उत्तर बाल्यावस्था ( 6 / 7 – 12 वर्ष )
बौद्धिक विकास
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👉 6 – 12 साल में बच्चा खुद में और बाहरी दुनिया में फर्क समझने लगता है।
👉 बच्चों में प्राकृतिक नियमों की अवधारणा 12 साल तक विकसित हो जाती है।
👉 इस उम्र में बच्चे नई जानकारी के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक होते हैं और नए – नए विचारों को सीखते हैं।
👉 इस उम्र में बच्चों के सीखने और स्मृति की क्षमता अधिक कुशल हो जाती है।
👉 इस उम्र में बच्चों में तार्किक सोच की क्षमता भी बढ़ जाती है और अब बच्चे तथ्यों को संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से देखने लगते हैं।
👉 इस उम्र में बच्चों में विज्ञान की कहानियों और यांत्रिक संचालन की रुचि भी बढ़ जाती।
👉 इस उम्र में बच्चों में साहस और निष्ठा की भावना भी बढ़ जाती है।
👉 इस उम्र में बच्चे तत्काल कारणों से ज्यादा विचलित होने लगते हैं।
👉 बच्चे के शुरुआती दिनों में जो कल्पनाशील भय होता है यह 12 साल की उम्र तक गायब हो जाता है।
🌺 उत्तर बाल्यावस्था में 🌺
भावनात्मक विकास
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👉 इस उम्र में बच्चा पूरी तरह से तो नहीं पर कुछ हद तक अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना सीख जाता है।
परन्तु किसी परिस्थिति में अपनी भावनाओं को छुपा भी लेते हैं और किसी में नही भी छुपा पाते हैं ।
👉 इस समय बच्चों की भावनात्मक प्रतिक्रिया कम विचलित होती है।
👉 इस समय भावनाएं संक्रामक होती है क्योंकि बच्चा दूसरों पर अधिक भरोसा करने लगता है।
👉 इस समय जानवर या अन्य चीज का कल्पनात्मक डर खत्म हो जाता है।
👉 इस उम्र में बच्चों की किसी अन्य बच्चों से या उनके कामों से तुलना करने पर बच्चों में उपहास ईर्ष्या , ignore , बहुत अधिक गुस्सा आदि के भाव उत्पन्न होने लगते हैं।
👉 अतः तुलनात्मक पक्षपात से ईर्ष्या जन्म लेती है।
👉 इस समय लड़कियां , लड़कों की अपेक्षा ज्यादा ईर्ष्यावान हो जाती हैं।
👉 इस समय बच्चों में खुशी , प्रेम , जिज्ञासा , दुःख , स्नेह आदी आसानी से देख सकते हैं।
अर्थात् इस उम्र में बच्चे अपने भावों को छुपाने में बहुत निपुण नहीं होते हैं।
🌻✍️Notes by – जूही श्रीवास्तव✍️🌻
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उत्तर बाल्यावस्था
🔥 बौद्धिक विकास🔥
✍🏻 6 से 12 साल की आयु बच्चा खुद में और बाहरी दुनिया में फर्क को समझ ने लगता है।
✍🏻 बच्चों में प्राकृतिक नियमों की अवधारणा 12 साल तक विकसित हो जाती है
अर्थात् इस उम्र में बच्चा प्रकृति के बनाए हुए नियमों से परिचित हो जाते हैं, जैसे:- सर्दी लगना, गर्मी लगना आदि महसूस करने लगते हैं।
✍🏻 इस उम्र में बच्चे नई जानकारियों के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक होते हैं और नए विचारों को सीखते हैं।
✍🏻 बच्चों के सीखने और स्मृति की क्षमता अधिक कुशल हो जाती है।
✍🏻 बच्चों में तार्किक सोच की क्षमता भी बढ़ जाती है वह तथ्यों के संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से देखने लगता है।
✍🏻 विज्ञान की कहानियां और यांत्रिक संचालन मैं भी बच्चों की रुचि बढ़ जाती है।
✍🏻 बच्चों के साहस और निष्ठा की भावना भी बढ़ जाती है।
✍🏻इस उम्र में बच्चे तत्काल कारणों से ज्यादा विचलित होने लगते हैं।
✍🏻 बच्चे के शुरुआती दिनों में जो कल्पनाशील वह होती है वह 12 साल की उम्र तक गायब हो जाता है।
