#2. CDP – Definitions and area of child development and pedagogy

👉 बाल विकाश 

बाल विकाश मे बालक के सभी तथ्य का अध्यन किया जाता है बाल विकाश के विकाशात्मक मनोविज्ञान मे बालक के व्यवहार को एक नयी दिशा प्रदान करता है।

कुछ मनोवैज्ञानिक के कथन इस प्रकार है-

🌸 हरलाक के अनुसार- बाल मनोविज्ञान का नाम बाल विकाश इसलिए बदला गया क्योकि बालक के समस्त पहलुओ पर ध्यान दिया जाता है  न कि किसी एक पक्ष पर ।

क्रो और क्रो  के अनुसार- बाल विकाश वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्यन गरभ अवस्था से मृत्यु उपरान्त तक करता है।

डारविन के अनुसार – बाल विकाश व्यवहार का विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्यन गरभा से मृत्यु उपरान्त करता है।

बाल विकाश के विभिन्न अवस्थाओ का अध्यन 

गरभावस्था 

शैशवस्था

बाल्यवस्था

किशोरावस्था

🌸 बाल विकाश के विभीन्न पहलुओ का अध्यन-

शारिरीक मानसिक संवेगात्मक सामाजिक  आध्यात्मिक सांस्कृतिक विकाश आदि।

🌸 बाल विकाश को प्रभावित करने वाले कारक-

प्रत्यक्ष

अप्रत्यक्ष।

🌸 बालक कि विभीन्न असमानताओ का अध्यन-

मानसिक विकार बोध्दिक दूरबलता  बाल अपराध आदि।

🌸 मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्यन- बाल विकाश मनोवैज्ञानिक तरिके से उपचारात्मक अध्यन करता है।

🌸 बाल व्यवहार और अंतक्रिया का अध्यन- अलग-अलग अवस्था मे।

🌸 बाल विकाश कि विभीन्न रूचियो का अध्यन।

🌸बच्चे कि मानशिक प्रक्रिया का अध्यन।

🌸व्यैक्तिक  विभीन्नता का अध्यन।

🌸 बालको के व्यैक्तिक मूल्याकंन का अध्यन।

🌸 बालक-अभिभावक संबंधो का अध्यन।

👉  notes by puja murkhe

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

  🌼🌼बाल विकास का अर्थ 🌼🌼

🌼🌼 बाल विकास से तात्पर्य बालकों के सर्वांगीण विकास से है,  बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की अलग शाखा बनाई गई जो गर्भ से मृत्यु तक बालक के व्यवहार का अध्ययन करता है तो इसे बाल विकास में परिवर्तित किया गया क्योंकि मनोविज्ञान से व्यवहार का अध्ययन करता है जबकि बाल विकास उन सभी तत्वों का अध्ययन करता है जो बालक के व्यवहार को एक निर्धारित दिशा प्रदान कर संपूर्ण विकास में मदद करता है

🌼🌼 हर लॉक के अनुसार — “बाल मनोविज्ञान “का नाम “बाल विकास” इसलिए बदल दिया गया क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है किसी एक पक्ष पर नहीं ।।

🌼🌼क्रो एंड क्रो के अनुसार– “बाल विकास” वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भ से मृत्युपरांत् करता है

🌼🌼 डार्विन के अनुसार — बाल विकास व्यवहार का विज्ञान है जो बालक की व्यवहार का अध्ययन गर्भ से मृत्युपरांत तक करता है

🌼🌼” हरलॉक” के अनुसार — बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भधान से मृत्युपरांत होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करता है

🌼Area of child development 🌼

   🌼🌼 बाल विकास का क्षेत्र🌼🌼

🌼1. बाल विकास की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन 

🌼गर्भावस्था

🌼 शैशवावस्था 

🌼बाल्यावस्था

🌼 किशोरावस्था 

🌼2.बाल विकास के पहलुओं का अध्ययन

🌼 शारीरिक विकास 

🌼मानसिक विकास 

🌼संवेगात्मक विकास 

🌼सामाजिक विकास 

🌼संज्ञानात्मक विकास 

🌼आध्यात्मिक विकास 

🌼सांस्कृतिक विकास 

🌼नैतिक विकास 

🌼3. बाल विकास को प्रभावित करने वाले  तत्वों का अध्ययन 

🌼प्रत्यक्ष 

🌼 अप्रत्यक्ष 

🌼 heridity

🌼environment

🌼 व्यक्तित्व

🌼4.  बालक की विभिन्न आसमानता का अध्ययन

🌼 केवल सामान्य बालक नहीं 

🌼आसमानता / विक्रति

🌼असंतुलित व्यवहार 

🌼मानसिक विकार 

🌼बौद्धिक दुर्बलता 

🌼बाल अपराध 

🌼5.मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन

🌼 बाल विकास  मनोवैज्ञानिक तरीके के उपचार प्रस्तुत करता है 

🌼6.बाल व्यवहार और अंतः क्रिया का अध्ययन (अलग-अलग अवस्था में )

🌼7.बालक की रूचियों का अध्ययन

🌼8. बालक की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन – तर्क,अधिगम ,कल्पना ,चिंतन, स्मृति 

🌼9. वैयक्तिगत विभिन्नता का अध्ययन

🌼10. बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन

🌼11. बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन

🌼🌼notes by manjari soni🌼🌼

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌸 बाल विकास 🌸

🌸 Child development🌸

— बाल विकास से तात्पर्य बालकों के सर्वांगीण विकास से है।

— बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की अलग-अलग शाखा बनाई गई जो गर्भ से मृत्यु तक बालक के व्यवहार का अध्ययन करता है।

— तो इसे बाल विकास में परिवर्तित किया गया क्योंकि मनोविज्ञान सिर्फ व्यवहार का अध्ययन करता है ।

— जबकि बाल विकास उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जो बालक के व्यवहार को एक निर्धारित दिशा प्रदान कर संपूर्ण विकास में मदद करता है

🔅 बाल विकास के संदर्भ में विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा दिए गए कथन

🔸 हरलॉक

 बाल मनोविज्ञान का नाम ‘बाल विकास’ इसलिए बदला गया क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है किसी एक पक्ष पर नहीं।

🔸 क्रो एंड क्रो

बाल विकास वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपरांत तक करता है।

🔸 डार्विन

बाल विकास ‘व्यवहार का विज्ञान’ है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपरांत करता है।

🔸 हरलॉक 

बाल विकास मनोविज्ञान की वह 

शाखा है जो गर्भाधान से     मृत्युपरांत होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करता है।

        🏵️ बाल विकास का क्षेत्र 🏵️

🏵️ Area of child development🏵️

♦️1 बाल विकास की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन–

बाल विकास को समझने के लिए हमें बालक की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन करने की आवश्यकता होती है बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएं निम्न है– ▪️गर्भावस्था 

▪️शैशवावस्था 

▪️बाल्यावस्था 

▪️किशोरावस्था

♦️2 बाल विकास के पहलुओं का अध्ययन–

इसके अंतर्गत विकास के पहलुओं का अध्ययन करते हैं। हम यह देखते हैं कि बच्चे का

 ▪️शारीरिक विकास — बालक के शारीरिक विकास में उसके शरीर के बाह्य एवं आंतरिक अंगों का विकास सम्मिलित होता है।

▪️मानसिक विकास —  मानसिक विकास में समस्त प्रकार की मानसिक शक्तियां जैसे कल्पना शक्ति, निरीक्षण शक्ति, सोचने की शक्ति ,स्मरण, एकाग्रता  आदि से संबंधित शक्तियों का विकास सम्मिलित होता है।

▪️संवेगात्मक विकास — इसमें हम विभिन्न अंगों की उत्पत्ति उनका विकास तथा संवेगों के आधार पर संवेगात्मक व्यवहार का विकास का अध्ययन करते हैं।

▪️ सामाजिक विकास — जब बालक छोटा होता है शिशु होता है तब वह  एक असामाजिक प्राणी होता है बस आप अपने  माता-पिता को जानता है लेकिन  जैसे वह बड़ा होता है तो उसमें उचित सामाजिक गुणों का विकास होने लगता है वह समाज के मूल्यों तथा मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करना सीख जाता है सामाजिक विकास के अंतर्गत यह आता है।

▪️ संज्ञानात्मक विकास/ बौद्धिक विकास — बालक जैसे जैसे बड़ा होता है उसके संज्ञान में भी परिवर्तन होता जाता है वह अपने वातावरण से बहुत सारी चीजें सीख कर अपने संज्ञान को निर्मित करता है।

