46. CDP – Learning Theories PART- 2

🌀अधिगम के सिद्धांत 🌀

हमने क्या सीखा है इसका क्या महत्व है हमने जो सीखा इसका कारण अंतर्दृष्टि अवलोकन दंड पुरस्कार प्रोत्साहन सीमा अभ्यास अनुभव हो सकता है।

हमने जो सीखा वह चीज किसी अन्य चीज के सीखने में मदद करेगी या नहीं, हमने जो सीखा है वह सीखने के बाद हम कितने समय में उसे भूल जाते हैं और क्यों भूल जाते हैं।

अधिगम क्षमता का अर्थ सीखने की सीमा है हम सभी व्यक्ति पूरे विश्व में अलग-अलग हैं इसलिए हमारी सीखने की सीमा भी अलग-अलग है।

ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी व्यक्ति की सीखने की सीमा अधिक है तो वह ज्यादा सीखेगा किसी व्यक्ति की सीखने की सीमा कम तथा अभ्यास ज्यादा होने पर भी वह ज्यादा सीख सकता है।

अंतर्दृष्टि,अधिगम का अस्तित्व (नींव) रखती है।

हमने क्या सीखा, क्यों सीखा, कैसे सीखा का अध्ययन करने के लिए हमें अधिगम के सिद्धांत का अध्ययन करना होगा जो निम्नानुसार है:

👑 अधिगम के सिद्धांत👑

प्रकृति के आधार पर अधिगम के सिद्धांत दो प्रकार के होते हैं

◽ व्यवहारवादी (उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत) इसे S-R thoery भी कहा जाता है

इसके अंतर्गत आने वाले सिद्धांत निम्न है

1️⃣ उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत

2️⃣ क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत

3️⃣ पुनर्बलन का सिद्धांत

4️⃣ अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत

5️⃣ गुथरी का सिद्धांत

🌿 संज्ञान वादी(उद्दीपन उद्दीपन सिद्धांत) इसेS-S theory भी कहते हैं इसके अंतर्गत निम्न सिद्धांत आते हैं

1️⃣ सूझ का सिद्धांत

2️⃣ संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत

3️⃣ सामाजिक अधिगम सिद्धांत

4️⃣ लेविन का सिद्धांत

5️⃣ गेस्टाल्ट का सिद्धांत

6️⃣ ब्रूनर का सिद्धांत

💫 व्यवहारवादी सिद्धांत:

जब किसी व्यक्ति या प्राणी के सामने कोई समस्या आती है तो उसके समाधान के लिए हम कोई ना कोई अनुक्रिया या व्यवहार करते हैं। वह समस्या/जरूरत ही उद्दीपन तथा वह समाधान ही अनुक्रिया है।

प्राणी के सामने समस्या आने पर वह समाधान करता है और यही समाधान से समस्या और समाधान में दृढ़ संबंध हो जाता है तथा सीखना स्थाई हो जाता।

💥 उद्दीपन अनुक्रिया (अनुबंध) सिद्धांत: 

इस सिद्धांत के प्रतिपादक थार्नडाइक हैं यह अमेरिका के रहने वाले थे। इस सिद्धांत को निम्न नामों से जाना जाता है

संयोजन का सिद्धांत प्रयास त्रुटि का सिद्धांत आदि।

Animal intelligence 1998

Education psychology 1913

संबंध वाद का प्रतिपादन थार्नडाइक ने किया।

उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत को कोई मनोवैज्ञानिकों ने फॉलो किया जैसे वुड, वाटसन ,पावलव, गुजरी ,हल इन सभी मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि प्रत्येक क्रिया के पीछे एक उद्दीपन होता है जिसका प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है उसी के अनुरूप अनुप्रिया होती हैं विशिष्ट उद्दीपक का एकअनुक्रिया से संबंध होता है इसे ही S-R Bond theory कहते हैं

✍🏻✍🏻Notes by raziya khan✍🏻✍🏻

🔆 अधिगम के सिद्धांत

▪️क्या सीखा? किसका कितना महत्व? यह सभी बातें हमारी अवबोध ,अंतर्दृष्टि ,दंड ,पुरस्कार ,प्रोत्साहन, सीमा ,अभ्यास, अनुभव और रुचि पर निर्भर करती है।