✍🏻 बच्चे चीजों को तर्कसंगत रूप से देखने लगते हैं तो समस्या का विश्लेषण करना सीख जाते हैं।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
🌺 भावनात्मक विकास🌺
💫 इस उम्र में बच्चों के भावनात्मक विकास में काफी परिवर्तन आते हैं, बच्चा अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं।
💫 बच्चों की भावनात्मक प्रतिक्रिया कम विचलित होती है।
💫 इस उम्र में बच्चों की भावनाएं संक्रामक होती हैं क्योंकि बच्चे दूसरों पर अधिक भरोसा करता है।
💫 इस उम्र में बच्चे जानवर या अन्य चीज को कल्पनात्मक डर खत्म हो जाता है।
💫 इस उम्र में जब बच्चों की तुलना या उनके कार्यों की तुलना किसी अन्य बच्चों से की जाए या उनका उपहास ईर्ष्या या इग्नोर किया जाता है तो बच्चे गुस्सा करना शुरू कर देते हैं।
💫 अगर माता-पिता के द्वारा बच्चों में पक्षपात किया जाए तो बच्चों में ईर्ष्या जन्म लेती है।
💫 वरीयताओं के कारण लड़कियां अपने वर्ग में लड़कों से अधिक ईर्ष्यावान हो जाती हैं।
💫 इस उम्र में बच्चों में खुशी, प्यार जिज्ञासा, दु:ख और स्नेह आदि आसानी से देखे जा सकते हैं।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
✍🏻Notes by
🌼Shashi chaudhary🌼
🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼
🌻 उत्तर बाल्यावस्था🌻🧍🏻
🌻 बौद्धिक विकास 🧠 🌻
🪐 इस उम्र में 6-12 मैं बच्चा खुद और बाहरी दुनिया में फर्क समझने लगता है
🪐 बच्चे में प्राकृतिक नियमों की अवधारणा 12 साल तक विकसित हो जाती है।
🪐बच्चा इस समय नई नई जानकारियों के लिए सबसे अधिक जिज्ञासु होता है नए विचारों को सीखता है।
🪐 बच्चों के सीखने और स्मृति की क्षमता अधिक विकसित हो जाती है।
🪐बच्चों में तार्किक सोच की क्षमता भी बढ़ जाती है और वह तथ्यों को संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से देखने लगता है।
🪐 विज्ञान की कहानियां और यांत्रिक संचालन की रूचि भी बढ़ती है।
🪐 बच्चों में साहस और निष्ठा भी बढ़ जाती है।
🪐 इस समय में बच्चे तत्काल कारणों से ज्यादा विचलित होने लगते हैं।
🪐बच्चों के शुरुआती दिनों में जो कल्पनाशील भय होती है यह 12 साल की उम्र तक गायब हो जाती है।
🪐 बच्चे चीजों को तर्कसंगत रूप से देखते हैं तो समस्या का विश्लेषण करना सीख जाते हैं।
🌸🌺 भावनात्मक विकास🌺🌸
👉🏼 भावनाओं पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं।
👉🏼 भावनात्मक प्रतिक्रिया कम विचलित होती है।
👉🏼 भावनाएं संक्रामक होती है क्योंकि बच्चा दूसरों पर अधिक भरोसा करने लगता है।
👉🏼 जानवर या अन्य चीजों का कल्पनात्मक डर खत्म हो जाता है।
👉🏼 उसकी तुलना करने पर उपहास बहुत गुस्सा आने लगता है।
👉🏼 पक्षपात से ईर्ष्या प्रतिस्पर्धा की भावना का जन्म होता है।
👉🏼 लड़कियां लड़कों से ज्यादा ईर्ष्या करने लगती हैं।
👉🏼 खुशी, प्यार, जिज्ञासा, दुख, स्नेह आसानी से देख सकते हैं।
✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma📚📚✍🏻
🔆 उत्तर बाल्यावस्था या मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (6-12 वर्ष) में बौद्धिक विकास➖
🎯 उत्तर बाल्यावस्था या मूर्त संक्रियात्मक अवस्था 6-12 वर्ष में बच्चे खुद में और बाहरी दुनिया में फर्क या अंतर समझने लगता है |
🎯 बच्चों में प्राकृतिक नियमों की अवधारणा 12 साल तक विकसित हो जाती है |
🎯 इस समय बच्चे नई जानकारी के लिए सबसे अधिक उत्सुक होते हैं उनके मन में नए विचारों को सीखने की उत्सुकता होती है बच्चे क्यों और कैसे के सवालों को खोजने की कोशिश करते हैं |