▪️अध्यात्मिक विकास

▪️ सांस्कृतिक विकास 

▪️नैतिक विकास — नैतिक भावनाओं , मूल्यों संबंधी विशेषताओं का विकास होता है।

▪️भाषा विकास — अपने विचारों की अभिव्यक्ति के लिए भाषा का जानना और उसके प्रयोग से संबंधित योग्यताओं का विकास भाषात्मक विकास में सम्मिलित होता है।

▪️चारित्रिक विकास — इसके अंतर्गत चरित्र से संबंधित विशेषताएं आती हैं।

♦️3 बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन–

 बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्व दो प्रकार के होते हैं ▪️प्रत्यक्ष तत्व एवं 

▪️अप्रत्यक्ष होते हैं 

प्रत्यक्ष जिनको हम देख सकते हैं एवं अप्रत्यक्ष में ऐसे तत्व आते हैं जो हमें दिखाई नहीं देते पर वह बालक के विकास को बहुत प्रभावित करते हैं ।

▪️अनुवांशिकता 

▪️ वातावरण

अनुवांशिकता एवं वातावरण दोनों बाल विकास को प्रभावित करते हैं जो गुण हमें अपने वंशजों से मिलते हैं उनके द्वारा ही हमारा रंग रूप होता है एवं वातावरण से हम किस प्रकार व्यवहार करना है यह सीखते हैं और इन दोनों का अंत:संबंध ही  बालक के विकास को प्रभावित करता है।

▪️ परिपक्वता 

▪️शिक्षण

♦️4 बालक की विभिन्ना समानताओं का अध्ययन–

 सामान्यतः प्रत्येक बालक दूसरे बालक से भिन्न होता है, इसके बावजूद उनमें कुछ समानताएं भी होती है उन सामानताओं के इतर जो बच्चे आसामान होते हैं किसी भी दृष्टि से उनके विकास का उनमें उनकी विभिन्न असमानताओं का अध्ययन करना भी आवश्यक है।

▪️ केवल सामान्य बालक ही नहीं

▪️असमानता /विकृति का भी अध्ययन 

▪️असंतुलित व्यवहार या 

▪️मानसिक विकार 

▪️बौद्धिक दुर्बलता 

▪️बाल अपराध  का अध्ययन

♦️5 मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन–

बाल विकास मनोवैज्ञानिक तरीकों के उपचार प्रस्तुत करता है।

♦️6 बाल व्यवहार और अंत:क्रिया का अध्ययन–

 अलग-अलग अवस्था में बालक किस प्रकार का व्यवहार करता है एवं अपने वातावरण के साथ कैसे अंत:क्रिया करता है , अपने वातावरण से कैसे समायोजन करता है, अपने बड़ों से और अपने छोटों से किस प्रकार का व्यवहार करता है इसका अध्ययन।

♦️7 बालक की रुचियों का अध्ययन

प्रत्येक बालक की अपनी अलग अलग रुचियां होती है क्योंकि उनका अपना एक अलग व्यक्तित्व होता है इसलिए बाल विकास को यह भी प्रभावित करती है तो बालक की रुचियों का अध्ययन करना भी आवश्यक होता है।

♦️8 बालक की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन–

तर्क , अधिगम , कल्पना ,चिंतन , स्मृति बालक की मानसिक प्रक्रिया है इसके द्वारा हम बच्चे क्या सोचते हैं इसका अध्ययन करते हैं वह कैसे तर्क करते हैं क्या सोचते हैं उनकी क्या स्मृति है इन सब चीजों का अध्ययन करते हैं जो कि उनके विकास  के लिए महत्वपूर्ण होता है।

♦️9 वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन — 

बालकों के व्यक्तित्व का अध्ययन करना भी आवश्यक है।

♦️10 बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन–

बालकों के वैयक्तिक  विभिन्नता का अध्ययन करने के बाद उनके व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना भी आवश्यक है जिसके माध्यम से हम यह जान पाते हैं वह बच्चा कैसे क्या सोचता है उसका व्यक्तित्व क्या है। उसने कितना सीखा।

♦️11 बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन–

इसके माध्यम से हम बालक और उसके अभिभावक के बीच में जो संबंध है उसको जान सकते हैं उसके घर के माहौल को जान सकते हैं कि उसके अभिभावक उसके साथ कैसा व्यवहार करते हैं वह व्यवहार उस पर सकारात्मक या नकारात्मक असर डालता है, माता-पिता अपने बच्चों को कितना समझते हैं वह अपने बच्चों की रुचियों आवश्यकताओं को कितना जान पाते हैं, बच्चों को आनंददायक और स्वतंत्र वातावरण प्रदान करते हैं या नहीं घर का वातावरण   कलहपूर्णतो नहीं आदि है।

🌸 धन्यवाद 🌸

  वंदना शुक्ला

🌸 बाल विकास 🌸

🌸 Child development🌸

— बाल विकास से तात्पर्य बालकों के सर्वांगीण विकास से है।

— बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की अलग-अलग शाखा बनाई गई जो गर्भ से मृत्यु तक बालक के व्यवहार का अध्ययन करता है।

— तो इसे बाल विकास में परिवर्तित किया गया क्योंकि मनोविज्ञान सिर्फ व्यवहार का अध्ययन करता है ।

— जबकि बाल विकास उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जो बालक के व्यवहार को एक निर्धारित दिशा प्रदान कर संपूर्ण विकास में मदद करता है

🔅 बाल विकास के संदर्भ में विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा दिए गए कथन

🔸 हरलॉक

 बाल मनोविज्ञान का नाम ‘बाल विकास’ इसलिए बदला गया क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है किसी एक पक्ष पर नहीं।

🔸 क्रो एंड क्रो

बाल विकास वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपरांत तक करता है।

🔸 डार्विन

बाल विकास व्यवहार का विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु उपरांत तक करता है।

🔸 हरलॉक 

बाल विकास मनोविज्ञान की वह 

शाखा है जो गर्भाधान से मृत्यु उपरांत होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करता है।

        🏵️ बाल विकास का क्षेत्र 🏵️

🏵️ Area of child development🏵️

♦️1 बाल विकास की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन–

बाल विकास को समझने के लिए हमें बालक की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन करने की आवश्यकता होती है बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएं निम्न है– ▪️गर्भावस्था 

▪️शैशवावस्था 

▪️बाल्यावस्था 

▪️किशोरावस्था

♦️2 बाल विकास के पहलुओं का अध्ययन–

इसके अंतर्गत विकास के पहलुओं का अध्ययन करते हैं। हम यह देखते हैं कि बच्चे का ▪️शारीरिक विकास 

▪️मानसिक विकास 

▪️संवेगात्मक विकास

▪️ सामाजिक विकास

▪️ संज्ञानात्मक विकास/ बौद्धिक विकास 

▪️अध्यात्मिक विकास

▪️ सांस्कृतिक विकास 

▪️नैतिक विकास 

▪️भाषा विकास एवं 

▪️चारित्रिक विकास किस प्रकार से होता है हम इसके माध्यम से बच्चों के व्यवहार को अच्छा कर सकते हैं।

♦️3 बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन–

 बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्व दो प्रकार के होते हैं ▪️प्रत्यक्ष तत्व एवं 

▪️अप्रत्यक्ष होते हैं 

प्रत्यक्ष जिनको हम देख सकते हैं एवं अप्रत्यक्ष में ऐसे तत्व आते हैं जो हमें दिखाई नहीं देते पर वह बालक के विकास को बहुत प्रभावित करते हैं ।

▪️अनुवांशिकता 

▪️ वातावरण

अनुवांशिकता एवं वातावरण दोनों बाल विकास को प्रभावित करते हैं जो गुण हमें अपने वंशजों से मिलते हैं उनके द्वारा ही हमारा रंग रूप होता है एवं वातावरण से हम किस प्रकार व्यवहार करना है यह सीखते हैं और इन दोनों का अंत:संबंध ही  बालक के विकास को प्रभावित करता है।

▪️ परिपक्वता 

▪️शिक्षण

♦️4 बालक की विभिन्ना समानताओं का अध्ययन–

 सामान्यतः प्रत्येक बालक दूसरे बालक से भिन्न होता है, इसके बावजूद उनमें कुछ समानताएं भी होती है उन मान्यताओं के इतर जो बच्चे आसमान होते हैं किसी भी दृष्टि से उनके विकास का उनमें उनकी विभिन्न असमानताओं का अध्ययन करना भी आवश्यक है

▪️ केवल सामान्य बालक ही नहीं

▪️असमानता /विकृति का भी अध्ययन 

▪️असंतुलित व्यवहार या 

▪️मानसिक विकार 

▪️बौद्धिक दुर्बलता 

▪️बाल अपराध  का अध्ययन

♦️5 मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन–

बाल विकास मनोवैज्ञानिक तरीकों के उपचार प्रस्तुत करता है।

♦️6 बाल व्यवहार और अंतक्रिया का अध्ययन–

 अलग-अलग अवस्था में बालक किस प्रकार का व्यवहार करता है एवं अपने वातावरण के साथ कैसे अंत:क्रिया करता है इसका अध्ययन।

