#14. CDP – Abstract Operational Stage PART-1

💫🌻 किशोरावस्था  (Adulthood)👫🌻💫

🌺अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था /औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था🌺

🌻किशोरावस्था तीव्र शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहार संबंधी परिवर्तन का काल है।

🌻कई परिवर्तन शरीर में होने वाले हार्मोन विकास के कारण होता है कुछ ग्रंथियां एकाएक सक्रिय होती हैं।

🌻 यह अवस्था युवावस्था अथवा परिपक्वावस्था तक रहती है यह सतत प्रक्रिया है इसे बाल्यावस्था तथा प्रौढ़ावस्था के मध्य का संधि काल  (Transitional period)कहते हैं।

🌻यह सब परिवर्तन यौन विकास से सीधे जुड़े हैं इस अवधि में गौण यौन लक्षणों के साथ शारीरिक  परिवर्तन नजर आने लगते हैं।

🌻 इस उम्र में हार्मोन के परिवर्तन के कारण विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ता है।

🌻किशोर बच्चे अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं एक बच्चे की तरह माता-पिता पर निर्भर करने की उपेक्षा करता है तथा प्रौढ़ की तरह स्वतंत्र रहना चाहता है।

🌻 वह अपने माता-पिता से दूरी बनाने लगता है। अपनी सम आयु समूह में अधिक समय व्यतीत करने लगता है

🌺 व्यावहारिक परिवर्तन🌺

🪐 स्वतंत्रता➖ किशोरों में मानसिक स्वतंत्रता की प्रबल भावना होती है वह बड़ों के आदेशों, विभिन्न परंपराओं, रीति-रिवाजों और अंधविश्वासों के बंधन में ना बंद कर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहते हैं।

🪐 पहचान➖ इस उम्र में बच्चे दूसरों से अलग बनने की कोशिश करते हैं।और वह यह भी सिद्ध करने की कोशिश करते हैं कि जो वह बता रहे हैं यह कर रहे हैं वह सही है।

🪐 आकर्षण➖ आकर्षण का केंद्र बनना चाहते हैं विषम लिंग के प्रति अपने आप को काफी आकर्षित रूप से कार्य करते हैं कई तरह का पहनावा या कई तरह के तरीकों से आकर्षक बनना चाहते हैं।

🪐

समवयस्क समूह पर निर्भरता➖

इस उम्र में बच्चे समवयस्क समूह पर निर्भर रहने लगते हैंकिसी समूह का सदस्य होते हुए भी किशोर केवल एक या दो बालकों से घनिष्ठ संबंध रखता है जो उसका परम मित्र होता है और उनसे वह अपनी समस्याओं के बारे में स्पष्ट रूप से बातचीत करता है।

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

🌺🌺🌺🌺🌻🌻🌺🌺

किशोरावस्था (Adolescence)/ अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था/ औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था-

🌈👉 किशोरावस्था तीव्र शरीरिक, भावात्मक और व्यवहारात्मक संबंधी परिवर्तन होता है।

          कई परिवर्तन शरीर मे होने वाले हार्मोनल विकास के कारण होते हैं। कुछ ग्रंथियां एकाएक सक्रिय होती है।

🌈👉 ये सब परिवर्तन यौन विकास से सीधे जुड़े हैं। इस अवधि में गौण यौन लक्षणों के साथ शारीरिक परिवर्तन नज़र आने लगते हैं।

🌈👉 इस उम्र में हार्मोनल परिवर्तन के कारण विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ता है।

🌈👉इस अवस्था मे बच्चा अपनी अलग पहचान बनाने लगता है।

🌈👉 इस अवस्था में एक बच्चे की तरह माता पिता पर निर्भर रहना चाहता है और एक प्रौढ की तरह स्वतंत्र रहना चाहता है।

🌈👉 बच्चा इस अवस्था में अपने माता पिता से दूरिया बनाने लगता है। अपने समवयस्क समूह में अधिक समय व्यतीत करता है।

