूल- भुलैया में रखा गया तो उसने गलत रास्ते को छोड़ दिया और उपरोक्त रास्ते से जाना सीख लिया।

💫 निष्कर्ष➖

1-सीखने के लिए आवश्यकता पहला उद्देश होता है।

2-उद्देश्य के पीछे प्रेरक जरूर होगा (भूख)

3-उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उद्दीपन होना जरूरी है।

4-उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अनुक्रिया जरूरी है (बिल्ली पिंजरे से बाहर निकलने का प्रयास)

5-जो अनुक्रिया उद्देश्य प्राप्ति में सहायक होती है उसे सीखने वाला अपनाता है जो निरर्थक होता है उसे छोड़ देता है।

6-उद्देश्य की प्राप्ति पर सीखने वाले में उद्दीपन अनुक्रिया में शक्तिशाली संबंध हो जाता है।

💫 थार्नडाइक के सिद्धांत के गुण/विशेषताएं

1-उद्दीपन अनुक्रिया दोनों ही एक दूसरे से संबंधित है।

2-प्रेरणा का महत्व देना आवश्यक है।

3-सीखना प्रत्यक्ष भाव से संबंधित है ना कि अप्रत्यक्ष भाव से संबंधित है।

4-सीखना असंबद्ध नहीं है यह प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक ,भावनात्मक, गत्यात्मक हैं।

5-उद्दीपन का अनुक्रिया के साथ जितना अधिक संबंध होगा व्यक्ति उतना ही बुद्धिमान हो जाता है।

💫 थार्नडाइक  के तीन प्रमुख नियम यहीं से बनाएं है जो निम्नलिखित है➖

🌼 तत्परता का नियम

🌼 अभ्यास का नियम

🌼 प्रभाव का नियम

💫 थार्नडाइक  के सिद्धांत में कमियां➖

1-छात्र से प्रयास या त्रुटि से नहीं सीखता है सूझ या अन्य मानसिक क्षमता पर भी निर्भर करता है।

2-इस सिद्धांत के अनुसार सीखने के लिए उद्दीपन की आवश्यकता है लेकिन जरूरी नहीं है कि हमेशा बाहर उद्दीपन की आवश्यकता पड़े।

3-प्रयोग पशु पर किया  इंसान पर पूरी तरह लागू नहीं होगा।

4-सीखने की यांत्रिक प्रक्रिया यह सिद्धांत मानता है मनुष्य में बुद्धि, तर्क ,चिंतन और विवेक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

5-प्रयास /भूल में बहुत समय लगता है।

6-अधिगम के कारणों में प्रकाश नहीं डालता है।

7-अभ्यास का नियम दुरुपयोग होता है।

8-विशिष्ट विधि से सीख सकते हैं।

📚📚✍🏻 Notes by….. Sakshi Sharma✍🏻📚📚

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💥 थार्नडाइक का उद्दीपन अनुक्रिया या प्रयास व त्रुटि का सिद्धांत–

🌴 थार्नडाइक  ने अपने प्रयोग कई जानवरों जैसे मुर्गी, बिल्ली, मछली, कुत्ता, बंदर पर किया।

       इन्होंने जानवरों के साथ-साथ मनुष्य पर भी अपना प्रयोग किया इनकी इस सिद्धांत को S–R theory के नाम से भी जाना जाता है।

🌴 इनकी अनुसार उद्दीपन  होगा तभी अनुक्रिया होगी।  

      प्रयास एवं त्रुटि के सिद्धांत में बताया है कि जब किसी कार्य को करने का प्रयास किया जाता है। तो गलती भी होती है। और गलतियां स्वाभाविक भी है। क्योंकि गलतियों से सीख मिलती है ।इसलिए अधिगम का मुख्य भाग माना जाता है गलतियों को।

🌈 थार्नडाइक का उलझन बॉक्स प्रयोग–   थार्नडाइक का बिल्ली पर किया गया प्रयोग बहुत ही प्रसिद्ध था।