♦️7 बालक की रुचियों का अध्ययन

प्रत्येक बालक की अपनी अलग अलग रुचियां होती है क्योंकि उनका अपना एक अलग व्यक्तित्व होता है इसलिए बाल विकास को यह भी प्रभावित करती है तो बालक की रुचियों का अध्ययन करना भी आवश्यक होता है।

♦️8 बालक की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन–

तर्क , अधिगम , कल्पना ,चिंतन , स्मृति बालक की मानसिक प्रक्रिया है इसके द्वारा हम बच्चे क्या सोचते हैं इसका अध्ययन करते हैंवह कैसे तर्क करते हैं क्या सोचते हैं उनकी क्या स्मृति है इन सब चीजों का अध्ययन करते हैं जो कि उनके विकास  के लिए महत्वपूर्ण होता है।

♦️9 वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन — 

बालकों के व्यक्तित्व का अध्ययन करना भी आवश्यक है।

♦️10 बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन–

बालकों के वैयक्तिक  विभिन्नता का अध्ययन करने के बाद उनके व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना भी आवश्यक है जिसके माध्यम से हम यह जान पाते हैं वह बच्चा कैसे क्या सोचता है उसका व्यक्तित्व क्या है। उसने कितना सीखा।

♦️11 बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन–

इसके माध्यम से हम बालक और उसके अभिभावक के बीच में जो संबंध है उसको जान सकते हैं उसके घर के माहौल को जान सकते हैं कि उसके अभिभावक उसके साथ कैसा व्यवहार करते हैं वह व्यवहार उस पर सकारात्मक या नकारात्मक असर डालता है

Notes By-Ankita Singh

बाल विकास का अर्थ

     (  Child Development)

 🏵️बाल विकास से तात्पर्य बालकों के सर्वांगीण विकास से है;

बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की  अलग शाखा बनाई गई है, जो गर्भ से मृत्यु तक बालक के व्यवहार का अध्ययन करता है

                                                       तो फिर इसलिए बाल विकास में परिवर्तन किया गया क्योंकि मनोविज्ञान से व्यवहार का अध्ययन करता है,जबकि बाल विकास उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जो बालक के व्यवहार को एक निर्धारित दिशा प्रदान कर संपूर्ण विकास में मदद करता है।

🌻हर लॉक के अनुसार÷बाल मनोविज्ञान का नाम “बाल विकास”इसलिए बदला गया क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है वरन्  किसी एक पक्ष पर नहीं।

🌻क्रो एवं क्रो के अनुसार÷बाल विकास वह विज्ञान है, जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपरांत तक करता है।

🌻डार्विन के अनुसार÷बाल विकास “व्यवहार” का वह विज्ञान है, जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु पर अंतर करता है।

🌻हरलाक के अनुसार÷बाल विकास,मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भाधान से मृत्युपरांत तक होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करता है।

       🏵️बाल विकास का क्षेत्र

(Area of child development)

🏵️बाल विकास की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन निम्नलिखित है÷

गर्भावस्था

‌‌         शैशवावस्था

बाल्यावस्था

            किशोरावस्था

🏵️बाल विकास के पहलुओं का अध्ययन निम्नलिखित है÷

🥀शारीरिक विकास÷बाल विकास के अंतर्गत बालक के शारीरिक विकास का भी अध्ययन करते हैं, जिसमें शरीर की संरचना, बनावट, आकार इत्यादि का अध्ययन करते हैं।

🥀मानसिक विकास÷बाल विकास के अंतर्गत बालक के मानसिक विकास का भी अध्ययन करते हैं जिसमें उसकी रुचियां, पसंद, कार्य करने की क्षमता,मनन, इत्यादि का विस्तृत अध्ययन करते है।

🥀संवेगात्मक विकास÷बाल विकास के अंतर्गत बालक के संवेगात्मक विकास का भी अध्ययन करते हैं जिसमें उसके सभी आवेगो का अध्ययन करते है।

🥀सामाजिक विकास÷बाल विकास के अंतर्गत बालक के सामाजिक विकास का भी अध्ययन करते है, जिसमें बालक के समाज में उसके व्यवहार (खेल -कूद या अन्य कार्यक्रमों में सहभागिता वा प्रर्दशन इत्यादि)का अध्ययन करते हैं।

🥀बालक का नैतिक विकास÷बाल विकास के अंतर्गत बालक का नैतिक विकास का अध्ययन किया जाता है, जिसके अंतर्गत नैतिकता की राह (सत्य बोलना, इमानदारी, सदाचारी आदि) का अध्ययन  करते हैं।

🥀बालक का सांस्कृतिक विकास÷बाल विकास के अंतर्गत बालक के सांस्कृतिक विकास का अध्ययन भी करते हैं, जिसके अंतर्गत बालक के सांस्कृतिक गुणों का अध्ययन करते हैं।

🥀बालक का भाषा विकास÷ बाल विकास के अंतर्गत बालक के भाषा विकास का अध्ययनन भी करते हैं, जिसके अंतर्गत उसकी बोलचाल में प्रयोग की जाने वाली भाषा का अध्ययन करते हैं।

🥀बालक का चारित्रिक विकास÷बाल विकास के अंतर्गत बालक के चारित्रिक विकास का भी अध्ययन करते हैं, जिसके अंतर्गत उसके चारित्रिक रूप का अध्ययन करते हैं।

🥀बालक का आध्यात्मिक विकास÷बाल विकास के अंतर्गत बालक के आध्यात्मिक विकास का अध्ययन करते हैं, जिसमें बालक का  सचेतना तथा स्वंय के अनुशासन से होता है।

🏵️बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन÷

🥀प्रत्यक्ष कारक÷ (वह कारक जो विकास को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करें प्रत्यक्ष कारक कहलाता है।).  

                        वा

🥀अप्रत्यक्ष कारक÷(वह कारक जो विकास को प्रत्यक्ष रूप से ना प्रवाहित करके अप्रत्यक्ष प्रभावित करता है अप्रत्यक्ष कारक कहलाता  है।)

🥀अनुवांशिकता (Heredity)÷अनुवांशिकता से गुणों का स्थानांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होता है;

मधुमेह रोग अगर पहली पीढ़ी में किसी सदस्य को है तो यह आगे भी स्थानांतरित होता रहेगा।

🥀वातावरण(Environment)÷वातावरण  से गुणों का अर्जन किया जाता है।

🏵️बालक की विभिन्न असमानताओं का अध्ययन÷

🥀जीवन विकास में होने वाली असमानताओं  वा विकृति (Problem) का भी अध्ययन किया जाता है; जो केवल सामान्य बाधक नहीं,

                  असंतुलित व्यवहार

मानसिक विकार

              बौद्धिक दुर्बलता

बाल अपराध,

         इत्यादि को ध्यान में रखकर बालकों को पढ़ाते हैं।

🏵️मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन÷

🏵️बाल विकास मनोवैज्ञानिक तरीकों के उपचार प्रस्तुत करते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य अध्ययन के द्वारा बालकों के विकारों एवं उनकी दुश्चिंता को दूर करने का अच्छा तरीका है जिससे उन्हें गलत राह या काम करने से रोक सकते हैं ।

🏵️बाल विकास अंतः क्रिया का अध्ययन÷

बालक के समुचित विकास तथा समायोजन के लिए आ सकता का अध्ययन करता है;

अलग-अलग अवस्था में अंत:क्रिया करता है वह किस प्रकार से कार्य करता है, इसका भी अध्ययन बाल विकास में इसके अंतर्गत अपने परिवेश से करता है।

🏵️बालक की रुचियों का अध्ययन

बालक की रुचि व उसकी क्षमता के अनुसार ही उसको अध्ययन कराना, ही बाल विकास के अंतर्गत की रुचिओं में आता है।

🏵️बालक की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन÷

इसके अंतर्गत अधिगम ,कल्पना, चिंतन स्मृति आदि का अध्ययन किया जाता है।

🌻वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन÷

प्रत्येक बालक की रुचियों, जरूरतों, कल्पना, क्षमताओं, बुद्धि, इत्यादि में अंतर पाया जाता है।

🌻बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन ÷

बालक के व्यक्तित्व मूल्यांकन के अंतर्गत उसके सीखे हुए ज्ञान,कौशल वा अध्ययन करते हैं जिससे यह स्पष्ट होता है बालक कितना सीख या समझ पा रहा है।