🎯 बच्चों की सीखने और स्मृति की क्षमता अधिक हो जाती है क्योंकि वे इस समय मूर्त चीजों के अनुसार अपने उत्तर को खोजने की कोशिश करते हैं उस पर संक्रिया लगाते हैं |
🎯 बच्चों में तार्किक सोच की क्षमता भी बढ़ जाती है और वह तथ्यों को संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से देखने लगता है अपने उत्तर को भावनाओं से नहीं बल्कि अपनी तार्किक क्षमता से खोजने की कोशिश करने लगता है |
🎯 विज्ञान की कहानियां और यांत्रिक संचालन की रुचि भी बढ़ती है |
🎯 बच्चों में साहस और निष्ठा भी बढ़ जाती है वह किसी कार्य को पूरे साहस और ईमानदारी से करने की कोशिश करता है |
🎯 इस उम्र में चीजों की समझ तो बढ़ती है लेकिन परिपक्वता नहीं आ पाती है और बच्चे जल्दी विचलित होने लगती है वह किसी भी परिस्थिति में विचलित हो जाते है अर्थात इस समय बच्चे तत्काल कारणों से ज्यादा विचलित होने लगते हैं |
🎯 बच्चे के शुरुआती दिनों में जो कल्पनाशील का भय होता है वह 12 साल की उम्र तक गायब हो जाता है क्योंकि वह चीजों को समझने लगता है और उस पर अपनी मूर्त सोच विकसित कर लेता है |
🎯 इस अवस्था के अंत तक बच्चे समस्या का विश्लेषण करना भी सीख जाते हैं |
⭕ उत्तर बाल्यावस्था (6-12 वर्ष) में भावनात्मक विकास➖
🍀 इस अवस्था में बच्चे भावनाओं पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं |
🍀 इस अवस्था में बच्चे की भावनात्मक प्रतिक्रिया कम विचलित होती है वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करने के साथ-साथ उस पर विचलित होना भी नियंत्रित कर लेते हैं |
🍀 इस अवस्था में बच्चे की भावनाएं संक्रामक होती है क्योंकि बच्चा दूसरों पर अधिक भरोसा करता है |
🍀 इस अवस्था में बच्चे का जानवर या अन्य चीज के प्रति जो कल्पनात्मक डर होता है वह खत्म हो जाता है |
🍀 बच्चे की किसी से तुलना करने पर उसका उपहास करने , नजर अंदाज करने, और उपहास करने पर वह खुद में शर्म महसूस करता है और बहुत गुस्सा भी करता है |
🍀 यदि बच्चे से पक्षपात किया जाता है तो उसके मन में ईर्ष्या का जन्म होता है |
🍀 इस अवस्था में लड़कियां लड़कों से ज्यादा ईर्ष्यावान हो जाती है |
🍀 इस अवस्था में बच्चे में खुशी ,प्यार , जिज्ञासा,दुख और स्नेह आसानी से देखा जा सकता है |
नोट्स बाय ➖ रश्मि सावले
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🏋️उत्तर बाल्यावस्था में बौद्धिक विकास
(Mental development in later childhood stage)
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿19 Feb 21🌿🌿
🍃 6 से 12 साल में बच्चा *खुद और बाहरी दुनिया में फर्क* समझने लगता है।
🍃 इस अवस्था में बच्चों में *प्राकृतिक नियमों* की अवधारणा 12 साल तक विकसित हो जाती है।
🍃 इस समय बच्चे *नई जानकारी* के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक होते हैं और नए विचारों को सीखते हैं।
🍃 बच्चों के *सीखने और स्मृति की क्षमता* अधिक कुशल हो जाती है।
🍃 बच्चों में *तार्किक सोच की क्षमता* भी बढ़ जाती है और वह तथ्यों को संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से देखने लगता है।
🍃 इस अवस्था में बालक का *विज्ञान की कहानियां और यांत्रिक संचालन* की रूचि भी बढ़ जाती है।
🍃 इस अवस्था में बच्चों में *साहस और निष्ठा* भी बढ़ जाती है।