🌺💥व्यावहारिक परिवर्तन💥

1️⃣ स्वतंत्रता-   किशोरों की जो मानसिक स्थिति बहुत ही सक्रिय होती है । उसके लिए रीतिरिवाज कोई मायने नही रखते हैं। वह अंधविश्वास और परंपराओ में नही बंधना चाहता है वह स्वतंत्र जीवन जीना चाहता है।

2️⃣👉 पहचान- किशोरावस्था में बच्चा अपनी पहचान अलग बनाना चाहता है। वह समाज मे खुद को सबसे अलग दिखाना चाहता है। ताकि लोग उसी को देखे और उसी की तारीफ करे।

3️⃣👉 आकर्षण- किशोरावस्था में कुछ हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जिससे बच्चे विषम लिंग की ओर आकर्षित होने लगता है। आकर्षण पहनावा या और कई तरह की चीज़ों के प्रति होने लगता है।

4️⃣👉 समवयस्क समूहों पर निर्भरता-   माता पिता अपने और बच्चे के बीच एक दायरा बना के रखते हैं जिससे बच्चे अपनी बात अपने माता पिता से नही कह पाते हैं उन्हें अपनी बात को कहने के लिए अपने साथियों या समवयस्को की आवश्यकता होती है। वे अपने साथियों से अपनी बात आसानी से कह पाते हैं क्यों उनकी बात को महत्वता दी जाती है।

📚📚NOTES BY  POONAM SHARMA🌹🌹🌹🌹

🏵️ किशोरावस्था संक्रियात्मक अवस्था/औपचारिक

           अर्मुत संक्रियात्मक अवस्था 🏵️12-18 

🍃🍃किशोरावस्था तीव्र शारीरिक भावनात्मक और व्यवहार संबंधी परिवर्तन का काल है।

कई परिवर्तन शारीरिक होने के हार्मोन विकास का कारण होते हैं‌।

🍃🍃कुछ ग्रंथियां एकाएक सक्रिय होती हैं , जींस के कारण व्यवहार में अलग परिवर्तन दिखने लगते हैं।

🍃🍃इस अवस्था में यह गौण यौन लक्षणों के साथ शारीरिक  परिवर्तन नजर आने लगते हैं।

🍃🍃किशोर बच्चे अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं।

🍃🍃इस अवस्था में एक बच्चे की तरह माता-पिता पर निर्भर रहनाना और एक प्रौढ़ की तरह स्वतंत्र रहना चाहते हैं ।

🍃🍃माता-पिता से थोड़ी दूरी बनाने लगते हैं, अपनी आयु  समूह में अधिक समय व्यतीत करने लगते हैं।

           ✍️व्यवहार में परिवर्तन✍️

🌻स्वतंत्रता 🌻

इस अवस्था में बच्चे स्वतंत्र रहना चाहते हैं किसी प्रकार का बंधन उन्हें पसंद नहीं होता उनको धार्मिक रीति रिवाज में बंधे लगने लगते  रहना है वह स्वतंत्र रहना चाहते है, उनको  रीति रिवा, विश्वास से दूर रहने लगते हैं।

🌺 पहचान 🌺

इस अवस्था में बच्चे अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं,चाहते हैं कि उनको उनके नाम से जाना जाए उनके व्यवहार से जानि जाए अपनी कोई एक विशेषता दिखाना चाहते हैं जिससे उनका सम्मान हो ।

🌼आकर्षण 🌸

इस अवस्था में अनेक प्रकार के हार्मोन परिवर्तन के कारण बच्चे बच्चे  भी विषलैंगिक के तरफ  आकर्षित होते हैं,।,उनको अपनी अच्छी चीज है दिखाना चाहते हैं जिससे वह उन्हें पसंद करें।