🌻बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन÷

जन्म के पश्चात बालक माता-पिता के समर्थन में रहता है, जहां उसका लालन-पालन वा भरण पोषण इत्यादि किया जाता है।

यदि बालक का माता-पिता से अच्छे संबंध नहीं है तो वह कुंठित वा असमायोजित हो जाता है;

                                               किंतु वहीं अगर संबंध अच्छे हैं तो वह अपनी समस्याओं को माता-पिता से कहते विचार-विमर्श करके ही उस समस्या का निराकरण करते है ।

🙏Written by-$hikhar pandey🙏

🏃🏃बाल विकास🏃🏃🏄🏂⛷️🤸🏋️

⛹️(Child Development)🏋️🚴🏋️🏇

🧘🚶🏃🤸🏋️⛹️🚴6 Feb 2021🏌️🏇

बाल विकास से तात्पर्य बालकों के सर्वांगीण विकास से है। बाल विकास का अध्ययन करने के लिए *विकासात्मक मनोविज्ञान* की अलग शाखा बना है, जो *गर्भ से मृत्यु* तक बालक के व्यवहार का अध्ययन करता है। 

↪️तो इसे बाल विकास में परिवर्तित किया गया है क्योंकि मनोविज्ञान सिर्फ व्यवहार का अध्ययन करता है, जबकि बाल विकास उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है, जो बालक के व्यवहार को एक निर्धारित दिशा प्रदान कर, संपूर्ण विकास में मदद करता है।

↪️बाल विकास से संबंधित कुछ मनोवैज्ञानिकों के कथन निम्नवत हैं-

🗣️हरलॉक के अनुसार, “बाल मनोविज्ञान का नाम *बाल विकास* इसलिए बदला गया क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाने लगा; किसी एक पक्ष पर नहीं।”

🗣️क्रो & क्रो के अनुसार, “बाल विकास वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन *गर्भावस्था से मृत्युपरांत* तक करता है।”

🗣️डार्विन के अनुसार, “बाल विकास *व्यवहार का विज्ञान* है जो बालक के *व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपरांत* करता है।

🗣️हरलॉक के अनुसार, “बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो *गर्भाधान से मृत्युपरांत* होने वाले *मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तन* का अध्ययन करता है।”

🥀🥀 बाल विकास का क्षेत्र

(Area of Child Development)

बालक के विकास का अध्ययन निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत किया जाता है-

1️⃣ बाल विकास के विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन-

↪️🍇 गर्भावस्था : इस अवस्था में मां के गर्भ में *भ्रूण विकास* का अध्ययन किया जाता है।

↪️🍇 शैशवावस्था : इस अवस्था में बालक के जन्म के बाद (बाल्यावस्था से पहले) की गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है।

↪️🍇 बाल्यावस्था : इस अवस्था में ऐसे बालकों (6 से 12 वर्ष के बालक) का अध्ययन किया जाता है जो शैशवावस्था के गुणों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ चुका होता है। इस अवस्था को बालक के विकास का अनोखा काल कहा जाता है।

↪️🍇 किशोरावस्था : इसमें 12 वर्ष से 18 वर्ष के बालकों के विकास का अध्ययन किया जाता है।

2️⃣ बाल विकास के पहलुओं का अध्ययन-

🍏 शारीरिक विकास : इसके अध्ययन से बालकों के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक भोज्य पदार्थों और शरीर की विकृतियों से बचाव के लिए उपचारों का अध्ययन किया जाता है।

🍏 मानसिक विकास : इसमें बालक के मानसिक विकास के लिए आवश्यक तत्व एवं उसकी कमी से होने वाले विकृति का लक्षण, पहचान एवं उपचार का अध्ययन किया जाता है।

🍏 संवेगात्मक विकास : इसके अंतर्गत बालक के भावना, संवेग, इच्छा, आकांक्षा इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।

🍏 सामाजिक विकास : इसके अंतर्गत बालक के सामाजिक वातावरण एवं स्थिति का अध्ययन किया जाता है जिससे बालक को उचित सामाजिक गुणों को विकसित किया जा सके।

🍏संज्ञानात्मक विकास : इसके अंतर्गत बालक के ज्ञान को विकसित किया जाता है। इसे बौद्धिक विकास भी कहते हैं।

🍏आध्यात्मिक विकास : इसके अंतर्गत बालक में अपने कार्य के प्रति श्रद्धा की भावना को विकसित करने के लिए किया जाता है।

🍏सांस्कृतिक विकास : इसके अंतर्गत बालक में सांस्कृतिक गुणों को विकसित करने के लिए उपागम का अध्ययन किया जाता है।

🍏नैतिक विकास : इसके अंतर्गत बालक में समाज के, देश के तथा परिवार के प्रति नैतिक मूल्यों (सम्मान, आदर्श) को विकसित करने के लिए उपागम का अध्ययन किया जाता है।

🍏भाषा विकास : इसके अंतर्गत बालक को केवल बोलना सिखा कर, कब, कितना और किस भाषा का किस तरीके से प्रयोग करना है इत्यादि गुणों का विकास किया जाता है।

🍏चारित्रिक विकास : इसके अंतर्गत बालक के चरित्र निर्माण के उपागम का अध्ययन किया जाता है।

3️⃣ बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन-

⛎प्रत्यक्ष : जो चीजें हमें सीधे प्रभावित करती है उसे हम प्रत्यक्ष कहते हैं। जैसे- वातावरण (Environment) 

⛎अप्रत्यक्ष : जिससे हम प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं होते हैं। जैसे – आनुवांशिकता

इन सब के अतिरिक्त परिपक्वता तथा शिक्षण का भी प्रभाव पड़ता है।

4️⃣ बाल विकास की विभिन्न असमानता ओं का अध्ययन-

🍇 केवल सामान्य बालक नहीं

🍇 असमानता/विकृति

🍇 असंतुलित व्यवहार

🍇 मानसिक विकार

🍇 बौद्धिक दुर्बलता

🍇 बाल अपराध

5️⃣ मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन

बाल विकास मनोवैज्ञानिक तरीके से उपचार प्रस्तुत करता है।

6️⃣ बाल व्यवहार और अंतः क्रिया का अध्ययन : बालक किसी वस्तु या विषय वस्तु के प्रति कितना सक्रिय है अथवा उसका रवैया कैसा है इत्यादि का अध्ययन कर उचित समाधान किया जाता है।

7️⃣ बालक की रुचियों का अध्ययन : बालक किस विषय वस्तु को सीखने में अधिक समय दे रहा है अथवा इस कार्य को करने में उसका मन लग रहा है इसका पता लगाकर बालक को सही दिशा में मार्गदर्शन किया जाता है।

8️⃣ बालक की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन-

⛎ तर्क(Reasoning) : इसमें बालक के तर्क करने की क्षमता का अध्ययन किया जाता है।

⛎अधिगम(Learning) : बालक किसी विषय वस्तु को कितना सीखा/कितना समझा है आदि का अध्ययन किया जाता है।

⛎कल्पना(Imagination) : इसमें बालक के कल्पना के सकारात्मक और नकारात्मक पक्षों का अध्ययन किया जाता है।

⛎चिंतन(Thinking) : चिंतन से बालक के किसी वस्तु को विश्लेषण करने की क्षमता का विकास होता है।

⛎स्मृति(Memory) : स्मृति, बालक के द्वारा पूर्व में सीखे गए ज्ञान का उचित समय व स्थान पर प्रयोग करने की क्षमता है।

9️⃣ वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन-प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में अद्वितीय होता है। प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग क्षमताएं, इच्छाएं, योग्यताएं, रुचियां होती हैं। अतः इन सभी विभिन्न नेताओं की समझ को विकसित किया जाता है।

🔟 बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन – किसी बालक का व्यवहार कैसा है, मित्रों  से संबंध कैसे हैं, भाषा का प्रयोग कैसा है, बालक की प्रकृति (अंतर्मुखी/बहिर्मुखी) कैसी है इत्यादि का अध्ययन कर व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है।

1️⃣1️⃣ बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन – इसके अंतर्गत बालक के अभिभावक के साथ बालक-अभिभावक संबंध, व्यवहार एवं पारिवारिक स्थिति का आकलन कर बालक को उचित परिवेश उपलब्ध कराये जाने के उपागम का अध्ययन किया जाता है।✒️

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📝📝Notes by Awadhesh Kumar 🙏

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बाल – विकास /  Child – Development 

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बाल  –  विकास से तात्पर्य बालकों के सर्वांगीण विकास से है।

बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की एक अलग शाखा बनाई गई जो गर्भ से मृत्यु तक बालक के व्यवहार का अध्ययन करती है। 

अतः विकासात्मक मनोविज्ञान को  ” बाल – विकास ”  में परिवर्तित किया गया है  क्योंकि , …