🍃 बच्चे की शुरुआती दिनों में जो कल्पनाशील भय होता है, वह 12 साल की उम्र तक गायब हो जाता है।
🍃 चूंकि बच्चा चीजों को तर्कसंगत रूप से देखता है इसलिए समस्या का विश्लेषण करना भी सीख सकता है।
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🏋️उत्तर बाल्यावस्था में भावनात्मक विकास
(Emotional development in later childhood)💐💐💐💐💐💐💐💐💐
🌼 इस अवस्था में बालक *भावनाओं पर नियंत्रण* करना सीख जाता है।
🌼 इस अवस्था में बालक में *भावनात्मक प्रतिक्रिया कम* विचलित होता है।
🌼 इस अवस्था में बालक की भावनाएं संक्रामक होती हैं; क्योंकि बच्चा दूसरे पर अधिक भरोसा करता है।
🌼 इस अवस्था में बालक में जानवर या अन्य चीज का कल्पनात्मक डर खत्म हो जाता है।
🌼 इस अवस्था में बालक की तुलना करने, उपहास करने, अनदेखा (Ignore) करने पर वह जल्दी बहुत गुस्सा करने लगता है।
🌼 इस अवस्था में बालक *पक्षपात से ईर्ष्या को जन्म* देता है।
🌼 लड़कियां, लड़कों से ज्यादा ईर्ष्यावान हो जाती हैं।
🌼 इस अवस्था के बालकों में खुशी, प्यार, जिज्ञासा, दु:ख, स्नेह आसानी से देख सकते हैं।🔚
🙏
⭐⭐📝 by – Awadhesh Kumar⭐⭐
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मूर्त संक्रियात्मक अवस्था में बौद्धिक विकास
6 से 12 साल में बच्चा खुद और बाहरी दुनिया में फर्क समझने लगता है।
बच्चों में प्राकृतिक नियमों की अवधारणा 12 साल तक विकसित हो जाती है अर्थात जैसे उन्हें सर्दी के समय सर्दी लगती है तो वह अपने कोट पहनने लगते हैं और बारिश के समय भीगने से बचते हैं।
इस समय बच्चे नई जानकारी के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक होते हैं नए विचारों को सीखते हैं।
बच्चों के सीखने और स्मृति की क्षमता अधिक कुशल हो जाती है क्योंकि बच्चा प्रत्यक्ष अनुभव करके सीखता है जो अधिक स्थाई होता है।
बच्चे में तार्किक सोच की क्षमता भी बढ़ जाती है और वह तथ्यों को संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से देखने लगता है।
विज्ञान की कहानियां और यांत्रिक संचालन की रूचि भी बढ़ती है।
बच्चों में साहस और निष्ठा भी बढ़ जाती है।
इस समय में बच्चे तत्काल कारणों से ज्यादा विचलित होने लगते हैं।
बच्चे को शुरुआती दिनों में जो कल्पनाशील भय होता है यह 12 साल की उम्र तक गायब हो जाता है जैसे छोटा बच्चा जब खाना नहीं खाता है तो उसे बिल्ली कुत्ते चूहे बंदर का भय दिखाकर खाना खिला दिया जाता था लेकिन अब बच्चे में यह भय गायब हो जाता है।
क्योंकि बच्चा अब चीजों को तर्कसंगत रूप से देखता है तो समस्या का विश्लेषण करना भी सीख जाता है।
मूर्त संक्रियात्मक अवस्था में भावात्मक विकास
इस समय भावनाओं पर नियंत्रण करना सीख जाता है
भावात्मक प्रतिक्रिया कम विचलित हो जाती है
भावनाएं संक्रामक होती है क्योंकि बच्चा दूसरों पर अधिक भरोसा करता है
जानवर या अन्य चीज का कल्पनात्मक डर खत्म हो जाता है
उसकी तुलना करने पर उपवास करने पर इगइग्नोर या उपेक्षा करने पर बहुत गुस्सा होता है।
पक्षपात से ऐसा को जन्म देता है
लड़कियां लड़कों से ज्यादा ईष्र्यावान होती है।
खुशी प्यार जिज्ञासा दुख स्नेह आसानी से देख सकते हैं।
Notes by Ravi kushwah
उत्तर बाल्यावस्था ( 6 / 7 – 12 वर्ष )
बौद्धिक विकास
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👉 6 – 12 साल में बच्चा खुद में और बाहरी दुनिया में फर्क समझने लगता है।
👉 बच्चों में प्राकृतिक नियमों की अवधारणा 12 साल तक विकसित हो जाती है।