          थार्नडाईक ने अपने प्रयोग में एक भूखी बिल्ली को एक मंजूषा के अंदर बंद कर दिया। और मंजूषा के बाहर मांस की एक टुकड़े को रख दिया। मंजूषा में एक लीवर( कुंजी )लगा दिया । जिसे दबाने से मंजूषा खुलता था। वही बाहर आने का रास्ता भी था। अब वह भूखी बिल्ली उस मांस के टुकड़े को देखा तो उसे पाने की इच्छा हुई तो बाहर आने के लिए वह लीवर (कुंजी )खोलने की कोशिश कर रही थी। बिल्ली उस मंजूषा को चारों तरफ इधर उधर भाग रही थी। वह बाहर निकलने का रास्ता खोज रही है। वह इसके लिए तरह-तरह की अनुक्रिया ए कर रही थी। ऐसा करते हुए अचानक से उसका हाथ लीवर में लग गया और वह खुल गया फिर बिल्ली बाहर आकर उस मांस के टुकड़े को खा लेती है। दूसरे दिन उन्होंने यही प्रक्रिया फिर दोहराई तो इस बार उस बिल्ली को मांस के टुकड़े तक पहुंचने के लिए इतना झटपट आना नहीं पड़ा और कुछ ही अनुक्रिया बाद उसने कुंजी खोल दिया।

 बिल्ली द्वारा इस कार्य को बार-बार कराया गया और एक समय ऐसा आया कि बिल्ली खुद से लीवर दबाती और बाहर आकर मांस के टुकड़े को खा लेती और फिर चली जाती।

🌈 थार्नडाइक का भूलभुलैया प्रयोग–

     यह प्रयोग उन्होंने चूहे पर किया था ।

    इस प्रयोग में इन्होंने चूहे को भूल भुलैया दरवाजे में प्रवेश कराया और दरवाजे पर पनीर का टुकड़ा रखा गया जैसे ही चूहे ने दरवाजे में प्रवेश किया। तो उसमें कई दरवाजे होने की वजह से वह इस दरवाजे से उस दरवाजे तक भटकता रहा फिर उसे सही दरवाजा मिल गया और उसने उस पनीर के टुकड़े को खा लिया यह अनुक्रिया बार-बार चूहे द्वारा कराई गई और एक समय पर वह बिना भटके सही दरवाजे से जाकर उस पनीर के टुकड़े को खा लेता।

🌈 प्रयास और त्रुटि के प्रयोग पर निष्कर्ष–

🌍 सीखने के लिए आवश्यकता पहला उद्देश्य होना चाहिए। अर्थात भोजन प्राप्त करना।

🌍 उद्देश्य के पीछे प्रेरक का होना आवश्यक है अर्थात भूख।

🌍 उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उद्दीपन होना जरूरी है। पनीर, मछली।

🌍 उद्देश्य प्राप्ति के लिए अनुक्रिया जरूरी है। मतलब कोशिश अर्थात बिल्ली का पिंजरे से बाहर निकलने का प्रयास।

🌍 जो अनुप्रिया उद्देश्य प्राप्त में सहायक होती है ।उसे सीखने वाला अपना आता है। और जो निरर्थक होती है उसे छोड़ देता है।

🌍 उद्देश्य की प्राप्ति पर सीखने वाले में उद्दीपन स्थापित होता है। वही अनुक्रिया है ।और अनुप्रिया के बीच शक्तिशाली संबंध होता है। जो सीखने वाले के भविष्य में कमी पर निर्भर करता है।

🌈 थार्नडाइक किस सिद्धांत के गुण/ विशेषता–

  🌍 उद्दीपन अनुक्रिया का संबंध भी सीखना है।

🌍 प्रेरक का महत्व उद्दीपन और अनुक्रिया में बहुत आवश्यक है।

🌍 प्रयास और त्रुटि के सिद्धांत में संबंध नहीं है। प्रत्यक्ष ,गत्यात्मक, ज्ञानात्मक, भावात्मक।

🌍 उद्दीपन और अनुप्रिया का जितना अधिक संबंध होगा व्यक्ति उतना ही अधिक बुद्धिमान होगा।

🌍 थार्नडाइक में इसी से मुख्य तीन नियम निकाले ।

♦️तत्परता का नियम 

♦️अभ्यास का नियम 

♦️प्रयास का नियम

🌈 थार्नडाइक के सिद्धांत में कमियां–

1️⃣ छात्र सिर्फ प्रयत्न व त्रुटि से नहीं सीखता है ।कुछ लोगों का कहना है ।कि छात्र अपने सूझ पर अन्य मानसिक क्षमता पर भी निर्भर करती है।

2️⃣ इस सिद्धांत के अनुसार सीखने के लिए उद्दीपन की आवश्यकता है ।लेकिन जरूरी नहीं कि हमेशा वाह्य उद्दीपन की आवश्यकता पड़े।

3️⃣ इन्होंने अपने प्रयोग पशु पर किया, इंसान पर यह पूरी तरह से लागू नहीं होगा।

4️⃣ सीखने की यांत्रिक प्रक्रिया यह सिद्धांत मानता है। मनुष्य में बुद्धि, तर्क ,चिंतन और विवेक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

5️⃣ प्रयास /भूल में बहुत समय लगता है।

6️⃣ अधिगम के कारणों पर प्रयास नहीं डालता है।

7️⃣ इस कारण से अधिगम हुआ है ।इस पर प्रकाश नहीं डालता और अभ्यास के नियम का दुरुपयोग होता है।

8️⃣ निरर्थक प्रयास जब हम करते हैं तो उसको हम किसी विशिष्ट विधि से भी सीख सकते हैं।

📚📚📚📚📚📚📚📚 Notes by Poonam sharma

उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धांत :-

🌍थार्नडाइक ने अनेक पशुओं पर अपने प्रयोग किया जिनमें निम्नलिखित है ➖

मुर्गि🐓

बिल्ली 🐕

मछली 🐬

कुत्ता🐕‍🦺

बंदर🐒

मानव👫🏻

चूहा🐁 इत्यादि थे।

थार्नडाइक का उलझन बॉक्स प्रयोग ➖

प्रयोग ➖

थार्नडाइक महोदय ने भूखी बिल्ली 🐈पर अपना प्रयोग किया। इस प्रयोग को करने के लिए उस बिल्ली को एक बक्से में बंद कर दिया। जिसका नाम मंजूषा बाक्स था। इस बाक्स से बाहर निकलने का एक ही रास्ता था। जिसके लिए उसको दरवाजे पर लगे लीवर को घुमाना था। जिससे दरवाजा खुल जाता और बाक्स से कुछ ही दूरी पर एक तश्तरी में मछली 🦈के कुछ टुकड़े हुए रखे हुए थे, जिसको प्राप्त करने के लिए बिल्ली 🐈ने मंजूषा में खूब उछल कूद की व अन्य बहुत सारी अनुक्रियाएं की बाहर निकलने के लिए लेकिन फिर संयोगवश अचानक उसका हाथ लीवर पर पढ़ा और दरवाजा खुल गया। दरवाजा खुलते ही बिल्ली ने भोजन को प्राप्त किया। इसी प्रक्रिया को फिर से दोहराया गया, लेकिन इस बार बिल्ली 🐈पिछली बार की तुलना में उछल कूद कम किया और इसी तरह बार-बार प्रक्रिया दोहराते- दोहराते एक समय ऐसा आया, जब बिल्ली🐈 ने उछल कूद करना बंद कर दिया। जब उसको भूख लगती तब वह लीवर को घुमा कर भोजन को प्राप्त कर लेती।

 थार्नडाइक ने अपना दूसरा प्रयोग भूखे चूहों 🐁पर किया ।

प्रयोग ➖

इसमें उन्होंने भूखे चूहे 🐁को लिया और उसको भूल भुलैया में प्रवेश करा दिया और उस भूल भुलैया में एक रास्ते पर पनीर के कुछ टुकड़े रख दिए ,शुरुआत में चूहा🐁 पूरे भूल भुलैया में इधर-उधर भटकता रहा कभी इस कोने में जाता तो कभी उस कोने में जाता तभी इस रास्ते पर भटक जाता तो कभी कुछ रास्ते पर भटक जाता है लेकिन अचानक संयोगवश एक बार उसको भोजन की प्राप्ति हो गई अर्थात वह सही रास्ते पर चला गया और वहां रखे भोजन को ग्रहण कर लिया, जिसके बाद अगली बार जब उसे भूल भुलैया में छोड़ा गया तो देखा गया कि वह अब पिछली बार की तुलना में इस बार कम भटक रहा है और एक  समय के बाद भूल भुलैया में चूहे 🐁को छोड़ते ही वह तुरंत सही रास्ते पर जाकर भोजन को प्राप्त कर लेता था।

अर्थात इन दोनों प्रयोग में उद्दीपक (भोजन) का होना आवश्यक है।

निष्कर्ष ➖

☺️सीखने के लिए आवश्यकता पहला उद्देश्य है (भोजन प्राप्त करना)।

😊उद्देश्य के पीछे प्रेरक का होना जरूरी है (भूख)।

😊उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उद्दीपन का होना जरूरी है (मछली,पनीर )।

😊उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अनुक्रिया भी जरूरी है (बाक्स से बाहर निकलने के लिए किया गया प्रयास)

😊जो अनुक्रिया उद्देश्य प्राप्ति में सहायक होती है, उसे सीखने वाला अपनाता है और जो निरर्थक होती है, उसे छोड़ देता है।

😊उद्देश्य की प्राप्ति पर सीखने वाले में उद्दीपन- अनुक्रि0या में शक्तिशाली संबंध हो जाताहै000।

थार्नडाइक के सिद्धांत के गुण ➖

1. उद्दीपन अनुक्रिया दोनों ही एक दूसरे से संबंधित है।

2. उद्दीपन और अनुक्रिया सीखने का संबंध है।

3. प्रेरणा का महत्व होना आवश्यक है।

4. सीखना प्रत्यक्ष भाव से संबंधित है ना कि अप्रत्यक्ष भाव से संबंधित है।

5. सीखना असबद्ध नहीं है, यह प्रत्यक्ष,ज्ञानात्मक ,भावात्मक ,गत्यात्मक है।

6. उद्दीपन का अनुक्रिया के साथ जितना अधिक संबंध होगा ,व्यक्ति उतना ही बुद्धिमान हो जाता है।

थार्नडाइक ने तीन मुख्य नियम, जो निम्नलिखित है ➖

🕐तत्परता का नियम

🕑अभ्यास का नियम

🕒प्रभाव का नियम

थार्नडाइक के  सिद्धांत में कमियां ➖

1. छात्र सिर्फ प्रयत्न या त्रुटि से ही नहीं सीखता है। वह सूझ तर्कशक्ति ,मनन ,चिंतन व अनुभूति तथा मानसिक क्षमता पर भी  निर्भर करता है

2. इस सिद्धांत के अनुसार सीखने के लिए हमेशा उद्दीपन की आवश्यकता होती है, किंतु कई बार छात्र बिना किसी उद्दीपन के भी  सीख लेता है।

3. इन्होंने अपने प्रयोग पशुओं पर किए, जबकि पशु और मनुष्य एक समान नहीं होते हैं, इसलिए इंसानों पर यह सिद्धांत पूरी तरह लागू नहीं होता है।

4. सीखना यांत्रिक प्रक्रिया या सिद्धांत मांनता है, जबकि मनुष्य मे बुद्धि, तर्क, चिंतन, विवेक इत्यादि की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है‌।

5. प्रयत्न व भूल में बहुत समय लगता है।

6. अधिगम के कारणों पर प्रकाश नहीं डालता है।

7. अभ्यास का नियम दुरुपयोग होता है।

8. किसी कार्य को करने के लिए किया गया निरर्थक प्रयाश के बदले विशिष्ट विधि से सही है।

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