मनोविज्ञान सिर्फ व्यवहार का अध्ययन करता है जबकि बाल – विकास उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जो बालक के व्यवहार को एक निर्धारित दिशा प्रदान कर संपूर्ण विकास में मदद करता है।

 बाल विकास के संदर्भ में विभिन्न  मनोवैज्ञानिकों ने निम्नलिखित कथन दिए हैं    –

🌹  हरलॉक के अनुसार   : –

” बाल मनोविज्ञान ”  का नाम  बदलकर  ” बाल – विकास ”  इसलिए किया गया क्योंकि अब बालक के किसी एक पक्ष पर नहीं बल्कि ” बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। “

🌹   क्रो & क्रो   के अनुसार   :-

बाल विकास वह विज्ञान है जो , बालक के व्यवहार का अध्ययन ” गर्भावस्था से मृत्युपरांत तक करता है।

 🌹  डार्विन  के अनुसार   :-

बाल विकास ” व्यवहार  का विज्ञान ” है जो ,  बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपरांत तक करता है।

 🌹  हरलॉक   के अनुसार   :-

बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भाधान से मृत्युपरांत होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करती है।

🌻 बाल – विकास का क्षेत्र  🌻

बाल विकास के क्षेत्र का निम्नलिखित प्रकार से अध्ययन किया जाता है   –

🏵️  1.  बाल विकास की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन :-

गर्भावस्था

शैशवावस्था

बाल्यावस्था

किशोरावस्था

अतः बालविकास में उपर्युक्त सभी अवस्थाओं का व्यापक रूप से अध्ययन किया जाता है।

🏵️  2.  बाल विकास के पहलुओं का अध्ययन  :-

शारीरिक विकास

मानसिक विकास

संवेगात्मक विकास

सामाजिक विकास

संज्ञानात्मक विकास

आध्यात्मिक विकास

सांस्कृतिक विकास

नैतिक विकास

भाषाई विकास

चारित्रिक विकास

बालविकास में इन सभी महत्वपूर्ण पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।

🏵️   3.  बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन   :-

वंशानुगत

वातावरण

परिपक्वता 

शिक्षण

ये सभी तथ्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बालकों को प्रभावित करते हैं।

अतः ये नहीं कहा जा सकता है कि बच्चों के सम्पूर्ण विकास में केवल एक ही प्रकार से विकास होता है बल्कि उपर्युक्त सभी तथ्यों का अपना-अपना महत्व होता है।

अतः बाल विकास के इन सभी तथ्यों से मनुष्य के    “व्यक्तित्व ”  का निर्माण होता है। 

🏵️   4.   बालकों की विभिन्न असमानताओं का अध्ययन   :-

केवल सामान्य बालक ही नहीं बल्कि

असमानता / विकृति

असंतुलित व्यवहार

मानसिक विकार

बौद्धिक दुर्बलता

बाल अपराध

आदि विभिन्न प्रकार के बालकों की असमानताओं का अध्ययन भी बालविकास में करते हैं।

🏵️   5.  मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन   :-

बाल विकास , मनोवैज्ञानिक तरीकों से उपचार प्रस्तुत करता है।

अर्थात्  बालविकास में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का मनोवैज्ञानिक तौर पर उपचार / अध्ययन किया जाता है।

🏵️   6.   बाल व्यवहार और अंतः क्रिया का अध्ययन  :-

अलग-अलग अवस्था में अपने परिवेश से अंतः क्रिया का अध्ययन करना।

अर्थात्  बच्चे अपनी अवस्था/ उम्र के अनुसार अपने परिवेश में विभिन्न प्रकार की अन्तःक्रियाएँ करते हैं जिसका अध्ययन भी बालविकास के अंतर्गत किया जाता है।

🏵️   7.   बालक की रूचिओं का अध्ययन   :-

बालविकास में बालकों की रुचि , पसन्द / नापसंद का भी अध्ययन किया जाता है।

 🏵️   8.  बालक की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन  :-

तर्क

अधिगम 

कल्पना 

चिंतन 

स्मृति 

आदि सभी मानसिक  प्रक्रियाओं का अध्ययन भी   बालविकास के अंतर्गत करते हैं।

🏵️  9.   वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन   :-

अर्थात् बालविकास में प्रत्येक बच्चे की वैयक्तिक विभिन्नता के आधार पर ही बच्चों की विभिन्नताओं का अध्ययन करते हैं।

🏵️  10.   बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन   :-

अर्थात् हम जानते हैं कि प्रत्येक मनुष्य (बालक) भिन्न- भिन्न होते हैं तो सभी के व्यक्तित्व में भी भिन्नता पायी जाती है जिसका अध्ययन भी बालविकास के अंतर्गत करते हैं।

🏵️  11.   बालक  – अभिभावक संबंधों का अध्ययन  :-

बालविकास के अंतर्गत ही प्रत्येक बच्चों का उनके अभिभावकों के साथ संबंधों का अध्ययन करते हैं।

🌹 Notes by –  जूही श्रीवास्तव 🌹

💫 बाल विकास का अर्थ💫

(Child development)

🌸 बाल विकास से बात पर बालकों के सर्वांगीण विकास से है बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की अलग शाखा बनाई गई है

🌸 परंतु वर्तमान में इसे ‘बाल विकास ‘(child development)में परिवर्तित कर दिया गया क्योंकि बाल मनोविज्ञान में केवल बालकों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है जबकि बाल विकास के अंतर्गत उन सभी तत्वों का अध्ययन किया जाता है जो बालक के व्यवहारों को एक निश्चित दिशा प्रदान कर विकास में सहायता प्रदान करते हैं।

🤵🏻‍♂हरलॉक के अनुसार➖ बाल मनोविज्ञान का नाम’ बाल विकास इसलिए बदल दिया गया, क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, किसी एक पक्ष पर नहीं”।

🤵🏻‍♂क्रो एंड क्रो के अनुसार➖

“बाल विकास वह विज्ञान है जो व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु पर्यंत तक करता है”।

🤵🏻‍♂डार्विन के अनुसार➖”बाल विकास व्यवहारों का वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु पर्यंत तक करता है”।

🤵🏻‍♂हरलॉक के अनुसार➖”बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भावस्था से लेकर मृत्यु पर्यंत तक होने मनुष्य की विभिन्न अवस्थाओं में परिवर्तन वाले परिवर्तनों का अध्ययन करता है”।

💫 बाल विकास का क्षेत्र💫

(Scopes of child development)

🌸 बाल विकास की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन (study of various stages of development)

प्राणी के जीवन प्रसार में अनेक अवस्थाएं होती हैं जैसे➖

गर्भ कालीन अवस्था, शैशवास्था, बचपनावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था।

🌸 बाल विकास के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन (study of various aspects of child development)

इसके अंतर्गत विकास के विभिन्न पहलुओं जैसे➖ शारीरिक विकास,मानसिक विकास , संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास, क्रियात्मक विकास, भाषा विकास ,नैतिक विकास, चारित्रिक विकास और व्यक्तित्व विकास सभी का विस्तार पूर्वक अध्ययन किया जाता है।

🌺 बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन➖

👉🏼प्रत्यक्ष कारक-वह कारक जो विकास को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर प्रत्यक्ष कारक कहलाता है

👉🏼 अप्रत्यक्ष कारक➖वह कारक है जो अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है उसे अप्रत्यक्ष कारक कहते हैं।

👉🏼 अनुवांशिक और वातावरण➖ अनुवांशिकता के गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होते रहते हैं। जबकि वातावरण  से गुणों का आयोजन किया जाता है।

🌸 बालक की विभिन्न असामान्यताओं  का अध्ययन (study of various abnormalities of child)➖बाल विकास के अंतर्गत केवल सामान्य बालकों के विकास का ही नहीं अध्यन किया जाता बल्कि बालकों के जीवन विकास क्रम में होने वाले असमानता ओं और विकृतियों का भी अध्ययन किया जाता है

बाल विकास, असंतुलित व्यवहारों,मानसिक विकारों बौद्धिक दुर्बलताओं तथा बाल अपराधों के कारण को जानने का प्रयास करता है और निराकरण हेतु उपाय भी बताता है।

🌺 मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन(study of mental health)

बाल विकास केवल मानसिक दुर्बलता और रोगों का ही अध्ययन नहीं करता बल्कि विभिन्न मनोवैज्ञानिक तरीकों से उनके उपचार भी प्रस्तुत करता हैं।

🌸 बाल व्यवहार और अंत: क्रिया का अध्ययन ➖ बालक के समुचित विकास तथा समायोजन के लिए अध्ययन करता है

अलग-अलग अवस्थाओं में अंतः क्रिया करता है

🌺 बालक की रूचियों का अध्ययन➖बाल विकास बालकों की सूचियों का अध्ययन कर उन्हें शैक्षणिक और व्यवसायिक निर्देशन प्रदान करता है

रुचियां एक अर्जित व्यवहार है जो जन्मजात नहीं होती है बल्कि सीखी जाती है

🌺 बालकों की विभिन्न मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन➖ इसके अंतर्गत अधिगम ,कल्पना ,चिंतन, स्मृति आदि का अध्ययन किया जाता है।

🌸 व्यक्तिक भिन्नता ओं का अध्ययन➖सभी आयु स्तर पर विकास का एक निश्चित प्रतिरूप होता है लेकिन फिर भी प्रत्येक क्षेत्र में सभी बालकों का विकास सामान नहीं होता है।

सारी विकास में कुछ बालक अधिक लंबे, कुछ नाटे तथा कुछ सामान्य लंबाई के होते हैं।

बाल विकास व्यक्तिक भिन्नता ओं का अध्ययन कर उन कारणों को जानने का प्रयास करता है जिससे सामान्य विकास प्रभावित होता है।

🌺 बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन➖बाल विकास के अंतर्गत बालकों के विभिन्न शारीरिक और मानसिक योग्यताओं का मापन एवं मूल्यांकन किया जाता है।

योग्यताओं के मूल्यांकन के लिए बाल विकास के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिकों द्वारा नीति नए वैज्ञानिक परीक्षणों का निर्माण किया जाता है

यह परीक्षण विभिन्न आयु स्तरों पर बालकों की योग्यताओं का मापन पर उनके व्यक्तित्व का मूल्यांकन करता है।

🌺 बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन➖ जन्म के पश्चात बालक माता पिता के संरक्षण प्रधान होता है यदि बालक का माता-पिता से संबंध अच्छा नहीं होता तो वह कुंठित या असामाजिक व्यवहार करता है 

अगर संबंध अच्छा है तो वह अपनी समस्याओं को माता-पिता से कहता विचार-विमर्श करके ही उस समस्या का निराकरण करता है।

✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma

📚📚✍🏻

*बाल विकास का अर्थ*

बाल विकास से तात्पर्य बालकों के *सर्वांगीण विकास* से है।

बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की शाखा बनाई गई जो गर्भ से मृत्यु तक बालक के *व्यवहार का अध्ययन* करता है।

तो इसे बाल विकास में परिवर्तित किया गया क्योंकि मनोविज्ञान *सिर्फ व्यवहार का अध्ययन* करता है

 जबकि बाल विकास उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जो बालक के *व्यवहार को निर्धारित दिशा प्रदान कर संपूर्ण विकास में मदद करता है*

हरलाॅक के अनुसार

 बाल मनोविज्ञान का नाम ‘बाल विकास’ इसलिए बदला गया क्योंकि *अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है ,किसी एक पक्ष पर नहीं।*

क्रो एंड क्रो के अनुसार 

बाल विकास वह विज्ञान है जो बालक के *व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु उपरांत* तक करता है।

डार्विन के अनुसार 

बाल विकास *व्यवहार का विज्ञान* है जो बालक के *व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु उपरांत* तक करता है।

हरलाॅक के अनुसार

बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भाधान से मृत्यु उपरांत *होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन* करता है।

*बाल विकास का क्षेत्र*-

बाल विकास के विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन-

बाल विकास में बालक की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन किया जाता है जैसे गर्भावस्था, शैशवास्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था

बाल विकास के पहलुओं का अध्ययन-

बाल विकास में बालक के विकास के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है

 शारीरिक विकास ,मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास ,संज्ञानात्मक विकास, आध्यात्मिक विकास, सांस्कृतिक विकास, नैतिक विकास, भाषा विकास, चारित्रिक विकास

बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन-

बाल विकास में उन तत्वों का अध्ययन किया जाता है जो बालक के विकास को *प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष* रूप से प्रभावित करते हैं । इसमें अनुवांशिकता और पर्यावरण तथा परिपक्वता और शिक्षण का अध्ययन किया जाता है।

जो बालक के व्यक्तित्व‌ को भी प्रभावित करते हैं।

बालक की विभिन्न असमानताओं का अध्ययन-

बाल विकास में *केवल सामान्य बालक का ही अध्ययन नहीं* किया जाता है बल्कि *असमानता और विकृति से ग्रस्त और असंतुलित व्यवहार वाले बालक, मानसिक  विकार, बौद्धिक दुर्बलता, बाल अपराध* आदि का अध्ययन किया जाता है

मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन-

बाल विकास  मनोवैज्ञानिक तरीकों के उपचार प्रस्तुत करता है

बाल व्यवहार और अंतः क्रिया का अध्ययन-

बाल विकास में बालक की विभिन्न अवस्थाओं में बालक के व्यवहार और अंतः क्रिया का अध्ययन किया जाता है

बालक की रुचियों का अध्ययन-

बाल विकास में बालक की रूचियों का अध्ययन किया जाता है

बालक की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन-

बाल विकास में बालक की *तर्क, अधिगम, कल्पना, चिंतन, स्मृति* आदि का अध्ययन किया जाता है

वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन-

प्रत्येक बच्चा अपने आप में यूनिक होता है अतः बाल विकास में बालको की वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है

बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन-

बाल विकास में बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है

बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन-

बालक अपना अधिकांश समय अपने माता -पिता के साथ व्यतीत करता है इसलिए बाल विकास में बालक और अभिभावक के बीच के संबंधों का अध्ययन किया जाता है

Notes by Ravi kushwah

👩‍👦‍👦 बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र 👨‍👦‍👦

♦️ बचपन संपूर्ण मानव जीवन का अत्यंत ही महत्वपूर्ण अवस्था है।

♦️ एक बच्चे के विकास की शानदार आधारशिला बनाने का समय है।

♦️ जीवन की प्रारंभिक अवस्था सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है।

               बाल विकास

                 ↙️  ↘️

🔅बाल मनोविज्ञान 🔅विकासात्मक मनोविज्ञान

🟣 बाल मनोविज्ञान➖

                   बाल ➕ मनोविज्ञान

🔅बाल ➖

 वह प्राणी जो अभी प्रोढ़ नहीं हुआ है।

     ( गर्भावस्था से किशोरावस्था)

🔅 मनोविज्ञान➖

▪️ मन का विज्ञान

▪️ आत्मा का विज्ञान

▪️ चेतना का विज्ञान

▪️ व्यवहार का विज्ञान

🔸 फ्राइड के अनुसार ➖

 प्राणी चार- पांच साल की उम्र में जो बनना होता है बन जाता है।

🔸 क्रो एंड क्रो के अनुसार➖

 बाल मनोविज्ञान, वह वैज्ञानिक अध्ययन है जो व्यक्ति के विकास का अध्ययन गर्वकाल की प्रारंभिक अवस्था से किशोरावस्था तक करता है।

 🔸 जेम्स ड्रेवर के अनुसार ➖

 बाल मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो प्राणी का अध्ययन जन्म से परिपक्वता तक करते हैं।

    🟣 विकासात्मक मनोविज्ञान 🟣

🔅 इसका क्षेत्र विस्तृत और व्यापक है।

🔅 यह गर्व से लेकर जीवन पर्यंत विकास का अध्ययन करता है।

🔅 रचनात्मक परिवर्तन ही परिपक्वता लाती है।

♦️ बाल मनोविज्ञान और विकासात्मक मनोविज्ञान में अंतर

🔸 क्षेत्र में अंतर ➖

 बाल मनोविज्ञान का क्षेत्र गर्व से लेकर 18 वर्ष तक और विकासात्मक मनोविज्ञान का क्षेत्र गर्व से जीवन पर्यंत तक रहता है।

🔸 उद्देश्य में अंतर ➖

 बाल मनोविज्ञान में बालक के मन और व्यवहार का अध्ययन किया जाता है और विकासात्मक मनोविज्ञान में बच्चे के भूत और भविष्य वर्तमान को जोड़ा जाता है।

🔸 दृष्टिकोण में अंतर ➖

 बाल मनोविज्ञान  में, क्षमता जो बड़ों से अलग है का अध्ययन किया जाता है और विकासात्मक मनोविज्ञान में, क्षमता विकास और मच्योरिटी कैसे पाएं का अध्ययन किया जाता है।

 👨‍👦‍👦 बाल विकास 👩‍👦‍👦

🔅 अर्थ➖

 ➖बाल विकास  का तात्पर्य, बालकों के सर्वांगीण विकास से है, बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की अलग शाखा बनाई गई। जो गर्व से मृत्यु तक बालक के व्यवहार का अध्ययन करता है।

➖ परंतु वर्तमान में इसे बाल विकास में परिवर्तित किया गया क्योंकि मनोविज्ञान व्यवहार का अध्ययन करता है जबकि बाल विकास उन सभी तत्वों का अध्ययन करता है जो बालक के व्यवहार को एक निर्धारित दिशा प्रदान कर संपूर्ण विकास में मदद करता है।

♦️ क्रो एंड क्रो के अनुसार ➖

 बाल विकास व विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपरांत  तक करता है।

♦️ हरलॉक  के अनुसार ➖

 बाल मनोविज्ञान का नाम ” बाल विकास” इसलिए बदला गया क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है किसी एक पक्ष पर नहीं।

♦️ डार्विन के अनुसार➖

 बाल विकास, व्यवहार का विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपरांत करता है।

👨‍👦‍👦 बाल विकास का क्षेत्र ( Area of Child Development)👩‍👦‍👦

♦️ बाल विज्ञान के विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन ➖

🔅 गर्भावस्था

🔅 शैशवावस्था

🔅 बाल्यावस्था

🔅 किशोरावस्था

👨‍👦 बाल विकास के पहलुओं का अध्ययन ➖

🔅 शारीरिक विकास।

🔅 मानसिक विकास।

🔅 संवेगात्मक विकास।

🔅 सामाजिक विकास।

🔅 संज्ञानात्मक विकास।

🔅 आध्यात्मिक विकास ।

🔅 सांस्कृतिक विकास।

🔅 नैतिक विकास।

🔅 भाषा विकास।

🔅 चारित्रिक विकास।

👨‍👦‍👦 बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन ➖

🔅 प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तत्व।

🔅 अनुवांशिकता एवं वातावरण।

🔅 परिपक्वता।

🔅 शिक्षण ।

🔅 बालक का व्यक्तित्व।

♦️ बालक की विभिन्न असमानताओं का अध्ययन➖

🔅 केवल सामान्य बालक नहीं विशिष्ट  बालकों का अध्ययन।

🔅 असमानता और विकृति वाले बालक।

🔅 असंतुलित व्यवहार वाले बालक।

🔅 मानसिक विकास से अवरुद्ध बालक।

🔅 बौद्धिक दुर्बलता वाले बालक

🔅 बाल अपराध करने वाले बालक।

♦️ मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन ➖

 बाल विकास,मनोवैज्ञानिक तरीके के उपचार प्रस्तुत करता है।

♦️ बाल व्यवहार और अंतः क्रिया  का ध्यान ➖

 बालकों की अलग-अलग अवस्था में उनके व्यवहार और अंतःक्रिया का अध्ययन किया जाता है।

♦️ बालकों की रुचियों  का अध्ययन।

♦️ बालक की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन ➖

 बालक के तर्क,अधिगम, कल्पना, चिंता, स्मृति आदि का अध्ययन किया जाता है।

♦️ व्यक्तिक विभिन्नता का अध्ययन ➖

 हर बालक अपने में, अलग होता है, उनके अंदर पाए जाने वाले विभिन्न विशिष्ट योग्यताओं का अध्ययन किया जाता है।

♦️ बालक के व्यक्तित्व का मूल्यांकन।

♦️ बालक- अभिभावक संबंधों का अध्ययन➖

 बालक के विकास में उसके अभिभावक की भूमिका अहम् होती है, अगर किसी परिवार की  पारिवारिक वातावरण सही नहीं है तो ये बालक के विकास को अवरुद्ध करती है। जिससे बालक के मन में, कुंठा पैदा करती है।

Notes By➖”Akanksha”

👨‍👦‍👦📚👩‍👦‍👦🤟🤗🙏

💐 बाल विकास💐

बाल विकास में बच्चों को   कैसे पढ़ाना है।

बाल विकास से बचपन में संपूर्ण मानव जीवन का अत्यंत ही महत्वपूर्ण अवस्था है यह एक बच्चे के विकास की शानदार आधारशिला बनाने का साथ है।

🌻 फ्रायड के अनुसार— प्राणी चार-पांच साल की उम्र में जो कुछ है बनना होता है बन जाता है।

अर्थात  जीवन की प्रारंभिक अवस्था सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है।

🌻 बाल विकास

 बाल मनोविज्ञान= बाल +मनोविज्ञान  

1. बाल मनोविज्ञान— बाल मनोविज्ञान में वह प्राणी जो अभी प्रौढ नहीं हुआ है गर्भावस्था से किशोरावस्था तक की अवस्था होती है।

2. विकासात्मक मनोविज्ञान— विकासात्मक मनोविज्ञान में मन का विज्ञान, आत्मा का विज्ञान, चेतना का विज्ञान, व्यवहार का विज्ञान यह सभी आते हैं।

🌻क्रो और क्रो के अनुसार —

बाल मनोविज्ञान वह वैज्ञानिक अध्ययन है जो व्यक्ति के विकास का अध्ययन गर्भ काल की प्रारंभिक अवस्था से किशोरावस्था तक करता है।

🌻 जेम्स ड्राइवर के अनुसार— बाल मनोविज्ञान की वह शाखा है जो प्राणी के विकास का अध्ययन से परिपक्वता तक करते हैं।

🌻 विकासात्मक मनोविज्ञान

1. विकासात्मक मनोविज्ञान विस्तृत और व्यापक होता है।

2. गर्व से जीवन प्रयत्न विकास का अध्ययन करता है।

3. रचनात्मक परिवर्तन ही परिपक्वता लाती है।

🌻 बाल मनोविज्ञान और विकासात्मक मनोविज्ञान में अंतर

1. क्षेत्र में अंतर— बाल  मनोविज्ञान में बालक का विकास से गर्भ से लेकर 18 वर्ष तक होता है अर्थात विकासात्मक मनोविज्ञान में विकास  गर्भावस्था से जीवन पर्यटन तक होती है ।

2. उद्देश्य में अंतर— बाल मनोविज्ञान बालक के मन और व्यवहार को समझना है जो की विकासात्मक मनोविज्ञान में बच्चे के भूत और भविष्य वर्तमान को जोड़ता है।

3. दृष्टिकोण में अंतर— बाल मनोविज्ञान में बालक की क्षमता को जाना जाता है जो बड़ों से अलग है जबकि विकासात्मक मनोविज्ञान में उच्च क्षमता के विकास पर बात करता है जिसके आधार पर आज का बालक कल परिपक्व होता है।

🌻 बाल विकास का अर्थ(child  Development) —

बाल विकास से तात्पर्य बालकों के सर्वागीण विकास से है ।

बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की अलग शाखा बनाई गई है।

 जो गर्भ से मृत्यु तक बालक के व्यवहार का अध्ययन करता है तो इसे बाल विकास में परिवर्तित किया गया क्योंकि मनोविज्ञान सिर्फ व्यवहार का अध्ययन करता है जबकि बाल विकास उन सभी तथ्यों को अध्ययन करता है जो बालक के व्यवहार को एक निर्धारित दिशा प्रदान कर संपूर्ण विकास में मदद करती है।

🌻 हरलॉक के अनुसार—

बाल मनोविज्ञान का नाम बाल विकास इसलिए बदला गया क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है किसी एक पक्ष पर नहीं।

🌻क्रो और क्रो के अनुसार —

बाल विकास व मनोविज्ञान वह है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु परांत तक करता है।

🌻 हरलाक के अनुसार—

बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भधारण से मृत्यु परांत होने वाले मनुष्य की विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करता है।

🌻 बाल विकास का क्षेत्र—

बाल विकास के विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन—

ःबाल विकास में बालक की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन किया जाता है जैसे गर्भावस्था, शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था

ः बाल विकास के पहलुओं का अध्ययन— बाल विकास में बालक के विकास के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है शारीरिक विकास ,मानसिक विकास, संवेगात्मकता विकास ,अध्यात्मिक विकास, सामाजिक विकास, नैतिक विकास ,संज्ञानात्मक विकास ,शारीरिक विकास ,चारित्रिक विकास, भाषा विकास।

ः बाल विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का अध्ययन—

बाल विकास में उन तत्वों का अध्ययन किया जाता है जो बालको के प्रत्यक्ष  और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं इनमें अनुवांशिकता और पर्यावरण तथा परिपक्वता और शिक्षण का अध्ययन किया जाता है जो बालक के व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं।

ः बालक की विभिन्न असमनताओं का अध्ययन—

बालक विकास में केवल सामान्य बालक का अध्ययन नहीं किया जाता है बल्कि असमानता विकृति से ग्रस्त और संतुलित व्यवहार वाले बालक मानसिक विकार,  बौद्धिक दुबंलता, बाल अपराध आदि का अध्ययन किया जाता है।