 🌼 समवयस्क समूह पर निर्भरता 🌸

इस अवस्था में बच्चे समवयस्क समूह निर्भर रहतेते हैं ,क्योंकि वहां पर अपने आप को स्वतंत्र महसूस करते हैं और अपनी बातों को रख सकते हैं। घर में ये स्वतंत्रता नहीं मिलती है और अपनी बात नहीं कर पाते हैं, इसलिए वह अपने समूह में रहना अधिक पसंद करते हैं।

✍️✍️📓✍️✍️ Notes by Laki 🙏🙏

🔆 किशोरावस्था ( Adolescence) / अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Abstract operation stage) /औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था ( Formal opration Stage)  ➖ 12 – 18 वर्ष 

🍀 किशोरावस्था शारीरिक, भावनात्मक ,और क्रियात्मक व्यवहार संबंधी परिवर्तन का काल है यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें बच्चा अपने आप को अकेला फील करता है उसके शारीरिक और मानसिक विकास में बहुत बड़ा बदलाव आता है  जिसके लिए वह दूसरों पर निर्भरता व्यक्त करने लगता है | 

 🍀इस अवस्था में बहुत सारे परिवर्तन शरीर में होने वाले हार्मोनल विकास के कारण होते हैं कुछ ग्रंथियां एकाएक सक्रिय होती है यह सब परिवर्तन यौन विकास से सीधे जुड़े हुए होती हैं इस गतिविधि में गौंण यौन लक्षणों के साथ शारीरिक परिवर्तन नजर आने लगती है जो इससे पहले कभी नजर नहीं आते रहते हैं लेकिन किशोरावस्था में खुलकर नजर आने लगते हैं |

🍀 इस उम्र में हार्मोनल परिवर्तन के कारण विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ता है यह इस अवस्था का सबसे बड़ा गुण है क्योंकि इससे पहले बच्चा अपने समलिंगी समूह में अपना समय व्यतीत करता है लेकिन किशोरावस्था में  हार्मोनल परिवर्तन के कारण वह अपने विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण को रोक नहीं पाता है |

🍀 किशोर बच्चे अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं अपने आपको व्यस्को की भांति प्रदर्शित करने की चाह में रहते हैं वह खुद को अधिक शक्तिशाली मानने लगते हैं |

🍀 एक बच्चे की तरह माता-पिता पर रहने निर्भर रहने की उपेक्षा करते हैं तथा प्रौढ़ की तरह स्वतंत्र रहना चाहते हैं इस अवस्था में ना तो वो अधिक परिपक्व रहता है ना ही अधिक नासमझ रहता है लेकिन उसमें अभी निर्णय लेने की क्षमता का विकास नहीं हो पाता है उसमें निर्णय लेने की क्षमता का विकास किशोरावस्था के अंत तक हो जाता है |

🍀 इस अवस्था में बच्चे अपने माता-पिता से दूरी बनाने लगते हैं और अपने सम आयु समूह में अधिक समय व्यतीत करने लगते हैं |

🛑 किशोरावस्था में व्यवहारिक परिवर्तन ➖

🎯 स्वतंत्रता ➖

इस अवस्था में बच्चे अपने आप को स्वतंत्र रखने की कोशिश करते हैं वह अपने माता-पिता से स्वतंत्र रहने की कोशिश करता है और इसके लिए उनसे ददूरी भी बनाने भी लगता है तथा अपना समय अपने सम आयु समूह के साथ व्यतीत करने लगता है वह चाहता है कि में खुद अपना निर्णय लूं क्योंकि वह अपने आप को वयस्कों की भांति संबोधित करने लगता है लेकिन उसमें पूरी तरह से परिपक्वता नहीं आ पाती है और इसी कारण से कई बच्चे ऐसा कार्य कर लेते हैं कि जिसका भुगतान उन्हें प्रौढ़ावस्था में या जीवन भर करना पड़ता है  |