👉 इस उम्र में बच्चे नई जानकारी के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक होते हैं और नए – नए विचारों को सीखते हैं।
👉 इस उम्र में बच्चों के सीखने और स्मृति की क्षमता अधिक कुशल हो जाती है।
👉 इस उम्र में बच्चों में तार्किक सोच की क्षमता भी बढ़ जाती है और अब बच्चे तथ्यों को संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से देखने लगते हैं।
👉 इस उम्र में बच्चों में विज्ञान की कहानियों और यांत्रिक संचालन की रुचि भी बढ़ जाती।
👉 इस उम्र में बच्चों में साहस और निष्ठा की भावना भी बढ़ जाती है।
👉 इस उम्र में बच्चे तत्काल कारणों से ज्यादा विचलित होने लगते हैं।
👉 बच्चे के शुरुआती दिनों में जो कल्पनाशील भय होता है यह 12 साल की उम्र तक गायब हो जाता है।
🔆उत्तर बाल्यावस्था मे भावनात्मक विकास
➖
🔹इस उम्र में बच्चा पूरी तरह से तो नहीं पर कुछ हद तक अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना सीख जाता है।
परन्तु किसी परिस्थिति में अपनी भावनाओं को छुपा भी लेते हैं और किसी में नही भी छुपा पाते हैं ।
🔹 इस समय बच्चों की भावनात्मक प्रतिक्रिया कम विचलित होती है।
🔹इस समय भावनाएं संक्रामक होती है क्योंकि बच्चा दूसरों पर अधिक भरोसा करने लगता है।
🔹इस समय जानवर या अन्य चीज का कल्पनात्मक डर खत्म हो जाता है।
🔹इस उम्र में बच्चों की किसी अन्य बच्चों से या उनके कामों से तुलना करने पर बच्चों में उपहास ईर्ष्या , ignore या अनदेखा, बहुत अधिक गुस्सा आदि के भाव उत्पन्न होने लगते हैं।
🔹 अतः तुलनात्मक पक्षपात से ईर्ष्या जन्म लेती है।
🔹इस समय लड़कियां , लड़कों की अपेक्षा ज्यादा ईर्ष्यावान हो जाती हैं।
🔹 इस समय बच्चों में खुशी , प्रेम , जिज्ञासा , दुःख , स्नेह आदी आसानी से देख सकते हैं।
इस उम्र में बच्चे अपने भावों को छुपाने में बहुत निपुण नहीं होते हैं।
✍️Notes by – Vaishali Mishra
💐💐 मूर्त संक्रियात्मक अवस्था में भौतिक विकास💐💐
जब बच्चा 6 से 12 साल का होता है तो वह खुद में और बाहरी दुनिया में फर्क समझने लगता है
बच्चों में प्राकृतिक नियमों की अवधारणा 12 साल तक विकसित हो जाती है
इस समय बच्चे नई जानकारी के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक होते हैं नए विचारों को सीखते हैं
बच्चे के सीखने और स्मृति की क्षमता अधिक कुशल हो जाती है
बच्चों में तार्किक सोच संज्ञानात्मक सोच की क्षमता बढ़ जाती है और तत्वों को संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से देखने लगते हैं
विज्ञान की कहानियां और यांत्रिक संचालन के प्रति रुचि बढ़ती है
बच्चों में साहस और निष्ठा भी बढ़ जाती है
इस समय बच्चे तत्काल कारणों से ज्यादा विचलित होने लगते हैं
बच्चे में शुरुआती दिनों में जो कल्पनाशील भय होता है यह 12 साल की उम्र तक गायब हो जाता है
क्योंकि बच्चा चित्रों को दर्द संगत रूप से देखता है तो समस्या का विश्लेषण करना सीख जाता है
💐 भावनात्मक विकास💐
भावनाओं पर नियंत्रण करना सीख जाता है
भावनात्मक प्रतिक्रिया कम विचलित होती हैं
भावना संक्रामक होती है क्योंकि बच्चा दूसरों पर अधिक भरोसा करता है
जानवर या अन्य चीज का कल्पनात्मक खत्म हो जाता है
उसकी तुलना करने पर उपहास नजर अंदाज करने पर बहुत गुस्सा होता है
पक्षपात से ईर्ष्या को जन्म देता है
लड़कियां लड़कों से ज्यादा irsyawan हो जाती हैं
खुशी प्यार जिज्ञासा दुःख आसानी से देख सकते हैं
sapna sahu 🙏🙏🙏🙏