ः मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन—

 मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन में बालक विकास मनोविज्ञानी के तरीकों के उपचार प्रस्तुत करता है।

ः  बाल व्यवहार और अंतः क्रिया का अध्ययन—

बाल विकास में बालक की विभिन्न अवस्थाओं में बालक के व्यवहार औरअंतः क्रिया का अध्ययन किया जाता है।

ः   बालक की सूचियों का अध्ययन — बाल विकास में बालक की रुचि ओ का अध्ययन किया जाता है।

ः  बाला की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन— बाल विकास में बालक की तर्क अधिगम, कल्पना, चिंतन ,स्मृति आदि का अध्ययन किया जाता है। 

ः व्यक्तित्व विभिनता का अध्ययन—

प्रत्येक बच्चे का व्यक्तित्व अलग अलग होता है हर एक बच्चे का व्यक्तित्व उनका अलग होता है अतः बाल विकास में बालक को व्यथित विविधताओं का अध्ययन किया जाता है।

ः  बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन— बाल विकास में बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है।

ः।  बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन — बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन में बालक के अपना अधिकांश समय अपने माता-पिता अपने परिवार के साथ व्यतीत करता है इसलिए बाल विकास में बालक और अभिभावक के बीच संबंधों का अध्ययन बहुत ही महत्वपूर्ण है।

Notes  By:-Neha Roy

🔆 बाल विकास (Child Development)➖

बाल विकास से तात्पर्य बच्चे के सर्वागीण विकास से है ।

बाल विकास का अध्ययन करने के लिए विकासात्मक मनोविज्ञान की एक अलग शाखा बनाई गई है जिसमें हम गर्भ  से मृत्यु तक बालक के व्यवहार का अध्ययन कर सकते है।

बाल विकास – सभी तत्वों का अध्ययन करता है जो बालक के व्यवहार को एक निर्धारित दिशा प्रदान कर संपूर्ण विकास में मदद करता है।

विकासात्मक मनोविज्ञान – जिसमें केवल बालक के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।

इसीलिए विकासात्मक मनोविज्ञान को बाल विकास में परिवर्तित किया गया।

बाल विकास के संदर्भ में कुछ मनोवैज्ञानिक कथन –

🔹हरलॉक के अनुसार –  बाल मनोविज्ञान का नाम बाल विकास इसीलिए बदला गया क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है ना कि किसी एक पक्ष पर ।

🔹क्रो एंड क्रो के अनुसार – बाल विकास वह विज्ञान है जिसमें बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु उपरांत तक किया जाता है।

🔹डार्विन के अनुसार – बाल विकास व्यवहार का विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन करता है।

🔹 हरलॉक के अनुसार –  बाल मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भाधान से मृत्यु उपरांत होने वाले मनुष्य की विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करता है।

🔅  बाल विकास का क्षेत्र (Area of Child Development)-

किसी भी कार्य या गतिविधि को करने का अपना एक क्षेत्र या एरिया होता है।

 कुछ ऐसी चीजें जो बाल विकास के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं या ऐसी कौन-कौन सी चीजें हैं जिसका अध्ययन हम बाल विकास के अंदर करते हैं ।

जो निम्न है 

▪️ बाल विकास की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन – बालक के विकास में कई अवस्थाएं आती हैं जैसे

गर्भावस्था

शैशवावस्था

बाल्यावस्था

किशोरावस्था

इन सभी अवस्थाओं के अध्ययन से हम बालक की क्षमता तथ्यों और उस में होने वाले परिवर्तनों या परिस्थितियों को जानते वह समझते या उनका अध्ययन करते हैं।

▪️ बाल विकास की विभिन्न पहलुओं का अध्ययन – बालकों के निम्न पहलू जैसे  बालक के शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, नैतिक विकास ,सामाजिक विकास, सांस्कृतिक विकास ,भाषा विकास, चारित्रिक विकास आदि का अध्ययन करते हैं।

▪️ बाल विकास को प्रभावित करने वाले कई कारको का अध्ययन – 

कई ऐसे कारक हैं जो बालक को प्रत्यक्ष (जो हमारे सामने है) और अप्रत्यक्ष ( जो हमारे सामने नहीं है ) 

रूप से  प्रभावित करते है ।

 बालक के विकास पर वंशानुक्रम और वातावरण का प्रभाव पड़ता है ।

वंशानुक्रम और वातावरण से मिलकर जो परिपक्वता आती है। तथा जो शिक्षण होता है वह भी बालक के विकास को प्रभावित करता है।

बाल विकास के विकास में यह सभी प्रक्रिया या इन सभी प्रक्रियाओं का मिश्रण ही बालक के व्यक्तित्व का निर्माण करता है।

व्यक्ति के व्यक्तित्व में वातावरण का और अनुवांशिक का कितना कितना योगदान है इसे मापा या बताया या व्यक्त नहीं किया जा सकता ।

▪️ बालक की विभिन्न और असमानताओ का अध्ययन – 

बाल विकास के अंतर्गत केवल सामान्य बालक के विकास का अध्ययन ही नहीं किया जाता बल्कि इसके साथ-साथ बालक की जीवन विकास क्रम में होने वाली असमानता ओं या विकृति या असंतुलित व्यवहार या बौद्धिक दुर्बलता इन सभी को ध्यान में रखकर अध्ययन किया जाता है ।

प्रत्येक बच्चे एक जैसा नहीं होता सब की अलग अलग क्षमता ,अलग-अलग सीखने की गति ,अलग-अलग व्यवहार, किसी भी कार्य को करने का अलग अलग तरीका या ढंग होता है यही विभिन्नता या  असमानता जो हर एक व्यक्ति में होती है , इसी विभिन्नता या असमानता को ध्यान में रखकर ही शिक्षण कार्य ऐसा किया जाए जिसमें प्रत्येक बच्चे की आवश्यकता या जरूरत या उसकी जरूरत के अनुरूप अर्थात प्रत्येक बच्चे की विभिन्नता को ध्यान में रखकर अर्थात समावेशी शिक्षा दी जाए।

▪️ मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन – 

बालक केवल मानसिक दुर्बलता या रोगों की या समस्या का सामना नहीं करता बल्कि कभी-कभी वह कई मनोवैज्ञानिक तरीकों या समस्याओं अर्थात  कई तरह किमानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का सामना भी करता है।

इसीलिए बाल विकास इस समस्या के लिए कई मनोवैज्ञानिक तरीके  उपचार प्रस्तुत करते हैं।

▪️ बाल व्यवहार और अंतः क्रिया का अध्ययन – अलग-अलग अवस्था में बच्चों की जो अलग-अलग गतिविधियां है उसमें होने वाली अंतर क्रिया और उसमे बालक के व्यवहार के  का अध्ययन करते हैं

▪️ बालक की रुचियों का अध्ययन- 

हर बच्चे की रूचि को जानकर भी हम व्यक्ति की रूचि के अनुसार कार्य करते हैं जिससे वह बच्चे किसी भी कार्य करने में अपनी  सक्रिय भागीदारी निभाते है और  कार्य को सफलतापूर्वक कर पाते हैं ।

▪️ बालक की मानसिक प्रक्रिया- 

बालक के तर्क ,अधिगम ,कल्पना, चिंतन और स्मृति इन सभी तथ्यों को जानकर भी बालक की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन किया जा सकता है।

क्योंकि यह सभी तथ्य बालक को समझने में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

▪️ व्यक्तिक विभिन्नता का अध्ययन – 

हर व्यक्ति की आवश्यकताए और उनकी रुचि ,सीखने की क्षमता  या तरीका या ढंग सभी में अलग अलग होता है जिसका अध्ययन करना भी आवश्यक है क्योंकि यह सभी कार्य को प्रभावी और सफल बनाया जा सकता है।

▪️ बालकों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना – सभी व्यक्ति का अलग अलग व्यक्तित्व है और इसीलिए हर व्यक्ति के व्यक्तित्व का अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक है।

▪️ बालक अभिभावक संबंधों का अध्ययन- हर बालक का संबंध अपने माता-पिता से होता है यदि यह संबंध अच्छा नहीं होता है तो बालक कुंठित या परेशान या अपराधी प्रवृत्ति के हो जाते हैं या कुसमायोजित हो जाते हैं 

जबकि इसके विपरीत यदि बालक के अभिभावक से संबंध अच्छे हैं मतलब माता-पिता की बात सुनते ही अपनी बात कहते वह समझते हैं तो बेहतर रूप से समायोजित हो जाते हैं।

इसीलिए बाला का युवा वाक्य संबंधों का अध्ययन करना भी अत्यंत आवश्यक है।

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  *Notes By-Vaishali Mishra*

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