🎯 पहचान ➖

  इस अवस्था में बच्चा अपनी खुद की अलग पहचान बनाना चाहता है अपना वजूद बनाना चाहते हैं अपने अस्तित्व को निखारना चाहता है और इसके लिए भी वह अन्य से अलग योग्य दिखाना चाहते हैं जो उनके स्वयं से जुड़ा हो | बच्चा चाहता है कि लोग उसकी तारीफ करें उस पर अपने विचार व्यक्त करें जिसके लिए वह अपने स्वयं की पहचान बनाने की कोशिश करता है |

🎯 समवयस्क  समूहों पर निर्भरता ➖

इस अवस्था में  माता पिता अपने बच्चों से एक सीमा या एक दायरा बनाकर रखते हैं  जिससे बच्चे अपनी बातों को उनसे  व्यक्तिगत तौर पर व्यक्त नहीं कर पाते  हैं जिसका सहारा उनको  उन्हें अपने मित्रों या अपने किसी  ऐसे व्यक्ति से करना पड़ता है  जिससे वह  मानसिक रूप से  सहज महसूस करते हैं  वह  समय-समय पर उनके प्रति अपना विश्वास व्यक्त करते हैं अपने मित्र समूह में अधिक रहने लगते हैं  बच्चे चाहते हैं कि उनके विपरीत लिंग समूह को समाज स्वीकार करें वे चाहते हैं कि समाज उनकी बातों को उनके काम और उनकी सोच को बढ़ावा दें |

🎯 आकर्षण ➖

 इस अवस्था में बच्चे विपरीत लिंग के प्रति रुचि दिखाते हैं और भी आकर्षण और प्रेम में अंतर समझ नहीं पाते हैं जिनका प्रभाव उनकी शारीरिक विकास पर पड़ता है एवं मानसिक विकास पर भी पड़ता है बच्चे का आकर्षण कई चीजों के प्रति होता है वह खुद को सहज महसूस करवाना की कोशिश करता है और इसके लिए कई तरह की चीजों की प्रति आकर्षित होने लगता है |

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

🍀🌸🌼🌻🍀🌸🌼🌻🍀🌸🌼🌻🍀🌸🌼🌻🍀🌸🌼🌻

🔆 किशोरावस्था /अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था /औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था(12 से 18 वर्ष) ➖

🔹किशोरावस्था तीव्र शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहार संबंधी परिवर्तन का काल है।

🔹कई परिवर्तन शरीर में होने वाले हार्मोन विकास के कारण होता है कुछ ग्रंथियां एकाएक सक्रिय होती हैं।

🔹 यह अवस्था युवावस्था अथवा परिपक्वावस्था तक रहती है यह सतत प्रक्रिया है इसे बाल्यावस्था तथा प्रौढ़ावस्था के मध्य का संधि काल  (Transition period)कहते हैं।

🔹यह सब परिवर्तन यौन विकास से सीधे जुड़े हैं इस अवधि में गौण यौन लक्षणों के साथ शारीरिक  परिवर्तन नजर आने लगते हैं।

🔹 इस उम्र में हार्मोन के परिवर्तन के कारण विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ता है।

🔹किशोर बच्चे अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं एक बच्चे की तरह माता-पिता पर निर्भर करने की उपेक्षा करता है तथा प्रौढ़ की तरह स्वतंत्र रहना चाहता है।

🔹 वह अपने माता-पिता से दूरी बनाने लगता है। अपनी सम आयु समूह में अधिक समय व्यतीत करने लगता है

❇️ व्यावहारिक परिवर्तन➖

🪐⚜️स्वतंत्रता➖ किशोरों में मानसिक स्वतंत्रता की प्रबल भावना होती है वह बड़ों के आदेशों, विभिन्न परंपराओं, रीति-रिवाजों और अंधविश्वासों के बंधन में ना बंद कर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहते हैं।

⚜️ पहचान➖ इस उम्र में बच्चे दूसरों से अलग बनने की कोशिश करते हैं।और वह यह भी सिद्ध करने की कोशिश करते हैं कि जो वह बता रहे हैं यह कर रहे हैं वह सही है।