▪️एक चीज या एक कार्य अन्य अन्य कार्यों को सीखने में कितनी मदद करेगा और सीखा हुआ कार्य कितने समय तक याद रहेगा यह सभी बातें अधिगम पर निर्भर करती है।

▪️अधिगम क्षमता सीखने की एक सीमा है।

▪️इसीलिए अधिगम सिद्धांत की आवश्यकता पड़ेगी हम किसी चीज को क्यों करते हैं ?कैसे करते हैं ?और उसमें क्या कमी है?

▪️प्रत्येक प्राणी में व्यक्तिगत विभिन्नता होती है उसी के अनुसार सभी अलग-अलग प्रकार से सीखते हैं जो जितना ज्यादा अभ्यास करेगा उसमें सीखने की गति उतनी ही अच्छी होगी।

▪️अंतर्दृष्टि हमारे अधिगम का अस्तित्व बनाती है अर्थात अधिगम के लिए एक नहीं डालती है जब हम सीखते हैं वह नए कार्यों को करते हैं तो हमें चीजें याद रहते हैं तो हमें खुशी मिलती है और यदि हम जब भूल जाते हैं तो दुख होता है।

▪️दैनिक जीवन के हर पल हर क्षण या हर बात या हर भाग में अधिगम करते हैं कई बार चीजों को याद रखने के लिए उन्होंने अन्य चीजों से संबंध स्थापित करते हैं जिससे वह हमें आसानी से याद रह जाती है अर्थात कोई चीज से अधिगम ना होने पर उसे दूसरी चीज से को रिलेट करके यह संबंध स्थापित करके अधिगम प्रस्तुत करते हैं।

▪️मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला में यह समझने की कोशिश की गई कि व्यक्ति क्यों सीखता है क्या सीखता है कैसे सीखता है।

▪️जो भी अलग-अलग अधिगम सिद्धांत बनाए गए उनका मुख्य उद्देश्य रखा गया कि अधिगम किस प्रकार से होगा ?कैसे होगा? कब होगा? और कब नहीं होगा इन्हीं सब संदर्भ में अनेक तथ्य प्रस्तुत किए गए।

▪️अधिगम के सिद्धांत को प्रकृति के आधार पर दो भागों में बांटा गया।

1 व्यवहारवादी/उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत

2 संज्ञान वादी/उद्दीपन उद्दीपन सिद्धांत

▪️व्यवहारवादी व्यवहार पर आधारित जबकि संज्ञान वादी बुद्धि पर आधारित सिद्धांत है।

▪️1 व्यवहारवादी सिद्धांत निम्नानुसार है

✓उद्दीपन अनुक्रिया

✓क्रिया प्रसूत अनुबंधन

✓पुनर्बलन सिद्धांत

✓अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत

✓गूथरी का सिद्धांत 

2 संज्ञान वादी सिद्धांत निम्नानुसार है।

✓सूझ का सिद्धांत

✓सामाजिक अधिगम का सिद्धांत

✓संज्ञानात्मक विकास

✓कर्ट लेविन का क्षेत्रवादी सिद्धांत

✓गेस्टाल्ट वादी सिद्धांत

✓ब्रूनर का सिद्धांत

1 व्यवहारवादी सिद्धांत जब भी प्राणी के सामने समस्या आती है तो उसके समाधान के लिए अलग-अलग प्रकार से अनुक्रिया या व्यवहार करता है जिससे समस्या का समाधान मिल जाता है।

▪️जब समस्या (उद्दीपक) के समाधान (अनुक्रिया) को बार बार किया जाता है या दोहराया जाता है तो समस्या और समाधान के बीच दृढ़ संबंध स्थापित हो जाता है। और इस प्रकार सीखना स्थाई हो जाता है।

किसी चीज पर उद्दीपक कब लगेगा? कितना लगेगा? और किस तरह से लगेगा ?यह अनुक्रिया पर निर्भर करता है।

▪️उद्दीपक और अनुक्रियां का आपस में संबंध होता है इस संबंध को बताने में अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों ने अलग-अलग प्रकार से अपने विचार प्रस्तुत किए।

⚜️ उद्दीपक अनुक्रिया (अनुबंध) सिद्धांत 

▪️इस सिद्धांत का प्रतिपादन अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक थोर्नडायक ने अपनी पुस्तक एनिमल इंटेलिजेंस में 1993 में किया।

▪️एजुकेशन साइकोलॉजी नामक पुस्तक में 1913 में इस सिद्धांत को और अधिक स्पष्ट रूप से बताया।

▪️संबंध वाद का प्रतिपादन भी थोर्नडायक ने किया 

जिसमें उन्होंने बताया कि उद्दीपन के साथ अनुक्रिया का संबंध स्थापित होता है इसे उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत के नाम से संबोधित किया जाए जिसे उन्होंने संयोजन का सिद्धांत व प्रयास व त्रुटि का सिद्धांत भी बोला।

▪️जैसे-जैसे उद्दीपन घटता जाएगा या पूरा होता जाएगा वैसे वैसे अनुक्रिया भी घटती जाएगी यह पूरी होती जाएगी।

▪️उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत का  कई मनोवैज्ञानिकों ने पालन किया।

जैसे वुड वर्थ ,पावलव, वाटसन, गुथरी हल इन सभी  मनोवैज्ञानिक सिद्धांत का पालन किया एवं उसमें अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

▪️इन सभी मनोवैज्ञानिक का मानना है कि प्रत्येक क्रिया के पीछे एक उद्दिपक होता है जिसका प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है उसी के अनुसार अनुक्रिया होती है।

▪️प्रत्येक विशिष्ट उद्दीपक का एक अनुक्रिया से संबंध होता है अर्थात हर उद्दीपक के लिए एक suitable  अनुक्रियाहोती है।

▪️इस संबंध को S R Bond थ्योरी बोला गया ।

✍️

     Notes By-‘Vaishali Mishra’

क्या सीखा?

 इसका क्या महत्व?

  कारण क्या है?

अंतर्दृष्टि?

 अवलोकन ,दंड ,पुरस्कार ,प्रोत्साहन, सीमा ,अभ्यास ,अनुभव अधिगम को कैसे प्रभावित करते हैं?

अंतर्दृष्टि,अधिगम का अस्तित्व (नींव) रखती है।

क्या ?

क्यों?

कैसे सीखा? 

यह जानने के लिए हमें अधिगम के सिद्धांत का अध्ययन करते हैं, जो निम्नलिखित है——

प्रकृति के आधार पर —

अधिगम के सिद्धांत 2️⃣ प्रकार के होते हैं—-

1️⃣ व्यवहारवादी

 उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धांत 

S-R thoery भी कहा जाता है।

इसके अंतर्गत आने वाले सिद्धांत निम्न है—–

1. उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धांत।

2. क्रियाप्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत।

3. पुनर्बलन का सिद्धांत।

4. अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत।

5. गुथरी का सिद्धांत।

2️⃣ संज्ञानवादी

उद्दीपन-उद्दीपन सिद्धांत

 S-S theory भी कहते हैं।

 इसके अंतर्गत निम्न सिद्धांत आते हैं—-

1. सूझ का सिद्धांत।

2. संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत।

3. सामाजिक अधिगम सिद्धांत।

4. कार्ट लेविन का सिद्धांत।

5. गेस्टाल्ट का सिद्धांत।

6. ब्रूनर का सिद्धांत।

🎎 व्यवहारवादी सिद्धांत ➖

जब किसी व्यक्ति या प्राणी के सामने कोई समस्या आती है, तो उसके समाधान के लिए प्राणी कोई ना कोई अनुक्रिया या व्यवहार करते हैं। यह समस्या या आवश्यकता ही उद्दीपन तथा उसका समाधान ही अनुक्रिया है।

प्राणी के सामने समस्या आने पर वह समाधान करता है और यही समाधान से समस्या और समाधान में दृढ़ संबंध हो जाता है तथा सीखना स्थाई हो जाता।

⏩ उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धांत ➖

प्रतिपादक  ➖ थार्नडाइक 

निवासी ➖अमेरिका 

 इस सिद्धांत को निम्न नामों से जाना जाता है—-

संयोजन का सिद्धांत /प्रयास त्रुटि का सिद्धांत/ संबंधवाद का सिद्धांत आदि।

Animal intelligence( 1998)

Education psychology (1913)

उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत को कोई मनोवैज्ञानिकों ने अनुकरण किया। जैसे….

Woodworth 

वाटसन

पावलव

गुजरी

हल 

इन सभी मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि प्रत्येक क्रिया के पीछे एक उद्दीपन होता है। जिसका प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है। उसी के अनुरूप अनुक्रिया होती हैं। विशिष्ट उद्दीपक का अनुक्रिया से संबंध होता है ।

*इसे ही S-R Bond theory कहते हैं।*

♋♋♋दीपिका राय ♋♋♋

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🈵  अधिगम के सिद्धांत➖

 व्यक्ति कैसे सीखना चाहता है, क्या नहीं सीखना चाहता है, या उसने क्या सीखा है ,उसने  क्या नहीं सीखा है उसके सीखने में किसका महत्व है आदि इन सभी की भूमिका को स्थापित करने के लिए अधिगम निम्न चीजों पर निर्भर करता है जैसे अंतर्दृष्टि पर, अवबोध, पुरस्कार,दंड, अभ्यास अनुभव ,आदि सब अधिगम के मुख्य कारण हो सकते हैं |

                यदि एक का भी महत्व कम हो गया तो अधिगम खत्म | एक चीज अन्य  चीज को सीखने में मदद करती है हमने कितने समय में क्या सीखा है कितने समय में हम उसको भूल जाते हैं और क्यों भूल जाती इन सभी के लिए अधिगम के सिद्धांत की आवश्यकता होती है कि व्यक्ति कैसे हो और क्या  सीखता है |

        एक चीज अन्य चीजों को सीखने में मदद करती है इसलिए अधिगम को करने के लिए अधिगम के सिद्धांतों की आवश्यकता पड़ी  |

       अधिगम “अधिगम क्षमता” पर भी निर्भर करता है अधिगम क्षमता को सीखने की सीमा कहा जाता है जो हमारे अधिगम को बढ़ाने में मदद करती है |

         व्यक्तिगत विभिन्नता के कारण सभी व्यक्तियों के सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है क्योंकि उनकी सोच विचार की शक्ति,उनकी रुचि, रंग  रूप आकार, आवश्यकता सब अलग-अलग होती है इसलिए वह चीजों को अलग-अलग तरीके से सीखता है और यह व्यक्ति के अभ्यास पर निर्भर करता है कि वह कितना सीखेगा जिसमें व्यक्ति की अंतर्दृष्टि अधिगम का अस्तित्व बनाती है |

       यदि वह याद रहता है तो खुशी मिलती है और याद नहीं रहता है तो दुख होता है |

 अधिगम के सिद्धांतों को दो भागों में बांटा गया है ➖

💮 व्यवहारवादी  सिद्धांत➖

🍀 उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत

🍀 क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत 

🍀 पुनर्बलन सिद्धांत 

🍀 अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत 

🍀 गुथरी का सिद्धांत

💮 संज्ञानवादी सिद्धांत ( उद्दीपन –  उद्दीपन सिद्धांत) ➖

🍀अंतर्दृष्टि या सूझ का सिद्धांत

🍀  संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत 

🍀 सामाजिक अधिगम सिद्धांत |

 🍀कुर्ट लेवल का क्षेत्र सिद्धांत

🍀 गेस्टाल्ट सिद्धांत

🍀 और ब्रूनर का सिद्धांत

📛 व्यवहारवादी सिद्धांत➖

इस सिद्धांत को S – R सिद्धांत भी कहा जाता है  |

इसके अंतर्गत 

उद्दीपन अनुक्रिया, 

क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत

 पुनर्बलन सिद्धांत 

अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत

 और गुथरी के सिद्धांत आते हैं |

 इस सिद्धांत को एस – आर सिद्धांत भी कहते हैं जब प्राणी के सामने कोई समस्या आती है तो वह समस्या के अनुसार व्यवहार करता है जिसको उद्दीपन कहा जाता है तथा समस्या के लिए अलग-अलग अनुक्रिया करता है जिसका समाधान व्यवहार के अनुसार होता है और समस्या का समाधान से दृढ़ संबंध हो जाता है जिससे सीखना स्थाई हो जाता है |

 कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि संतुष्टि होने पर उद्दीपन और अनुक्रिया दोनों खत्म हो जाते हैं अर्थात जब तक समस्या होगी तब ही समाधान खोजा जाएगा जैसे समाधान मिलता है वैसे ही समस्या अनुक्रिया खत्म हो जाती है |

    अर्थात उद्दीपन और अनुक्रिया के बीच गहरा संबंध होता है जिसके कारण व्यक्ति किसी समस्या का समाधान खोजता है |

 🉐 उद्दीपन अनुक्रिया या अनुबंध सिद्धांत ➖

इस सिद्धांत को अमेरिका के मनोवैज्ञानिक “थार्नडाइक” ने दिया था  |

उन्होंने 1998  में  प्रकाशित हुई अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “एनीमल इंटेलिजेंस” में इसका वर्णन किया |

     लेकिन इसका अधिक विवरण उन्होंने” एजुकेशन साइकोलॉजी” नामक पुस्तक में किया जो 1913 में प्रकाशित हुई थी |

  उन्होंने “संबंधवाद  “विचारधारा का प्रतिपादन किया जिसमें उन्होंने कहा कि उद्दीपन और अनुक्रिया के बीच जो संबंधसंबंध है उसे  ही संबंध बाद कहा जाता है क्योंकि जब तक उद्दीपन रहेगा तब तक अनुक्रिया होगी |

 जब तक समस्या होगी तब तक उसका समाधान खोजा जाएगा जैसे समस्या खत्म समाधान खत्म यदि उद्दीपन और अनुक्रिया जैसे होगी उनके बीच में जैसा संबंध होगा उसी के अनुसार उनके बीच का उद्दीपक होगा |

 इस सिद्धांत को कई वैज्ञानिकों ने  follow किया है जैसे कि वुडवर्थ, पावलव, वाटसन, गुथरी और हल और आदि इन सब का मानना है कि  प्रत्येक प्रतिक्रिया के पीछे एक उद्दीपन होता है जिसका प्रभाव  व्यक्ति पर पड़ता है और उसी के अनुसार अनुक्रिया होती है और जो संबंध है वह  S – R bond  Theory  भी कहा जाता है |

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

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🌼☘️ अधिगम के सिद्धांत☘️

क्या सीखा?

इसका क्या महत्व है?

अंतर्दृष्टि?

अवलोकन ,दंड ,पुरस्कार, प्रोत्साहन, सीमा, अभ्यास अधिगम को कैसे प्रभावित हैं।

अंतर्दृष्टि अधिगम का अस्तित्व नीवं रखती है।

क्या

क्यों

कैसे सीखा

यह जानने के लिए हमें अधिगम के सिद्धांत का अध्ययन करते हैं जो निम्नलिखित है।

 प्रकृति के आधार पर➖

अधिगम के सिद्धांत दो प्रकार के होते हैं—-

➡️ व्यवहारवादी

➡️ संज्ञानवादी

➡️ व्यवहारवादी

उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत इसे R- Stheory भी कहते हैंऔ किसके अंतर्गत आने वाले सिद्धांत निम्न है—

१-उद्दीपन अनुक्रिया का सिद्धांत।

२- क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत।

३-पुनर्बलन का सिद्धांत।

४-अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत।

६-गुथरी का सिद्धांत

➡️ संज्ञानवादी

उद्दीपन -उद्दीपन सिद्धांत

S -S theory भी इसे कहा जाता है।

इसके अंतर्गत निम्न सिद्धांत आते हैं।

१-सूझ का सिद्धांत

२-संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत।

३-सामाजिक अधिगम का सिद्धांत। 

४-कार्ट लेविन का सिद्धांत।

५-गेस्टाल्ट का सिद्धांत।

६-ब्रूनर का सिद्धांत।

☘️ व्यवहारवादी सिद्धांत➖जब किसी व्यक्ति या प्राणी के सामने कोई समस्या आती है तो उसके समाधान के लिए हम कोई ना कोई अनुक्रिया यह व्यवहार करते हैं वह समस्या /जरूरत ही उद्दीपन तथा वह समाधान ही अनुक्रिया है।

प्राणी के सामने समस्या आने पर वह समाधान करता है और यही समाधान से समस्या और समाधान में दृढ़ संबंध हो जाता है तथा सीखना स्थाई हो जाता है।

☘️ उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत➖

इसके प्रतिपादक ➖थार्नडाइक 

निवासी ➖अमेरिका

इस सिद्धांत के अनुसार यदि कोई विद्यार्थी व्यक्तिगत रूप से कार्य के प्रति उत्तेजित रहता है, तो वह शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के दौरान अधिक सक्रिय एवं सृजनशील होगा ।

इस सिद्धांत अन्य  नाम से भी जाना जाता है।

संयोजन का सिद्धांत /प्रयास त्रुटि का सिद्धांत/ संबंधवाद का सिद्धांत आदि।

Animal intelligence 1998

Education psychology 1913

उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत को कई मनोवैज्ञानिकों ने फॉलो किया है जैसे वुड, वाटसन ,पावलव, गुथरी ,हल, इन सभी मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि प्रत्येक क्रिया के पीछे एक उद्दीपन होता है इसका प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है उसके अनुरूप अनुप्रिया होती है विशिष्ट उद्दीपक का एक अनुक्रिया से संबंध होता है इसे ही  S-R bond theory कहते हैं।

📚📚✍🏻 Notes by….. Sakshi Sharma✍🏻📚📚

अधिगम के सिद्धांत

व्यक्ति क्यों सीखता है 

व्यक्ति क्या सीखता है

व्यक्ति कैसे सीखाता है

व्यक्ति के सीखने में किसका महत्व होता है

सीखने में व्यक्ति की अंतर्दृष्टि, अवबोध, दंड, पुरस्कार, प्रोत्साहन, सीमा ,अभ्यास ,अनुभव ,रुचि आदि का महत्व होता है।

एक चीज किसी दूसरी चीज को सीखने में कैसे मदद करती हैं।

व्यक्ति द्वारा सीखा हुआ ज्ञान वह कितने समय में भूल जाता है और क्यों भूल जाता है तथा उसे वह ज्ञान कितने समय तक याद रहता है।

आदि सभी को जानने के लिए अधिगम सिद्धांतों की जरूरत पड़ी।

अधिगम क्षमता सीखने की सीमा पर निर्भर करती है

वैयक्तिक विभिन्नता के कारण प्रत्येक व्यक्ति अलग अलग तरीके से सीखता है जिसका अभ्यास अच्छा है वह बढ़िया तरीके से सीखता है।

 अंतर्दृष्टि अधिगम का अस्तित्व बनाती है या नीव डालती हैं

 इसी अस्तित्व के कारण व्यक्ति को याद रहा तो उसे खुशी होगी और याद नहीं रहा तो उसे दुख होगा।

अधिगम की प्रकृति के आधार पर अधिगम के सिद्धांतों को दो भागों में बांटा गया है

1. व्यवहारवादी या उद्दीपन- अनुक्रिया सिद्धांत

2. संज्ञानवादी या उद्दीपन- उद्दीपन सिद्धांत

व्यवहारवादी सिद्धांत में निम्नलिखित सिद्धांत आते हैं

व्यवहारवादी सिद्धांत को उद्दीपन -अनुक्रिया सिद्धांत / s -r theory भी कहते हैं।

इसमें उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत

क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत

पुनर्बलन का सिद्धांत

अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत

गुथरी का सिद्धांत आते हैं।

संज्ञानवादी सिद्धांत को उद्दीपन- उद्दीपन सिद्धांत / S-S theory भी कहते हैं।

इसमें निम्नलिखित सिद्धांत आते हैं

सूझ का सिद्धांत

संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत

सामाजिक अधिगम का सिद्धांत

कर्क लेविन का सिद्धांत

गेस्टाल्ट का सिद्धांत

ब्रूनर का सिद्धांत

1. व्यवहारवादी सिद्धांत

जब व्यक्ति के सामने कोई समस्या (आवश्यकता/ जरूरत या उद्दीपन) होता है तो वह उसके समाधान के लिए विभिन्न प्रकार की अनुक्रिया या व्यवहार करता है ‌।

और यदि वह अनुक्रियाओं के द्वारा समस्या का समाधान कर लेता है तो दूसरी बार फिर से समस्या आने पर वह इसी प्रक्रिया को दोबारा दोहराता है।

इससे समस्या/ उद्दीपन का समाधान/अनुक्रिया से दृढ़ संबंध हो जाता है इसके द्वारा सीखना स्थायी हो जाता है।

उद्दीपन और अनुक्रिया में संबंध होता है

अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों ने इस संबंध को अलग-अलग प्रकार से बताया है।

जैसे कुछ का मानना है कि उद्दीपन की प्रकृति जैसी होगी वैसा ही पुनर्बलन होगा और उद्दीपन की प्रकृति के अनुसार अनुक्रिया होगी।

1. उद्दीपन अनुक्रिया (अनुबंध) सिद्धांत

यह सिद्धांत अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक थॉर्डाइक द्वारा प्रतिपादित किया गया।

थार्नडाइक ने अपनी पुस्तक animal intelligence 1898 मे इस सिद्धांत का उल्लेख किया।

बाद में 1913 में उन्होंने अपनी पुस्तक education psychology में इस सिद्धांत के बारे में अच्छे से बताया है और अधिक स्पष्ट किया है।

थार्नडाइक ने संबंधवाद का प्रतिपादन किया।

संबंधवाद के अनुसार

उद्दीपन और अनुक्रिया के बीच संबंध होता है

प्रत्येक अनुक्रिया का कुछ ना कुछ उद्दीपन होता है।

प्रत्येक विशिष्ट उद्दीपन एक अनुक्रिया से संबंधित होता है।

यहां से इस सिद्धांत का नाम *संयोजन का सिद्धांत* दिया गया।

जब तक उद्दीपन है तब तक अनुक्रिया चालू रहती है।

उद्दीपन के खत्म होने पर अनुक्रिया खत्म हो जाती है।

जैसे चुनाव के समय नेताओं का प्रचार चलता रहता है और चुनाव खत्म हो जाने के बाद नेताओं का प्रचार खत्म हो जाता है।

उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत को कई मनोवैज्ञानिकों ने फॉलो किया

वुडवर्थ ,पावलव,वाटसन, गुथरी,हल

इन सभी मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि प्रत्येक क्रिया का एक उद्दीपन होता है जिसका प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है उसी के अनुरूप अनुक्रिया होती है।

विशिष्ट उद्दीपक का एक अनुक्रिया से संबंध होता है इसे s -r bond theory नाम दिया गया।

उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत के विभिन्न नाम

संयोजन का सिद्धांत

प्रयास त्रुटि सिद्धांत

S- R bond theory

अनुबंध का सिद्धांत

Notes by Ravi kushwah

🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 🌲अधिगम के सिद्धांत–

 अधिगम अंतर्दृष्टि ,अबोध पुरस्कार दंड, अभ्यास, अनुभव आदि अधिगम के मुख्य कारण है। इनमें से यदि किसी एक के महत्व को कम कर दिया जाए तो यह अधिगम खत्म हो जाए

 अर्थात यह सभी आपस में जुड़े हुए हैं। इनमें से किसी एक के बिना अधिगम संभव नहीं है। एक चीज या अन्य चीजों को सीखने में मदद करती है। इसलिए अधिगम को करने के लिए अधिगम के सिद्धांतों की आवश्यकता पड़ी ।

💥अधिगम – अधिगम  क्षमता पर निर्भर करते हैं .।अधिगम क्षमता को सीखने की सीमा कहा जाता है।। जो हमारे अधिगम को बढ़ाने में मदद करती है। व्यक्ति की विभिन्नता के कारण व्यक्तियों की सीखने की क्षमता तथा उनकी सोच विचार और उनके रंग रूप आकार तथा आवश्यकता सब अलग-अलग होती है। इसलिए वह चीजों को अलग-अलग करके सीखते हैं। और व्यक्ति के अभ्यास पर निर्भर करता है कि वह कितना सीखेगा ।

♦️अधिगम के सिद्धांतों को दो भागों में बांटा गया।

🦚 व्यवहारवादी सिद्धांत– इसे “S–R का सिद्धांत भी कहते हैं। उद्दीपन अनुक्रिया ,क्रिया प्रसूत, अनुबंधन, पुनर्बलन का सिद्धांत, अनुकूलित प्रक्रिया का सिद्धांत, गुजरी का सिद्धांत।।

🌴 संज्ञानवाद ( उद्दीपन उद्दीपन सिद्धांत)– सूझ का सिद्धांत, संरचनात्मक विकास ,सामाजिक अधिगम, लेविन का सिद्धांत, गैस्टॉट का सिद्धांत, ब्रूनर  का सिद्धांत।  

🌻 व्यवहारवादी सिद्धांत–  हमारे अंदर कोई समस्या या जरूरत ही उद्दीपन है। तो इस उद्दीपन या समाधान के लिए अलग-अलग अनुप्रिया व्यवहार करता है और यही समाधान है। और फिर जब दोबारा वही समस्या आती है। तो हम सीधा समाधान निकाल लेते हैं। हमें अनुक्रिया की जरूरत नहीं होती और यह प्रक्रिया चलती रहती है।। तो उस समस्या उद्दीपन का समाधान अनुक्रिया से  दृढ़ संबंध हो जाता है।

      इससे सीखना स्थाई हो जाता है। कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि उद्दीपन और अनुप्रिया के बीच संबंध है वह पुनर्बलन उद्दीपक पर निर्भर करता है। उद्दीपक किसी चीज पर कब लगेगा ,कितनी तरह से लगेगा, कितना लगेगा वह निर्भर करेगा कि आप अनुक्रिया कैसे करते हैं।

 कहने का मतलब है कि उद्दीपक बदलते रहते हैं और हम इसके बीच में संबंध स्थापित करते हैं। 

उद्दीपन अनुक्रिया अनुबंध सिद्धांत – इस सिद्धांत को थार्नडाइक ने दिया था यह अमेरिका के वैज्ञानिक थे ।इन्होंने 1998 में अपनी बुक  “Animal intelligence मैं अधिगम सिद्धांत का उल्लेख किया 1913 में Education intelligence 

नामक बुक लिखी थी ।जिसमें विस्तार से इसका उल्लेख किया इन्होंने एक विचारधारा का प्रतिपादन किया।

” संबंध वाद ,का संबंध बाद उद्दीपन के साथ अनुप्रिया के बीच के संबंध को संबोधित करता है।

🦚 उद्दीपन अनुक्रिया के सिद्धांत को इन्होंने संयोजन का सिद्धांत और प्रयास व    त्रुटि का सिद्धांत भी कहा।।

💥 उद्दीपन अनुक्रिया का सिद्धांत– इसे कई मनोवैज्ञानिको ने follow किया ।वुडवर्थ, पावलव,वाटसन,गुथरी, और हल ने इस सिद्धांत को माना और इस पर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन सभी वर्ग मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि प्रत्येक क्रिया के पीछे उद्दीपन होता है और इसका प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है और उसी के अनुरुप अनुक्रिया होती है ।विशिष्ट उद्दीपक का एक अनुप्रिया से संबंध होता है ।तो इसे इन्होंने इसे S –R Bond theory  कहा

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Notes by poonam sharma

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