⚜️ आकर्षण➖ आकर्षण का केंद्र बनना चाहते हैं विषम लिंग के प्रति अपने आप को काफी आकर्षित रूप से कार्य करते हैं कई तरह का पहनावा या कई तरह के तरीकों से आकर्षक बनना चाहते हैं।

⚜️

समवयस्क समूह पर निर्भरता➖

इस उम्र में बच्चे समवयस्क समूह पर निर्भर रहने लगते हैंकिसी समूह का सदस्य होते हुए भी किशोर केवल एक या दो बालकों से घनिष्ठ संबंध रखता है जो उसका परम मित्र होता है और उनसे वह अपनी समस्याओं के बारे में स्पष्ट रूप से बातचीत करता है।

✍🏻

*Notes by :- Vaishali Mishra*

*किशोरावस्था  (Adulthood)* :-

 *अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था /औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था* 

✍🏾किशोरावस्था तीव्र शारीरिक, *भावनात्मक और व्यवहार* संबंधी परिवर्तन का काल है।

✍🏾कई परिवर्तन शरीर में होने वाले हार्मोन विकास के कारण होता है *कुछ ग्रंथियां एकाएक सक्रिय होती हैं।* 

✍🏾यह अवस्था युवावस्था अथवा परिपक्वावस्था तक रहती है यह *सतत प्रक्रिया* है इसे बाल्यावस्था तथा प्रौढ़ावस्था के मध्य का संधि काल  *(Transitional period)कहते हैं।* 

✍🏾यह सब परिवर्तन यौन विकास से सीधे जुड़े हैं इस अवधि में *गौण यौन लक्षणों के साथ शारीरिक  परिवर्तन नजर आने लगते हैं।* 

✍🏾इस उम्र में *हार्मोन* के परिवर्तन के कारण विपरीत *लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ता है।* 

✍🏾किशोर बच्चे अपनी *अलग पहचान बनाना* चाहते हैं एक बच्चे की तरह माता-पिता पर निर्भर करने की उपेक्षा करता है तथा *प्रौढ़ की तरह स्वतंत्र रहना* चाहता है।

✍🏾 वह अपने *माता-पिता से दूरी बनाने लगता है।* अपनी सम आयु समूह में अधिक समय व्यतीत करने लगता है

 🏵️ *व्यावहारिक परिवर्तन* 🍿

✍🏾 *स्वतंत्रता:-* किशोरों में मानसिक स्वतंत्रता की प्रबल भावना होती है वह बड़ों के *आदेशों, विभिन्न परंपराओं, और रीति-रिवाजों और अंधविश्वासों के बंधन में ना बंद* कर स्वतंत्र *जीवन व्यतीत* करना चाहते हैं।

✍🏾 *पहचान* :- इस उम्र में बच्चे *दूसरों से अलग बनने की कोशिश करते हैं।* और वह यह भी सिद्ध करने की कोशिश करते हैं कि जो वह बता रहे हैं यह कर रहे हैं वह सही है।

 *✍🏾आकर्षण* :- आकर्षण का केंद्र बनना चाहते हैं विषम *लिंग* के प्रति अपने आप को काफी आकर्षित रूप से कार्य करते हैं कई तरह का पहनावा या कई तरह के तरीकों से आकर्षक बनना चाहते हैं।

 ✍🏾 **समवयस्क समूह पर निर्भरता:-** 

इस उम्र में बच्चे *समवयस्क समूह* पर निर्भर रहने लगते हैं किसी समूह के सदस्य होते हुए भी किशोर *केवल एक या दो बालकों से घनिष्ठ संबंध रखता है* जो उसका परम मित्र होता है और उनसे वह अपनी समस्याओं के बारे में स्पष्ट रूप से बातचीत करता है।

 *Notes* by Sharad Kumar patkar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *